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Tag: महेन्द्र सिंह कटारिया ‘विजेता’

शहीदों की वीरगाथा
कविता

शहीदों की वीरगाथा

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** चौदह फरवरी दो हजार उन्नीस का दिन, कभी विस्मृति वश भी भूल ना पाएंगे। पुलवामा में हुए शहीदों की वीरगाथा, कर नमन हम आज फिर से दोहराएंगे।... जम्मू से अठत्तर वाहनों में हो सवार, निकला था सुरक्षाकर्मियों काफ़िला। बीच राह अवन्तिपोरा के निकट हुआ, लेथपोरा इलाके में आत्मघाती वाकया। अपराधी जैश-ए-मौहम्मद के कायराना, मनसूबों से चालीस जवानों का लहू बहा। कर्त्तव्य पथ पर मां भारती के वीरों की, शहादत का हम भारतीयों ने जो दर्द सहा। वीर योद्धाओं के शौर्य साहस पराक्रम को, कर सलाम आज अपना शीश झुकाएंगे।... है नाज़ सदा उन जांबाज वीरों पर जो वतन से मोहब्बत इस कदर निभा गए। इस जहान आज मोहब्बत के दिन जो, निज वतन पर जान अपनी लुटा गए। राष्ट्र रक्षा में प्राणोत्सर्ग करने वालों के लिए, भारतीय युवा मिलकर प्रण ले...
माँ की दुआ
कविता

माँ की दुआ

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** उस आँगन में रहे ना कभी सुख-समृद्धि का अभाव। फलीभूत रहता है जबतक माँ की दुआओं का प्रभाव। जन्मदात्री की आज्ञा का जिस घर अँगना में हो अनुपालन। नव पीढ़ी में वहाँ होता सदा संस्कारित गुणों का परिपालन। मातृशक्ति हमारी होती सदा कुटुंब समुदाय की आन। बढ़ाती मांगलिक कार्यों में खानदानी विरासत की शान। राह भटकते बच्चों को बीच जीवन में है टोकती। जो कर्तव्य पथ हो अडिग उन्हें बढ़ने से नहीं रोकती। देवें सदैव उन्हें सम्मान जीओं चाहे अपने उसूल। हृदय विह्वल हो उनका करें न कभी ऐसी भूल। परिचय :- महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' निवासी : सीकर, (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय ...
माँ की दुआ
कविता

माँ की दुआ

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** उस आँगन में रहे ना कभी सुख-समृद्धि का अभाव। फलीभूत रहता है जबतक माँ की दुआओं का प्रभाव। जन्मदात्री की आज्ञा का जिस घर अँगना में हो अनुपालन। नव पीढ़ी में वहाँ होता सदा संस्कारित गुणों का परिपालन। मातृशक्ति हमारी होती सदा कुटुंब समुदाय की आन। बढ़ाती मांगलिक कार्यों में खानदानी विरासत की शान। राह भटकते बच्चों को बीच जीवन में है टोकती। जो कर्तव्य पथ हो अडिग उन्हें बढ़ने से नहीं रोकती। देवें सदैव उन्हें सम्मान जीओं चाहे अपने उसूल। हृदय विह्वल हो उनका करें न कभी ऐसी भूल। परिचय :- महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' निवासी : सीकर, (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय ...
आदिदेव महादेव
भजन, स्तुति

आदिदेव महादेव

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को, भोले का यश गाना हैं। रख श्रद्धा आदिनाथ की, भवसागर तर जाना हैं।..... वंदन चंदन कर तिलक लगाएं, अर्पित करते पुष्पों की माला। आदिदेव महादेव का ध्यान धरें, सबके हित उत्तम करने वाला। गौरीशंकर भक्ति में चित्त लगाना हैं। रख श्रद्धा आदिनाथ की भवसागर तर जाना हैं।..... तात कार्तिकेय-गणनायक की, आभा बड़ी निराली हैं। मयूर केतु-गजानन की, छवि नैन सुखदायी हैं। गिरिजापति विश्वनाथ का अलौकिक श्रृंगार करना है। रख श्रद्धा आदिनाथ की भवसागर तर जाना हैं।..... परिचय :- महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' निवासी : सीकर, (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी ...
नेताजी
कविता

