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Tag: राजीव डोगरा “विमल”

पथिक
कविता

पथिक

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** पथिक हो? फिर विराम क्यों ? चलना तेरा काम है फिर आराम क्यों? पथिक हो? फिर पथ पर पड़े कंकरों से तुमको भय क्यों? पथिक हो? फिर पथ पर चलने से तुम को थकावट क्यों? पथिक हो? फिर हार जाने के डर से तुम को घबराहट क्यों? परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंद...
श्री सिद्धिविनायक
भजन, स्तुति

श्री सिद्धिविनायक

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** हे ऋद्धि सिद्धि के मम दाता तुम ही हो मेरे भाग्य विधाता पूर्ण करो प्रभुजी सब काजा ॐ गं गं गं गणपति-गणेशा भक्त तेरा, पड़ा घने-क्लेशा तुम्हीं आन दूर-करो-द्वेषा ॐ कं कं कं कालिके-नँदन करूं गौरी - सुत स्नेह वँदन भरो ह्रदय मेरेss आनन्दन ॐ शंशंशं शिव शम्भू प्यारे भव पार करो सुरेश्वरम न्यारे ॐ गं- गं- गं- गजानन देवा जीवन में छाया घना अँधेरा सिद्धिविनायक करो सवेरा श्वांस श्वांस तुम्हरे गुण गाऊँ जोई जोई माँगूँ सो ही पाऊँ राजीव डोगरा के हो प्यारे भाग्य-विधाता पालन हारे गं गं गं गं गणपति विधाता दूर हो दुःख जो तेरे गुणगाता परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्...
माँ जगदंबे काली
भजन, स्तुति

माँ जगदंबे काली

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** रक्षा करो माँ जगदंबे काली रक्षा करो माँ जगदंबे काली...... तुम हो दुर्गा तूम ही काली करती हो तुम अपने बल से सारे जगत की रखवाली मेरी भी रक्षा करो माँ बजगदंबे काली। रक्षा करो माँ जगदंबे काली...... तुम हो विद्या तुम ही हो महाविद्या मुझे भी विद्या का दान दो माँ काली। रक्षा करो माँ जगदंबे काली...... तो तुम हो आदि तुम हो अनंत तुमसे है सृष्टि का आरंभ तुमसे ही सृष्टि का अंत रक्षा करो माँ जगदंबे काली...... तुम हो दयालु तुम हो परम् दयालु मेरे सिर पर भी दया का हाथ रख दो माँ काली रक्षा करो माँ जगदंबे काली रक्षा करो माँ जगदंबे काली...... परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करत...
कोई फर्क नहीं
कविता

कोई फर्क नहीं

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मैं कब हारा मैं कब जीता मुझे इससे कोई फर्क नहीं। कौन अपना कौन पराया मुझे इससे कोई फर्क नहीं। मैं क्यों रोया मैं क्यों हंसा मुझे इससे कोई फर्क नहीं। कौन मेरा कौन तेरा मुझे इससे कोई फर्क नहीं। क्या खोया क्या पाया मुझे इससे कोई फर्क नहीं परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपन...
बदलते रंग
कविता

बदलते रंग

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** बदलते हुए रंगों के साथ बदलते हुए अपने लोग देखे हैं। चेहरे पर नकाब ओढ़े सीने पर वार करते अपने ही लोग देखे हैं। हरे रंगों जैसी अब लोगों के दिलों में हरियाली कहाँ ? अपने ही लोग खंजर फेर ह्रदय तल को बंजर करते देखे हैं। रंगों की बौछार फैली है हर जगह फिर भी गिरगिट की तरह रंग बदलते अपने रिश्तेदार देखे हैं। करते होंगे मोहब्बत वो शायद किसी और से, हमने अपने लिए तो उनके चेहरे पर नफ़रत के बदलते नए-नए रंग देखे हैं। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि रा...
मैं कहाँ?
कविता

मैं कहाँ?

