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Tag: प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे

हे! गिरिधर गोपाल
गीत

हे! गिरिधर गोपाल

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** हे! गिरिधारी नंदलाल, तुम कलियुग में आ जाओ।। राधारानी को सँग लेकर, अमर प्रेम दिखलाओ।। प्रेम आजअभिशाप हो रहा, बढ़ता नित संताप है। भटकावों का राज हो गया, विहँस रहा अब पाप है।। प्रेम, प्रीति की गरिमा लौटे, अंतस में बस जाओ।। राधारानी को सँग लेकर, अमर प्रेम दिखलाओ।। अंधकार की बन आई है, बेवफ़ाओं की महफिल। शकुनि फेंक रहा नित पाँसे, व्याकुल हैं सच्चे दिल।। अब राधाएँ डरी हुई हैं, बंशी मधुर बजाओ। राधारानी को सँग लेकर, अमर प्रेम दिखलाओ।। आशाएँ तो रोज़ सिसकतीं, पीड़ा का मेला है। कहने को है प्यार यहाँ पर, हर दिल आज अकेला है।। प्रीति-नेह को अर्थ दिलाने, मंगलगान सुनाओ। राधारानी को सँग लेकर, अमर प्रेम दिखलाओ।। गौमाता की हुई दुर्दशा, भटक रहीं राहों में। दूध-दही, जंगल, नदियाँ, गिरि, बिलख रहे आहों में। आकर अब तो प्रक...
भाई के अरमान हैं
गीत

भाई के अरमान हैं

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** नेह मंगलमय हुआ है, राखियाँ शुभगान हैं। दे रहीं बहनें दुआएँ, भाई के अरमान हैं।। हो गया मौसम सुनहरा, चेतना उल्लास में। आन रिश्तों को मिली है, पर्व है विश्वास में।। आ रहा है याद बचपन, आ रहा सब ध्यान में। दे रहीं बहनें दुआएँ, भाई के अरमान हैं।। प्रीति हर्षित हो रही है, रीति है नव आस में। नीतियाँ संदेश देतीँ, धर्म है अहसास में।। भावनाएंँ हैं चरम पर, दिव्यता सम्मान में। दे रहीं बहनें दुआएँ, भाई के अरमान हैं।। पल बड़े भावुक हैं आये, प्रेम पर अति वेग में। सूत के बदले सुरक्षा, मिल रही है नेग में।। बंध ऐसा बँध गया जो, जा बँधा है आन में। दे रहीं बहनें दुआएँ, भाई के अरमान हैं।। डाक ने तो साथ देकर, मार दीं सब दूरियाँ। नेह पर हावी नहीं हैं, आज तो मजबूरियाँ।। है समर्पण और निष्ठा, आज हर अनुमान में। दे रहीं बहनें...
राखी में तो प्रीति है
दोहा

राखी में तो प्रीति है

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** राखी में तो प्रीति है, सच्चाई का गीत। बहना-भाई हर्ष में, पावनता की जीत।। नेह निष्कपट भावना, मंगलमय सम्बंध। फैली है चहुँओर अब, मलयानिली सुगंध।। राखी तो सुधिगान है, बचपन की हर याद। कर रहता खाली अगर, भाई को अवसाद।। बहना-भाई दूर यदि, डाक निभाती साथ। शोभित होते हैं सदा, क़िस्मत वाले हाथ।। युगों-युगों से चल रहा, संस्कारों का पर्व। कौन नहीं जो चेतना, पर करता नहिं गर्व।। नहीं सहोदर देश में, पर आया संदेश। बहना के आशीष ने, दूर किया है क्लेश।। दुनिया की सब दौलतें, खो देतीं है मोल। जब भी राखी बोलती, अधर खोल दो बोल।। राखी रक्षा का वचन, प्रेम और विश्वास। दुआ, कामना, भावना, दृढ़ता वाली आस।। धर्म कहे रिश्ता सदा, रहे निभाता रीति। सूत कहे मैं हूँ लिए, शुभता की नव नीति।। सभी दिशाओं ने किया, राखी का यशगान...
हे औघड़दानी
दोहा

