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Tag: रशीद अहमद शेख ‘रशीद’

स्वर्णिम अतीत
कविता

स्वर्णिम अतीत

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** सुखी थे घर-घर सब परिवार! लुटाते थे आपस में प्यार! नहीं थी मध्य उच्च दीवार! जुड़े था संबंधों के तार! प्रदूषण मुक्त सभी आवास! दूर होकर थे कितने पास! उरों मैं थी आलोकित आस! हमेशा रहता था विश्वास! शान्ति शाला के थे सब छात्र! मनुज थे सब आदर के पात्र! परिश्रम करते थे दिन-रात्र! बुरे व्यक्ति थे कुछ ही मात्र! घरों में पशुपालन था आम! बहुत कम करते थे आराम! शुद्ध थे दूध-दही हर ग्राम! नहीं था मिलावटों का काम! लगे अब सब सपनों-सी बात! कहाँ हैं वे स्वर्णिम दिन-रात! बहुत बदले से है हालात! समय लाया है झंझावात! . परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•...
ऐसी नौबत क्यों आई है
कविता

ऐसी नौबत क्यों आई है

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** प्राणों को हरने आई है! शव से भू भरने आई है! उपचारों की हंसी उड़ाती, संक्रामक है, दुखदाई है!' कोविड-१९ कहलाई है! कहाँ नहीं है, किधर नहीं है? जा पंहुचेगी जिधर नहीं है! सावधान रहना है सबको, हो सकती है अगर नहीं है! बीमारी जग में छाई है! इटली में आतंक मचा है! नहीं देश ईरान बचा है! फ्रांस और स्पेन हैं पीड़ित, अमेरिका तक जा पंहुचा है! ध्वजा मृत्यु ने फहराई है! "भीड़भाड़ से बचकर रहना!" सच है प्रशासकों का कहना! संयम, नियम, स्वछता हितकर, मरने से अच्छा है सहना! साथ मनुज के परछाई है! महा रोग ने किया प्रसार! दिशा-दिशा है हाहाकार! विस्मित है सारा संसार, घर-घर जन-जन करें विचार! ऐसी नौबत क्यों आई है? . परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़...
गुरुवर
दोहा

गुरुवर

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** गुरुवर ज्ञानप्रकाश है, गुरुवर अनुभव-खान। और धरा पर कौन है, कहिए मनुज महान। कृपा हुई गुरु की बड़ी, मिला ज्ञान का कोष। मेरे मन में बस गया, सुखदाई संतोष। गुरुवर ने अद्भुत किया, तन-मन पर उपकार। मैने सबकुछ पा लिया, विस्मित है संसार। गुरुवर की महिमा बड़ी, कैसे हो गुणगान। अर्जित विद्या से हुए, शिष्य महा धनवान। पथ-प्रदर्श निज शिष्य का, करते रहते नित्य। गुरुवर धुंधली राह में, बन जाते आदित्य। . परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोविद कार्यक्षेत्र ~ सेवानिवृत प्राचार्य सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा लेखन विधा ~ कवित...
रंगिए रंगाइए
कविता

रंगिए रंगाइए

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** रंगिए रंगाइए अंग-अंग हो तरंग उर में लिए उमंग निज संगिनी के संग प्रेम गीत गाइए! पक्षियों की गुनगुन घंटियों की रूनझुन बांसुरी की प्रेम धुन सुनिए सुनाइए! सरिता का तट जहाँ गिरि हो निकट जहाँ घनेरा हो वट जहाँ दूर कहीं जाइए! कर प्रकृति भ्रमण करें हर्ष का वरण आयु का प्रत्येक क्षण सफल बनाइए! सुख-पर्व होली है हास्य है ठिठोली है पग-पग टोली है रंगिए रंगाइए .... . परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोविद कार्यक्षेत्र ~ सेवानिवृत प्राचार्य सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा लेखन विधा ~ कविता,गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे तथा लघ...
भगोरिया
कविता

