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Tag: मनोरमा जोशी

फागुन की चौपाल
कविता

फागुन की चौपाल

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** होली उत्सव प्रीत का, यह रंगों का बाजार, निशदिन फागुन प्रीत, के नये पढ़ाये पाठ। अखियों ही अखियों, हुऐं रंगों के संकेत, रह रह कर महके रात भर कस्तूरी के खेत। प्रीत महावर की तरह, इसके न्यारे है रंग, बतियाती पायल हँसे, हँसे ऐड़ियाँ संग। रंगों वाले आईने, भूलें सभी गुमान, जो भीगें वो जानता, फागुन की मुस्कान। दोहे ठुमरी सखियां, फाग अभंग ख्याल, मोसम करता रतजगा, फागुन की चौपाल। . परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान स...
उपहार
कविता

उपहार

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** अधरों की मुस्कानें दे दों ऐसा अमिट उपहार दे दो। मेरे नयनोँ मे प्रतिबिंब तेरा हो ऐसा प्रिय उपहार दे दो। चंदन चंदन मन हो जाये, गुन गुन गीत जिंन्दगी गाये, अधरों से जो कह न पाये, नयनों से नयनों मे दे दो प्रीत मेरे जीवन को रंग दे दो। गंगा जमुना की लहरें लहराये नित तेरे संग में लहराऊँ ऐसा मनभावन, अप्रतिम उपहार मुझे दे दो। जीवन को मैं करूँ समर्पण बस मुझको तुम एक प्रहर दे दो . परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान ...
मन की पीर
कविता

मन की पीर

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** आज मे किसको सुनाऊँ, व्यथित मन की पीर। नयन अपलक जागते हैं, बहुरि भरते नीर। वेदना के शूल चुभते, मन पटल पर भाव भरते, कोन जो आकुल हर्दय को, आ बँधावे धीर ,बहुरि भरते नीर। याद मुझको हैं सताती, विरह की ज्वाला जलाती, कब मिलन कैसे मिलन हो, श्वास श्वास अधीर, दूर बसते प्रिय हमारे, मन पखेरु जारे जारे, सरस प्रिय के बिना, अब एक पल गंभीर, बहुरि भरते नीर। . . परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर...
हूआ नीड़ सूना
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हूआ नीड़ सूना

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** लुट गया मधुवन, हुआं वो नीड़ सूना। अब ना माली के, हर्दय का घाव छूना। मधुप कलियों को, चले जाकर रुलाकर, उड़ गई कोकिला अधूरा गीत गाकर ..... जब ना होगा नीर, सरिता क्या बहेगीं मीन जल से बिछुड़कर, कैसे रहेगीं। लहरियां तट को, जाती झुलाकर, उड़ गयीँ कोकिला, अधूरा गीत गाकर ..... कौन तुम अंजान, बन मेहमान आयें, स्वपन मे दो गीत, जीवन के सुनायें। चल दिये क्यों नींद, मेरी अब चुराकर, उड़ गयी कोकिला, अधूरा गीत गाकर ..... लुट गया उपवन, हुआं वो नीड़ सूना। अब ना माली के, हर्दय का घाव छूना। . . परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता...
बसंती मोसम
कविता

बसंती मोसम

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** आ गया बसंती मोसम सुहाना, गा रहा मन तराना। मिली राहत जिंन्दगी को, चेन दिल को आ गया, प्यार की अमराहयों से, गीत याद आ गया, आज अपने रंज गम को, चाहता हैं गम भुलाना, आ गया बसंती मोसम सुहाना। बाग की हर शाक गाती, झूमती कलियाँ दिवानी, पात पीले मुस्कुराते, मिली जैसे है जवानी, हर तरफ ही लुट रहा है, आज खुशियों का खजाना, आ गया बसंती मोसम सुहाना। सब मगन मन गा रहें है, आ गई ऐसी बहारें, प्राण बुन्दी मुक्त मन, दिलों की टूटी दिवारें, बहुत दिन के बाद उनका, आज आया है बुलावा, आ गया बसंती मोसम सुहाना। . . परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा...
आया बसंत
कविता

