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Tag: मधु टाक

सरज़मीं
कविता

सरज़मीं

मधु टाक इंदौर मध्य प्रदेश ******************** वो मेरा है ये जमाने को बताना है सोहनी मैं महीवाल उसे बनाना है सजा सख्त पाई दिल लगाने की मोहब्बत के दर्द को यूँ छुपाना है वो ही मेरी शोख यादों में समाया है दिल की सरजमी पर उसे लाना है नजर न लगे कहीं बेदर्द जमाने की हर एक शय से बस उसे बचाना है स्वाति की बूँद का वो मोती सा है साँसों की तसबी में उसे पिरोना है कर न पाया इज़हार-ए-इश़्क कभी मुहब्बत भरा एक लुटा खजाना है मैं वो आँसू हूँ जो छलका ही नहीँ मेरा निगाहों को बस मुस्कुराना है वो मसीहा सारे जमाने भर का है उसकी बेवफाई से दिल लगाना है वो मेरे नाम की गहराई में छुपा है अधरों पर "मधु" उसे ही सजाना है परिचय :- मधु टाक निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां...
तुझे क्या लिखूँ
कविता

तुझे क्या लिखूँ

मधु टाक इंदौर मध्य प्रदेश ******************** कलम जब करिश्मा करती है और शब्द नृत्य करने लगते हैं तब कविता का सृजन होता है कविता अन्तर मन में की गई वो थपकी है जो रूह को सुकून देती है !!!! हूँ मैं कश्मकश में कविता तुझे किया लिखूँ समंदर में बहती हुई सरिता तुझे क्या लिखूँ गुलशन में आज़ाद पक्षियों की चहचहाहट लिखूँ पिंजरे में क़ैद इन परिन्दों की छटपटाहट लिखूँ शजर से झरते इन पत्तों का गरल वियोग लिखूँ नई कोंपलों के उदय का सुहाना सुयोग लिखूँ इठलाते समंदर के खारेपन का अभिशाप लिखूँ दरिया का सिन्धुराज से मिलने का मिलाप लिखूँ सूरज की तपिश से तपती धरती की व्यथा लिखूँ सावन से भीगी इस धरा की उन्मुक्त गाथा लिखूँ उसकी ख़ुशबू से महकता दिल का गुलशन लिखूँ उसके न होने से वीरान होता मन का उपवन लिखूँ डूबती हुई इस शाम का धुंधला सा प्रकाश लिखूँ उगते सूरज का *मधु* सिन्दूरी सा उल...
प्रेम की पाती – प्रीतम के नाम
कविता

प्रेम की पाती – प्रीतम के नाम

मधु टाक इंदौर मध्य प्रदेश ******************** हर राज दिल का तुम्हें बताने को जी चाहता है हर इक सांस में तुम्हें बसाने को जी चाहता है यही है मेरे प्यार, नेह और विश्वास की बंदगी खुद से ज्यादा तुम्हें प्यार करने को जी चाहता है चाँद तारों की सौगात तुम्हें देने को जी चाहता है खुदा के बदले तेरी बंदगी करने को जी चाहता है न लगे कभी नजर तुम्हें इस बेरहम जमाने की सर पर से तेेरे खुद को वारने को जी चाहता है राहों में सदा चिराग जलाने को जी चाहता है दामन में उनके सितारे सजाने को जी चाहता है हर इक ख़्वाब जो देखा मुकम्मल हो जाये तेरी चाहत को तकदीर बनाने कोे जी चाहता है हर इक खुशी साथ तेरे बिताने को जी चाहता है हर मुश्किलों से तुम्हें बचाने के जी चाहता है धड़कते हुए दिल की यही आरजू है हर पल दो रंगी दुनिया से तुम्हें बचाने के जी चाहता है बहते झरनों का संगीत ...
मिलूंगी तुम्हें वहीं प्रिये
कविता

