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Tag: मईनुदीन कोहरी

अब की बार ऐसी हो दिवाली
कविता

अब की बार ऐसी हो दिवाली

मईनुदीन कोहरी बीकानेर (राजस्थान) ******************** अबकी बार मनाओ ऐसी दिवाली। गाँव-शहर में हो जाए खुशहाली।। प्रदूषण से हो जाए गलियाँ खाली। सब मिल कर मनाओ ऐसी दिवाली।। लक्ष्मी जी की पूजा करने वालों। भ्रूण हत्या रोकें ऐसी हो दिवाली।। शोषण से मुक्त हो जाएगी हर नारी। रावणवृति हम त्यागें ऐसी हो दिवाली।। बुराई को रोकें नैतिकता से नातां जोड़ें। राम-राज्य हम लाएं ऐसी हो दिवाली।। जातिवाद-साम्प्रदायिकता की जड़ काटें। मानवता का पाठ पढाएं ऐसी हो दिवाली।। पाखण्डी-लोगों व आतंक का हो अंत करें। 'नाचीज़" प्रेम-भाव हो ऐसी मनावें दिवाली।। परिचय :- मईनुदीन कोहरी उपनाम : नाचीज बीकानेरी निवासी - बीकानेर राजस्थान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्ष...
हिंदी मेरी भाषा
कविता

हिंदी मेरी भाषा

मईनुदीन कोहरी बीकानेर (राजस्थान) ******************** प्यारी - प्यारी सबसे न्यारी मेरी भाषा । हिंदी पर बिन्दी हिंदी प्यारी मेरी भाषा ।। देश - विदेशों मे है जिसका गुणगान । सब से अच्छी सबसे प्यारी मेरी भाषा ।। ज्ञान - विज्ञान का अखूट भण्डार है ये । इसलिए सब जन-जन पढते मेरी भाषा ।। हिंदी पढेगा गर भारत का बच्चा - बच्चा। सम्प्रेषण में भी उपयोगी होगी मेरी भाषा ।। खेल - सिनेमा जगत ने जिसको अपनाया । एकता का पाठ हमें पढ़ाने वाली मेरी भाषा ।। सब भाषाओं के संग जिसने मेल बिठाया । भाषायी-ज्ञान जन-जन तक लाई मेरी भाषा ।। राष्ट्र-भाषा का मान-सम्मान जिसको मिला । देव नागरी लिपि जिसकी वो वैज्ञानिक भाषा ।। सूफ़ी-संत - साहित्यकारों ने जिससे यश पाया । जाति, धर्म-पंथ सब के मुख शोभित मेरी भाषा ।। सविंधान ने जिस भाषा को गौरवान्वित किया । हिंदी दिवस के रुप में जिसे मनाते वो मेरी भाषा ।। ...
रक्षा बंधन
कविता

रक्षा बंधन

मईनुदीन कोहरी बीकानेर (राजस्थान) ******************** सदियों से रक्षाबंधन का पर्व जात-पांत से ऊपर उठकर पुनीत पर्व को मनाते हैं। राष्ट्रहित में समाज के हर वर्ग के लोग हिल मिल कर इस पर्व को मनाते हैं बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी का धागा बांध पवित्र पर्व मनाते हैं। भाई से ये कामना करती हैं संकट की घड़ी मे जब भी होती है बहन याद दिलाने को यह पर्व मनाते है। रक्षा भाई करेंगे, इतिहास गवाह है रानी कर्णावती ने हुमायूँ को राखी भेजी थी पर अपवाद साबित हुआ। बहन-भाई यह पर्व संकल्प के रूप में मनाते है। यह पर्व भाई बहन के पावन पवित्र बंधन को उनके प्यार को अक्षुण रखता है यह पर्व धागे को प्रतीक मान मनाते है। परिचय :- मईनुदीन कोहरी उपनाम : नाचीज बीकानेरी निवासी - बीकानेर राजस्थान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचि...
मेरा वतन हिन्दुस्तान
कविता