आया बसंत

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** आया बसंत। सखीरी रितु बसंत आई, मोसम ने ली अगड़ाई। क्यारी क्यारी सरसों फूली, अंबुआ डार मोर से झूली, अति उमंग ले आई। सखीरी रितु बसंत आई। ड़ाल डाल पे कोयल कूके मनवा खाय हिचकोले, अति सुहावन मन भाई। सखीरी रितु बसंत आई। सपने रंगे मन हुआ पलाशी, खिलती कलियाँ देह अकुलाती, पपीहे की कूहूँ कूहूँ सुनाती, मंद मंद पवन चलें पुरवाई सखीरी मन भावन रितु बसंत आयी। . . परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मा...
जीवन धारा
कविता

जीवन धारा

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** बहती जाये जीवन धार, सुख मे साथी क ई हजार दुःख मेंं बंद सभी के द्वार। मन कहता बैरागी होजा, मन कहता रंगों में खोजा, छलना मय संसार। दुःख में बंद सभी के द्वार। पगले अर्थ समझ जीवन का, सर्जन और विसर्ज तन का, होना है हर बार। दुःख मे बंद सभी के द्वार। तन से रिश्ता नहीं प्राण का, रामायण गीता कुराण का, मर्म यहीं हैं सार। दुःख मे बंद सभी के द्वार। ज़ी आशा लेकर तू कल की, रुके नहीं गति जीवन जल की, बहती जाये धार। दुःख मे बंद सभी के द्वार। . . परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में ...
में कृषक हूँ
कविता

में कृषक हूँ

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** मुझकों सभी ग्राम कहते हैं कहते कृषि का ज्ञानी , राग द्बेष है नहीं किसी से , मेरा मन सैलानी । जन्म भूमि है खेत किसान की , फसलें यहाँ लहराती, कच्चे घर माटी के सुन्दर छटा प्रकृति बिखराती । खेत यहाँ खलिहान यहाँ, नदी झील है झरना , वन वैभव की सुषमा देखूँ, हँसकर नित्य विचरना । ज्वार बाजरा गेहूँ मक्का, चना मटर जो न्यारे , कोदों सवा धान की फसलें , होते चावल न्यारे । निस दिन मोर पपीहे कोयल , मुझ को गीत सुनाते , सोन चिड़ी तोता मैना, निशदिन खेत मे आते । आती यहाँ बसंत बहारें , आती है बरसातें । खेतों की हरियाली मुझकों दे जाती सौगातें । बडे़ बड़े दुःख भार उठाये मेनें अपने तन पे , हुआ न विचलित फिर भी भैया पूछो मेरे मन से , हुआ देश आजाद मुक्त हूँ टूटे बंधन सारे । . . परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक ...
मन के घर मे ठहरो
कविता

मन के घर मे ठहरो

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** मन के घर में आकर ठहरों, देखो जग फिर क्या करता हैं। तूफानों से घिरा समुन्दर, कब तक नाँव किनारे बाँधे, पार पहुँचना इसके पहले जब तक सूरज सीमा फाँदे। तुम किश्ती में बैठो भर ही देखो तूफा क्या करता है। चुभते शूलों का है आंगन कैसे कोई रास रचायें, घणी घटा तम का हैं शासन, बोले कैसे खुशी मनायें, तुम मेरी बाहें बँध जाओ, देखो तम फिर क्या करता है। मन के घर में आकर ठहरों, देखों जग फिर क्या करता हैं। बुझी नहीं है प्यासी आशा फिर भी कल पर सांसे रोके, जीवन के घटियां पिंजरे से, पंछी उड़ जाने से रोके, तुम मुझकों अपनों मे घोलो, देखो यम फिर क्या करता हैं। मन के घर में आकर ठहरों, देखें जग फिर क्या करता हैं। . . परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान...
नव वर्ष अभिनंदन
कविता