भगोरिया

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** चप्पे-चप्पे पर छाई नर-नारी में परम उमंग! आदिवासियों में बिखरे हैं भगोरिया मेले के रंग ! गुंजित है मांदल की थाप! लोक गीत के हैं आलाप! झूम रहे तन-मन अगणित, आनंदित वे, हम और आप! भावी पति-पत्नी उत्साहित घूम रहे इक-दूजे संग! आदिवासियों में बिखरे हैं भगोरिया मेले के रंग! संवरी काया सज्जित केश! उत्सव में डूबे परिवेश! युगों-युगों की परम्परा, गर्वित पूरा मध्य प्रदेश! थिरक रहे हैं गीत और संगीत प्रभावित मानव अंग! आदिवासियों में बिखरे हैं भगोरिया मेले के रंग! मालव अंचल और निमाड़! भगोरिया में लिप्त प्रगाढ़! उत्सव के रंग में रंगते, समतल, घाटी और पहाड़! दुर-दूर तक भ्रमण कर रही भगोरिया की हर्ष-तरंग! आदिवासियो में बिखरे हैं भगोरिया मेले के रंग! . परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला...
मित्रता वरदान है
कविता

मित्रता वरदान है

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** हैं बहुत संबंध भू पर! स्नेह सरसाते परस्पर! भिन्न कालों में सहायक, मनुज जीवन में सभी पर मित्रता सुखदाई संबंध, मित्रता वरदान है! मित्रता है स्वच्छ दर्पण! इसमें आवश्यक समर्पण! प्रश्न हो अधवा समस्या, मित्रता उत्तर-निवारण! दूर करता मित्र-पथ से मित्र सब व्यवधान है ! पथ प्रदर्शक-प्राण रक्षक! निकटतम शिक्षक-प्रशिक्षक! मित्र-हित साधक निरन्तर, सर्वदा शुभ सुलभ पक्षक! स्वप्न में भी मित्र करता मित्र का सम्मान है! मित्रता देती है परिचय! मित्रता करती है निर्णय! मित्रता गुण-दोष कारण, मित्रता से जय-पराजय! मित्रता से व्यकि के व्यक्तित्व की पहचान है! जब समय होता विकट है! मित्र तब होता निकट है! दुख-भंवर जब-जब सताए, मित्र बनता सुखद तट है! कष्टदायक क्षणों में ही मित्र की पहचान है! . परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०...
संगीत व सरगम
मुक्तक

संगीत व सरगम

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** हर दिशा मेंं राग है संगीत का। सृष्टि में अनुराग है संगीत का। हैं सभी क्रम-कार्यक्रम सरगम सहित, असंभव परित्याग है संगीत का। सुनें यदि ध्यान से हर ओर सुर की प्रीत गुंजित है! कहीं है पाठ कविता का, कहीं पर गीत गुंजित है! सकल संसार ही सरगम की सत्ता का समर्थक है अवनि से गगन तक संगीत ही संगीत गुंजित है! अज़ां हो, शंख हो, कोई इबादत या भजन-पूजन! निनादित घंटियाँ हों धर्मस्थल की कोई पावन! मुझे हर शब्द से संगीत की सौग़ात मिलती है, ॠचाओं का पठन हो या कहीं क़ुरआन का वाचन! जब सजनी को याद सताती है प्रिय की! उर पर वह तस्वीर सजाती है प्रिय की।! सरगम के हर स्वर में होता है 'प्रिय-प्रिय', बुलबुल भी गीतिका सुनाती हैं प्रिय की! वर पाया जब मनमोहन यदुवंशी से। हुए प्रसारित स्वर सुन्दर तब वंशी से। खड़ा रह गया साश्चर्य कानन में बांस, प्रकट हुई जब सरगम उसके...
माँ की महिमा
मुक्तक