मेरा वतन हिन्दुस्तान

मईनुदीन कोहरी बीकानेर (राजस्थान) ******************** मेरा वतन - मेरा वतन प्यारा है हिन्दुस्तान सबसे प्यारा मेरा प्यारा वतन है हिन्दुस्तान गगन को छूले ऊँचा शिखर जहाँ हिमालय जहाँ से निकले नदियाँ वो मेरा हिन्दुस्तान उतर का बड़ा मैदान नदियों से है खुशहाल खाद्यान जहाँ निपजे वो वतन है हिन्दुस्तान विभिन्नता में भी एकता जहाँ नजर आती हो विभिन्न जाति धर्मो का प्यारा है हिन्दुस्तान काशमीर से केरल तक एकता का संचार पूर्व से पश्चिम एक सूत्र में बंधा हिन्दुस्तान एक संविधान की छत्रछाया में सवा अरब एक भाषा से जुड़ा मेरा प्यारा हिन्दुस्तान हिन्दु मुस्लिम सिक्ख ईसाई वतन के लाल इनकी ताकत से फले-फूले मेरा हिन्दुस्तान मेरे वतन की महक से महके दुनियाँ सारी 'नाचीज' तकदीर से तू जन्मा वो हिन्दुस्तान परिचय :- मईनुदीन कोहरी उपनाम : नाचीज बीकानेरी निवासी - बीकानेर राजस्थान घोषणा पत्र : म...
मेरी कलम
कविता

मेरी कलम

मईनुदीन कोहरी बीकानेर (राजस्थान) ******************** मेरी कलम दिखादे तू अपना कमाल । रोटी मुझे मिले सदा हक़ - ओ - हलाल ।। मेरी कलम बन जाए मज़लूम की आवाज़ । फिर हर तरफ सुनाई दे खुशियों के साज़ ।। मेरी कलम बन जाए सब जन की बफा । जुल्म जमाने से हो जाए रफा - दफा ।। जमाने मे मेरी कलम से हो जाए अमन । इंसानियत की खुशबू से महका करे चमन ।। मेरी कलम बन जाए अवाम की अज़ीज़ । फिर हक़ - ओ - बातिल की समझेंगे तमीज़।। 'नाचीज' झूठ - ओ - फरेब से सदा रह दूर । हर तरफ चमकता रहेगा तेरी क़लम का नूर ।। परिचय :- मईनुदीन कोहरी उपनाम : नाचीज बीकानेरी निवासी - बीकानेर राजस्थान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा स...
सावन का महीना
कविता

सावन का महीना

मईनुदीन कोहरी बीकानेर (राजस्थान) ******************** ये सावन का महीना ये चंचल जवानी । जा के शुरू करें, कहीं अपनी प्रेम कहानी ।। ये मन्द - मन्द मदमाती गगन में घनघोर घटाएं । दिल यूँ कहता है, जाके बसाएं कहीं प्रेम नगर रांनी ।। रिमझिम-रिमझिम सावन के बादल बरसा रहे हैं पानी। मुस्कानों की आंधी में छुप जाओ, मेरी बाहों में आकर रांनी ।। भीगी पलकें - भीगे गेसू गोरे मुख से टपक रहा पानी । चिलमन से पलकें गिराके, आहों की बाहों में आजा रांनी ।। चमक-चमक के बिजली चमके गालों पे गिर निहारे गोरी को पानी । सावन की भीनी भीनी-ठंडी ठंडी, हवाएं अठखेलियां आँचल से करे रानी ।। आंखों का काजल-होठों की लाली गिर के यूँ तडप जगा रहे । साजन से कहे सावन के बादल, दिल की प्यास बुझा लो संग रानी ।। परिचय :- मईनुदीन कोहरी उपनाम : नाचीज बीकानेरी निवासी - बीकानेर राजस्थान घोषणा पत्र : मैं यह...
जो आसमां को छूने के ख्वाब देखते हैं।
ग़ज़ल

जो आसमां को छूने के ख्वाब देखते हैं।

मईनुदीन कोहरी बीकानेर (राजस्थान) ******************** जो आसमां को छूने के ख्वाब देखते हैं। हम तो उन्हें दर-दर ठोकरें खाते देखते हैं।। हम तो सदा अपनी औकात में ही रहते हैं। क्योंकि हम तो ख्वाहिशें ही नहीं रखते हैं।। नजूमियों के चक्कर मे न पड़ मेरे दोस्त । हम तो मेहनत व दिमाग से काम करते हैं।। दुनियां में धन-दौलत की तो कमी नहीं । हम तो किस्मत के लिखे पर विश्वास रखते हैं।। "नाचीज़" हम मज़हब के घेरे से कोसों दूर हैं। हम तो सर्वधर्म-समभाव में विश्वास रखते हैं।। परिचय :- मईनुदीन कोहरी उपनाम : नाचीज बीकानेरी निवासी - बीकानेर राजस्थान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन...
हवा बहती जाए रे
गीत