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** तेरी महफ़िल में शोर कहां ? मेरे सिवा तेरा कोई यहां और कहां ? लोग कहते हैं तुम हर लफ़्ज़ को पकड़ लेते हो। फिर तुम्हारी जिंदगी में मोहब्बत के पन्नों पर इश्क की दास्तां कहां? लोग कहते हैं हर आशिक तेरा यहां। फिर तेरे चाहने वालों में यहां मेरा नाम का कहां? लोग कहते हैं मोहब्बत की में हर शायरी हर नगमे में तेरा नाम है यहां? फिर इश्क के दरिया बीच प्यार के नाव में तू अकेला बैठा क्यों यहां ? परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर...
फिर से
कविता

फिर से

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** खुदा करे तुम्हें भी मोहब्बत हो फिर से, किसी और से नहीं बस मुझसे। खुदा करे मैं भी खफा हूं तुमसे और तुम वफा करो फिर से, किसी और से नहीं बस मुझसे। खुदा करे तुम भी दिल लगाओ फिर से किसी और से नहीं बस मुझसे। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में ...
वजह
कविता

वजह

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मुस्कुराहट की वजह बनो क्यों दर्द की वजह बनते हो? मोहब्बत की वजह बनो क्यों नफरत की वजह बनते हो? जीने की वजह बनो क्यों मृत्यु की वजह बनते हो? निभाने की वजह बनो क्यों बिखरने की वजह बनते हो? हंसने की वजह बनो क्यों रुलाने की वजह बनते हो? दोस्ती की वजह बनो क्यों दुश्मनी की वजह बनते हो? सम्मान की वजह बनो क्यों अपमान की वजह बनते हो? आशा की वजह बनो क्यों निराशा की वजह बनते हो? जीताने की वजह बनो क्यों हराने की वजह बनते हो? परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, ...
हे ! वाग्वादिनी माँ
कविता

हे ! वाग्वादिनी माँ

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** हे ! वाग्वादिनी माँ हे ! वाग्वादिनी माँ तू हमें ज्ञान दें तू हमें ध्यान दें। भटक रहें हम जीवन पथ पर आकर हमें तू अब थाम लें। तू ब्राम्ह की माया तू ही महामाया हम फंसे मोहजाल आकर हमें तू अब निकाल लें। तू ज्ञान की मुद्रा तू ध्यान की मुद्रा हम गिरे अज्ञान में आकर हमें तू अब ज्ञान दें। तू सुर की वन्दिता तू ही सुरवासिनी हम हो रहें बे-सुरे आकर हमें तू सुर का ज्ञान दें। तू विद्या की धात्री तू ही विद्युन्माला हम धंस रहें अविद्या में आकर हमें तू विद्या का वरदान दें हे ! वाग्वादिनी माँ हे ! वाग्वादिनी माँ तू हमें ज्ञान दें तू हमे ध्यान दें। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित क...
सन्नाटा
कविता

सन्नाटा

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** एक सन्नाटा सा छाने लगा है अंदर ही अंदर। बहुत कुछ मेरा अंतर्मन कहना चाहता है, मगर पता नहीं क्यों? लपक कर बैठ जाता है ये सन्नाटा जुबान पर। बहुत सी बहती हुई वेदनाए ह्रदय तल से बाहर निकलना चाहती हैं, मगर पता नहीं क्यों? ये सन्नाटा इन वेदनाओं को अपनी सर्द हवाओं से अंदर ही अंदर क्यों जमा देता है? परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कवि...
मेरे कान्हा जी
भजन, स्तुति

मेरे कान्हा जी

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मुझे अपना मीत बनाओ मेरे कान्हा जी, मुझे भी सखियों के संग रिझाओ मेरे कान्हा जी, मुझे भी रासिको का रास सिखाओ मेरे कान्हा जी, मुझे भी प्रेम की अनुभूति करवाओ मेरे कान्हा जी, मुझे भी माखन चुराना सिखाओ मेरे कान्हा जी, मुझे भी निर्गुण से सगुण का भेद समझाओ मेरे कान्हा जी, मुझे भी रणक्षेत्र का अर्जुन बनाओ मेरे कान्हा जी, मुझे भी गीता का ज्ञान करवाओ मेरे कान्हा जी, मुझमें भी भक्ति का भाव जगाओ मेरे कान्हा जी, परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय ह...
एक शाम
कविता

