रामचरित मानस जगती पर
रशीद अहमद शेख 'रशीद'
इंदौर म.प्र.
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रामचरित मानस जगती पर,
हर युग में सुखदाई है।
रामकथा लिखकर तुलसी ने,
जन-जन तक पहुँचाई है।
रघुकुल के आदर्श पुरुष के,
कोटि-कोटि अनुयायी हैं।
चाहे कितने भी रावण हों,
हर युग में भूशायी हैं।
श्रीराम का शैशव अद्भुत,
अतुलनीय तरुणाई है।
रामकथा लिखकर तुलसी ने,
जन-जन तक पहुँचाई है।
जनकसुता भी राजमहल तज,
साथ नाथ के वन आईं।
रहीं सतत प्रतिकूल दशा में,
कष्ट सहे पर मुस्काईं।
सीता जी-सी गरिमा जग में ,
नहीं किसी ने पाई है।
रामकथा लिखकर तुलसी ने,
जन-जन तक पहुँचाई है।
रही उर्मिला राजमहल में,
सहती रही विरह के पल।
उधर लक्ष्मण निज भ्राता की
सेवा मे रत थे अविरल।
दुर्लभ इस धरती पर अब तो
मिलना ऐसा भाई है।
रामकथा लिखकर तुलसी ने,
जन-जन तक पहुँचाई है।
श्रद्धावान सुखद सेवा में,
नतमस्तक संलग्न रहे।
दशा-दिशा भी भूल गए वे,
सहज भाव में मग्न रहे।
शबरी-केवट की श्र...