हवा बहती जाए रे

मईनुदीन कोहरी बीकानेर (राजस्थान) ******************** मन्द-मन्द, ठंडी-ठंडी। हवा बहती जाए रे ... मन मन्दिर में मिलन की घण्टी बजती जाए रे ....! तेरे मन की भाषा को कब से पढ़ते-पढ़ते अब जुदाई को भी सहा नहीं जाए रे ......! मेरे मन की कलियां खिल-खिल जाए रे... उनकी प्यारी प्यारी यादें मन में बहती जाए रे........! कब तक तड़पाओगे प्रीत की डोरी से बांध के..... प्यार के मौसम में मिलन की प्यास बढ़ती जाए रे.........! प्रेम के सागर में मन की बातें करते-करते.... कल-कल यौवन की नदियां थर्र-थर्र मचलती जाए रे.....! मेरे मन का गीत कब सुनोगे तुम ... गाते-गाते आंसुओ से आंखें छलकी जाए रे.....! रूप सागर को कब आ कर निहारो-गे..... मेरे अल्हड़पन की अब तो मुस्कान थमती जाए रे.....! मुझे नैनों में बसा कर घूंघट के पट कब खोलोगे..... भरी गगरिया यौवन की अब छलकी जाए रे.......!!! परिचय ...
जिंदगी के लम्हें
कविता

जिंदगी के लम्हें

मईनुदीन कोहरी बीकानेर (राजस्थान) ******************** जिंदगी भी कितनी खूब सूरत है । जिंदगी के हर लम्हें को पहचान ।। जिंदगी तो मिली है जीने के लिए । जिओ ऐसे की पूरे हो सब अरमान ।। जिंदगी जीने से पहले करें एहतराम। जिंदगी जीने की अहमियत को जान।। जिंदगी जिओ, जिंदा दिली से जिओ । फक्र करे दुनियाँ जिंदगी की पहचान ।। सर उठाके जीना भी असल जीना है । नज़ीर बन जाए जिंदगी की आन-शान।। अपने लिए जिंदगी जिए तो क्या जिए । ग़ैरों की हिफाज़त कर मुठियों को तान ।। खुशी-गम भी जिंदगी के उतार-चढ़ाव हैं । जिंदगी के लम्हे-लम्हें से मिलता है ज्ञान ।। जिंदगी का हसीन तौहफा जिसने दिया है । दो घड़ी तो "नाचीज़" उसका लगाले ध्यान।। परिचय :- मईनुदीन कोहरी उपनाम : नाचीज बीकानेरी निवासी - बीकानेर राजस्थान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
मिलो तो तबीयत से
ग़ज़ल

मिलो तो तबीयत से

मईनुदीन कोहरी बीकानेर (राजस्थान) ******************** मिलो तो तबीयत से मिला करो। दिल खोल कर मुस्कराया करो।। कितने दिनों की है ये जिन्दगी। खुश होकर जिन्दगी जिया करो।। दिल से दिल मिला कर जीओ। मौज से जिन्दगी को जिया करो।। अपनों से जी भर मिला करो। हालचाल सबके पूछते रहा करो।। सदा प्रसन्नता से जिन्दगी जीओ। क्रोध से भी कोसों दूर रहा करो।। हम आपस में यूँ ही मिलते रहें। दुआ सबके लिए भी किया करो।। सुख-दुख का नाम ही है जिन्दगी। तालमेल से ही 'नाचीज' जिया करो।। परिचय :- मईनुदीन कोहरी उपनाम : नाचीज बीकानेरी निवासी - बीकानेर राजस्थान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी र...
माँ तुझे सलाम
कविता

माँ तुझे सलाम

मईनुदीन कोहरी बीकानेर (राजस्थान) ******************** माँ तुझे सलाम, माँ तुझे सलाम तेरे कदमों तले, जन्नत का मकाम माँ तुझे सलाम, माँ तुझे सलाम।। माँ तू है जननी, माँ तू है महान दुनियां करती है, तुझको सलाम माँ तुझे सलाम, माँ तुझे सलाम।। माँ तू धन्य है, माँ तू है महान् माँ तेरा ऋणी है, ये सारा जहांन माँ तुझे सलाम, माँ तुझे सलाम।। माँ तू पूजनीय है, तू स्मरणीय है माँ तेरा देवत्व रूप, तू वन्द्नीय है माँ तूझे सलाम, माँ तुझे सलाम।। माँ तेरे ममत्व में, तो असंख्य रूप हैं सृष्टि की जननी, माँ-सादर प्रणाम माँ तुझे सलाम, माँ तुझे सलाम।। परिचय :- मईनुदीन कोहरी उपनाम : नाचीज बीकानेरी निवासी - बीकानेर राजस्थान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के स...
भूख
कविता

