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Tag: मनीषा व्यास

भाषा की व्यक्तित्व निर्माण में अहम भूमिका है।
आलेख

भाषा की व्यक्तित्व निर्माण में अहम भूमिका है।

मनीषा व्यास इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल, बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे न हिय को शूल। भारतेन्दु जी की ये पंक्तियां मनुष्य का संपूर्ण विकास करने में सहायक हैं। जो व्यक्ति अपनी भाषा में शिक्षा ग्रहण करता है वो सभी विषयों को गहराई से समझने की योग्यता रखता है। विषय का गहनता से किया गया अध्ययन मनुष्य के स्वाभाविक विचार, तर्क शक्ति और चिंतन को दृढ़ बनाता है। जिससे व्यक्ति का सर्वांगीण विकास संभव होता है। मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने से किसी भी विषय और अन्य भाषाओं को सीखने में आसानी होती है। विश्व भी इस बात का साक्षी है कि मनुष्य का संपूर्ण विकास अपनी भाषा अपने संस्कारों और अपने देश की संस्कृति को सीखकर उसे प्रस्तुत करने में है। आज हम इस बात के साक्षी है कि देश की संपर्क भाषा ही लोगों को अपनी बात कहने और समझने के लिए पर्याप्त है, इस बात पर क...
चुप न बैठो
कविता

चुप न बैठो

मनीषा व्यास इंदौर म.प्र. ******************** सृष्टि की रचनाधार चुप न बैठो खामोश न बैठो। कलयुग कुंडली मार कर बैठा है, तुम्हें ही क्रांति की तलवार उठाना है । चुप न बैठो.... वर्तमान समाज बहरा है इंसानियत गूंगी है अनमोल अश्रु व्यर्थ न गंवाओ, आवाज उठाओ आवाज़ उठाओ, चुप न बैठो.... इस राक्षसी दरबार में तुम किससे आस लगाओगी, चंडी बन बलात्कारियों की मुंड मालाएं तुम ही तो शिव को चढ़ाओगी, आवाज उठाओ आवाज उठाओ चुप न बैठो.... मानवता को लुटने से बचाओ, अन्याय के खिलाफ आवाज उठाओ, रण चंडी सी खुद बन जाओ, काली सा विराट स्वरूप दिखाओ आवाज़ उठाओ, आवाज उठाओ, चुप न बैठो.... परिचय :-  मनीषा व्यास (लेखिका संघ) शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत) रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका सृजन का अनुवाद, रस-रहस्य, बिम्ब (शोध पत्र), मालवा के लघु कथाकारो पर शोध कार्य, कविता, ऐंकर, ल...
पिता की याद
कविता

पिता की याद

मनीषा व्यास इंदौर म.प्र. ******************** दुनिया के गम को हंसकर झेल लेती हूं, सहेजकर रखी यादों को तस्वीर में समेट लेती हूं पिता की याद में अक्सर छिपकर रो लेती हूं । जिंदगी के लम्हों में यादों को ताज़ा करती हूं चेहरे की झुर्रियों में, सदियां खोज लेती हूं, पिता की याद में अक़्सर रो लेती हूं। घर पहुंचकर ठिठक जाती हूं, अचानक फिर तस्वीर देख लेती हूं। चौखट पर सर को झुकाकर नमन कर लेती हूं,,................. पिता की याद........ स्मृतियां क्षण-क्षण सामने आती हैं, फिर उनके हौसले को सलाम कर लेती हूं। कलम थमने सी लगती है शब्द फिर बटोर लेती हूं पिता की याद,..... गमगीन जिंदगी की उदासी भरी शाम और दर्द से भरी सुबह के आभास में पिता की कर्मठता, धैर्य ,विवेक और साहस फिर खोज लेती हूं। पुरुषार्थ की कर्म गीता पढ़ लेती हूंl पिता की याद में अक्सर छिपकर रो लेती हूं। परिचय :-  मनीषा व्यास (लेखिका संघ) शि...
बेटियां
कविता