माँ की महिमा

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** जगतजननि कहलाती माता! सबसे बढ़कर उसका नाता! कौन नहीं उसका ॠणदाता, कौन नहीं उसके गुण गाता! बन गया है माँ का आँचल सर पे साया धूप में! सुरक्षित शरणार्थी है सुत की काया धूप में! शीश लज्जावश झुकाया भास्कर ने शून्य में , देखता वह रह गया ममता की माया धूप में! कहीं भी देखिए माँ का दुलार है अनमोल! ममत्व क़ीमती है उसका प्यार है अनमोल! दुआएं उसकी हों कोई या हो कोई आशीष, हर एक भाव है शुभ हर विचार है अनमोल! दुखों की धूप में शीतल बयार मेरी माँ! विपत्तियों की उमसती में फुहार मेरी माँ! मैं जब कभी हताश या निराश होता हूँ, प्रदान करती है आशा अपार मेरी माँ! सुत न ममता से दूर होता है! माँ के नयनों का नूर होता है! सांवरा पुत्र भी जननी के लिए , क़ीमती कोहेनूर होता है! . परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ ...
रचनाकार
कविता

रचनाकार

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** अक्षर-साधक शब्दों का संसार बसाता रचनाकार! भावों और विचारों को साकार बनाता रचनाकार! दृष्टिकोण है उसका अपना! पूरा करता स्वर्णिम सपना! सृजन पूर्व अपनी रचना से, उसे बहुत पड़ता है तपना! अधिक समय तक नहीं सहन सकता है वह रचना-भार! भावों और विचारों को साकार बनाता रचनाकार! प्रातः-संध्या या दिन-रैन! सृजन बिना पाए न चैन! उर विशाल,व्यापक मस्तिष्क, सूक्ष्मदर्शी हैं उसके नैन! कथनों के वाहन से जग का भ्रमण कराता बारम्बार ! भावों और विचारों को साकार बनाता रचनाकार! श्रेष्ठ सृजन ही उसका कर्म! अभिव्यक्ति ही उसका धर्म श्रोता अथवा पाठक तक, प्रेषित करता अपना मर्म! अनुपम रचनाओं पर मोहित होता है सारा संसार ! भावों और विचारों को साकार बनाता रचनाकार! सुखद कल्पनाओं का स्वामी! कंटक पथ का वह अनुगामी! सतत व्याख्याक्रम चलता हैं, उसकी रचना बहुआयामी! अति संवेद...
सूर्य
मुक्तक

सूर्य

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** हुई प्रकृति में उद्घोषित भोर! धीरे-धीरे बढ़ा धरा पर शोर! हुआ तिरोहित तम आया आलोक, सूरज की किरणें छाईं चहुँ ओर! धीरे-धीरे बीती रात! आख़िर तम ने खाई मात! फैली लाली चारों ओर, दिनकर लाया सुखद प्रभात! पूर्व में हो रहा है रवि उन्नत ! रश्मियों से हुआ तिमिर आहत! जागृत-प्रकाशित हैं जड़-चेतन, कर रहे हैं प्रभात का स्वागत! किरणों से संसार सजाया सूरज ने। अंधियारों को दूर भगाया सूरज ने। जीव धराशाई थे और अचेतन भी, महा जागरण गीत सुनाया सूरज ने। हो गई है यामिनी की हार तय! तिमिर का होने लगा है सतत् क्षय! प्राणियों में चेतना का शोर है, हो रहा है पूर्व में दिनकर उदय! कोई दीपक अगर चाहे तो दिनकर हो नहीं सकता! बड़ा हो ताल कितना भी समन्दर हो नहीं सकता! कुटी हो या गगनचुम्बी निकेतन या हवेली हो, बिना परिवार के कोई भवन घर हो नहीं सकता! नियमित भू पर आलोकित...
गाँव
कविता

गाँव

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** गाँव में दुर्भाव दुर्लभ! है वहाँ सद्भाव सौरभ! साक्षी भू ,साक्षी नभ! स्नेह-सरिता है प्रवाहित गाँव में! है नहीं दुख का अंधेरा! सतत है स्वर्णिम सबेरा! शान्ति का है सुखद डेरा! स्नेह-सविता है प्रकाशित गाँव में! मधुर हैं स्वर और व्यंजन! हैं विविध संगीत साधन! प्रफुल्लित रहते हैं जन मन! स्नेह-सरगम है प्रसारित गाँव में! . परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोविद कार्यक्षेत्र ~ सेवानिवृत प्राचार्य सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा लेखन विधा ~ कविता,गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे तथा लघुकथा, कहानी, आलेख आदि। प्रकाशन ~ अब तक ...
मदिरा
दोहा