हे औघड़दानी

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** औघड़दानी, हे त्रिपुरारी, तुम प्रामाणिक स्वमेव । पशुपति हो तुम, करुणा मूरत, हे देवों के देव।। श्रावण में जिसने भी पूजा, उसने तुमको पाया। पूजन से यह मौसम भूषित, शुभ-मंगल है आया।। कार्तिके़य, गजानन आये, बनकर पुत्र तुम्हारे। संतों, देवों ने सुख पाया, भक्त करें जयकारे।। आदिपुरुष तुम, पूरणकर्ता, शिव, शंकर महादेव। नंदीश्वर तुम, एकलिंग तुम, हो देवों के देव ।। तुम फलदायी, सबके स्वामी, तुम हो दयानिधान। जीवन महके हर पल मेरा, दो ऐसा वरदान।। कष्ट निवारण सबके करते, तुम हो श्री गौरीश। देते हो भक्तों को हरदम, तुम तो नित आशीष।। तुम हो स्वामी, अंतर्यामी, केशों में है गंगा। ध्यान धरा जिसने भी स्वामी, उसका मन हो चंगा।। तुम अविनाशी, काम के हंता, हर संकट हर लेव। भोलेबाबा, करूं वंदना, हे देवों के देव।। तुम त्रिप...
सुरक्षा-संदेश
दोहा

सुरक्षा-संदेश

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** बढ़ती जब जनसंख्या, बढ़ता है तब भार। हो जाती हर योजना, तब निश्चित बेकार।। बढ़ता है जन भार जब, दुख पाता परिवार। सभी तरह से देश में, फैले तब अँधियार।। दोपहिया पर बैठ जब, एक साथ परिवार। कहे सुरक्षा आ रहा, दुर्घटना का वार।। ध्यान रखें जो वे रहें, सड़कों पर अनुकूल। बिना कायदे जो रहें, चुभते उनको शूल।। सड़कों पर खिलवाड़ तो, लेती जीवन लील। बहुत कीमती ज़िन्दगी, करो ज़रा तुम फील।। लापरवाही त्याग दो, वरना तय है काल। होगा तुमको हर कदम, वरना "शरद" मलाल।। नियम सदा हित को रचें, उन्हें मान नहिं व्यर्थ। डरो रोड कानून से, समझो उसका अर्थ।। मन में धरकर जोश तुम, गँवा न देना होश। वरना विधि या मौत तो, भर लेंगी आगोश।। होगा जब सीमित यहाँ, हर इक का परिवार। तभी प्रखर प्रतिकूलता, का होगा संहार।। दोपहिया की नहिं अ...
जम के बरसो बदरा
दोहा

जम के बरसो बदरा

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** जल की पहली बूँद ने, गाया मंगल गीत। कृषकों की तो बन गई, वर्षा अब मनमीत।। जमकर बरसो आज तुम, ऐ बदरा मनमीत। धरती के दिल को अभी, लो तुम प्रियवर जीत।। बचपन की बारिश सुखद, बेहद तब उल्लास। खुशबू मिट्टी की भली, सोंधेपन का वास।।। पहली बारिश जब हुई, हरियाली का दौर। आसमान के मेघ पर, किया सभी ने गौर।। खुशी दे रही है वृहद, हमको तो बरसात। मिट्टी को तो मिल गई, एक नवल सौगात।। बचपन की यादें घिरीं, मन हो गया अतीत। नहीं आज परिवेश वह, नहीं आज वे मीत।। पानी से जीवन मिला, बूँदें हैं वरदान। करता है यह नीर तो, खेतों का सम्मान।। नदी भरी,तालाब भी, मौसम है अनुकूल। दूर हो गए आज तो, गर्मी के सब शूल।। बारिश से ही गति मिले, पीने को है नीर। जल की बूँदों ने हरी, आज सभी की पीर।। परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे जन्म : २...
नशामुक्ति पर दोहे
दोहा