बेटियां

मनीषा व्यास इंदौर म.प्र. ******************** बेटियां आसमान पर का रही हैं बेटियां, पदक भी पा रही हैं बेटियां। श्रृंगार तक वो सीमित न रही, जिंदगी के फर्ज भी निभाती हैं बेटियां। फूलों सी नाज़ुक दिखती हैं बेटियां, महलों के ख्वाब बुनती हैं बेटियां। परियों सी नाज़ुक होती हैं सपनों को साकार करती हैं बेटियां। उदास मन को कोमल सा अहसास देती हैं बेटियां। मुश्किल घड़ी में कोमल सा आभास देती हैं बेटियां। पंछियों की उड़ान सी चंचल, आकाश की बुलंदियां भी छूती हैं बेटियां। जिंदगी का मान बढ़ाती हैं बेटियां, जिस घर से अनजान रहती हैं बेटियां, उस घर की पहचान बन जाती हैं बेटियां। टूटी हुई चीजों से घर बनाती हैं बेटियां, माटी के खिलौनों से संसार रचाती हैं बेटियां। नींदों में भी ख्वाबों के साथ मुस्कुराती हैं बेटियां। खुशियों के लम्हे सी सुहानी हैं बेटियां, माटी की सौंधी खुशबू बिखेरती हैं बेटियां। बारिश की बू...
गौरैया
कविता

गौरैया

मनीषा व्यास इंदौर म.प्र. ******************** क्या फिर इस प्रदूषण में मखमल सी हरियाली फैलेगी? फिर इन सीमेंट के जंगलों में कोई गौरैया चेहकेगी ? क्या फिर इस धरा पर बसंत की खुशबू महकेगी? क्या फिर धरा हरी भरी अदाओं से, कवियों की लेखनी बन पाएगी? या धीरे धीरे ये लेखन भी कंक्रीट के जंगल पर निर्भर होगा? क्या आम की अमराइयों की महक से कोयल कूकेगी? फिर असली गुलाबों की महक महकेगी? या कभी जूही की कलियां भी मनमोहक महक मेहकाएंगी। बचा लो इस धरा को प्रदूषण के असर से धरा फिर फूलों की बहार बन जाएगी। धरती में फिर छा जाएगी हरियाली। गौरैया फिर अपने सपनों की उड़ान भरेगी। परिचय :-  मनीषा व्यास (लेखिका संघ) शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत) रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका सृजन का अनुवाद, रस-रहस्य, बिम्ब (शोध पत्र), मालवा के लघु कथाकारो पर शोध कार्य, कविता, ऐंकर,...
जिंदगी की जद्दोजहद
ग़ज़ल

जिंदगी की जद्दोजहद

मनीषा व्यास इंदौर म.प्र. ******************** अभी तो जिंदगी की सुबह हुई ही है। फिर क्यों मै बहुत दूर नजर आया। अभी तो मुश्किलों से पीछा छूटा ही था। फिर सामने कोरोना नजर आया। वतन से मुहब्बत की थी या पलायन का अफसोस। मुझे हर मजदूर घर लौटता नज़र आया। दुनिया इमारतों की तरफ देखती रही। मुझे उसके पांव का छाला नज़र आया। जिदंगी डर है, मायूसी है, संघर्ष है, वीरानी है। पहली बार हर इंसान बेबस नज़र आया। माफ़ कर सकता है तो कर दे मुझ। मै खुदगर्ज हूं ये अब नज़र आया। तू ना लौटा तो क्या होगा मेरा ? मै इस बोझ से दबता नज़र आया। मै तेरी सुरक्षा की हर कोशिश करूंगा। बहुत देर से सही पर अब नज़र आया। भारत को आत्मनिर्भर बनाना है। यही सोचकर वो शहर वापस आया।   परिचय :-  मनीषा व्यास (लेखिका संघ) शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत) रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका ...
तिरंगा
कविता

तिरंगा

मनीषा व्यास इंदौर म.प्र. ******************** तिरंगा वतन की मिट्टी की शान है। हमारा देश भारत सबसे महान है। इसी मिट्टी में जन्मे भगत ,सुभाष बिस्मिल । मिटने ना देंगे हम विरासत की शान। तेरे आंगन में है मंदिर, मस्जिद,गुरूद्वारे। मिटा के रख देंगे जातिवाद का विवाद। इंसानियत के दम पर रचेंगे नया इतिहास । मानवता की विश्व में रखेंगे हम मिसाल। सरहद की चौखट पर रखेंगे अपना सर। व्यर्थ न जाने देंगे वीरों का ये बलिदान । स्वप्न था तिलक का आजाद की थी कल्पना आजाद है भारत मेरा, आजाद रहना चाहिए। सोने की चिड़िया सोने की रहना चाहिए। आजाद है भारत मेरा आजाद रहना चाहिए।   परिचय :-  मनीषा व्यास (लेखिका संघ) शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत) रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका सृजन का अनुवाद, रस-रहस्य, बिम्ब (शोध पत्र), मालवा के लघु कथाकारो पर शोध कार्य, कविता, ऐ...
रंग
कविता

