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Tag: बृज गोयल

हथेली पर उगा चांद
कहानी

हथेली पर उगा चांद

बृज गोयल मवाना रोड, (मेरठ) ******************** अभी मुनीम जी आकर बता गए हैं मांजी, ८ लाख में बाग का सौदा हो गया है। मधु ने मुझे सूचना दी। बहू अभी पिछले दिनों जो बाग बिका था, वह कितने में गया था? मांजी वह तो सस्ता ही हाथ से निकल गया था, सिर्फ ३ लाख में सौदा हो गया था, लेकिन मांजी जो बाग अगले साल के लिए तैयार हो रहे हैं, वह १५-२० लाख से कम देकर नहीं जाएंगे। -हां मधु वह जो काला जामुनी वाला बाग है उसके आमों के तो क्या कहने… खाओ तो बस खाते ही जाओ, भगवान की बड़ी मेहरबानी है कि सारे पेड़ एकदम मीठे हैं। मां बोलती चली जा रही थी, उन्हें यह भी ख्याल नहीं रहा कि अब वह अकेली बैठी हैं मधु जा चुकी है। नन्ही रमिया से बड़ी मांजी का सफर जैसे तैर कर उनकी आंखों में आ गया। जल्दी-जल्दी बड़े-बड़े डग रखती रमिया उड़कर कर अपने रघुआ के पास पहुंच जाना चाहती थी जहां झोपड़ी के बाहर बैठा नन्हा रघुआ बेसब्री से ...
पांच पांडवनी
कहानी

पांच पांडवनी

बृज गोयल मवाना रोड, (मेरठ) ******************** मई, जून की गर्मी से कुछ दिन बचने के लिए नैनीताल का प्रोग्राम बना लिया। सारी तैयारी करके चल दिए। हल्द्वानी पहुंचते ही राहत सी महसूस होने लगी थी। पर काठगोदाम आते ही दिल्ली की गर्मी बिल्कुल धुल गई थी। ठंडी हवा के झोंके गालों को थपथपाने लगे थे और गर्मी की वजह से कसकर बँधे बाल खुलकर लहराने को मचलने लगे थे। जगह-जगह भुट्टों की सोंधी गंध रुकने का संकेत कर रही थी। प्रकृति का अनुपम सौंदर्य चारों तरफ बिखरा पड़ा था। जिसे कैमरे में कैद करने के लिए मैं और प्रभात जगह-जगह रुकते हुए आगे बढ़ रहे थे। नैनीताल पहुंचते ही स्वर्ग जैसी अनुभूति होने लगी। हम जाकर शांत, निश्चल, नौकाएं सजी झील के किनारे बैठ गए.. जहां चारों तरफ पर्वत सर उठाए खड़े थे। उन पर काले बादल अठखेलियाँ करते से प्रतीत हो रहे थे। चारों तरफ भव्य होटल अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे। स्नो व्यू जाने ...