नारी तू नारायणी
प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
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नारी तू नारायणी, है दुर्गा का रूप।
रमा, उमा, माँ शारदे, में तेरी ही धूप।।
नारी तू नारायणी, ज्ञान, चेतना, मान।
जिस गृह रहती तू वहाँ, पलता नित उत्थान।।
नारी तू नारायणी, जीवन का है सार।
तेरे कारण ही मिला, जग को यह उजियार।।
नारी तू नारायणी, है सुर, लय अरु ताल।
गहन तिमिर हारा सदा, काटे तू सब जाल।।
नारी तू नारायणी, तू हर पल अभिराम।
तू धन, विद्या, नूर है, तू है मीठी शाम।।
नारी तू नारायणी, गरिमा तेरे संग।
खुशियों का उत्कर्ष तू, तेरे अनगिन रंग।।
नारी तू नारायणी, रोते को है हास।
मायूसी में तू रचे, जगमग करती आस।।
नारी तू उर्जामयी, नारी तू तो ताप।
तेरे गुण, देवत्व को, कौन सका है माप।।
नारी तू नारायणी, ममतामय हर रोम।
करुणामय, शालीन है, ऊँची जैसे व्योम।।
नारी तू नारायणी, कभी न माने हार।
साहस तेरा...