रंग

मनीषा व्यास इंदौर म.प्र. ******************** रंग वो जो दिखता है, या रंग वो जो चढ़ता है। दिखता तो नीला या लाल, या राधा के गालों पर गिरधर गोपाल। वो होली का गुलाल या साम्प्रदायिकता का काल वो केसरी जो हनुमान का, या रावण के अभिमान का। प्रदर्शन में मांग का, नेताओं के स्वांग का, होली में भांग का। सुहागन की मांग का। भगत सिंह की आजादी का। कसाब की बर्बादी का। खेतों में हरियाली का। तिरंगे में खुशहाली का। मां की ममता का, सैनिक की क्षमता का। मीरा में भक्ति का, राम में शक्ति का। शहरों में दंगों का, गांव में मन चंगों का। रंग वो जो दिखता है या रंग वो जो चढ़ता है। तिरंगे के तीन हैं। सबके अपने दीन हैं। फिर भी सुख दुःख सहते हैं। हम भारत वासी मिलकर रहते हैं।   परिचय :-  मनीषा व्यास (लेखिका संघ) शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत) रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पं...
मजदुर
कविता

मजदुर

मनीषा व्यास इंदौर म.प्र. ******************** ब्रह्म मुहूर्त में नींद से जागता है। चिलचिलाती धूप में भी कर्म करता रहता है। घड़ी भर आराम की उसे नहीं परवाह। वह तो मंदिरों के आकार गढ़ता है। ईंट और पत्थरों में जूझता है। बड़ी-बड़ी अट्टालिकाओं को बनाता है। उसे नहीं होती कभी अपनी परवाह। वह तो मस्ज़िद और गिरजाघर बनाता है। मेहनत कर खून पसीना बहाता है। रूखी सूखी खाकर तुरंत तृप्त हो जाता है। सुख से हंसने की उसे कहां परवाह । वह तो पत्थर में भी झरने बहाता है। धूप, बारिश, ठंड में कहां ठहरता है। खेतों की लहराती फसलों में झूमता है। अपनी काया की उसे कहां परवाह। वह तो मिट्टी में सोना और चांदी उगाता है।   परिचय :-  मनीषा व्यास (लेखिका संघ) शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत) रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका सृजन का अनुवाद, रस-रहस्य, बिम्ब (शोध पत्र), माल...
रफ़्तार और मां की ममता
लघुकथा

रफ़्तार और मां की ममता

मनीषा व्यास इंदौर म.प्र. ******************** जिंदगी बहुत ही तेज़ रफ़्तार से दौड़ रही थी। मार्च माह का अंतिम सप्ताह अपनी इस दौड़ में तीव्रता से अपनी शक्ति दिखा रहा था। तब ही अचानक २४मार्च को यह पता लगा कि इस दौड़ को यहीं थम जाना है। भारत और विश्व में एक महामारी ने अपने कदम पसार लिए हैं जिसका नाम कोरोना है। भारत में लाक डाउन का निर्णय लिया गया। अब क्या था जो जहां था वो वहीं पर रुक गया। पर धीरे-धीरे लोगों ने अपने अंदाज में अपने आप को घरों में रहकर सुरक्षित रखने का निर्णय लिया। हां इस लाक डाउन का सबसे सकारात्मक पल माताओं ने महसूस किया, मेरी एक सहेली है जिसकी दो बेटियां हैं दोनों ही नौकरी में व्यस्त थी अचानक इस दौड़ को लाक डॉउन ने रोक दिया था। दोनों की शादी जून में होने वाली थी। पर यह भी रुक गई। मां जो बेटियों की शादी की हर समय चिंता में रहती थी उसे आज सुख महसूस हुआ। क्योंकि उसे अपनी बेटियों...
ज़ख्म
हिन्दी शायरी