मदिरा

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** मदिरा विष से कम नहीं, पीते क्यों दिन-रैन! अपना सबकुछ नष्ट कर, खोते हो सुख-चैन! मद्यपान दुष्कर्म है, मद्यपान है पाप! मद्यपान अपमान है,मद्यपान अभिशाप! नहीं जाइए भूलकर, मदिरालय के द्वार! पता नहीं क्या आपको, समझेगा संसार! बड़ी चाल तूने चली,यह क्या किया शराब! बने भिखारी सेठ जी, बेघर हुए नवाब! मानव हित के सत्य को, समझे सकल समाज! ग्रहण करें संकल्प सब, नशामुक्ति का आज! नशा ठोस हो या तरल,घातक है श्रीमान! धीरे-धीरे आपके, ले लेता है प्राण! ठोस, तरल या हो धुंवां,मादक द्रव्य प्रकार! मानव-तन-मन पर करे, मंथर-मधुर प्रहार! . परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी...
मेरा हिन्दुस्तान प्राण से प्यारा है
कविता

मेरा हिन्दुस्तान प्राण से प्यारा है

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** मेरा हिन्दुस्तान विश्व में न्यारा है! मेरा हिन्दुस्तान प्राण से प्यारा है! गंगा-यमुना की धाराएँ भारत की गाथाएँ गाएँ शिखर हिमालय पर्वत के भी, गौरव का इतिहास बताएँ भारत जन-जन की आखों का तारा है! मेरा हिन्दुस्तान प्राण से प्यारा है! ताजमहल की सुन्दरता में गांधी सागर की दृढ़ता में ज्ञान-कला संस्कृति आदि की, भांति-भांति की समरसता में बहती देश प्रेम की इसमें धारा है! मेरा हिन्दुस्तान प्राण से प्यारा है! भिन्न-भिन्न हैं धर्म यहाँ पर रहन-सहन में भी है अन्तर बोली और भाषा अनेक हैं पर रहते हैं सब मिल-जुलकर भारत से सारे जग में उजियारा है! मेरा हिन्दुस्तान प्राण से प्यारा है! मेरा हिन्दुस्तान विश्व में न्यारा है ! मेरा हिन्दुस्तान प्राण से प्यारा है! . परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ...
अपना प्रिय गणतंत्र अमर हो
कविता

अपना प्रिय गणतंत्र अमर हो

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** भारतवासी सुमन, वतन है उपवन अपना भारत! प्यारा घर है भारत अपना, आँगन अपना भारत! सारे जग में है सबसे मनभावन अपना भारत! सकल सृष्टि में इसकी सौरभ,चन्दन अपना भारत! भारत वर्ष स्वतंत्र अमर हो! अपना प्रिय गणतंत्र अमर हो! रहे पक्षधर सदा अम्न के,नहीं किसी पर किया आक्रमण! विवश किया गया जब हमको,किए शस्त्र तब हमने धारण! सदा विजय के झंडे गाड़े, लड़े नहीं हम कभी अकारण! अमर शहीदों की जय गाथा, गाता रणभूमि का कण-कण! 'सत्यमेव' का मंत्र अमर हो! अपना प्रिय गणतंत्र अमर हो! 'जनता द्वारा जनता हेतु जनता का' यह त॓त्र हमारा! हिन्दू-मुस्लिम-सिक्ख-ईसाई, सबका है यह देश सहारा! सब मिल-जुल हो गए एक,जब-जब हमलावर ने ललकारा! अपनी संगठन शक्ति से ही, दुनिया का हर दुश्मन हारा! राष्ट्र प्रेम संयत्र अमर हो! अपना प्रिय गणतंत्र अमर हो! दायित्वों-अधिकारों का समिश्रण अपना ...
हर्ष, आनन्द और खुशी
मुक्तक