नशामुक्ति पर दोहे

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** करता नशा विनाश है, समझ लीजिए शाप। ख़ुद आमंत्रित कर रहे, आप आज अभिशाप।। नशा बड़ी इक पीर है, लिए अनेकों रोग। फिर भी उसको भोगते, देखो मूरख लोग।। नशा करे अवसान नित, जीवन का है अंत। फिर भी उससे हैं जुड़े, पढ़े-लिखे औ' संत।। मत खोना तुम ज़िन्दगी, जीवन सुख का योग । मदिरा, जर्दा को समझ, खड़े सामने रोग।। नशा मौत का स्वर समझ, जाग अभी तू जाग। कब तक गायेगा युँ ही, तू अविवेकी राग।। नशा आर्थिक क्षति करे, तन-मन का संहार। सँभल जाइए आप सब, वरना है अँधियार।। नशा लीलता हर खुशी, मारे सब आनंद। आप कसम ले लीजिए, नशा करेंगे बंद।। नशा नरक का द्वार है, खोलो बंदे नैन। वरना तुम पछताओगे, खोकर सारा चैन।। नशा मारकर चेतना, लाता है अविवेक। नशा धारता है नहीं, कभी इरादे नेक।। नशा व्याधि है, लत बुरी, नशा असंगत रोग। तन-म...
योग भगाये रोग
दोहा

योग भगाये रोग

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** योग भगाता रोग है, काया हो आदित्य। स्वास्थ्य रहे हरदम खरा, मिले ताज़गी नित्य।। योग कला है, ज्ञान है, ऋषियों का संदेश। तन-मन की हर पीर को, करे दूर, हर क्लेश।। योग साधना मानकर, पाते हम बल-वेग। गति-मति में हो श्रेष्ठता, मिले खुशी का नेग।। दीर्घ आयु मिलती सदा, अपनाते जो ध्यान। योग करो, ताक़त गहो, पाओ नित सम्मान।। योग कह रहा नित्य यह, लेना शाकाहार। तभी मिलेगा हर कदम, जीवन में उजियार।। भारत चिंतन में प्रखर, देता उर-आलोक। योग-ध्यान से बंधुवर, पास न आता शोक।। योग दिवस मंगल रचे, अखिल विश्व में मान। योगासन हर मुद्रा, पाती है यशगान।। योग साधना दिव्य है, रामदेव जी संत। जिन ने भारत से किया, सकल रुग्णता अंत।। योग नया विश्वास है, चोखी है इक आस। जो जीवन-आनंद दे, रचे नया मधुमास।। योग-ध्यान से नेह कर, गा...
नेता और कुर्सी
दोहा

नेता और कुर्सी

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** नेता कुर्सी पर लदा, सुख का करता भोग। नेता जन के तंत्र का, बहुत बड़ा है रोग।। नेता से वादे झरें, बाहर आता झूठ। खड़ा हुआ है नीति का, केवल अब तो ठूँठ।। नेता नाटक नित करे, बने संत का बाप। छिनती कुर्सी तब "शरद", छिन जाता सब ताप।। नेता लोभी, स्वार्थमय, कपटी अरु चालाक। नहीं कभी चिंता करे, कट जाए यदि नाक।। नेता होता निम्न नित, नहीं कभी परवाह। नेता की करनी सुनो, तो निकलेगी आह।। नेता पापों से घिरा, घोटालों में मस्त। राजनीति तो हो गई, उससे अब तो पस्त।। नेता करे प्रपंच नित, पाने को नित वोट। जनहित पर नित मारता, बिन सोचे ही चोट।। नेता तो अभिशाप है, नेता नित्य कलंक। मार रहा जनतंत्र पर, जो धीरे से डंक।। परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे जन्म : २५-०९-१९६१ निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश) शिक्षा : एम.ए (इतिहा...
प्रेम
गीत