ज़ख्म

मनीषा व्यास इंदौर म.प्र. ******************** ज़ख्म सबके बराबर हैं, तेरे हों या मेरे हों, रेशमी ताकत भी यहां, मजबूर है बताना चाहती थी। चारों तरफ खोफ़ है,सन्नाटा है पर, यकीनन बिखरे हुए पत्तों को जोड़ना चाहती थी। मां आसुओं की पहचान रखती है, दो दिन पहले भी बहे हों तो जान लेती है। वही है जो जिंदगी के हर दर्द जानती है। हर रिश्ते तराशने के गुर जानती है। कोई दौलतमंद नहीं है, और न कोई रंक है। सब सिकंदर हैं यहां वो ये बताना चाहती थी।   परिचय :-  मनीषा व्यास (लेखिका संघ) शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत) रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका सृजन का अनुवाद, रस-रहस्य, बिम्ब (शोध पत्र), मालवा के लघु कथाकारो पर शोध कार्य, कविता, ऐंकर, लेख, लघुकथा, लेखन आदि का पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी ...
रंग वो जो दिखता है
कविता

रंग वो जो दिखता है

मनीषा व्यास इंदौर म.प्र. ******************** रंग...! रंग वो जो दिखता है, या रंग वो जो चढ़ता है। दिखता तो नीला या लाल, या राधा के गालों पर गिरधर गोपाल। वो होली का गुलाल या साम्प्रदायिकता का काल वो केसरी जो हनुमान का, या रावण के अभिमान का। प्रदर्शन में मांग का, नेताओं के स्वांग का, होली में भांग का। सुहागन की मांग का। भगत सिंह की आजादी का। कसाब की बर्बादी का। खेतों में हरियाली का। तिरंगे में खुशहाली का। मां की ममता का, सैनिक की क्षमता का। मीरा में भक्ति का, राम में शक्ति का। शहरों में दंगों का, गांव में मन चंगों का। रंग वो जो दिखता है या रंग वो जो चढ़ता है। तिरंगे के तीन हैं। सबके अपने दीन हैं। फिर भी सुख दुःख सहते हैं। हम भारत वासी मिलकर रहते हैं।   परिचय :-  मनीषा व्यास (लेखिका संघ) शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत) रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा ...
तो वसंत लहराया है
कविता

तो वसंत लहराया है

मनीषा व्यास इंदौर म.प्र. ******************** फूलों की बहार हो बसंत की छटा हो, धरा का रंग निराला हो धरती कोमल पंखुड़ी हो। तो वसंत लहराया है। कलियों की गुनगुनाहट हो, फूल झूम-झूम कर नमन कर रहे हो। धरती फूलों से ढक गई हो, तो वसंत लहराया है। कोयल की कूक हो अमराइयों की महक हो पक्षियों का कलरव हो मन रंग बिरंगी उड़ान भर रहा हो तो वसंत लहराया है। तो वसंत लहराया है।   परिचय :-  मनीषा व्यास (लेखिका संघ) शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत) रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका सृजन का अनुवाद, रस-रहस्य, बिम्ब (शोध पत्र), मालवा के लघु कथाकारो पर शोध कार्य, कविता, ऐंकर, लेख, लघुकथा, लेखन आदि का पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान एवं विधालय पत्रिकाओं की सम्पादकीय और संशोधन कार्य  ...
दर्द लिखती हूं
कविता

दर्द लिखती हूं

मनीषा व्यास इंदौर म.प्र. ******************** दर्द लिखती हूं, मनन करती हूं। दुआ मिलती रहे, ऐसी इबादत करती हूं। शब्द गढ़ती हूं, भाव पढ़ती हूं। मन कांच सा हो पारदर्शी, ईश्वर से विनती, करती हूं। बैर हो न किसी का किसी से। आत्म विश्वास इतना संजो दे, प्रभु से यही प्रार्थना करती हूं।   परिचय :-  मनीषा व्यास (लेखिका संघ) शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत) रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका सृजन का अनुवाद, रस-रहस्य, बिम्ब (शोध पत्र), मालवा के लघु कथाकारो पर शोध कार्य, कविता, ऐंकर, लेख, लघुकथा, लेखन आदि का पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान एवं विधालय पत्रिकाओं की सम्पादकीय और संशोधन कार्य  आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के ...
बुजुर्गो की वसीयत
कविता