भूख

मईनुदीन कोहरी बीकानेर (राजस्थान) ******************** भूख नहीं होती तो प्रगति भी नहीं होती पाषाण युग से लेकर अंतरिक्ष तक की यात्रा भी नहीं होती। तन-मन-धन की भूख सुख-चैन छीन लेती है राज की भूख पागल बना देती है भूख अदना से आला आला से अदना बना देती है। भूख आदमी की कमजोरी है भूख आदमी की आशा है भूख से पाप, अनाचार व भृष्टाचार बढ़ता है भूख धर्मात्मा को पापी बना देती है। भूख तो भूख ही है भूख सुख-सुख का संसार है भूख ऋषि मुनियों का ईमान डगमगा देती है। भूख से इंसान घर से बेघर दर-दर की ठोकरें खाए भूख इंसान को शैतान बनाए भूख इंसान को भगवान से मिलने की राह ले जाए। भूख न होती तो ये जीव-जगत ये सृष्टि भी न होती भूख इंसान की फितरत में है भूख से भीख-भोजन-भोग का रिश्ता है। मान-सम्मान-यश की भूख इंसान को याचक बनाती है जन्म से मृत्यु तक भूख भूख अंधी होती है भूख इंसान को भी अंधा बना देती है भूख तो भूख है। परिचय...
उजाला
कविता

उजाला

मईनुदीन कोहरी बीकानेर (राजस्थान) ******************** उजाले के लिए बचा कर रखना अपनत्व की बाती प्यार के तेल में सींच कर, फिर स्नेह का उजाला करना। बुराई की आंधी बुझा ना पाए किसी के दिल का दिया प्यार के आंसुओं से, फिर अंधेरे में उजाला करना। बचपन और जवानी उतार-चढ़ाव की है कहानी इसे सहज कर रखना किसी गरीब की अभिलाषा में, फिर उम्मीद का उजाला करना।। नफरत के इस दौर में घर में भी डर लगता है कोलाहल से भरी हवाओं में प्रदूषण को पर्यावरण में बदलने, फिर आशा की किरण से उजाला करना। वैष्विक महामारी के वायरस को अलविदा करने की मुहिम में सवा करोड़ देशवासियों मुश्किल की घड़ी में, फिर हौसलों के चिराग से उजाला करना। परिचय :- मईनुदीन कोहरी उपनाम : नाचीज बीकानेरी निवासी - बीकानेर राजस्थान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहान...
अबकी बार होली ऐसे
कविता

अबकी बार होली ऐसे

मईनुदीन कोहरी बीकानेर (राजस्थान) ******************** इन आस्था की लकड़ियों से वर्षों से जलती आई है होली सच भी है ,और सचाई भी है लकड़ियां जल राख हो जाती है। कब तक लकड़ियां जलाएंगे जंगल भी उदास हो जाएंगे संकल्प लें,वृक्ष अबकी नहीं काटेंगे अब तो प्रतीकात्मक होली मनाएंगे। हमारे मन का कल्मष जलाएं। अबकी बार होली ऐसे मनाएं।। वर्षों से खेल रहे हैं पानी से हम होली न जाने कितना पानी व्यर्थ ही कर देते हैं। पानी की एक-एक बूंद से किसी की जान बच सकती है इस बार हम होली ऐसे खेलें एक - एक बूंद पानी बचाएं। पानी की हम कीमत जाने। अबकी बार होली ऐसे मनाएं।। भौतिकता की दौड़ में पीछे छूट रहे हैं रिश्ते रिश्तों में आई कड़वाहट को आपसी सद्भाव से बचाएं। स्नेह की गुलाल लगा कर आपसी बैर भाव को भुलाएं समाज में बढ़ते तमस को आपसी प्रेम की ज्योत से हटाएं। अपनों के इत्र की खुशबू लगा। अबकी बार होली ऐसे मनाएं।। सत्य का बोलबाला हो...
माँ की दुआएं
ग़ज़ल

माँ की दुआएं

मईनुदीन कोहरी बीकानेर (राजस्थान) ******************** घर से सफर करने निकलना हो। माँ को जहन में रख निकला करो। विघ्न कभी ना आएंगे जिंदगी में। माँ की दुआएं ले विदा हुआ करो।। किस्मत से अगर माँ हम को है नसीब। सोते उठते माँ की जियारत किया करो।। माँ को धन-दौलत की नहीं है तलब। माँ खुश है, माँ को माँ कह पुकारा करो। जन्नत खुद-बा-खुद माँ के कदमों में है। ये मौका "नाचीज" कभी छोड़ा ना करो।। परिचय :- मईनुदीन कोहरी उपनाम : नाचीज बीकानेरी निवासी - बीकानेर राजस्थान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी मे...
बेटियाँ
कविता