प्रेम

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** गुज़ारें प्रेम से जीवन, नफ़रती सोच को छोड़ें। हम अपने सोच की शैली अभी से, आज से मोड़ें।। अँधियारे को रोककर, सद्भावों का गान करें। मानव बनकर मानवता का नित ही हम सम्मान करें।। अपनेपन की बाँहें डालें, नव चेतन मुस्काए। दुनिया में बस अच्छे लोगों को ही हम अपनाएँ।। जो दीवारें खड़ी बीच में आज गिरा दें। अपने जीवन की शैली को आज फिरा दें।। लड़ें नहिं,मत ही झगड़ें, कुछ भी नहीं मिलेगा। किंचित नहीं नेह के आँगन में फिर फूल खिलेगा।। देखें हम पीछे मुड़कर के, क्या-क्या नहीं गँवाया। तुमने नहिं, नहिं मैंने लड़कर कुछ भी तो है पाया ।। जो फैलाती हैं कटुता ताक़तें, उनको तो छोड़ें।। गुज़ारें प्रेम से जीवन, नफ़रती सोच को छोड़ें। हम अपने सोच की शैली अभी से, आज से मोड़ें।। परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे जन्म : ...
पहले मतदान … फिर जलपान
छंद

पहले मतदान … फिर जलपान

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** सरसी छन्द **** देखो तो चुनाव है आया, करें सभी मतदान। पहले अपना कर्म निभाएँ, फिर ही हो जलपान।। ******* अब चुनाव तो पावन आया, जाएँ सब ही जाग। रखना सबको वोटिँग के प्रति, सतत गहन अनुराग।। ********* निर्वाचन का शंख बजा है, बेशक़ीमती वोट। अपना कर्म नहीं कर पाए, तो ख़ुद पर ही चोट।। *********** चलो उठो सबको है जाना, बुला रहा मतदान। अपना वोट सही को देंगे, करें पूर्ण अरमान।। ******** सबको ही तो फर्ज़ निभाना, लेकर के उल्लास। तभी सभी की निश्चित होगी, मन की पूरी आस।। ******** मम्मी-पापा को करना है, अब की फिर मतदान। दर्ज़ हो गए जो सूची में, उनका हो जयगान।। ********* युवा,प्रौढ़ सारे नर-नारी, करें सुपावन कर्म। लोकतंत्र ताक़त पायेगा, वोट बना है धर्म।। ******* आलस्य को सारे ही त्यागें, बूथ नहीं है दूर। शत-प्रतिशत ...
भगवान परशुराम
कविता

भगवान परशुराम

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** भगवान परशुराम का अवतार सत्य से आप्लावित था। अनीति, अधर्म को ख़त्म करने के संकल्प से प्रेरित था।। त्याग, तपस्या, संघर्ष उनके जीवन की सुखद कहानी है। महकती-मुस्कराती हुई एक सुपावन ज़िन्दगानी है।। हमें सिखाया कि धर्म से ही सदा मनुष्यता का श्रृंगार होता है। जो अनीति के पथ चलता वह आजीवन सिसकता-रोता है।। हमें बताया कि शास्त्रों ने ही तो हमें नित जीना सिखाया है। शिवत्व धारण करने हमको शास्त्रों ने गरल पीना सिखाया है।। हमें बताया कि शस्त्र उठाकर अन्याय का प्रतिकार करना है। बनकर परशुराम जैसा ही आततायियों का संहार करना है।। सनातनी ध्वज लेकर हमको तो सकल विश्व को जगाना है। जन-जन के हृदय मंगलभाव फिर आज फिर से लाना है।। हमें, वेद-पुराणों को जगाना, और धनुष-बाण सजाना है। हमें, कृष्ण बनना और अर्जुन भी ख़ुद को ही बन...
श्रमिकों की वंदना
कविता

श्रमिकों की वंदना

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** श्रमिकों का नित ही है वंदन, जिनसे उजियारा है। श्रम करने वालों से देखो, पर्वत भी हारा है।। खींच रहे हैं भारी बोझा, पर बिल्कुल ना हारे। ठिलिया, रिक्शा जिनकी रोज़ी, वे ही नित्य सहारे।। मेहनत की खाते हैं हरदम, धनिकों पर धिक्कारा है। श्रम करने वालों से देखो, पर्वत भी हारा है।। खेत और खलिहानों में जो, राष्ट्रप्रगति के वाहक । अन्न उगाते, स्वेद बहाते, जो सचमुच फलदायक ।। श्रम के आगे सभी पराजित, श्रम का जयकारा है। श्रम करने वालों से देखो, पर्वत भी हारा है।। सड़कों, पाँतों, जलयानों को, जिन ने नित्य सँवारा। यंत्रों के आधार बने जो, हर बाधा को मारा।। संघर्षों की आँधी खेले, साहस जिन पर वारा है। श्रम करने वालों से देखो, पर्वत भी हारा है।। ऊँचे भवनों की नींवें जो,उ त्पादन जिनसे है। हर गाड़ी, मोबाइल में जो, अभिवादन ...
श्रीरामजी पर रोला
रोला