नेताजी

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** स्वाधीनता संग्राम के अग्रणी महानायक नेताजी। ब्रिटिशराज को दिखा औकात दिलायी राष्ट्र को आजादी। करोड़ों भारतीयों के दिलों पर करने वाले राज। अमर शहीद बलिदानी कृतज्ञ है सम्पूर्ण राष्ट्र आज। चितरंजन दास को माना गुरु थे विवेकानन्द के अनुनायक। राष्ट्रहितार्थ फौज आज़ाद हिंद का किया गठन, पराधीनता मुक्ति के लिए हर भारतीय है आपका कायल। परिचय :- महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' निवासी : सीकर, (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवान...
करुणा
कविता

करुणा

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** जब देखूँ उसकी दारुण दशा, हृदय में करुणा भर आती है। हमदर्दी वश रहा नहीं जाता, सदा उसकी फ़िक्र सताती है।.... फटी बंडी टूटी चप्पलों में, सर्दी गरमी सब सहता है। मन मौसकर रहता सदा, कुछ ना किसीको कहता है। जानें क्यों आँखें कतराती है, जब देखूँ उसकी दारुण ......। दो वक्त सादा खाकर भी, स्वाभिमान से वह जीता है। छल कपट से दूर रहकर भी, जीवन ना उसका रीता है। यह देख दीनता भी शरमाती है, जब देखूँ उसकी दारुण......। राष्ट्र धर्म की बातें करते, सब झूठी आहें भरते है। है फ़िक्रमंद इनका भी कोई, तो फुटपाथ पर क्यों मरते है। देख दीन दशा आँखें पथराती है, जब देखूँ उसकी दारुण.......। परिचय :- महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' निवासी : सीकर, (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह ...
बीत गया यह वर्ष..
कविता

बीत गया यह वर्ष..

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** बीत गया यह वर्ष, साल दो हज़ार इक्कीस। अपनों के गिला शिकवों की, अविस्मरणीय रहेगी टीस।... जिंदगी की सोच में, गहरा बदलाव आया। हमें समय की पुकार ने, संघर्ष करना सिखाया। निर्धनता की आड़ में, बुज़ुर्ग जीये किन हालातों में। समय-चक्र है कैसे फिरता, सीखा कोरोना विपदाओं में। जनमानस भूलेगा ना इसकी चीस। बीत गया यह वर्ष.......। घर बाहर स्वच्छ रखना, है कितना ज़रूरी। आसपास की सफाई में, रखो ना कभी मगरूरी। हर तबके की जिंदगी में, यह कैसा पड़ाव आया। अबलों की रोजी-रोटी पर, काला बादल छाया। आपस में रखी ना कोई खीस। बीत गया यह वर्ष......। हे! सृष्टि के नियामक, जनता पर उपकार करों। रखो कृपादृष्टि अब, और ना अधीर करों। हर्षोल्लास का जनजीवन में, माता तुम शीघ्र भाव भरो। जीवन विपदा के सागर से, अनुगतो का उद्धार ...
दो वक्त की रोटी
कविता

दो वक्त की रोटी

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** मासूम तरसती आँखों को, दो वक्त की रोटी नसीब नहीं। बालश्रम नियम सच बयां करे ऐसा ज़माने में नकीब नहीं।। मजबूरियों का मारा बदनसीब, दर-दर भटकता वह गरीब है। उम्र के हिसाब से समझाये उसे, क्या अच्छा-बुरा न कोई हबीब है। वक्त के हालात से मोड़ें ऐसा कोई कबीर नहीं। मासूम तरसती आँखों को, दो वक्त की रोटी नसीब नहीं।..... बालश्रम पर चर्चा रोज हम करते है। दशा उनकी देख झूठी ही आहें भरतें है। ज़माने के इस दौर में उनके जैसा कोई यतीम नहीं। मासूम तरसती आँखों को, दो वक्त की रोटी नसीब नहीं।...... बालपन में औरों की भांति, वह पढ़ क्यों नहीं पाया। निज स्वार्थ किस मजबूरी में, अपनों ने काम पर उसे लगाया। अमीरी-गरीबी की मध्यस्थता का उस जैसा कोई रकीब नहीं मासूम तरसती आँखों को, दो वक्त की रोटी नसीब नहीं।..... ये बातें...
जाड़े की धूप
कविता

