Friday, November 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: रश्मि लता मिश्रा

बाल श्रम
कविता

बाल श्रम

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ******************** आज के बालक ही तो हैं देश की कल पहचान। इसीलिए कर्तव्य बने इन पर दीजिए ध्यान। बारह जून को मना रहे दिवस विश्व बाल श्रम निषेध आभासी है रूप चूंकि कोरोना बदले नित वेश ऐसा श्रम जो उम्र से पहले शिक्षा में आड़े आये, या व्यवहारिक तौर पर नुकसान बच्चों का करवाये चौदह वर्ष से कम उम्र में शिक्षा से वंचित कराये या चौदह से अठारह के बीच खतरनाक व्यापार में लगाये सभी बाल संरक्षण अधिनियम के तहत अपराध कहाये। दो हजार दो में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की शुरुवात उद्देश्य अनिवार्य शिक्षा अभियान से बालकों को जोड़ने की बात विश्व मे १५२ करोड़ बच्चे बाल श्रम का शिकार, वैश्विक सरकारें चाहती हैं करना इनका उद्धार पर ये समस्या तो सामाजिक, मानवीय संवेदनाओं का है आधार, अतः गम्भीरतापूर्वक करिये विचार हम कैसे इसमें बन सकते हैं मददगार। ...
मेरी पसंद
कविता

मेरी पसंद

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ******************** मुझे बातें पसंद हैं इंसान की न हिंदू की न मुसलमान की। कहो, रोटी, कपड़ा और मकान से क्या कभी कोई अलग है या पेट से पहले किसी की अन्य तलब है। खून का रंग भी तो लाल ही है फिर भी रात दिन भेद का ख्याल ही है। ये हरकत है किस नादान की मुझे बातें पसंद... न हवा बदलती,न सूर्य न चन्द्रमा फिर न जाने खुद को अलग मानने का है क्यों गुमां। भेद तो कभी धरती ने भी नही किया। वही एक भंडार भोजन सबको दिया। फिर बुद्धि क्यो फिरी बुद्धिमान की मुझे बातें पसन्द है,,,, न धर्म बुरा न मजहब बस भाषा का ही भेद है। अब तक भी न समझ सके यही तो खेद है। कहाँ ग्रन्थों ने करी है अनैतिकता की प्रशंशा किस धर्म ने जाहिर की भेद भाव की मंशा। धर्म के ठेकेदार करते क्यों बातें अंजान सी मुझे बातें पसंद है। परिचय :- रश्मि लता मिश्रा निवासी : बिलासप...
कटते-कटते पेड़ कट गए
कविता

कटते-कटते पेड़ कट गए

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ******************** कटते-कटते पेड़ कट गए अब विकास के नाम पर। पर्यावरण संतुलन बिगड़ा थोड़ा तो ख्याल कर। रोज पहाड़ धसकते रहते बर्फ बहे सैलाब सा, उत्तराखंड में कहर राजता डर बसता शमसान सा। जीव जंतु जल जहर में पलते उनका भी तो ध्यान धर। पर्यावरण संतुलन बिगड़ा थोड़ा तो ख्याल कर। ग्लोबल वार्मिग बढ़ती जाती धरा भी वंध्या हो चली नित नई प्रकृति की विपदा कितना टालो,नहीं टली। ऊपर से कोरोना आया बदले वाले भाव धर। पर्यावरण संतुलन बिगड़ा थोड़ा तो ख्याल कर। वायु प्रदूषण,ध्वनि प्रदूषण महानगर की देन है। स्वच्छ नदी गंगा को रक्खो मिलता जीवन चैन है। वृक्ष लगाने,जल को बचाने श्रम तू कुछ तो दान कर पर्यावरण संतुलन बिगड़ा थोड़ा तो ख्याल कर। कर ले प्रण न कचरा फैले न ही खुले में शौच हो। सड़कें अपना आंगन जानो घर से पहले देश हो। दिशाएं चारों स्वच्छ बने ये, तू त...
कहां हो आ जाओ तुम
कविता

कहां हो आ जाओ तुम

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ******************** जगत के बिगड़े सारे काम कहां हो आ जाओ तुम राम। बड़ा अंधेरा छाया इस जग में है विपदा आन पड़ी पग-पग में। जीना सबका ही है हराम। जगत के बिगड़े सारे काम कहाँ हो आ जाओ तुम राम। छोड़ मानवता अभी तो प्राणी बोल रहा है स्वारथ की वाणी भुला दाम से न लौटे जान। जगत के बिगड़े सारे काम कहाँ हो आ जाओ तुम राम। देख कैसी घड़ी आ गयी आज हैं लाशें कंधों को मोहताज। फिर भी लगा मेला शमशान। जगत के बिगड़े सारे काम कहाँ हो आ जाओ तुम राम। परिचय :- रश्मि लता मिश्रा निवासी : बिलासपुर (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां,...
गुरु तेग बहादुर
कविता