श्रीरामजी पर रोला

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** (१) महाशक्ति है दिव्य, रामजी जो कहलाते। हर पल ही जो भव्य, भक्त जिनको हैं भाते।। प्रभुवर रखते ताप, सभी के दुख हैं हरते। महिमा का विस्तार, पुष्प गरिमा के झरते।। (२) महाशक्ति है दिव्य, रामजी की है माया। करना प्रभु उद्धार, बोझ यह नश्वर काया।। तुम तो दीनानाथ, तुम्हीं हो सबके स्वामी। मैं तो नित्य अबोध, दुर्गुणी, अति खल, कामी।। (३) महाशक्ति है दिव्य, हृदय में सबके रहते। बनकर के उपहार, भक्ति में नित ही बहते।। यह जीवन अभिशाप, दुखों ने डाला डेरा। हे मेरे प्रभु राम !, मुझे पापों ने घेरा।। (४) महाशक्ति है दिव्य, उसी ने जगत बनाया। कहीं रची है धूप, कहीं पर शीतल छाया।। बाँटा है उजियार, रचा है मानवता को। लेकर के अवतार, मारते दानवता को।। (५) महाशक्ति है दिव्य, जिन्हें हम रघुवर कहते। बनकर जो शुभभाव, हमारे सँग नित रहत...
मेरा भारत महान
गीत

मेरा भारत महान

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** चंद्रयान पहुँचा चंदा पर, तीन रंग फहराये। शान बढ़ी, सम्मान बढ़ गया, हम सारे हर्षाये।। ज़ीरो को खोजा था हमने, आर्यभट्ट पहुँचाया। छोड़ मिसाइल शक्ति बने हम, सबका मन लहराया।। सबने मिल जयनाद गुँजाया, जन-गण-मन सब गाये। शान बढ़ी, सम्मान बढ़ गया, हम सारे हर्षाये।। मैं महान हूँ, कह सकते हम, हमने यश को पाया। एक महागौरव हाथों में, आज हमारे आया।। जिनको नहीं सुहाते थे हम, उनको हम हैं भाये। शान बढ़ी, सम्मान बढ़ गया, हम सारे हर्षाये।। जो कहते थे वे महान हैं, उनको धता बताया। भारत गुरु है दुनिया भर का, यह हमने जतलाया।। शान तिरंगा-आन तिरंगा, गीत लबों पर आये। शान बढ़ी, सम्मान बढ़ गया, हम सारे हर्षाये।। अंधकार में किया उजाला, ताक़त को बतलाया। जो समझे थे हमको दुर्बल, उन पर भय है आया।। जोश लिये हर जन उल्लासित, हम हर दिल...
राम अवध हैं लौटते
गीत

राम अवध हैं लौटते

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** वायु सुगंधित हो गई, झूमे आज बहार। राम अवध हैं लौटते, फैल रहा उजियार।। सरयू तो हर्षा रही, हिमगिरि है खुश आज। मंगलमय मौसम हुआ, धरा कर रही नाज़।। सबके मन नर्तन करें, बहुत सुहाना पर्व। भक्त कर रहे आज सब, इस युग पर तो गर्व।। सकल विश्व को मिल गया, एक नवल उपहार। राम अवध हैं लौटते, फैल रहा उजियार।। जीवन में आनंद अब, दूर हुई सब पीर। नहीं व्यग्र अंत:करण, नहीं नैन में नीर।। सुमन खिले हर ओर अब, नया हुआ परिवेश। दूर हुआ अभिशाप अब, परे हटा सब क्लेश।। आज धर्म की जीत है, पापी की तो हार। राम अवध हैं लौटते, फैल रहा उजियार।। आज हुआ अनुकूल सब, अधरों पर है गान। आज अवध में पल रही, राघव की फिर आन।। आतिशबाज़ी सब करो, वारो मंगलदीप। आएगी संपन्नता, चलकर आज समीप।। बाल-वृद्ध उल्लास में, उत्साहित नर-नार।। राम अवध हैं लौटते, फै...
भारत की नारी
कविता

