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Tag: मीनाकुमारी शुक्ला – मीनू “रागिनी”

संघर्ष
कविता

संघर्ष

*********** मीनाकुमारी शुक्ला - मीनू "रागिनी" (राजकोट गुजरात) बनी    राहें   मेरी    कंटक   भरी। जो   कभी  सपनों  सी  थीं  सजी।। . विष प्याले बने सभी अमृत कलश। जीवन  प्यास   विषधर  सी  डसी।। . अंजुलि  में  सपने  लिये   चली  मैं। ज्वाला   अगन   सी   राहें   जली।। . नजर  देखे  जहाँ  तम  ही तम था। संघर्ष   में    ज़िन्दगी   थी   कटी।। . सोचा   हर   लुंगी   सारे  कष्ट  मैं। ज़िन्दगी    इम्तहान    सी    बनी।। . जूझती  रही   मैं  हर   संकट  से। दुनिया   भी  तंज  कसती   रही।। . मन्नत मंदिर की चौखट पर करी। फिर भी न  टली  मौत की घड़ी।। . जीत लिया सारा जहाँ जब देखा। मौत   दरवाज़े   पर   थी   खड़ी।। . क्षत - विक्षत   सी   बिखर  गयी। कभी कोमल कली सी थी खिली।। . लेखक परिचय :-  मीनाकुमारी शुक्ला साहित्यिक उपनाम - मीनू "रागिनी " निवास - राजकोट गुजरात आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंद...
रह गयी…
कविता

रह गयी…

*********** मीनाकुमारी शुक्ला - मीनू "रागिनी" (राजकोट गुजरात) चाहा  मैंने  जिसे न मिला वो ही। अधूरी ख्वाहिश दिल में रह गयी।। न थी इश्क में हमारे कोई दीवार। कैसे दिलों में हो दरार फिर गयी।। रातों  को  बनाये  जो आशियाने। इमारत  सुबह  रेत सी  ढह गयी।। पुकारा  बहुत  मैने रुके  ही नहीं। आँखों  से  मेरे बेबसी  बह गयी।। अलविदा कर तुम जहाँ तक दिखे। निगाहें  वहीं  पर  रुकी  रह  गयी।। तुम तो थे  मेरे  दिल  की इबादत। पूजा  में  कहाँ  पर  कमी रह गई ।। हसरत  तुम्हीं  हो  बता  न  सकी। इक आह!  दिल में दबी रह गयी।।   लेखक परिचय :-  मीनाकुमारी शुक्ला साहित्यिक उपनाम - मीनू "रागिनी " निवास - राजकोट गुजरात आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अप...
बाल मजदूर का दर्द
कविता

बाल मजदूर का दर्द

*********** रचियता : मीनाकुमारी शुक्ला - मीनू "रागिनी" न छीनो मुझ से मेरा बचपन ला कर दे दो मुझे कापी और कलम। नहीं चाहिये कोई सौदे नहीं चाहिये भरम। बस लौटा दो मेरा बचपन।। कहीं से किस्ती कागज वाली ला दो। कलकल करते झरने बहा दो। सतोलिया का खेल दोस्त ला दो। न दिखाओ पैसों का सपन बस लौटा दो मेरा बचपन। नन्हे हाथ नहीं बने मजदूरी को। चाहें खेल कर नापना ये धरती गगन की दूरी को। हटा दो मजबूरी के बंधन। बस लौटा दो मेरा बचपन। कब तक ईंटें ढ़ोता रहेगा। चाय केतली को खेता रहेगा। दे दो मुझे खिलौने चाँद सूरज तारे चमचम। बस लौटा दो मेरा बचपन।।   लेखक परिचय :-  मीनाकुमारी शुक्ला साहित्यिक उपनाम - मीनू "रागिनी " निवास - राजकोट गुजरात आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रका...
नारी व्यथा
कविता