मिलूंगी तुम्हें वहीं प्रिये

मधु टाक इंदौर मध्य प्रदेश ******************** तारों से जब आंचल सजाओगे सीपों से गहने जड़वाओगे प्रीत में तेरी राधा सी बनकर मन में जब संदल महकाओगे मैं मिलूंगी तुम्हें वहीं प्रिये.... नागफनी में भी फूल खिलाओगे छूकर मुझे तुम राम बन जाओगे आशा के तुम ख्वाब सजाकर जब जब मुझसे प्रीत निभाओगे मैं मिलुंगी तुम्हें वहीं प्रिये.... कोयल की कूक सुनाओगेे भवरें सी मधुर गुंजार करोगे अमावस की अंधेरी रातों में जुगनू से रोशनी ले आओगे मैं मिलूँगी तुम्हें वहीं प्रिये .... हरी चुड़ियाँ जब तुम लाओगे आस के हंस को मोती चुगाओगे सावन में लहराने लगा मन मेरा प्रणय के गीत जब तुम गाओगे मैं मिलुँगी तुम्हें वहीं प्रिये .... जब जब भी तुम याद करोगे चाँदनी को चाँद से मिलाओगे गुनगुनाती हवाओं के साथ साथ अहसासो में जब मुझे सवांरोगे मैं मिलूँगी तुम्हें वहीं प्रिये .... परिचय :- मधु टाक ...
इम्तिहान
कविता

इम्तिहान

मधु टाक इंदौर मध्य प्रदेश ******************** वो सिरफिरी हवा थी सम्हलना पड़ा मुझे हर पल इम्तहानो से गुजरना पड़ा मुझे! मेरी यादें फिज़ा में हर तरफ महक जाये इश्क़ में तेरे इस तरह बिखरना पड़ा मुझे डाल दी है भंवर में कश्ती सम्भालो तुम इसी उम्मीद से समंदर में रहना पड़ा मुझे मेरे हौसलों में इजाफा कम न हो जाए आँधी और तूफानो में उतरना पड़ा मुझे गुजरे जिधर से हर एक राह रोशन रहे जला कर दिल उजाला करना पड़ा मुझे उसकी बेचैनियों को भी सुकून मिल जाये रात भर उसकी आँखों में ठहरना पड़ा मुझे इश्क़ में सनम मेरा कहीं रुसवा न हो जाये दरमिया इश्क़ के फासला रखना पड़ा मुझे किनारे पर बैठ कर कुछ आता नहीं नज़र डूब कर सागर के गौहर देखना पड़ा मुझे फूलों से निकलकर जो आ जाये "मधु" करिश्मा ये कुदरत का कहना पड़ा मुझे परिचय :- मधु टाक निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : ...
बेखुदी
कविता

बेखुदी

मधु टाक इंदौर मध्य प्रदेश ******************** रात के टुकड़े पे पलना छोड़ दे वक्त के साँचे में ढलना छोड़ दे तू ख़्वाब है जागती आँखों का बंद पलकों में मचलना छोड़ दे इश्क़ में एहतियात है लाज़िम बेखुदी में अब रहना छोड़ दे चटक गया है दिल का आईना हर पल इसमें सवरना छोड़ दे है सुकु दिल को न चैन रूह को हसरतों के पीछे पड़ना छोड़ दे सच कितना भी गर कड़वा लगे साथ झूठ के तू चलना छोड़ दे एक ही लम्हे में ज़िंदगी जी लीये ताउम्र घुट घुट के मरना छोड़ दे है इल्म मुझको तुम नहीं हो मेरे ज़ख्मो से तू अब रिसना छोड़ दे महक जाती हूँ तेरे अल्फ़ाजो में किताबों मे खत रखना छोड़ दे जमी पर मुहब्बत जो सोई नहीं है साथ तारों के "मधु" जगना छोड़ दे परिचय :- मधु टाक निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आ...
हमकदम
कविता

हमकदम

मधु टाक इंदौर मध्य प्रदेश ******************** अंजान सफर में हमकदम ढूंढ लेती हूँ सात वचनो में सात जनम ढूंढ लेती हूँ हर शाम महक उठे तेरे ही तसव्वुर से इत्र सा ऐसा ही इक सनम ढूंढ लेती हूँ हज़ारों खंजर सीने में चुभे हुए लेकिन अपने ही ज़ख्मों में मरहम ढूंढ लेती हूँ कहींं है बंजर कहीं बने है महल शीशे के खुदा के लिखे में अपने करम ढूंढ लेती हूँ ज़िन्दगी की पगडंडी में अन्धेरे बहुत है हर एक से पार पाने का दम ढूंढ लेती हूँ न जमी पर ख़ुदा है न ही आसमान पर पत्थर में तेरे होने का भरम ढूंढ लेती हूँ तेरे दूर जाने की वजह भी मालुम मुझको तेरे इशारे पर "मधु" अपने कदम ढूंढ लेती हूँ परिचय :- मधु टाक निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच...
हिन्दी मेरी पहचान है
कविता