भारत की नारी

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** नारी सदा स्वयंसिद्धा है, कर्म निभाता नारी जीवन। देकर घर भर को उजियारा, क्यों मुरझाता नारी जीवन।। कर्म निभाती है वो तत्पर, हर मुश्किल से लड़ जाती। गहन निराशा का मौसम हो, तो भी आगे बढ़ जाती।। पत्नी, माँ के रूप में सेवा, तो क्यों खलता नारी जीवन। देकर घर भर को उजियारा, क्यों मुरझाता नारी जीवन।। संस्कार सब उससे चलते, धर्म नित्य ही उससे खिलते। तीज-पर्व नारी से पोषित, नीति-मूल्य सब उसमें मिलते।। आशा और निराशा लेकर, नित ही पलता नारी जीवन। देकर घर भर को उजियारा, क्यों मुरझाता नारी जीवन।। वैसे तो हैं दो घर उसके, पर सब लगता यह बेमानी। फर्ज़ और कर्मों से पूरित, नारी होती सदा सुहानी।। त्याग और नित धैर्य, नम्रता, संघर्षों में नारी जीवन। देकर घर भर को उजियारा, क्यों मुरझाता नारी जीवन।। कभी न हि...
हे! भोलेभंडारी
गीत

हे! भोलेभंडारी

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** हे त्रिपुरारी, औघड़दानी, सदा आपकी जय हो। करो कृपा, करता हूँ वंदन, यश मेरा अक्षय हो।। देव आप, भोले भंडारी, हो सचमुच वरदानी भक्त आपके असुर और सुर, हैं सँग मातु भवानी देव करूँ मैं यही कामना ,मम् जीवन में लय हो। करो कृपा, करता हूँ वंदन, यश मेरा अक्षय हो।। लिपटे गले भुजंग अनेकों, माथ मातु गंगा है जिसने भी पूजा हे! स्वामी, उसका मन चंगा है हर्ष,खुशी से शोभित मेरी, अब तो सारी वय हो। करो कृपा, करता हूँ वंदन, यश मेरा अक्षय हो।। सारे जग के आप नियंता, नंदी नियमित ध्याता, जो भी पूजन करे आपका, वह नव जीवन पाता पार्वती के नाथ, परम शिव, मेरे आप हृदय हो। करो कृपा, करता हूँ वंदन, यश मेरा अक्षय हो।। कार्तिकेय,गणपति की रचना, दिया जगत को जीवन तीननेत्र, कैलाश निवासी, करते सबको पावन जीवन हो उपवन-सा मेरा, अंतस तो ...
हिंदुस्तान हमारा
गीत

हिंदुस्तान हमारा

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** गंगा-यमुना-सी नदियों की, बहे जहाँ शुचि धारा। वन, उपवन, हिमगिरि से शोभित, हिन्दुस्तान हमारा।। होली-दीवाली मनती है, जहाँ खुशी के मेले। जहाँ तीज-त्यौहार सभी ही, सचमुच हैं अलबेले। ईदों में हिन्दू शामिल हैं, मुस्लिम नवरातों में। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई मिलकर उल्लासों में।। रातें उजली होतीं जहँ पर, दूर भगे अँधियारा। वन, उपवन, हिमगिरि से शोभित, हिन्दुस्तान हमारा।। ताजमहल में भाव भरे हैं, मीनारों में गुरुता। धर्म सिखाता है हम सबको, विनत भाव अरु लघुता। गीता की वाणी में देखो, भरी अनोखी क्षमता। संत-महत्मा सिखलाते हैं, पाना कैसे प्रभुता।। सूरज वंदन करे हमारा, देता नित उजियारा। वन, उपवन, हिमगिरि से शोभित, हिन्दुस्तान हमारा।। गीत सुहाने गायक गाते, खुशबू रोज़ बिखरती। सुनकर भजनों,आज़ानों को, बस्ती रोज़ निखरती। ख...
सोरठा छंद- माघ-स्नान वृत
छंद