हर्ष, आनन्द और खुशी

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** विश्व के हर देश में उत्कर्ष होना चाहिए। हर कुटी हर इमारत में हर्ष होना चाहिए। दूर हो दुनिया से सब दुख,दुराशय एवं दुराव, समापित भू से समर-संघर्ष होना चाहिए। ज़िन्दगी में हर्ष हो, आमोद हो, आनन्द हो। अब कहीं संसार में संग्राम हो ना द्वन्द हो। हों विवादित विषैले वचनों के सब व्यापार बन्द, मनुज के हर शब्द में हो अमिय या मकरंद हो! कच्चे घर में चूल्हे होते थे माटी के! आदी थे सब परंपरागत परिपाटी के! कितनी मीठी लगती थी मक्का की रोटी, कितने थे आनन्द मालवा की बाटी में! एक ओर दीपों की जगमग, दूजी ओर अंधेरा भी है! कहीं जश्न है ख़ुशहाली का, कहीं दुखों का डेरा भी है! कहीं स्नेह का रत्नाकर है,कहीं स्नेह का गहन अभाव, कहीं कमी है कुछ तेरी भी, कहीं दोष कुछ मेरा भी है! . परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म ...
आशावादी ‘बीस’
दोहा

आशावादी ‘बीस’

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** अगणित अनुभव दे गया, विगत वर्ष 'उन्नीस'। चौखट पर आकर खड़ा, आशावादी 'बीस'। मीठी यादों से मिला, भावुक बीता वर्ष। नूतन सन् को दे गया, आसन-मुकुट सहर्ष। कुछ खोया कुछ पा लिया, हमने पिछले साल। बिदा समय हमसे हुआ, चलकर अपनी चाल। कभी सुमन सम है समय, कभी लगे यह शूल। कभी सुखद अनुकूल है, कभी दुखद प्रतिकूल! नहीं एक जैसी रहे, सतत काल की चाल। कभी सरल सहयोगिनी, कभी विषम विकराल। काटो तो कटती नहीं, दुख की लम्बी रात। सहता है कोमल हृदय, पीड़ा के आघात। समय-साधना से मिले, बड़े-बड़े उपहार। समय सफलता-मंत्र है, समय महा उपचार। . परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, ...
पिता तुल्य दूजा नहीं
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पिता तुल्य दूजा नहीं

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** पिता जनक शिक्षक गुरू, रक्षक पालनहार। पिता तुल्य दूजा नहीं, नमन करे संसार। पिता पुण्य पग-पग करे, हरे सकल अवसाद। सन्तानें होकर बड़ी, करतीं वाद-विवाद। दुःखी स्वयं रहता मगर, करता सुख संचार। जनक तुल्य संसार में, करे कौन उपकार। बापू बाबा पितृ पिता, दादा डैडी तात। बाबूजी अब्बू सभी, पापा के अर्थात्। मात-पिता शिक्षक प्रथम, पथदर्शक अनमोल। त्यागों का इतिहास वे, कष्टों का भूगोल। . परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोविद कार्यक्षेत्र ~ सेवानिवृत प्राचार्य सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा लेखन विधा ~ कविता,गीत, ग़ज़ल, मु...
सूरज की किरणें
मुक्तक

सूरज की किरणें

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** हुई प्रकृति में उद्घोषित भोर! धीरे-धीरे बढ़ा धरा पर शोर! हुआ तिरोहित तम आया आलोक, सूरज की किरणें छाईं चहुँ ओर! धीरे-धीरे बीती रात! आख़िर तम ने खाई मात! फैली लाली चारों ओर, दिनकर लाया सुखद प्रभात! पूर्व में हो रहा है रवि उन्नत ! रश्मियों से हुआ तिमिर आहत! जागृत-प्रकाशित हैं जड़-चेतन, कर रहे हैं प्रभात का स्वागत! किरणों से संसार सजाया सूरज ने। अंधियारों को दूर भगाया सूरज ने। जीव धराशाई थे और अचेतन भी, महा जागरण गीत सुनाया सूरज ने। हो गई है यामिनी की हार तय! तिमिर का होने लगा है सतत् क्षय! प्राणियों में चेतना का शोर है, हो रहा है पूर्व में दिनकर उदय! . परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन...
हर्ष, आनन्द
मुक्तक