हिन्दी मेरी पहचान है

मधु टाक इंदौर मध्य प्रदेश ******************** हिन्दी सिर्फ भाषा नहीं हिन्दी मेरी पहचान है हिन्दी एक उँची उड़ान है सबकी आन और बान है ह्रदय में सबके रस घोल दे ऐसी मीठी जुबान है हिन्दी मेरी पहचान है हिन्द का अभिमान है राग द्वेष से अनजान है शब्द शब्द इसकी धरोहर अन्तरमन का कराती भान है हिन्दी मेरी पहचान है बंसी में छिपी तान है कर्मणता की पहचान है ईश्वर को भी नाज है जिस पर ऐसी पुनीत पावन है हिन्दी मेरी पहचान है अध्यात्म का सोपान है कृष्ण की मुस्कान है भावनाओं को जो करे उजागर कुदरत का दिया वरदान है हिन्दी सिर्फ भाषा नहीं हिन्दी मेरी पहचान है परिचय :- मधु टाक निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छाय...
आजादी का मतलब क्या है
कविता

आजादी का मतलब क्या है

मधु टाक इंदौर मध्य प्रदेश ******************** आओ ऐसा पर्व मनाए सरहद के सब भेद मिटाएं चाहत रहे न कोई बाकी उत्सव ऐसा आज मनाएं आओ ऐसा...... भाईचारे की गुहार लगाएं प्यार लुटाए हिंसा मिटाएं होगी शांति वैश्विक रूप से स्नेह का ऐसा ध्वज बनाएं आओ ऐसा................ उलझे रिश्तों के सुलझाएं पर्व ऐसा कुछ कर जाएं बैर भाव सब पीछे छूटे बीता सतयुग फिर आ जाएं आओ ऐसा पर्व मनाए आजादी के अर्थ बताए अहसास की तरंग लुटाए प्रेम प्रीत से तिरंगा लहराए ताना बाना इसका है पावन मिलकर इसका मान बढ़ाए आओ ऐसा............ नन्हा कलियों को महकाए बेटियों को है आगे बढ़ाए आजादी के अर्थ यही है अपना अपना धर्म निभाए आओ ऐसा पर्व............ नेक रास्ता सबको दिखाए अंधियारे मे दीपक बन जाए भटके राही को अपनाकर मार्ग दर्शक बन मुसकाए आओ ऐसा पर्व............ मिलकर आज शपथ उठाए कभी किसी ...
महिला दिवस
कविता

महिला दिवस

मधु टाक इंदौर मध्य प्रदेश ******************** "नारी रिश्तों की गरिमा है" मौन को जो शब्द दे सके ऐसी मुखरित वाणी है।। समूचे समंदर को एक बूंद में समाहित करना ही महिला दिवस की सार्थकता है नारी ईश्वर प्रदत्त एक नायाब तोहफ़ा है जगत नियंता द्वारा रचित नारी मात्र शब्द नहीं है झांसी की रानी लक्ष्मी बाई है नारी रानी पद्मनी के जौहर की पीड़ा है नारी राजपूताना गौरव पन्ना धाय है नारी असहाय देवकी की करूण गाथा है नारी नारी संसार है जगत जननी है नारी तीरथ है नारी मोक्ष है मैं इस मंच से यह विचार रखना चाहूँगी कि ईश्वर को भी धरा पर जब अवतरित होना होता है तो उसे भी नारी की कोख का सहारा लेना पड़ता है।। "आज महिला स्वविवेक से चुनौतियों को स्वीकार कर चौखट से चाँद तक जा पहुँची है" हर मौसम की बहार है नारी गुणों को बीच कचनार है नारी तन मन को जो कर दे शीतल मेघों से छलकी फुहार है नारी फूलो...
प्रेम का सौन्दर्य
कविता