सोरठा छंद- माघ-स्नान वृत

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** पावन बहुत प्रयाग, चलो करें वंदन अभी। गुंजित सुखमय राग, रहें हर्षमय हम सभी।। कितना चोखा मास, कहते जिसको माघ हम। जीवित रखता आस, हर लेता हर ओर तम।। तीर्थ सुपावन नित्य, माघ माह की जय करो। खिल जाये आदित्य, सदा नेहमय लय वरो।। गंगा में हो स्नान, जीव करे यश का वरण। मिलता नित उत्थान, तीर्थराज में जब चरण।। देता माघ सुताप, गंगा माँ की जय करो। करो तेज का माप, पापों का सब क्षय करो।। करना चोखे काम, कहे माघ का माह नित। पूजन सुबहोशाम, करता सबका नित्य हित।। देती है आलोक, माघ माह की चेतना। परे करे सब शोक, हर लेती सब वेदना।। गाओ मंगलगीत, माघ माह कहता हमें। प्रभु बन जाएँ मीत, सुमिरन करना नाथ को।। जीवन हो आसान, छँट जाता सारा तिमिर। बढ़े भक्त का मान, बस जाता पावन शिविर।। गंगाजल की शान, कहता शब्द प्रयाग नित।...
मेरा गाँव
दोहा

मेरा गाँव

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** गाँव बहुत नेहिल लगे, लगता नित अभिराम। सब कुछ प्यारा है वहाँ, सृष्टि-चक्र अविराम।। सुंदरता है गाँव में, फलता है मधुमास। जी भर देखो जो इसे, तो हर ग़म का नाश।। सुंदर हैं नदियाँ सभी, भाता पर्वतराज। वन-उपवन मोहित करें, दिल खुश होता आज।। हरियाली है गाँव में, गूँजें मंगलगान। प्रकृति सदा ही कर रही, गाँवों का यशगान।। खेतों में धन-धान्य है, लगते मस्त किसान। हैं लहरातीं बालियाँ, करें सुरक्षित शान।। कभी शीत, आतप कभी, पावस का है दौर। नयन खोल देखो ज़रा, करो प्रकृति पर गौर।। खग चहकें, दौड़ें हिरण, कूके कोयल, मोर। प्रकृति-शिल्प मन-मोहता, किंचित भी ना शोर।। जीवन हर्षाने लगा, पा मीठा अहसास। प्रकृति-प्रांगण में सदा, स्वर्गिक सुख-आभास।। जीवन को नित दे रही, प्रकृति सतत उल्लास। हर पल ऐसा लग रहा, गाँव सदा ही ख़...
जीवन का सत्य
गीत

जीवन का सत्य

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** जीवन का तो अंत सुनिश्चित, मुक्तिधाम यह कहता है। जीवन तो बस चार दिनों का, नाम ही बाक़ी रहता है।। रीति, नीति से जीने में ही, देखो नित्य भलाई है। दूर कर सको तो तुम कर दो, जो भी साथ बुराई है।। नेहभाव ही सद्गुण बनकर, पावनता को गहता है। जीवन तो बस चार दिनों का, नाम ही बाक़ी रहता है।। मुक्तिधाम में सत्य समाया, बात को समझो आज। साँसें तो बस गिनी-चुनी हैं, मौत का तय है राज।। बड़ा सफ़र है मुक्तिधाम का, मोक्ष को तो जो दुहता है। जीवन तो बस चार दिनों का, नाम ही बाक़ी रहता है।। रहे मुक्ति की चाहत सबको, सच्चाई को जानो। मोक्ष मिले यह जीवन जीकर, बात समझ लो, मानो।। कितना भी हो बड़ा राज्य पर, कालचक्र में ढहता है। जीवन तो बस चार दिनों का, नाम ही बाक़ी रहता है।। मुक्तिधाम तो बड़ा तीर्थ है, सबको जाना होगा। ...
मानवता का गान
गीत