बुजुर्गो की वसीयत

मनीषा व्यास इंदौर म.प्र. ******************** प्रयास यही है कि ये उम्मीद बची रहे। बुजुर्गो की दी वसीयत बची रहे। तिनका तिनका पिरोकर जो संस्कार रूपी मोती पिरोए थे। उन मोतियों की माला बची रहे। बच्चों के बीच दूरियां न हो ...... इसके सिवा एक मां को चाहिए भी नहीं कुछ। पल पल फूलों की पंखुड़ियों सा संजोकर समेटी है ये छोटी सी दुनिया। दौलत हो न हो पर ये मोहब्बत बची रहे। बिखरे फूलों का अस्तित्व नहीं है। कहते है परिंदों के झुंड भी बिखरकर खो जाते हैं। बिना संस्कारों के घर बिखर जाते हैं। संस्कार न जाने कब गुलाब सी माला पिरो जाते हैं। बुजुर्गों की दी धरोहर बची रहे। प्रयास यही है कि ये आस बची रहे।   परिचय :-  मनीषा व्यास (लेखिका संघ) शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत) रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका सृजन का अनुवाद, रस-रहस्य, बिम्ब (शोध पत्र), मालवा ...
श्रीमति मनीषा व्यास इंदौर म.प्र. मे हिंदी रक्षक २०२० सम्मान से सम्मानित
साहित्यिक

श्रीमति मनीषा व्यास इंदौर म.प्र. मे हिंदी रक्षक २०२० सम्मान से सम्मानित

कलमकार श्रीमति मनीषा व्यास को हिन्दी रक्षक मंच द्वारा हिंदी रक्षक २०२० सम्मान से सम्मानित किया गया वे अब से हिंदी रक्षक मनीषा व्यास के नाम से जानी जाएंगी। इन्दौर। हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा का स्थान दिलाने व हिन्दी साहित्य के रक्षण हेतु बनाये गए हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में ३२ कवियों व साहित्यकारों को हिन्दी रक्षक सम्मान २०२० से सम्मानित किया गया। हिन्दी रक्षक मंच के संस्थापक एंव hindirakshak.com के संपादक पवन मकवाना ने बताया कि कार्यक्रम में इन्दौर सहित भारत के अलग-अलग राज्यों व शहरों झारखंड, मनावर, उज्जैन, धार, रीवा, कानपुर, देपालपुर, भोपाल, देवास, दरभंगा बिहार, कोटा राजस्थान, चंपारण बिहार, बेगमगंज मेरठ, मोतिहारी बिहार से पधारे ३२ साहित्यकारों को हिन्दी रक्षक सम्मान २०२० से सम्मानित किया गया कार्यक्रम में मुख्य अतिथी महामण्डलेश्वर दादु महाराज, देवपुत्र के संपादक श्र...
लक्ष्य
कविता

लक्ष्य

मनीषा व्यास इंदौर म.प्र. ******************** धनुष से छूटा बाण कब पथ पर रुकता है, तुम तो लक्ष्यपथ के बाण हो, लक्ष्य तक पहुंचे बिना फिर तुम्हें नहीं ठहरना उठो और प्रयत्न करो रुको नहीं जब तक मंजिल पर न पहुंचो। मन की सकारात्मक्ता नई राह दिखाती है। आशाएं भी जगाती हैं तुरंत राह पर चलो। कार्य जो किए निर्धारित अंजाम देना है फ़ौरन। सीखने की प्रक्रिया को तुम रुकने न देना। तरक्की तुम्हारे क़दमों में होगी पथ पर विश्राम ना करना। कड़ी मेहनत का विकल्प नहीं कोई। कामयाबी छिपी है इसमें, तुम्हें उसी आवरण को खोजना।   परिचय :-  नाम :- मनीषा व्यास (लेखिका संघ) शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत) रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका सृजन का अनुवाद, रस-रहस्य, बिम्ब (शोध पत्र), मालवा के लघु कथाकारो पर शोध कार्य, कविता, ऐंकर, लेख, लघुकथा, लेखन आदि का पत्र-पत्रिकाओं...
नापी है जमी
कविता