एक शाम

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** जिंदगी की एक शाम तेरे नाम लिखूंगा। कुछ अनकहे से अल्फाज तेरे नाम लिखूंगा। कुछ बिखरे हुए जज्बात तेरे नाम लिखूंगा। कुछ टूटे हुए अरमान तेरे नाम लिखूंगा। छलकता है जो पानी आंखों में तेरी याद में तेरे नाम लिखूंगा। करती है जो हवाए देख कर तुमको गुफ्तगू उनको भी तेरे नाम लिखूंगा। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आ...
शरणागत
भजन, स्तुति

शरणागत

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मैं दीनहीन दुखीयार हूं मुझे अपनी शरण में प्रभु रख लो न। मैं जन्म-जन्म का मारा हूं मुझे अपनी शरण में प्रभु रख लो न। मैं हर जगह से हारा हूं मुझे अपनी शरण में प्रभु रख लो न। रोग शोक ने मुझे घेरा है मुझे अपनी शरण में प्रभु रख लो न। मैं अज्ञान अंधकार में डूब रहा मुझे अपनी शरण में प्रभु रख लो न। मैं चेतन से जड़ बन रहा मुझे अपनी शरण में प्रभु रख लो न। मैं हर दिन पाप कर्म कर रहा मुझे अपनी शरण में प्रभु रख लो न। मैं तेरी खोज में हर पल भटक रहा मुझे अपनी शरण में प्रभु रख लो न। मैं तेरे प्रेम स्नेह के लिए तरस रहा मुझे अपनी शरण में प्रभु रख लो न। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता ...
नया साल
कविता

नया साल

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** नया साल नए रंग लेकर आया है, टूटे बिखरे ख्वाबों को फिर से जोड़ कर, एक नया एहसास लेकर आया है। बीते हैं जो पल विषाद में, उनमें एक नया आह्लाद लेकर आया है। छोड़ चुके हैं जो अपने हमें समझ कर बोझ, उनको रिश्तो का अहसास करवाने आया है। शिकस्त मिली हैं हमें बहुत पिछले कुछ वर्षों से नए साल जय विजय का एक नया दौर लेकर आया। बहुत हो चुका है अन्याय का तांडव नववर्ष लेकर शनि को न्याय का डंका बजाने आया है। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्ष...
एहसास
कविता

एहसास

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** सर्दी बहुत है गर्मी का एहसास करवाइए । नफरत बहुत है मोहब्बत का एहसास करवाइए । गम बहुत है खुशियों का एहसास करवाइए। बेगानापन बहुत है अपनेपन का एहसास करवाइए। अंधेरा बहुत है रोशनी का एहसास करवाइए। शोर बहुत है शांति का अहसास करवाइए। अस्थिरता बहुत है स्थिरता का एहसास करवाइए। मिथ्या बहुत हौ सत्यता का एहसास करवाइए। दोगलापन बहुत है एकसारता का एहसास करवाइए। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्...
तुम में हम
कविता

तुम में हम

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मैं लिख रहा हूं तुमको तुम पढ़ लेना खुद को अगर न समझ आये कुछ तो पूछ लेना फिर हमको। वैसे तुम बहुत समझदार हो फिर भी कुछ समझ ना आए अपने बारे में कुछ तुमको तो नासमझ समझ कर ही पूछ लेना हमको। मैं सोच रहा हूं तुमको मैं लिख रहा हूं तुमको। फिर भी तुमको लगे हम नहीं है आपके तो पढ़ लेना हर बार हमारी शायरी में खुद को। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक...
आजीवन
कविता

आजीवन

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** जीवन के पथ पर यहां से वहां जा रहा हूं, समझ नहीं आता क्या कर रहा हूं और क्या नहीं कर रहा हूं। जीवन की डगमग करती नाव में बैठकर ज़िंदगी का सफर तय कर रहा हूं। कभी तूफानों का मंजर देख रहा हूं तो कभी बदलती हवाओं का रुख महसूस कर रहा हूं। कभी शिखर पर चढ़कर क्षितिज को ढूंढ रहा हूं, तो कभी क्षितिज के पार जाकर आसमा को छू रहा हूं। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्र...
चिड़िया
बाल कविताएं

चिड़िया

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** चिड़िया उड़ती चू-चू करती, पंख फैलाकर नील गगन में उड़ती कभी यहांँ कभी वहाँ । नन्हें-नन्हें पंखों से भरती बड़ी-बड़ी उड़ाने । छूकर क्षितिज को कभी हँसती कभी मुस्काती। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डा...
तेरा सानिध्य
कविता