नारी व्यथा

*********** रचयिता : मीनाकुमारी शुक्ला - मीनू "रागिनी" नारी तुम भावना हो संवेदना, हो इस धरा की माँ । बसाया तुमने प्यार-विश्वास और सरलता से जहाँ ।। देव महापुरूष सम्राट सारे जहाँ की पालनहारी। क्षमा दया प्रेम प्यार से जहाँ भर को तारणहारी।। पर बदले में तुम्हें क्या मिला.............. कहीं कलंकित बना अहिल्या पत्थर सी जड़ दी गयी। कहीं अग्नि परीक्षा बेगुनाह सीता की ले ली गयी।। कहीं निःशब्द सी संग पति के सति बना जला दी गयी। अनार कली सी बदले प्रेम के दीवारों में चुन दी गयी।। समझ संपत्ति पति द्वारा कहीं जूए में हारी गयी। भरी सभा निर्वस्त्र कर इज्जत कहीं हर ली गयी।। बोझ पिता पर समझ भ्रूण हत्या तुम्हारी होती गयी। दहेज लोभियों की लालच से जिन्दा तुम जलती  गयी।। वासना के भूखों से बेइन्तहाँ तुम सताई गयी। लांछन कलंक बेबसी निःशब्द तुम सहती गयी।।   लेखक परिचय :-  मीनाकुमारी शुक्ला साहित्यिक उपनाम - मीनू...
नहीं मिलती हैं कभी
ग़ज़ल

नहीं मिलती हैं कभी

*********** रचयिता : मीनाकुमारी शुक्ला - मीनू "रागिनी" काफिया - ए (स्वर) तपती हुई  राहों को  छाँवें नहीं मिलती  हैं कभी। उजड़ी हुई जिन्दगी को राहें नहीं मिलती हैं कभी।। सोचा था  बनायेंगे  गुलिस्ताँ  से  अपना  आशीयाँ। लेकिन वीरानों को चमन बहारें नहीं मिलती है कभी। हमसफर होगा हमराज हमख़याल हमनव़ाज भी। पता न था इश्क में वफायें नहीं मिलती हैं कभी।। मझधार में जब किस्ती किनारों की हो तलाश। तूफानों  में  वो पतवारें  नहीं मिलती  है कभी।। जंजीरों में जकड़ी हुई है जिन्दगी कुछ इस कदर। मन पंछी  को नयी  उड़ाने नहीं मिलती हैं कभी।। लेखक परिचय :-  नाम - मीनाकुमारी शुक्ला साहित्यिक उपनाम - मीनू "रागिनी " निवास - राजकोट गुजरात  आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी ...
जज़्बा
कविता

जज़्बा

*********** रचयिता : मीनाकुमारी शुक्ला - मीनू "रागिनी" आँधियों जैसा जीवन  मेरा  तूफानों  सी राहें है। झंझावत के साथ  झूमती मेरे  अटल   इरादे हैं।। . जज़्बात मुझे न पिघला सकते हैं फूल न सहला सकते। पाषाणों में  पली  ख़ारों में    हंसने   के   वादे हैं।। . उल्टी धारा में हूँ  बहती  लहरें  मुझे  क्या रोकेंगी। चक्रवातों में फसी हुई मैं नयी राह बनाने के दावे हैं।। . शोलों से करती श्रृंगार  लहू  माँगती  मंजिल मेरी। चलती जलती चट्टानों पर  मेरे  पैरों  में  छाले हैं।। . मरघट से मैं लौट चुकी हूँ मौत न मुझ को रोक सकी। कोई ठोकर क्या देगा मुझ को मैंने ज़ख्म खुद पाले हैं।। लेखक परिचय :-  नाम - मीनाकुमारी शुक्ला साहित्यिक उपनाम - मीनू "रागिनी " निवास - राजकोट गुजरात  आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानि...
काश
कविता

काश

*********** रचयिता : मीनाकुमारी शुक्ला - मीनू "रागिनी" खुशियाँ सब सूली चढीं खारों सी बनी ये जिंदगानी। भरा जख्म से दिल मेरा ये कैसी लिखी गयी कहानी।। प्यासा सावन भीगा काजल दिल हुआ जख्मों से फानी। सूना आँचल प्यासा दामन सूनी सूनी रही जवानी।। चाह चाँद की थी रात जालिम जख्मेंजिगर सिलते रहे । ख़्वाब सारे परवान चढ़े आग सी जली सेज सुहानी।। मिले दिलबर प्रीति भरा बस नयन तलब उसे मेरी रहे। ताउम्र खोजती रही उस प्यार को थी तलाश पुरानी।। हुई इम्तिहाँ इन्तज़ार की तब मिला मीत बसंत दिल, पतझड़ बन चुका सूखे रो-रो नयन दरियाओं का पानी।। काश!! न होती तलाश पूरी, मोत पर खत्म होती सोच। या होती मुझे इजाज़त!! जी लेती फिर से जिंदगानी।। लेखक परिचय :-  नाम - मीनाकुमारी शुक्ला साहित्यिक उपनाम - मीनू "रागिनी " निवास - राजकोट गुजरात  आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के...