नव वर्ष अभिनंदन

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** अभिनन्दन मन मंगल मय हर क्षण हो उत्सव। विप्लव आप्लावित हो, आर्त बने स्यंम कलरव। वर्षित नेह पूर्ण तम, कर दे सचराचर को। दिवा स्वपन को सत, रूपक दे सतत वर्ष नव। पर दुःख से है कंपित, सुख में भी हर्षित हों। चहुँ दिसी समता व्यापत, द्बेष का ना हो उदभव। भाव प्रबल पुष्टित हो, भ्रम हो स्वतः पलायन। उठे त्याग की अभिलाषा, परि पूरित हो भव। . . परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान और सुशीला देवी सम्...
नैतिक बल
कविता, नैतिक शिक्षा, संस्कार

नैतिक बल

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** शारिरिक बल, बुद्धिबल, से बलशाली नीति, नैतिक बल के सामने, टिकती नहीं अनिती। व्यक्ति जाति या राष्ट्र हो, होता उसका नाश, जो अनिती पथ पकड़ता, है साक्षी इतिहास। नैतिक बल से आत्म बल है संवद्ध घनिष्ठ, टका एक दो पृष्ठ है, किसे कहें मुख पृष्ठ। है यदि सच्ची नीति तो, वहीं धर्म आधार, ठहर न सकता धर्म है, जहां न नीति विचार। सब धर्मों को देख कर, गोर करें यदि आप, तो पायेंगे नीति का, सब मे अधिक मिलाप। अचल नियम है नीति के, अचल न चक्र विचार, मत विचार है बदलते, नीति धर्म आधार। निर्भर करता नियत पर, नीति अनिती कलाप, शुद्ध हर्द्रय सदभावना, मूल्यांकन का माप। . परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्...
घोर आतंक
कविता

घोर आतंक

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** कैसा ये आतंक मचा, असहनीय आत्मघाती। हर दिशा से रूदन, की आवाज आती। जर्जरित  अवसाद से, प्रत्येक छाती। कामनाओं की पिपासा, हैं सताती, यह दशा दयनीय मानव, को रूलाती। हम बनायें सुखद पथ , नव जिन्दगी का, शांन्ति पा जाये मनुज, उस राह चलकर। गूँज जायेगी गिरा, संदेश बनकर, थम जायेगा कहर , संदेश सुनकर । . परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उपलब्ध...
माटी की पुकार
कविता

माटी की पुकार

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** मे मिट्टी का कलाकार, निखार सकता हूँ, तराश सकता हूँ, अभूतपूर्ण सुंदरता दे सकता हूँ। कभी दानी कभी भिखारी, कभी देवता बन सकता हूँ मृत को जीवंतता, अप्रितम सुन्दरता, भ्रामक संजीवता दे सकता हूँ। फ्रिज तो बना नहीं सकता माटी का दिया बना सकता हूँ। विद्धत बल्ब तो बना नहीं सकता। प्राकृतिक शैली को, कुछ न कुछ बदला जा सकता हूँ, पर इसे आधुनिकता की भ्रामिक शैली नहीं दे सकता, बस इसी तरह की उथल पुथल में, मेरा अस्तित्व मिटता जा रहा हैं। कला है मेरे हाथों में, पर मिट्टी तराशने को, अपना जीवन नहीं। . लेखिका का परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन व...
नव किरणें …
कविता

