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Tag: मुनव्वर अली ताज उज्जैन

मिले जो प्यार तुम्हारा
कविता

मिले जो प्यार तुम्हारा

रचयिता : मुनव्वर अली ताज =========================================== मिले जो प्यार तुम्हारा मिले जो प्यार तुम्हारा तो मैं भी काश करूँ सुखों को अपना बनाऊँ दुखों का नाश करूँ हमेशा  साथ  निभाने  की तुम क़सम खाओ तो मैं  तुम्हारी  क़सम  मौत   को हताश करूँ जो तुम अदाओं की बिजली गिराने आ जाओ तो  मेरे  वश  में  नहीं  है  तुम्हें    निराश   करूँ अगर  समाज  को समझा  बुझा  के आओ तुम लगाऊँ   तुम   को  कलेजे  से   बाहुपाश   करूँ रुका   हुआ    हूँ   इसी  आस  में   दो  राहे   पर जो   आओ  तुम  तो  नई  ज़िन्दगी  तलाश करूँ घटाऊँ   जितनी  ये  उतनी   ही  बढ़ती   जाए  है तुम्हारी   याद  का  मैं  किस  तरह   विनाश  करूँ तुम्हारी   चाह   में   काँटे  अगर     मिलें   मुझ को तो  मैं   जुदाई   के   छालों   का   सर्वनाश    करूँ लेखक का परिचय :- मुनव्वर अली ताज उज्जैन आप भी अपनी कविताएं, कहानिय...