बेटियाँ

मईनुदीन कोहरी बीकानेर (राजस्थान) ******************** जिस आँगन में जन्मी खेली - पली - पढ़ी बेटियाँ उस आँगन को छोड़ दूजै आँगन से समझोता कर लेती है प्यारी बेटियाँ माँ - बाप के लाड - प्यार सौ सुखों को त्याग कर अपनों की आँखों में आँसू अपनों से विदाई का पल बाबुल के घर से जाती बेटियाँ सपने में भी नहीं देखा कभी वो घर, दीवार -ओ- दर कभी सब कुछ नया ही नया वहाँ उस घर को भी अंगीकार दिल से कर लेती है बेटियाँ नये रिश्तों की राह पर आहिस्ता-आहिस्ता कदम रख मन को समझा नये संसार में स्नेह रूपी डोर में बाँध कर अपने जीवन को संवारती बेटियाँ पढ़ी -लिखी बेटी अपने संस्कार से घर -परिवार -समाज को संवारती बेटी बचाओ अभियान को भी घर - घर की आवाज बना कर अक्षरशः जीवन में उतारती बेटियाँ परिचय :- मईनुदीन कोहरी उपनाम : नाचीज बीकानेरी निवासी - बीकानेर राजस्थान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेर...
युवा शक्ति जागो रे
गीत

युवा शक्ति जागो रे

मईनुदीन कोहरी बीकानेर (राजस्थान) ******************** जागो-जागो, जागो रे जागो सेवा का हथियार हाथ में "मुझको नही तुझको" के नारे से दुखियों के दुःख-दर्द को मिटाना है ........ जागो ....! पर, पीड़ा को मिल मिटाएंगे एक दूजै के सहारे से आगे बढ़ना है कष्ट ना पाए कोई दुखियारा आओ अपने हाथों से देश बनाना है। जागो रे....! बच्चा-बच्चा समझे अपनी जिम्मेदारी गाँव-गली में अनपढ़ रहे न कोई शिक्षा की अलख जगाने को आओ मिलकर ज्योत से ज्योत जलाना है। जागो रे ...! जन-जन को राष्ट्र हित में आना है कुरीतियों को मिल जड़ से मिटाना है विकाश की गंगा बहाने की खातिर बस्ती-बस्ती सेवा की अलख जगाना है। जागो रे ...! अपनी ताकत को तुम पहचानों आओ सेवा की मशाल जलाएं युवा-शक्ति के हाथों देश बदलने "नाचीज़" युवा-युवतियों को जगाना है। जागो रे ....!!! "मुझको नही तुझको" के नारे से दुखियों के दुःख-दर्द को मिटाना है जागो रे ....!!! परिचय :-...
किसान
कविता

किसान

मईनुदीन कोहरी बीकानेर (राजस्थान) ******************** दुनियाँ का जो पेट भरता। वो सच्चा सेवक किसान है।। सरदी-गरमी को जो सहता। वो भारत का किसान है।। उसकी मेहनत रंग लाती। जब खेत मे होता धान है।। बिजली-पानी की कमी से। हताश हो जाता किसान है।। कभी सुका कभी ओला। मुश्किल मे रह्ता किसान है।। कष्ट सह-सह श्रम करता। सच्चा देश भक्त किसान है।। कर्ज तले जब दब जाता। खुद भूखा सोता किसान है।। पुरे मिलते नही फसल के दाम। मजबूरन संघर्ष करता किसान।। परिचय :- मईनुदीन कोहरी उपनाम : नाचीज बीकानेरी निवासी - बीकानेर राजस्थान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशि...
चूहा
बाल कविताएं

चूहा

मईनुदीन कोहरी बीकानेर (राजस्थान) ******************** लुकते-छिपते धीरे धीरे । बार-बार आता चूहा ।। कपड़ों के अंदर घुस जाता। कुतर-कुतर करता चूहा।। जब तक नहीं पकड़ा जाता। धमा चौकड़ी करता चूहा।। चुन्नू - मुन्नू भागे-दौड़े । आंखें मटका डराता चूहा।। दादी कहती पिंजरा लाओ। तब जाकर मानेगा चूहा।। परिचय :- मईनुदीन कोहरी उपनाम : नाचीज बीकानेरी निवासी - बीकानेर राजस्थान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमार...