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Tag: मुनव्वर अली ताज

नया साल
कविता

नया साल

मुनव्वर अली ताज ******************** कुछ इस अदा से आए नया साल दोस्तो हो जाए वर्तमान ही ख़ुशहाल दोस्तो जब तक रहेगी वासना खुशहाल दोस्तो तब तक रहेगी साधना बदहाल दोस्तो ऐसा करो कि संयमी हो जाए हर पुरुष मिट जाए दिल से रेप का ख़याल दोस्तो जो साल इक ग़रीब की झोली न भर सके वो साल हर सदी में है कंगाल दोस्तो हम अपने रहनुमा से यही आरज़ू करें मिल जाए सादा रोटियों को दाल दोस्तो हर आदमी का काम लगातार चल सके अब हो न देश में कोई हड़ताल दोस्तो ऐ ताज, आओ सबके लिए ये दुआ करें आए न अब कभी कहींं भूचाल दोस्तो . परिचय :- मुनव्वर अली ताज उज्जैन आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com ...
प्रतिध्वनि
कविता

प्रतिध्वनि

मुनव्वर अली ताज उज्जैन म.प्र. ******************** मैं वो नहीं हूँ जो मैं हूँ मैं हूँ इक झूठ एक दिवास्वप्न फिर भी, आपको मुझ में कुछ अच्छा दिखाई देता है, तो, वो है मेरा आडम्बर और आपकी नज़रों का फरेब फिर छला किसने और छला गया कौन हो सकेगा न फैसला कोई क्योंकि, आदमी का आदमी दर्पण नहीं है . लेखक का परिचय :- मुनव्वर अली ताज उज्जैन आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें...🙏🏻 आपको यह रचना अच्छी लगे तो स...
बधाई हो
कविता

बधाई हो

मुनव्वर अली ताज उज्जैन ******************** ज़ेहन   में    पारसाई    हो हर इक दिल की सफ़ाई हो नज़र    में   ख़ुशनुमाई   हो ज़ुबाँ  पे   भाई     भाई   हो मुहब्बत      रास   आई   हो लबों     से      मुस्कुराई   हो भरी   नफ़रत   की  खाई हो मिलन   की  रसमलाई    हो दियोंं    की    रौशनाई    हो अमावस     साथ   लाई  हो हर इक   मुँह  में  मिठाई  हो ग़रीबों  ने   भी     खाई   हो धरा    भी     जगमगाई   हो दीवाली    की    बधाई    हो . लेखक परिचय :- मुनव्वर अली ताज उज्जैन आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने मोबाइल पर या गूगल पर www.hind...
प्यार तिरंगे के लिए
ग़ज़ल

प्यार तिरंगे के लिए

======================== रचयिता : मुनव्वर अली ताज हम सब के  मन  में प्यार तिरंगे के लिए  है हर  जान   का    उपहार तिरंगे के लिए   है देखा किसी  ने  आँख उठाकर जो इस तरफ दुश्मन  का   नरसंहार     तिरंगे के लिए   है ये चेन  ये  अंगूठी     ये   बुन्दे   ये   बालियाँ ये  सोने   का    श्रृंगार     तिरंगे के लिए   है ये  कह  रही है गर्व  से     भारत की  एकता हर  क़ौम   की   ललकार तिरंगे के लिए  है शब्दों   से  सैनिकों   का  मनोबल  बढ़ाएगा ये  'ताज'   रचनाकार   तिरंगे  के  लिए    है लेखक का परिचय :- मुनव्वर अली ताज उज्जैन आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … ...
पल  में  रच  दिया  संसार को 
ग़ज़ल

पल  में  रच  दिया  संसार को 

======================== रचयिता : मुनव्वर अली ताज जिस  ने  पल  में  रच  दिया  संसार को पूजिए    उस     एक     रचनाकार   को वो   ही     जाने   आत्मा    के   भार को जिस  ने   बाँटा   साँस   के  उपहार  को जो   भी    मानेगा    तिरे      आभार को वो    ही     जानेगा   जगत   निस्सार को वो    शिलाओं  में   समा    सकता   नहीं कैसे   दें       आकार   निर - आकार  को बंद        कर लो अपने   नयनों के  कपाट और      खोलो  अपने     मन के द्वार  को तुम  हृदय   से   माँग  लो  उस  से     क्षमा मोड़    देगा    वो समय     की   धार   को जो   वो   चाहेगा    वही       होगा      सदा कौन     रोकेगा    भला      करतार      को है   सफलता    उस के  चरणों में  ही 'ताज' ले  चलो   उस की   शरण    में  हार     को   लेखक का परिचय :- मुनव्वर अली ताज उज्जैन आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फो...
कैसा  है, क्यूँ  है, क्या है?
कविता

कैसा  है, क्यूँ  है, क्या है?

======================== रचयिता : मुनव्वर अली ताज कैसा  है, क्यूँ  है, क्या है? सवालों का हल नहीं ग़म को समझना    दोस्तों   इतना  सरल    नहीं ग़म  गैस  नहीं ,  ठोस  नहीं  और    तरल   नहीं ग़म की   परख   में कोई  अभी तक सफल नहीं जीवन   मिटा दें    ऐसे   कई     ज़ह्र    हैं   मगर ग़म   को  मिटा  सके  कोई   ऐसा  गरल    नहीं जो  दे   खुशी   हमेशा ,  हमें    ग़म  न  दे  कभी आदि  से  आज   तक   कोई   ऐसी  ग़ज़ल नहीं मैं  पी  चुका  हूँ   दर्द के सागर     को   इस लिए ग़म  के    दबाव    से   मेरी   आँखें सजल  नहीं ग़म  से   हरी भरी  हैं  ये   कागज़   की    खेतियाँ जल  है  ये  रोशनाई   का  ,  वर्षा   का जल  नहीं जो  'ताज'  है    उसी  पे  ही  उठती   हैं  उँगलियाँ कीचड़   बिना    खिले   कोई   ऐसा  कमल  नहीं   लेखक का परिचय :- मुनव्वर अली ताज उज्जैन आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अ...
‘ताज’ वतन का वंदन कर 
ग़ज़ल

‘ताज’ वतन का वंदन कर 

======================== रचयिता : मुनव्वर अली ताज हर  दुख  का अभिनंदन  कर चिंता मत कर चिंतन  कर खुशियों के पल निकलेंगे दुख सागर का मंथन  कर हर मानव को गंध मिले तन मन धन को चंदन  कर जिन शब्दों से दिल ख़ुश हो उन शब्दों का चुंबन  कर भँवरा बन कर ग़ज़लों का सारे जग में गुंजन कर जाना है उस पार अगर मौजों का उल्लघंन कर प्यार का शुभ  संदेश है ये 'ताज' वतन का वंदन कर लेखक का परिचय :- मुनव्वर अली ताज उज्जैन आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने मोबाइल पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें...🙏🏻 आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरु...