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जगतगुरू आदि शंकराचार्य
कविता

जगतगुरू आदि शंकराचार्य

बिसे लाल खड़गवां (छत्तीसगढ़) ******************** धर्म और संप्रदाय पर जब था अंधकार का साया, तब केरल के कालडी़ मैं जन्मे महान संत। ८ वर्ष की उम्र में सन्यासी बने सबको दिया ज्ञान, कई ग्रंथ रचकर दिया सबको परम ज्ञान। सनातन धर्म स्थापित किया, अद्वैत चिंतन को पुनर्जीवित करके सनातन हिंदू धर्म का निर्माण किया। बिखरे भारतवर्ष को अध्यात्म मार्ग पर जोड़ा, पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण को चार मठों में जोड़ा। कई ग्रंथ लिखकर समाज को जागृत किया, सभी को अद्वैत वेदांत का दर्शन कराया। कम आयु में महान कार्य किए, धर्म सनातन का उत्थान किया। धन्य हुई धरती धन्य हुआ भारतवर्ष, भारतवासी कृतार्थ हूँ। परिचय :- बिसे लाल सम्प्रति : सहायक शिक्षक शासकीय प्राथमिक शाला मेंड्रा विकासखंड खड़गवां निवासी : खड़गवां जिला कोरिया (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं म...
नशा मुक्त हो देश हमारा
कविता

नशा मुक्त हो देश हमारा

बिसे लाल खड़गवां (छत्तीसगढ़) ******************** सुन मेरे भाई अब समझ ले बेहतर समझ ले, नशा नाश की जड़ है नशे से तन होता खराब मन होता खराब। नशे से जब खराब होगी तेरी जिंदगी तो जिंदगी का बोझ उठाने के लिए दर-दर भटकेगा, कोई नहीं देगा तेरा साथ अकेले हो जाएगा इस जहां में। नशे में पड़ कर तू घर बेचेगा जमीन बेचेगा आखिर में घर की थाली तक बेच देगा, नशे से तुम्हारा परिवार बिखर जाएगा। नशे से तुम्हारी जिंदगी अंधकारमय हो जाएगी अपने आप को जिंदगी के अंधेरों में आखिर में खोजते रह जाओगे। तुम्हारे साथ तुम्हारे दोस्त सब आगे बढ़ जाएंगे, नशा में पड़कर अपना जीवन बर्बाद कर डालोग। ऐ इंसान अपने परिवार लिए जी नशा छोड़ दे अभी के अभी, तू नशा छोड़ेगा तेरा परिवार तुमको फिर मिल जाएगा। मान मेरा कहना नहीं तो पछतायेगा, सोने जैसे शरीर मिट्टी सामान बन जाएगा। आओ सब मिलकर हम कोशिश करें, हमारे आने वाली पीढ़ी कुछ कर सके। तो हम सब हम...