हर्ष, आनन्द

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** विश्व के हर देश में उत्कर्ष होना चाहिए। हर कुटी हर इमारत में हर्ष होना चाहिए। दूर हो दुनिया से सब दुख,दुराशय एवं दुराव, समापित भू से समर-संघर्ष होना चाहिए। ज़िन्दगी में हर्ष हो, आमोद हो, आनन्द हो। अब कहीं संसार में संग्राम हो ना द्वन्द हो। हों विवादित विषैले वचनों के सब व्यापार बन्द, मनुज के हर शब्द में हो अमिय या मकरंद हो! कच्चे घर में चूल्हे होते थे माटी के! आदी थे सब परंपरागत परिपाटी के! कितनी मीठी लगती थी मक्का की रोटी, कितने थे आनन्द मालवा की बाटी में! एक ओर दीपों की जगमग, दूजी ओर अंधेरा भी है! कहीं जश्न है ख़ुशहाली का, कहीं दुखों का डेरा भी है! कहीं स्नेह का रत्नाकर है,कहीं स्नेह का गहन अभाव, कहीं कमी है कुछ तेरी भी, कहीं दोष कुछ मेरा भी है! . परिचय - साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्...
चन्द्रमा पर चार मुक्तक
मुक्तक

चन्द्रमा पर चार मुक्तक

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** पलायन सांझ को कर मुख छिपाया जब दिवाकर ने! निशा को कर दिया चिन्तित अंधेरे के बड़े डर ने। सभी जड़ और चेतन प्रतीक्षारत थे उजाले के, प्रकाशित कर दिया धरती को तब आकर निशाकर ने। ढला दिन सांझ सरकी तो कहीं से यामिनी आई। कहा कवि उर ने "भू पर सांवरी सी कामिनी आई।" धरा चिंतित थी उसके सांवरे तन को संवारे कौन, अचानक चन्द्रमा से चांदनी सुखदायिनी आई। ख़ूब सोलह सिंगार करती है। चौथ व्रत निराहार करती है। उसका चेहरा है चाँद-सा फिर भी, चाँद का इन्तज़ार करती है। चाँद-सूरज की चमकती रोशनी सबके लिए है! धूप सबके वास्ते है, चाँदनी सबके लिए है। चन्द्रमा का साथ देते हैं सितारे अनगिनत पर, भानु नभ में नित्य एकल यात्री सबके लिए है! . परिचय - साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्द...
प्रेम के जादू ने
मुक्तक

प्रेम के जादू ने

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** प्रेम के जादू ने निष्ठुर काल के क्रम को छला है। प्रकृति विस्मित हुई है आज गत कल में ढला है। कल्पना के कक्ष में संभव हुआ है प्रिय मिलन, दृश्य आलोकित हुए हैं स्मृति-दीपक जला है। बांटते सद्भावना भी, प्यार भी। बदलते संसार का व्यवहार भी। बनाते पुल,ध्वंस्त करते भित्तियाँ, साधुओं से कम नहीं त्यौहार भी। जो जीत सके न उर अरि का वह जीत नहीं। जो मोह न ले मन मानव का वह गीत नहीं। है प्रीत वही जिसमें दो मन हों एक मगर, जिसका आकर्षण हो शरीर वह प्रीत नहीं। दिशा-दिशा में बढ़ रहा अब अपार अलगाव। घृणा-बाढ़ में घिर रही सद्भावों की नाव। प्रेम-कूल से आ रहा सतत् यही संदेश- "विश्व-शांति सूत्र है सर्व धर्म समभाव।" स्थगित संघर्ष कर सद्भावना स्वीकार कर। सृजन स्वप्नों को सतत् संसार में साकार कर। घृणा के आधार पर संभव नहीं हल ऐ मनुज, है धरा परिवारवत तू प्रेम का वि...
कोई कैसे भूले बचपन
कविता