नव किरणें …

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** नव किरणें दोड़ी आती हैं चीर रात की स्याही। अंधकार मै मत भटको, जीवन पथ के राही। लेकर हाथों मे सुधा कलश, अब नया सबेरा आया हैं। जगती के जलते आंगन मे नूतन बसंत मुस्काया हैं। फूलों के बंदरवार सजे, हर गली गली हर द्धारे। जन मन के मन में छलक रहा आदर्शों के प्रति पुण्य प्यार। तुम भी बनों आज नवयुग के सिरजन हार सिपाही। अंधकार में मत भटको जीवन पथ के राही। गाओं जागृति के नये गान मुस्कान बिखेरों द्धार द्धार, कंटक न रहे कोई पथ पर दो मानवता का पथ बुहार करके वह करणी दिखलाओ, जो नवयुग ने चाही। अंधकार में अब मत भटको जीवन पथ के राही। . लेखिका का परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - साम...
आज का  युग
कविता

आज का युग

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** हर जनों मे भ्रष्टाचार का वास हो गया है कलियुग मे सत्य बेईमानी का दास हो गया है। कट गई इंसानियत, की पूरी फसल, चारों और स्वार्थ का घास हो गया है। रिश्वत के पैर जमे, न्यायालय मे भी, न्याय का पन्ना झूठ, का भंडार हो गया है। गीता बाईबल कुराण पड़े कोने मे, कर्म चलती फिरती, लाश हो गया हैं। दिन रैन के सांक्षी, चंन्द्र सूर्य होने पर भी, हैं ऊपर के मालिक, अभी तक न्याय नहीं किया बेहतर होगा कि जमीन पर, वीर हनुमान आ जाये, लंका जैसी दुष्टों की, नगरी जला जाये। . लेखिका का परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। व...
मेरे सोये प्राण जगाये
कविता

मेरे सोये प्राण जगाये

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** मेरे इन अधरों ने, फिर से, गीत प्रीत के गाये। किसने आकर फिर से मेरे सोये प्राण जगायें। मुझे याद हैं सदियों पहले, जब मैं गाता गीत था, क्योंकि मेरे साथ जगत में मन भावन सा मीत था। मेरे सांसो की वीणा को, जिसनें सदा सम्हाला, केवल उसके कारण स्वर में जादू सा संगीत था। मेरे इन नयनों में फिर से, ज्योति किरण मुस्काये, किसने आकर फिर से मेरे बुझते दीप जलायें। चलते चलते बीच राह में जब भी थक्कर हारा, मिली प्रेरणा चलने की, बस उसने मुझे पुकारा। पथ में मुझको मिले फूल, शूल अंगारे, लेकिन उसके गीतों ने दे, सम्बल मुझे दुलारा। मेरे पथ में चीर तिमिर को अब उजियारे छायें, किसने आकर फिर से नभ में अनगित चाँद सजाये। किसने आकर फिर से मेरे सोये प्राण जगायें। . लेखिका का परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु...
सौन्दर्य प्रकृति अभिन्दन
कविता

सौन्दर्य प्रकृति अभिन्दन

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** अक्सर होता रहता है, भावों का स्पंदन। है आजाद विहग के खातिर, जैसे मुक्त गगन। ब्रह्म मूहर्त की छटा निराली, रुचि कर रंग अरूण, जलप्रपात के स्वर सुन, आशाऐं हुई तरूण। सुरभित होते है समीर, चलने से चमन सुमन, पुलकित अतिश्य हो उठता हैं जिससे अंतरमन। कोयल की सुमधुर कूक से, अनुप्रेरित कवि जीवन, करू रम्य प्रकृति वर्णन में कागज कलम समर्पण। चंदन वन हैं कविता, जिसमें सरस बनें यह जीवन, प्रकृति कलाओं की जननी हैं, प्रतिपल अभिनंनदन। . लेखिका का परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी ...
संकोच
कविता

संकोच

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** ह्रदय मध्य लघुरूप मे, रहता मन संकोच, किन्तु समय पर विशद हो देता हमे दबोच। रावण को संकोच ने, किया जभी निज ग्रास, जनक सुता को तब मिला वन अशोक में वास। हुयी विभीषण पर कृपा, दिया न उसको मार, हनुमान के साथ भी, किया वहीं व्यवहार। यही सरल संकोच ने, ले ली दशमुख जान, भीतर के इस दोष पर, रक्खो पूरा ध्यान। . लेखिका का परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपक...
दीपावली
कविता