नापी है जमी

मनीषा व्यास इंदौर म.प्र. ******************** नापी है जमी अभी छूना आसमा, अपने हुनर से, है अपनी पहचान। जागते चलो उठो, लक्ष्य ये महान, महज कल्पना नहीं, हकीकत की है उड़ान। कर्म का है विधान सफलता की है शान, हौसलों की यह उड़ान, खुशी का ये जहान। जिंदगी कर्मपथ है राह भी है आसान उठो, जागो, बढ़े चलो ले मशाल।   लेखिका परिचय :-  नाम :- मनीषा व्यास (लेखिका संघ) शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत) रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका सृजन का अनुवाद, रस-रहस्य, बिम्ब (शोध पत्र), मालवा के लघु कथाकारो पर शोध कार्य, कविता, ऐंकर, लेख, लघुकथा, लेखन आदि का पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन एवं विधालय पत्रिकाओं की सम्पादकीय और संशोधन कार्य  आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच...
कविता
कविता

कविता

====================== रचयिता : मनीषा व्यास आत्मा के सौंदर्य का ख़्बाव है कविता काग़ज़ रूपी खेतों में शब्द रूपी क़लम से बीजों  का अंकुरण  है  कविता आत्मीय सौंदर्य का काव्यदीप है कविता पल पल संजोकर सपने  भी सच कर हौसलों की उड़ान भर जाती है कविता मन जब अकेले पन के आग़ोश में छिपा हो तो उस अकेलेपन का   भी साथी  बन न जाने कब साथ आ जाती है कविता मन जब भावना के अधीन बहक रहा हो तो भावना के साथ अश्रु बन कर बह जाती है कविता आसमान सी नीली धवल चाँदनी बन चंचल मन की चपलता में भी भाव गढ़ जाती है कविता तिमिर में जब राह भूल जाय कोई राही तो पथिक की राह में भी दीप जला जाती है कविता   लेखिका परिचय :-  नाम :- मनीषा व्यास (लेखिका संघ) शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत) रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका सृजन का अनुवाद, रस-रहस्य, बिम्ब (शोध पत्र), मालवा क...
क्या है किताब ?
कविता

क्या है किताब ?

====================== रचयिता : मनीषा व्यास ज्ञान का भंडार समाज का आइना भटकन की राह मुसाफ़िर का सहारा अकेलेपन का साथी अंधेरे में उजाला सूचनाओं का भंडार निराशा में आशा अनुभव का निचोड़ शब्दों का शृंगार भावनाओं की अभिव्यक्ति विधि का विधान विजय का तिलक कर्म का कुरुक्षेत्र सपनों की उड़ान अपने में समेटे ये है किताब का सृजित परिधान लेखिका परिचय :-  नाम :- मनीषा व्यास (लेखिका संघ) शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत) रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका सृजन का अनुवाद, रस-रहस्य, बिम्ब (शोध पत्र), मालवा के लघु कथाकारो पर शोध कार्य, कविता, ऐंकर, लेख, लघुकथा, लेखन आदि का पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन एवं विधालय पत्रिकाओं की सम्पादकीय और संशोधन कार्य  आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानि...
काव्यदीप है कविता
कविता

काव्यदीप है कविता

================================== रचयिता : मनीषा व्यास आत्मा के सौंदर्य का ख़्बाव है कविता काग़ज़ रूपी खेतों में शब्द रूपी क़लम से बीजों का अंकुरण है कविता — आत्मीय सौंदर्य का काव्यदीप है कविता पल पल संजोकर सपने भी सच कर हौसलों की उड़ान भर जाती है कविता - मन जब अकेले पन के आग़ोश में छिपा हो तो उस अकेलेपन का भी साथी बन न जाने कब साथ आ जाती है कविता _ मन जब भावना के अधीन बहक रहा हो तो भावना के साथ अश्रु बन कर बह जाती है कविता __ आसमान सी नीली धवल चाँदनी बन चंचल मन की चपलता में भी भाव गढ़ जाती है कविता __ तिमिर में जब राह भूल जाय कोई राही तो पथिक की राह में भी दीप जला जाती है कविता ........... लेखिका परिचय :-  नाम :- मनीषा व्यास (लेखिका संघ) शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत) रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका सृजन का अनुवाद, रस-रहस्य, बिम्...