तेरा सानिध्य

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मैं तेरे पास रहूं तेरे साथ रहूं यही काफी है। मंत्रों का बोझ तंत्रो का ओज भारी सा लगता है। तेरी गोद में ममता भरी छाया में सोया रहूं यही काफी है। जन्म जन्मांतर की सिद्धियां युगों-युगों की रिद्धियां अब भारी सी लगती है तेरा हाथ पकड़ कर बस चलता रहूं हर जगह हर क्षण यही काफ़ी है। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, ...
बचपन की कहानी
कविता

बचपन की कहानी

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** आओ तुम्हें सुनाता हूं बचपन की कहानी, वहां भी होती थी दिल्लगी और साथ ही होती थी हर दिन एक नई कहानी। रूठना मनाना आए दिन ही चलता था। पर नहीं थी मन में कोई छल कपट की कहानी। हर रोज़ हम सब लड़ते और झगड़ते थे पर नहीं थी दिल में कोई खूनी दरिंदों जैसी दुश्मनी की कोई कहानी। मां की गोद थी जिसपे रखकर सिर मिलती थी नित्य ही सुने को एक प्यारी सी कहानी। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करव...
आजमाइश
कविता

आजमाइश

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** रास्ते में कांटे बहुत है चलो थोड़ी सी साफ सफाई की जाए। बहुत हो चुकी है मोहब्बत चलो थोड़ी सी नफरत कर, सब की ज़रा आजमाइश की जाए। रास्ते में कहने को अपने बहुत है, चलो किसी अजनबी पत्थर से टकराकर, अपनों के बीच खड़े परायो की ज़रा आजमाइश की जाए। रास्ते में दिखने को आज कल मोहब्बत बहुत है चलो किसी एक शख्स से प्यार कर इश्क की आजमाइश की जाए। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा...
एक नई दीपावली
कविता

एक नई दीपावली

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** छाई है नफ़रते हर जगह आओ मिलकर मोहब्बत का एक नया गीत गाये। छाया है अविश्वास का घना अंधकार यहाँ हर जगह, आओ मिलकर विश्वास का एक नन्हा सा दीया जलाएं। छाया है मृत्यु का तांडव यहां हर जगह, आओ मिलकर नव जीवन का संचार करें। छाया है महामारी का प्रकोप यहाँ हर जगह आओ मिलकर स्वस्थ जीवन के लिए ईश्वर के आगे मिलकर पुकार करें। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्री...
आगाज़
कविता

आगाज़

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** इन अंधेरों को बोलिए रोशनी का आगाज़ करें। इन नफरतों को बोलिए मोहब्बत का इजहार करें इन दुखों को बोलिए सुखों का आगाज़ करें। इन ग़मो को बोलिए इश्क का थोड़ा इजहार करें। इन तारों को बोलिए हमारे चांद का आगाज़ करें। इन परवानों को बोलिए जलने से पहले आपने राग को अनुराग करें। इन मुर्दों को बोलिए जलने से पहले नफरत को छोड़कर मोहब्बत का आगाज़ करें। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते है...
मेरे प्रभु
कविता

मेरे प्रभु

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मैं स्वर्ग में गमन करूं या फिर नर्क कुंड की अग्नि में भस्म होता रहू मगर फिर भी तुम मुझ में शेष रहना मेरे प्रभु। मैं सिंहासन पर बैठा हुआ राज्य करू या फिर रंक बन भिक्षा मांगू मगर फिर भी तुम मुझ में शेष रहना मेरे प्रभु। मैं जीवन के प्रारंभिक दौर में खड़ा हूं या फिर मृत्य के अंतिम छोर में खड़ा हूं मगर फिर भी तुम मुझ में शेष रहना मेरे प्रभु। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित...
चलो केशव
कविता

चलो केशव

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** चलो केशव तुम फिर से रण क्षेत्र में फिर से युद्ध करते हैं। बनो फिर से मेरे सारथी फिर से अन्याय के विरुद्ध हम लड़ते हैं। आज भी है कौरव घर-घर में आओ फिर से मिलकर उन सब का विनाश करते हैं। सखा बनो, बंधू बनो गुरु बनो फिर से संग चलकर आओ मिल सब शत्रुओं का विनाश करते है। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्र...