मानवता का गान

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** मानवता को जब मानोगे, तब जीने का मान है। जात-पात का भेद नहीं हो, मिलता तब यशगान है।। भेदभाव में क्या रक्खा है, ये बेमानी बातें हैं। मानव-मानव एक बराबर, ऊँचनीच सब घातें हैं।। नित बराबरी को अपनाना, यह प्रभु का जयगान है। जात-पात का भेद नहीं हो, मिलता तब यशगान है।। दीन-दुखी के अश्रु पौंछकर, जो देता है सम्बल। पेट है भूखा,तो दे रोटी, दे सर्दी में कम्बल।। अंतर्मन में है करुणा तो, मानव गुण की खान है। जात-पात का भेद नहीं हो, मिलता तब यशगान है।। धन-दौलत मत करो इकट्ठा, नहीं खुशी पाओगे। जब आएगा तुम्हें बुलावा, तुम पछताओगे।। हमको निज कर्त्तव्य निभाकर, पा लेनी पहचान है। जात-पात का भेद नहीं हो, मिलता तब यशगान है।। शानोशौकत नहीं काम की, चमक-दमक में क्या रक्खा। वही जानता सेवा का फल, जिसने है इसको चक्खा।। देव नहीं,म...
संघर्ष का गीत
गीत

संघर्ष का गीत

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** हर मुश्किल से जूझ तू, रहकर के गतिशील। विपदाओं में ठोक दे, तू इक पैनी कील।। गहन तिमिर डसने लगा, भाग रहा आलोक। पर तू रख यदि हौसला, तो हारेगा शोक।। संघर्षों को जीतकर, रचना है इतिहास। धूमिल हो पाये नहीं, तेरी पलती आस।। जीवन कांटों से भरा, रखना होगा ध्यान। अनगिनत तो जंजाल हैं, लाते जो अवसान।। बच तूू नित्य अनर्थ से, रीति,नीति ले मान। जग तुझको देगा तभी, जीवन में सम्मान।। जो करता है पाप को, उसका घटता ताप। इस संसारी खेल मे, हर क्षण है अभिशाप।। हिंसा यहाँ अनर्थ है, और छोड़ना धर्म। मानवता के नाम पर, कर तू अच्छे कर्म।। बच अनर्थ से नित्य ही, खुश होंगे भगवान। तू पाएगा शान तब, कदम-कदम सम्मान।। है अनर्थ संताप सम, हर लेता जो जोश। मानव जाता नित्य तब, रोगों के आगोश।। रह अनर्थ से दूर तू, तो पाएगा हर्ष। ह...
नववर्ष के दोहे
दोहा

नववर्ष के दोहे

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** नया हौसला धारकर, कर लें नया धमाल। अभिनंदित करना हमें, सचमुच में नव काल।। नवल चेतना संग ले, करें अग्र प्रस्थान। होगा आने वाला वर्ष तब, सचमुच में आसान।। वंदन करने आ रहा, एक नया दिनमान। कर्म नया,संकल्प नव, गढ़ लें नया विधान।। बीती बातें भूलकर, आगे बढ़ लें मीत। तभी हमारी ज़िन्दगी, पाएगी नव जीत।। कटुताएँ सब भूलकर, गायें मधुरिम गीत। तब सब कुछ मंगलमयी, होगा सुखद प्रतीत।। देती हमको अब हवा, एक नया पैग़ाम। पाना हमको आज तो, कुछ चोखे आयाम।। कितना उजला हो गया, देखो तो दिन आज। है मौसम भी तो नया, बजता है नव साज़।। पायें मंज़िल आज तो, कर हर दूर विषाद। नहीं करें हम वक़्त से, बिरथा में फरियाद।। साहस से हम लें खिला, काँटों में भी फूल। दुख पहले सुख बाद में, यही सत्य का मूल।। अभिनंदित हो वर्ष नव, बिखरायें ...