फागुन की चौपाल
मनोरमा जोशी
इंदौर म.प्र.
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होली उत्सव प्रीत का,
यह रंगों का बाजार,
निशदिन फागुन प्रीत,
के नये पढ़ाये पाठ।
अखियों ही अखियों,
हुऐं रंगों के संकेत,
रह रह कर महके
रात भर कस्तूरी के खेत।
प्रीत महावर की तरह,
इसके न्यारे है रंग,
बतियाती पायल हँसे,
हँसे ऐड़ियाँ संग।
रंगों वाले आईने,
भूलें सभी गुमान,
जो भीगें वो जानता,
फागुन की मुस्कान।
दोहे ठुमरी सखियां,
फाग अभंग ख्याल,
मोसम करता रतजगा,
फागुन की चौपाल।
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परिचय :- श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है।
शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है।
कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान स...