गुरु तेग बहादुर

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ******************** सिक्खों के नवें गुरु, तेगबहादुर नाम। वैरागी त्याग की मूर्ति थे। साधना उनका काम। बाबा बकाला में करी तपस्या सालों साल, प्रयाग,बनारस, पटना असम,किया अध्यात्म प्रचार। शीश गंज, रकाब गंज दिलाते स्मरण आज। आदर्शो की रक्षा हेतु किये जन्म भर काज। धर्म के सम्मान में झुकने दिया न शीश कटा दिया सिर आपना हो गए रे शहीद। धर्म के नाम पे मर मिटे याद करें जब नाम। तेग बहादुर का भी लें कर इज्जत सम्मान। हिन्द दी चादर गुरु त्यागमल था नाम शहादत दिवस पर शान से ले लो उनका नाम। परिचय :- रश्मि लता मिश्रा निवासी : बिलासपुर (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट...
शर्मसार मानवता
कविता

शर्मसार मानवता

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ******************** यहीं मानवता शर्मसार हो रही। कहावत कोई मरे कोई मौज करे की जो चरितार्थ हो रही। कालाबाजारी चरम पर है। भ्रष्टाचारी का जतन हर है। इंसानी खाल में भेड़ियावतार है, खुले आम कर रहा मौत का व्यापार है। त्रस्त जनता,सो रही सरकार है। उसे भी तो केवल अपने वोटों से सरोकार है। सुबह न्यूज़ पढ़ी डॉ गिरफ्तार है, जीवन प्रदत दवा का करते व्यापार है। जब रक्षक ही बन बैठे भक्षक हैं, तब कहो क्यों न डूबे गर्त में संसार है। कोई पूछे उस व्यापारी से किया क्या उसने आरक्षित अपनी सांसो का संसार है। या ये दुनिया उसकी जागीर उसी की खिदमत गा र है। या फिर कर ली उसने अपने कफ़न में जेब तैयार है। तभी तो मद में चूर हो कर रहा यूँ मानवता को शर्मसार है। परिचय :- रश्मि लता मिश्रा निवासी : बिलासपुर (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना,...
माँ को आमंत्रण
भजन

माँ को आमंत्रण

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ******************** जब कलश धरें आना, जब जोत जले आना। संदेश भगत का भूल न जाना मेरी मात न ठुकराना। मैं आँचल डगर बुहारूँगी मैया की राह निहारूँगी। साजी रंगोली मैया तेरे लिए शेरों पे चली आना। जब कलश। जग तारनी लाटा वाली है तू योगिनी जोता वाली है। कभी धूप खिले, कभी छाँव ढले, आजा चाँद हँसे आना। जग देख तेरा दीवाना है उसे दर तेरे ही आना है। झोली को लिए, आये हैं चले, कहते हैं भर जाना। जब कलश... परिचय :- रश्मि लता मिश्रा निवासी : बिलासपुर (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी ...
तुम्हारे लिये
कविता

तुम्हारे लिये

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ******************** तुम्हारे लिये ही सजी ये डगर है। कहाँ हो बिछाई अजी ये नज़र है। कहा था तुम्ही ने हमे चाहते हो। करें याद तुमको सुबह दोपहर है। सजे ख्वाब आँखों तुम्हारे सनम जी। रहे ध्यान अब देख शामो सहर है। मनाते तुम्हे हम चले आ रहे हैं अजी देख होता न तुझपे असर है। कभी तो नजर तुम मिला लो सितमगर। अजी यूँ नहीं आप डालो कहर है। सुनो बात मेरी कहूँ मैं तुम्ही से। भरोसा मुझे देखिये आप पर है। परिचय :- रश्मि लता मिश्रा निवासी : बिलासपुर (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी...
पाती प्रतीक्षा की
कविता

पाती प्रतीक्षा की

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (मध्य प्रदेश) ******************** जब-जब आती प्रीत की पाती मन कुमुदिनी खिल-खिल जाती। राह तकते सोचे आँखियाँ पढ़ेंगे कब प्रीतम की बतियां बातें प्रिय की बहुत सुहातीं जब जब आती प्रीत की पाती। दिन गिनते दिन बीतते जाते डाकिए को बारंबार बुलाते देख लो कहीं छोड़ ना आए तुम मेरे ही प्रिय की पाती जब जब आती प्रीत के पाती। लिखते तुमसे प्यार हैं करते याद तुम्हे हर-बार हैं करते आएंगे मिलने भी जल्दी हम कट जायेगी बिरह की राती जब-जब आती प्रीत की पाती मन कुमुदिनी खिल-खिल जाती जब-जब आती प्रीत की पाती परिचय :- रश्मि लता मिश्रा निवासी : बिलासपुर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं,...