प्रेम का सौन्दर्य

मधु टाक इंदौर मध्य प्रदेश ******************** रेत पर घरौंदा जब बनाओगे चंद सीपों से गहने जड़वाओगे प्रीत में तेरी राधा सी बनकर मन में जब संदल महकाओगे मैं मिलूंगी तुम्हें वहीं प्रिये.......... नागफनी में भी फूल खिलाओगे छूकर मुझे तुम राम बन जाओगे आशा के तुम ख्वाब सजाकर जब जब मुझसे प्रीत निभाओगे मैं मिलुंगी तुम्हें वहीं प्रिये...... कोयल की कूक सुनाओगेे भवरें सी मधुर गुंजार करोगे अमावस की अंधेरी रातों में जुगनू से रोशनी ले आओगे मैं मिलूँगी तुम्हें वहीं प्रिये ...... हरी चुड़ियाँ जब तुम लाओगे आस के हंस को मोती चुगाओगे सावन में लहराने लगा मन मेरा प्रणय के गीत जब तुम गाओगे मैं मिलुँगी तुम्हें वहीं प्रिये ......... जब जब भी तुम याद करोगे चाँदनी को चाँद से मिलाओगे गुनगुनाती हवाओं के साथ साथ अहसासो में जब मुझे सवांरोगे मैं मिलूँगी तुम्हें वहीं प्रिये ......... परिचय :-  मधु टाक निवासी : इं...
प्रेम का सौन्दर्य
कविता

प्रेम का सौन्दर्य

मधु टाक इंदौर मध्य प्रदेश ******************** प्रेम जज्बा है दिलों का मिलन है रूहो का कुछ पलों का आकर्षण नहीं गूढ़ता लिये है चाहतों का सीप में मोती का बनना बागों में कलियों का खिलना प्रेम की कोई सीमा नहीं मूरत में श्रद्धा की होना कृष्ण की मुस्कान है प्रेम राधा का देदीप्यमान है प्रेम प्रेम की कोई बंदिश नहीं मज़हब का इमान है प्रेम प्रेम पलकों पेे सजता है नयनो से झलकता है लबों पे तरन्नुम लिये बन रागिनी बज उठता है सुदामा का स्वाभिमान है आत्मा का अभिमान है सब विधाओं से अलग अध्यात्म का सोपान है मीरा की आन है द्रोपदी का सम्मान है भक्ति और शक्ति का सूचक सौन्दर्य का प्रतिमान है "मधु" से मधुर ध्यान है प्रेम माँ का दिया ग्यान है प्रेम आत्मा को परमात्मा से मिला दे पूजा का ऐसा विधान है प्रेम परिचय :-  मधु टाक निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्...
इन्तजार
ग़ज़ल

इन्तजार

मधु टाक इंदौर मध्य प्रदेश ******************** इन्तजार में तेरा आशियाँ बनाती रही दरवाजे पर यूँ बंदनवार लगाती रही लौट ही आयेगा दिल की जमी पर खुद को झूठी दिलासा दिलाती रही सूरत यार की दिल में सजा रखी है अपनी चाहत शिद्दत से निभाती रही इस बात का यकीन है तू नहीं मेरा तेरा ही नाम की मेंहदी रचाती रही मुहब्बत का अहसास ऐसे जताया जमी पर ही जन्नत दिखाती रही गुम हुई हूँ इस तरह विरानियो में दुनिया से खुद को ही छुपाती रही तुझे इल्म नहीं है मेरी मुहब्बत का तेरे अश्क़ मेरी आँखों से बहाती रही खुद में ही खुदा को पा लिया है "मधु" पत्थरों से ये झूठा रिश्ता निभाती रही परिचय :-  मधु टाक निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा स...
रहमत
ग़ज़ल

रहमत

मधु टाक इंदौर मध्य प्रदेश ******************** दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई बन कर खुशबू परिजात सी बिखर गई तेरी उल्फतों की जो रहमत हो गई है बूझते चिराग़ों में जैसे रोशनाई भर गई मुस्कुरा कर जो पूछ लिया हाले दिल तूने खारी आँखों में मीठी मुस्कान संवर गई हिज्र में संभल ना पाया था दिल मेरा उम्र मेरी फिर अश्कों में ही गुजर गई रूह मेरी बेशकीमती दास्तान बन गई जब लफ्ज़ बन तेरी ग़ज़लों में उतर गई दीदार में तेरे इक उम्र यूँ गुज़ार दी मैने राह तकती अहिल्या पत्थर में ठहर गई अश्क़ों के समंदर में खुद ही फना हो गई जल में जैसे मछली प्यासी ही मर गई चाहत मेरी क्यूँ आज अधुरी सी रह गई बीच हमारे"मधु"एक दूरी सी पसर गई परिचय :-  मधु टाक निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी...
इबादत
ग़ज़ल