जाड़े की धूप

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** माह दिसम्बर में जब सर्दी की ऋतु आती है। मोटे ऊनी कपड़े पहनते जाड़े की धूप सुहाती है। ठंडी ठंडी की सर्द हवाएं कितना सबको भाती है। लापरवाही की अगर तो खाँसी बुखार सताती है। गर्म पकोड़ी भुजिया संग घर बैठ मौज मनाते है। सुबह सवेरे धूप सेकने रोज बगीया में जाते है। छोटे होते दिन इतने की संध्या का पता न चलता है। रोजीरोटी के जुगाड़ में निर्धन को बड़ा अखरता है। गजक रेवड़ी गर्म मूंगफली खाना अच्छा लगता है। काजू बादाम गोंद पाक के लड्डू सहर्ष सबको जँचता है। परिचय :- महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' निवासी : सीकर, (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने प...
नवदीप जलाये
कविता

नवदीप जलाये

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** झिलमिल-झिलमिल, नवदीप जलाये। मन मलिनता, तमस दूर भगायें।.... शुभ अवसर है धनत्रयोदशी, खूब सजे बाजार। नर-नारी प्रफुल्ल हो, खरीद रहे उपहार। बालगोपाल मन भा रही, वस्तु मनबहलाव। नवोदित परिधान संग, फुलझड़ी पटाखों का चाव। अम्माँ बर्तन गहने, घरेलू उत्पाद मंगाये। झिलमिल झिलमिल, नवदीप जलाये।.... घर आँगन में बहिना ने, दीपक प्रज्वलित किये कतार। गाँव नगर में चहुंओर, मानों छाई खुशियाँ अपार। उजाले की उमंग से फैला, खुशियों का सैलाब। मिट रहा अशुभ अनीति, अधर्म का फैलाव। आओं मिल सब, राष्ट्रप्रेम के गीत गुनगुनाये। झिलमिल झिलमिल, नवदीप जलाये।.... परिचय :- महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' निवासी : सीकर, (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
करवाचौथ
कविता

करवाचौथ

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** कर सोलह श्रृंगार, भर मन में उल्लास। प्रियतम ख़ातिर प्रियतमा, करती करवा का उपवास।.... व्रत सार्थक हो निर्विघ्न, माँ गौरी समक्ष ले संकल्प। निर्जला निराहार रहकर, हो मनोरथ जीवन अकल्प। जीवनसाथी हो दीर्घायु, हो ना दुःखों का सामना। सदा सुहागिन बनी रहूँ, बस करती यही कामना। हर वक्त जीवन में, हो प्रेम सौहार्द का अहसास। प्रियतम ख़ातिर प्रियतमा....। आसमां में चाँद देखकर, पति के हाथों पीती जल। स्नेह प्रेम से हो आतुर, भूलती ना अनुपम पल। रूपसी का रूप निहार, भर्ता खिलाता प्रथम ग्रास। खनकती कंगना दमकती बिंदियां से, होता धरा पर स्वर्ग का आभास। प्रिया भूल जाती, भूख और प्यास। प्रियतम ख़ातिर प्रियतमा....। परिचय :- महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' निवासी : सीकर, (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ क...
हिंदी भाषा निराली
कविता

हिंदी भाषा निराली

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** हिंदी भाषा सबसे अच्छी, लगती हमको प्यारी हैं। सारे जग में देख लिया, यह सबसे बड़ी निराली हैं।... हिन्दोस्तां की ज़ुबान है, भारतवंशी का अभिमान है। प्यारें वतन की शान है, हम सबकी पहचान है। हिंद राष्ट्र की आशा हिंदी, हम सब मातृभाषी है। सारे जग में बोली जाये, बस इसके अभिलाषी है। हिन्दी भाषा सबसे अच्छी....। गणराज्य की अधिकारिक भाषा, हमारी संस्कृति का प्रतीक है। राष्ट्रभक्ति को प्रेरित करती, धारा प्रवाह में बड़ी सटीक है। दुनिया में सम्मान है इसका, हमें स्वाभिमान दिलाती है। गौरव भाव जगाती सब में, निम्न उच्च का भेद मिटाती है। हिन्दी भाषा सबसे अच्छी....। परिचय :- महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' निवासी : सीकर, (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रच...
हिन्दी
कविता