दीपावली

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** झिलमिल झिलमिल आई दिवाली, खुशियों की सौगातें लाई। बच्चें बूढे सभी के मुख पर मुस्कुराहट आई। जब जब दिवाली आती, मन के दीपक है जल उठते, स्नेह युक्त दीपक बाती में, दिल से दिल घल मिल जुड़ते। झूठी चमक दमक में दबकर, दम दम जी दम फूल रहा, तेल बिना सूखी हैं बाती, जीवन पल पल झूल रहा, क्या मालुम कब कोन बुझेगा, बहकी बहकी बयार चल रही, दीपक द्धष्टी दिशाहीन हैं, कैसे दीप जलेगा मन का, वातावरण विषाक्त चहूँदिश कंपित दीपक है जनमन का। हालातों पर गौर करों अब कैसे जन का दीप जलें फिर, दानवता का दमन करों अब, मानवता दिनमान फलें फिर। घर समाज देश हित सारे दीपों की रौनक बढ़ जावे। राजी हो लक्ष्मी गणेश, पूजन से पूरन हो काज, दीपों की आभा से निखरें, तन मन घन तीनोँ के साथ। आशा प्रदीप जन मानस का, कल पुनः प्रजित प्रजलित होगा, रात के बाद दिन होता है मंगल प्रभात प्रस्फुटित होगा।...
पिया गये परदेश
कविता

पिया गये परदेश

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** अखियाँ उदासी मन में न चैना, कैसे बिताऊ सजन तुम बिन ये रैना। जब से पी मैने प्रेम का प्याला, गुँथू मैं निशदिन प्रेम की माला, दर्पण के आगे अपनी ही कहना। कैसे बिताऊ सजन तुम बिन ये रैना। सूना है तन मन सूना है अंगना, सूना है जीवन तुम मेरे संगना, रोता है मन मेरा बहते है नैना। कैसे बिताऊ सजन तुम बिन ये रैना। यादों के अंगना में सजना की बतियाँ, कटती नहीं री सखी कारी ये बतियाँ, विरह अगन में पल पल में दहना, कैसे बिताऊ सजन तुम बिन ये रैना। . लेखिका का परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रि...
बापू का सपना
कविता

बापू का सपना

********** मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. आओ मिलकर करें संकल्प, राम राज्य फिर लायेगें, बापू के जो स्वपन अधूरे हम साकार बनायेगें। गाँव बनें सब राज दुलारे, चमकें जैसे नभ के तारे, लड़े न झगड़े आपस मे हम, भेद भाव सब ढा़येगें। छुआ छूत न भेद भाव हो, जनमन के मन प्रेम भाव हो, स्नेह सने आपस में दिखें मिल सद भाव जगायेंगे। बापू के जो स्वपन अधूरे, हम साकार बनायेगें। राम राज्य का पावन मेला भर जाये घर घर यह मेला, सुख संपन्न रहे जन जीवन, ऐसे जतन जुटायेगें। सत्य अहिंसा दिन दूनी हों फूले फले नहीं जूनी हो, ये सब तो सिद्धांत अमर हैं, जग को पाठ पढ़ायेंगे। बापू के जो स्वपन अघूरे, हम साकार बनायेगें। प्रातः भजन राम और सीता, संध्या में रामायण गीता, रघुपति राघव राम भजन से, मोक्ष धाम पा जायेगें, बापू के जो स्वपन अधूरें हम साकार बनायेगें। . लेखिका का परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौ...
चंचल लहरें
कविता