इबादत

मधु टाक इंदौर मध्य प्रदेश ******************** तेरी खुशियों के हम तलबगार हो गये मुफ़लिसी में भी देखो खरीदार हो गये गुजरे जो कहीं से भी तू मेरे हमनवा चाँद सितारे देख खुद शर्मसार हो गये हवाओ ने जो की शरारत आँचल से जमी पर ही जन्नत के दीदार हो गये इश़्क जो इबादत है तो बंदिश कैसी क्यूँ हर कोई इश्क़ के पहरेदार हो गये छुड़ाकर जो दामन नजर से हो गये दूर हम अपनी ही वफाओ से बेकार हो गये सियासत में खेली मोहरे भी अजीब है कौम की ख़ातिर मासूम गद्दार हो गये उनके दिल में प्यार की शमा जली नहीं हम हैं कि आरज़ू की हदो से पार हो गये दिल के जज्बातों को लफ्जो की चाह नही हम उनकी खामोशी मे ही गिरफ्तार हो गये तेरी मोहब्बत में शबनमी आग सी है "मधु" करीब जो भी आये खुद ही अंगार हो गये परिचय :-  मधु टाक निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं ...
तकदीर
ग़ज़ल

तकदीर

मधु टाक इंदौर मध्य प्रदेश ******************** नज़रे इनायत हो तो तकदीर संवर जायेगी आँखों के आईने में ये सूरत निखर जायेगी इक दफा जो दूर से तू पुकार ले मुझको जिस्म से फना होती रूह भी ठहर जायेगी इस तरह से न देख शोख नजरों से मुझको मेरी सांसो की चलती रफ्तार सुधर जायेगी कभी तो पेश आ गुलों की तरह मेरे हमनवा संग तेरे खारों की चुभन भी ईश्क़ कर जायेगी जब भी रिश्तों का ताना बाना खुल जायेगा घर के आँगन में फिर उदासी भर जायेगी इन्तजार में तेरे खुद को काँधे पे लिये बैठी हूँ इश्क के इस अंजाम से मौत भी डर जायेगी दिल पर लगी हुई चोट भी यकीनन गहरी है तसव्वुर से तेरे "मधु" लम्हा लम्हा भर जायेगी . परिचय :-  मधु टाक निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानिया...
इश्क़ की पाकीज़गी
ग़ज़ल

इश्क़ की पाकीज़गी

मधु टाक इंदौर मध्य प्रदेश ******************** बिछड़ कर वो मुझे अभी भूले नही होंगे खतों को भी मेरे यूँ हीं जलाये नहीं होंगे इश्क़ की पाकीज़गी को न समझा कोई हीर रांझा के फिर अब किस्से नहीं होंगे ताउम्र गुजार दी है सितारों को गिनकर रात भर वो मेरी तरह जागते नहीं होंगे तस्सवुर से तेरे मुक्कदर की चादर बुनी गर्दिश में मेरे कभी यूँ सितारे नहीं होंगे दुआ रब से तुझे अब मंजिल मिल जाये तेरे कदमों के तले कभी छाले नहीं होंगे मिटा दे दिलों में जो रंजिशे मजहब की फिर कोई भी जमाने में पराये नहीं होंगे भंवरों सा तेरा हर फूल पर मचलना कैसा मोहब्बत के कभी सलीके सीखे नहीं होंगे शक के दायरे में इश्क़ पनप नही सकता बोई है नागफनी गुल वहाँ महके नहीं होंगे मुस्कुराहट वो जादू है जो दिलों को है जोड़ती सूखे दरख़्तों पे तो परिन्दे भी टिकते नहीं होंगे नदिया के सीने पर जो लहरों की है खामोशी अपने ही हिस्से के ...