हिन्दी

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** आओं मिल राष्ट्र का मान बढ़ाएं, हर क्षेत्र में भाषा हिन्दी अपनाएं। जनचेतना का आधार है हिन्दी, माँ के वात्सल्य सी है हिन्दी।..... हिंदोस्तां की ज़ुबां है हिन्दी, वतन की आन बान शान है हिन्दी। हमारी असली पहचान है हिन्दी, भारतवंशी का अभिमान है हिन्दी। जनचेतना का आधार है हिन्दी।.... हिन्द राष्ट्र की आशा हिन्दी, जन जन की मातृभाषा हिन्दी। जात-पात के बंधन को तोड़ती हिन्दी, एकता सूत्र में सब को जोड़ती हिन्दी। जनचेतना का आधार है हिन्दी।..... गणराज्य की आधिकारिक भाषा है हिन्दी, हमारी संस्कृति-समृद्धता का प्रतीक है हिन्दी। राष्ट्रभक्ति भावना को प्रेरित करती हिन्दी, धाराप्रवाह से बोलने वाली मातृभाषा हिन्दी। जनचेतना का आधार है हिन्दी।..... दुनिया में सम्मान व स्वाभिमान दिलाती हिन्दी, हमारे प्रांतों की क्षेत्...
राष्ट्र निर्माता
कविता

राष्ट्र निर्माता

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** शिक्षक होता शीतल नीर समान। देता हमें जीवन जीने का ज्ञान । कैसे? करें हम उसकी महिमा बखान। माँ के बाद जग में दर्जा सबसे महान। सही राह पर चलना सीखाता। शिष्यों को लोहे से स्वर्ण बनाता। सकारात्मक नजरिया अपनाता। ज्ञान आभा से अस्तित्व चमकाता। नित चहरे पर रहती मुस्कान। शिक्षक होता शीतल नीर....। निस्वार्थ भाव से सेवा करता। कर्तव्यपरायणता से फ़र्ज़ निभाता। कार्य चाहे सीधा हो या जटिल जैसा। आदर्श छवि का इनका पेशा। पाता जग में सदा गौरव मान। शिक्षक होता शीतल नीर.....। राष्ट्र निर्माता ज्ञान प्रदाता। अंतर्मन में उजियारा लाता। अनुशासन की अलख जगाता। गुरु शिष्यों का भाग्य विधाता। हृदयपट से करें उनका सम्मान। शिक्षक होता शीतल नीर....। परिचय :- महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' निवासी : सीकर, (राजस्थान) घोषणा पत्...
कृष्ण जन्माष्टमी
कविता

कृष्ण जन्माष्टमी

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** भाद्रपद कृष्ण अष्टमी जन्में कृष्ण कन्हाई। नन्द घर आनन्द भयों घर - घर बजे बधाई।..... आततायी कंस ने ऐसा मचाया अत्याचार। द्वापरयुग मथुरा नगरी में छायी चहुंदिशा हाहाकार। पिता उग्रसेन को राजगद्दी से दिया उतार। बहन देवकी-वसुदेव को बंदी किया कारागार। हो व्यथित नर-नार ने प्रभु को पुकार लगाई। भाद्रपद कृष्ण अष्टमी.....। श्रीविष्णु के अष्टम रूप में अवतरित हुए मदन मुरार। दुश्वार घड़ी में रक्षा खातिर था श्यामसुंदर का इन्तजार। घनघोर घटाटोप मध्यरात्रि सर्वपालक ने अवतार लिया। नवजात शिशु रूप में अथाह यमुना को पार किया। वृंदावन में यशोदा आँगन बजे ढ़ोल शहनाई। भाद्रपद कृष्ण अष्टमी......। नटखट नटवर नागर ने बालपन में लीला रचाई। बालसुलभ स्तनपान मस्ती में पूतना राक्षसी मार गिराई। बाल सखाओं के संग माखन मिश्री...
रक्षाबंधन
कविता

रक्षाबंधन

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** राखी का त्यौहार आया, ख़ुशियों की सौगात लाया। पाने बहिना भाइयों से उपहार। बेसब्री से करती जिसका इंतजार। सजे रंगबिरंगी राखी से बाज़ार। करते मिल उत्साह का इज़हार। स्नेह बहिना ने अपनों का पाया। राखी का त्यौहार .......। श्रावण मास पूर्णिमा पर्व। स्नेहातुर करती बहनें गर्व। रिश्ता अटूट जो इस संसार। रक्षासूत्र बाँध पाती सत्कार। उत्साह भाव चहुंदिशा छाया। राखी का त्यौहार.......। रोली अक्षत घेवर संग खुशियों की बहार। रेशम की डोर से जुड़ता अपनों का प्यार। भाई बहिन का रिश्ता राखी से बनता खास। बहिना बांधती भाई के हाथों अपना विश्वास। निश्छल प्रेम भगिनी का धागे में समाया। राखी का त्यौहार.......। हो चाहे कितनी दूर फिर भी भूल न पाती है। रक्षाबंधन के अवसर बहन भाई के आती है। स्नेह-प्रीत की डोर दोनों की बड़ी...
अटल श्रेष्ठ
कविता