चंचल लहरें

********** रचयिता : मनोरमा जोशी मचल उठे चंचल लहरों के साथ कगारे। माझी के अधरों ने, नूतन गान संवारे। . ज्वार उठा सागर में, अनगिन घन मंडरायें , लहर लहर सागर में, ताडंव नृत्य दिखाये। . घिर घिर आता अंबर, मे घोर अंधेरा, ज्वार उठा  सागर में, मांझी दूर सवेरा। . भीषण लहरों पर तिरती, आशा की कश्ती, कर मे माझी ने ली, आशा की कश्ती कर मे ली माझी ने, बाँध प्रलय की मस्ती, गर्जन तर्जन  में माझी, मंजिल रहा निहारे। मांझी के अघरों ने, नूतन गान संवारे। . बिन्दु बिन्दु ने आज, सिन्घु मे विष फैलाया, करना है विष पान, सोच मांझी मुस्काया, दुःख प्रलय ने अपनी, भाषा मे कुछ बोला, सुन मांझी ने अपने, मन मे साहस तौला, मांझी को पहचान प्रलय, फिर तुम कुछ  बोलो, मांझी है घरती का बेटा, संग मे होलो, प्रलय तुम्हारी लहरें, तट धरती के सारे। मांझी के अधरों ने, नूतन गान संवारे। . लेखिका का परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का...
मातृभाषा का प्रसार
कविता

मातृभाषा का प्रसार

********** रचयिता : मनोरमा जोशी नये जगत की नयी कल्पना, को आऔ साकार बनाये, हम मातृभाषा को ही अपनाऐ। हद्रय हृदय मे दीप जलें जो स्वः भाषा का ज्ञानभाव जगादें सुन्दर मनहर स्वप्न सजादें। सबको दे विशवास लक्ष्य का और सतत चलने का साहस। ज्योति ऐसी भरे जीवन में कभी न आऐं गहन अमावस फूट पड़े आत्मा का झरना। मातृभाषा का भाव जगाऐं। चलो नया संसार बसाऐं। जिसमें पनपे नेतिकता, वह नया भवन निर्माण करेगें। साहस बल पुरुषार्थ जुटा तन की ईटों से नींव भरेगें रच डाले चिर नूतन इतिहास क्रया का संबल लेकर, एक नया संघर्ष सृजन का, होगा अब प्राणों में प्रतिपल। मिटते मिटते भी अपने कर्मो से भाषा का मान बढ़ाये। हम मातृभाषा ही अपनाऐं। . लेखिका का परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर...
यह है जिन्दगी
कविता

यह है जिन्दगी

==================== रचयिता : मनोरमा जोशी प्यास की दास है जिन्दगी तल्ख आभास है जिन्दगी। दर्द की गीत गाती हुई जिन्दगी। एक अभ्यास है जिन्दगी, भाष्य में व्याकरण की तरह, वाक्य विन्यास है जिन्दगी। मन विधा के लिये सर्वदा, स्वच्छ आकाश है जिन्दगी। द्धन्द को मत समर्पित करो, एक महाराज है जिन्दगी। हमको लगती है सायास ये, कब अनायास है जिन्दगी। लेखिका का परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उ...
जन्मे कुअँर कन्हाई
कविता

जन्मे कुअँर कन्हाई

==================== रचयिता : मनोरमा जोशी बृज मे बटत बधाई, जन्मे कुअँर कन्हाई। आँधी रात घणी बरसात, जमना खल खल उबराई, जन्मे कुअँर कन्हाई। कारागृह के बंद द्धार, बिन चाबी ताले खुल गये, अदभुत लीला रचाई, जब जन्मे कुअँर कन्हाई। जहाँ जन्म लिया वहां पिया दूध नहीं, जहाँ दूघ पिया वहां लिया जन्म नहीं, दो दो माता ने खुशियां मनाई। ऐसे जन्मे कुअँर कन्हाई। कंस मामा का करने सफाया, रची कान्हा ने ऐसी माया, धन धन प्रभु की चतराई, शोभा बरणी न जाई । बाजत ढोल नगाड़ा घर घर, और बाजे शहनाई। जब जन्मे कुअँर कन्हाई। लेखिका का परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्...