कोई कैसे भूले बचपन

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** कोई कैसे भूले बचपन! बालक से बनता किशोर फिर बढ़ता यौवन की ओर ! तत्पश्चात बुढ़ापा आता , कसती कमज़ोरी की डोर ! खुलते यादों के वातायन! वह माँ का ममतामय आँचल! पापा की उंगली का संबल! बहना की सुखदाई गोदी, भाई का संरक्षण प्रति पल! दादी-दादा का अपनापन! गली-मुहल्ले के सब मित्र! मधुर स्मृति पूर्ण चरित्र! मानस पट पर हैं अंकित, विविध अमिट आकर्षक चित्र! वह घर-आँगन, कानन-उपवन! कोई कैसे भूले बचपन! . परिचय - साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोविद कार्यक्षेत्र ~ सेवानिवृत प्राचार्य सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा लेखन विधा ~ कविता,गीत, ग़ज़ल, मुक्तक...
पथ और पथिक
मुक्तक

पथ और पथिक

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** जीवन पथ पर दिशा-दिशा पग-पग उलझन है। कैसे कोई चयन करे मग-मग उलझन है। ढल जाता है हलाभिलाषा में ही जीवन, संतों ने उपदेश दिया है, "जग उलझन है।" जो शक्ति ईश ने दी है उसे निवेश करें। परोपकार की जग में मिसाल पेश करें। न इन्तज़ार करें अब नहीं निहारें राह, बढा़एं अपने क़दम आप श्रीगणेश करें। कोई पैदल है, सवार कोई वाहन में! कोई आबादी में तो कोई कानन में! जन्म-मरण के मध्य यात्रा है अनिवार्य, हर मानव ही यायावर है इस जीवन में! वही बढ़ते हैं जो गंतव्य को पहचानते हैं। पूर्ण संकल्प वही करते हैं जो ठानते हैं। यूं तो आती हैं डगर में अनेक बाधाएँ, जिनमें साहस है, कभी हार नहीं मानते हैं। . परिचय - साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और...
बात की बात पर चतुष्पदियाँ
कविता

बात की बात पर चतुष्पदियाँ

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** भाव के ज्वार में नहीं बहना। क्रोध की आग में नहीं दहना। बात कहना हो जब कहीं कोई, देर तक आप सोचते रहना। ग़ुस्से में हो नदी तो किनारों से बात कर। ग़ायब हो चांदनी तो सितारों से बात कर। पाबंदियों के ज़ुल्म से चुप हो अगर ज़ुबाँ, आंखों से,उंगलियों से,इशारों से बात कर। कठिनाई का हल आवश्यक होता है। आग लगे तो जल आवश्यक होता है। केवल बातों से ही बात नहीं बनती, सीमाओं पर बल आवश्यक होता है। परिपक्वता विचार में आए तो कुछ कहूँ। उपयुक्त शब्द भावना पाए तो कुछ कहूँ। संक्षिप्त सारग्राही सरल शुभ कथनसमूह, अधरों को अपना मित्र बनाए तो कुछ कहूँ। सभी की बात सुनी जाए आज। तर्क की रूई धुनी जाए आज। अब समस्या नहीं रही बच्ची, चदरिया हल की बुनी जाए आज। . साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्र...
बाती में जब …
ग़ज़ल

बाती में जब …

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** बाती में जब कभी समाहित होता स्नेह! दीपशिखा से तभी प्रकाशित होता स्नेह! उस बस्ती में कभी नहीं रहता है चैन, जिस बस्ती से अगर विलोपित होता स्नेह! लाभ उठाते धरा निवासी सारे लोग, हर सरिता से सतत् प्रवाहित होता स्नेह! कालजयी हैं अनुपम हैं वे सब रचनाएँ, जिनसे जग में नित्य प्रसारित होता स्नेह! महिला कोई प्रसू कहाती है जिस रोज़, अविभाजित है मगर विभाजित होता स्नेह! कलह नहीं हो सकती हावी उस घर में! निशि-दिन प्रति क्षण जहाँ विराजित होता स्नेह! उल्फ़त के ही दीप जलाया करो ''रशीद' नफ़रत से हर ओर समापित होता स्नेह! . लेखक परिचय :-  नाम ~ रशीद अहमद शेख साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी•...