अटल श्रेष्ठ

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** हे भारतरत्न अटल श्रेष्ठ कवि। सदा रहेगी राष्ट्र में अमिट तेरी छवि।.... माँ भारती के प्रखर ओजस्वी लाल। अद्भुत कृत्यों को तेरे करता है जग सलाम। राष्ट्रहित में बने संघी प्रचारक। युगदृष्टा और बहुजनी विचारक। मस्तिष्क सदा, तिलक चंदन। करते हम भारतीय नमन अर्चन वंदन। परिचय :- महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' निवासी : सीकर, (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hin...
शारदे माँ
स्तुति

शारदे माँ

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** शारदे माँ वन्दना स्वीकार करों। दो ऐसा वरदान, की नैया पार हो। शारदे माँ......। ज्ञानदे चरणों में, अपने स्थान दो। बनें नेक दिल इंसान, की ऐसा ज्ञान दो। मिटा अज्ञान हिये से, विवेक का उजास करों। शारदे माँ.......। जय हंस वाहिनी पद्मासिनि निर्मल हृदय कर वीणावादिनी मिटा हर दोष, शिष्टता का संचार करों। शारदे माँ......। हो तेरी मेहर तो, सदा उत्तम कर पाएंगे। परहित में हम बड़ा, नेक कर जायेंगे। जीवन शुद्धता का बंदनवार करों। शारदे माँ.......। सर्वत्र ज्ञान का प्रकाश हम फैलायेंगे। निज राष्ट्र हो शिखर पर, ऐसे कदम उठायेंगे। माँ भारती विश्वबंधुत्व का भाव भरो। शारदे माँ .......। परिचय :- महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' निवासी : सीकर, (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह...
आदिदेव महादेव
भजन

आदिदेव महादेव

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** श्रावण मास सोमवार को, भोले का यश गाना हैं। रख श्रद्धा आदिनाथ की, भवसागर तर जाना हैं।..... वंदन चंदन कर तिलक लगाएं, अर्पित करते पुष्पों की माला। आदिदेव महादेव का ध्यान धरें, सबके हित उत्तम करने वाला। गौरीशंकर भक्ति में चित्त लगाना हैं। रख श्रद्धा आदिनाथ की भवसागर तर जाना हैं।..... तात कार्तिकेय-गणनायक की, आभा बड़ी निराली हैं। मयूर केतु-गजानन की, छवि नैन सुखदायी हैं। माँ गिरिजा व विश्वनाथ का अलौकिक श्रृंगार करना है। रख श्रद्धा आदिनाथ की भवसागर तर जाना हैं।..... परिचय :- महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' निवासी : सीकर, (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्ष...
आशा की किरण
कविता

आशा की किरण

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** आशा की किरण, दिखाती कविता। मुझको मुझ तक, लाती कविता। अन्तर्भावों की, अभिव्यक्ति कविता। हमें भावाभिभूत, बनाती कविता। परोपकार और परहित कर, खुशियां लेना सिखाती कविता। निस्वार्थ सेवा भाव से, हर्षित सदा करती कविता। हृदय व्यथित जब होता है, भाव अंकुरित करती कविता। मन भावोन्मत्त जब होता है, नवकाव्य सृजन करती कविता। परिचय :- महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' निवासी : सीकर, (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी क...
कैसे गाएं गीत मल्हार
कविता

कैसे गाएं गीत मल्हार

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** घनघोर घटाओं में विपदा की कौंध अपार, सखी कैसे गाएं गीत मल्हार।..... मच रहा चहुंओर हाहाकार, कोरोना महामारी से हुआ जीवन बड़ा दुश्वार। फैली है बेकारी ठप हुए सारे कारोबार, न कहीं मंगलाचार, न लगे कहीं कोई त्यौहार। बाग-बगीचों में ना कोई मधुर बहार। सखी कैसे गाएं गीत मल्हार।..... विरहा की बदरी से हो रही फुहार, मानों प्रकृति ने किया न कोई श्रृंगार। कही विपदा की घनी बौछार, सब जन अच्छे दिनों की राह रहे निहार। भय की उत्कंठा से पार न करते देहरी द्वार। सखी कैसे गाएं गीत मल्हार।..... दुश्वारी चुनौतियां खड़ी सामने मुँहवार। आंतक का अत्याचार, युवा है बेरोजगार। भ्रष्टों ने फैला रखा भ्रष्टाचार। रूका न अभी कहीं व्यभिचार। लाचार सी खड़ी है सारी सरकार। सखी कैसे गाएं गीत मल्हार।..... सपनों में अभी है सुखद ...
हिन्दी
कविता

