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Tag: बाबा बुद्धेश्वर शुक्ल

छोड़ दिया है
कविता

छोड़ दिया है

********** बाबा बुद्धेश्वर शुक्ल गोपालगंज (बिहार) दर्द सीने का पैसों से दबा कर छोड़ दिया है, मशीन आदमी को बना कर छोड़ दिया है। चमक है पर महक नहीं बनावट के इस कलाकारी में, नये घर में नई झालर सजा के छोड़ दिया है। चुनावी पान भी गजब का लाल कर जाती है, अभी जनता को बस चुना लगा कर छोड़ दिया है। तलब लगा जो भवँरा को बगीचा घूम कर आया, जरूरत के थे रिश्ते सभी निभाकर छोड़ दिया है। अब तो रिश्वत का ही है बोलबाला इस दुनिया में, मंदिर में भगवान को भी पैसा चढ़ाकर छोड़ दिया है। दर्द सीने का पैसों से दबा कर छोड़ दिया है, मशीन आदमी को बना कर छोड़ दिया है। लेखक परिचय :-  नाम :- बाबा बुद्धेश्वर शुक्ल संप्रति :- लेखन में रुचि है, समाज के लिए एक ऊर्जावान लेखक है। निवासी :- नरहवाँ शुक्ल - गोपालगंज (बिहार) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते ह...