हिन्दी

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** आओं मिल राष्ट्र का मान बढ़ाएं, हर क्षेत्र में भाषा हिन्दी अपनाएं। जनचेतना का आधार है हिन्दी, वालिदैन के वात्सल्य सी है हिन्दी।..... हिंदोस्तां की ज़ुबां है हिन्दी, वतन की आन बान शान है हिन्दी। हमारी असली पहचान है हिन्दी, भारतवंशी का अभिमान है हिन्दी। जनचेतना का आधार है हिन्दी।.... हिन्द राष्ट्र की आशा हिन्दी, जन जन की मातृभाषा हिन्दी। जात-पात के बंधन को तोड़ती हिन्दी, एकता सूत्र में सब को जोड़ती हिन्दी। जनचेतना का आधार है हिन्दी।..... गणराज्य की आधिकारिक भाषा है हिन्दी, हमारी संस्कृति-समृद्धता का प्रतीक है हिन्दी। राष्ट्रभक्ति भावना को प्रेरित करती हिन्दी, धाराप्रवाह से बोलने वाली मातृभाषा हिन्दी। जनचेतना का आधार है हिन्दी।..... दुनिया में सम्मान व स्वाभिमान दिलाती हिन्दी, हमारे प्रांतों की क्षे...
धरती की पुकार
कविता

धरती की पुकार

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** गरमी बढ़़ रही जैवमंडल में, मच रही है हाहाकार। अपने खातिर मुझे बचालो, कर रही धरती यही पुकार।.... देख तपिश ऐसा लगता, मानों बरस रही है आग। ग्लोबल वार्मिग के कारण, जीवमात्र के हुए बुरे हाल। समय रहते कर प्रायश्चित, रे मनुज शीघ्र करलें चेत। कुछ न बचेगा मुझ पर जब, चिड़ियाँ चुग जायेगी खेत। पौधारोपण से लो संवार, गरमी बढ़ रही............। बदलती जीवन शैली बढ़ता औद्योगिकीकरण, विलासिता पूर्ण अनियंत्रित नगरीकरण। वर्षों से बोझ निरंतर बढ़ रहा, मानवीय भूलों का दंश सहा, बदइंतजामी आलम भर रहा हुंकार, गरमी बढ़ रही.........। भावी पीढ़ी के बेहतर भविष्य की ठाने, भूल विलासिता पूर्ण आदतों की माने। संरक्षण के प्रति समझे अपनी जिम्मेदारी, सोचे उसकी जो है अपनी महतारी। प्रति पल बढ़ रहा जो अत्याचार, गरमी बढ़ रही.........
ज्योतिपुंज
कविता

ज्योतिपुंज

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** महा ज्योतिपुंज को कर नमन, आओं मिल हम संकल्प धरें। शोषित निराश्रितों के बन मसीहा, पुरज़ोर शिक्षा की अलख जगाएं। दलितोत्थान के बन प्रबल समर्थक, मिल जाति धर्म का भेद मिटाएं। हो ज्ञान-विज्ञान से साक्षात, अज्ञान तमस को दूर भगाएं। सामाजिक कुरीतियों को कर दूर, फुले दम्पत्ति के आदर्श अपनाएं। क्रांति सूर्य के विचारों को आत्मसात करें, महा ज्योतिपुंज को कर नमन....। नारी शिक्षा को दे बढ़ावा, आदिकाल से कितने कष्ट सहे। जब बनें आत्मनिर्भर व स्वालंबी, तब कैसे? करूणा के अश्रु बहे। विद्यार्जन कर नारी बनें विदुषी, जीवन विपदाओं से न घिरे। बनें अनुशासित कुटुम्ब समाज, परिवार एक से दो तरे। अनगिनत यातना अत्याचार हरे, महा ज्योतिपुंज को कर नमन....। कर दीनहीन निराश्रितों की मदद, निज सा उभारने की कोशिश करें। हर मानव धरा...