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Tag: प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे

भगवान परशुराम
कविता

भगवान परशुराम

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** भगवान परशुराम का अवतार सत्य से आप्लावित था। अनीति, अधर्म को ख़त्म करने के संकल्प से प्रेरित था।। त्याग, तपस्या, संघर्ष उनके जीवन की सुखद कहानी है। महकती-मुस्कराती हुई एक सुपावन ज़िन्दगानी है।। हमें सिखाया कि धर्म से ही सदा मनुष्यता का श्रृंगार होता है। जो अनीति के पथ चलता वह आजीवन सिसकता-रोता है।। हमें बताया कि शास्त्रों ने ही तो हमें नित जीना सिखाया है। शिवत्व धारण करने हमको शास्त्रों ने गरल पीना सिखाया है।। हमें बताया कि शस्त्र उठाकर अन्याय का प्रतिकार करना है। बनकर परशुराम जैसा ही आततायियों का संहार करना है।। सनातनी ध्वज लेकर हमको तो सकल विश्व को जगाना है। जन-जन के हृदय मंगलभाव फिर आज फिर से लाना है।। हमें, वेद-पुराणों को जगाना, और धनुष-बाण सजाना है। हमें, कृष्ण बनना और अर्जुन भी ख़ुद को ही बन...
श्रमिकों की वंदना
कविता

श्रमिकों की वंदना

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** श्रमिकों का नित ही है वंदन, जिनसे उजियारा है। श्रम करने वालों से देखो, पर्वत भी हारा है।। खींच रहे हैं भारी बोझा, पर बिल्कुल ना हारे। ठिलिया, रिक्शा जिनकी रोज़ी, वे ही नित्य सहारे।। मेहनत की खाते हैं हरदम, धनिकों पर धिक्कारा है। श्रम करने वालों से देखो, पर्वत भी हारा है।। खेत और खलिहानों में जो, राष्ट्रप्रगति के वाहक । अन्न उगाते, स्वेद बहाते, जो सचमुच फलदायक ।। श्रम के आगे सभी पराजित, श्रम का जयकारा है। श्रम करने वालों से देखो, पर्वत भी हारा है।। सड़कों, पाँतों, जलयानों को, जिन ने नित्य सँवारा। यंत्रों के आधार बने जो, हर बाधा को मारा।। संघर्षों की आँधी खेले, साहस जिन पर वारा है। श्रम करने वालों से देखो, पर्वत भी हारा है।। ऊँचे भवनों की नींवें जो,उ त्पादन जिनसे है। हर गाड़ी, मोबाइल में जो, अभिवादन ...
श्रीरामजी पर रोला
रोला

श्रीरामजी पर रोला

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** (१) महाशक्ति है दिव्य, रामजी जो कहलाते। हर पल ही जो भव्य, भक्त जिनको हैं भाते।। प्रभुवर रखते ताप, सभी के दुख हैं हरते। महिमा का विस्तार, पुष्प गरिमा के झरते।। (२) महाशक्ति है दिव्य, रामजी की है माया। करना प्रभु उद्धार, बोझ यह नश्वर काया।। तुम तो दीनानाथ, तुम्हीं हो सबके स्वामी। मैं तो नित्य अबोध, दुर्गुणी, अति खल, कामी।। (३) महाशक्ति है दिव्य, हृदय में सबके रहते। बनकर के उपहार, भक्ति में नित ही बहते।। यह जीवन अभिशाप, दुखों ने डाला डेरा। हे मेरे प्रभु राम !, मुझे पापों ने घेरा।। (४) महाशक्ति है दिव्य, उसी ने जगत बनाया। कहीं रची है धूप, कहीं पर शीतल छाया।। बाँटा है उजियार, रचा है मानवता को। लेकर के अवतार, मारते दानवता को।। (५) महाशक्ति है दिव्य, जिन्हें हम रघुवर कहते। बनकर जो शुभभाव, हमारे सँग नित रहत...
मेरा भारत महान
गीत

मेरा भारत महान

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** चंद्रयान पहुँचा चंदा पर, तीन रंग फहराये। शान बढ़ी, सम्मान बढ़ गया, हम सारे हर्षाये।। ज़ीरो को खोजा था हमने, आर्यभट्ट पहुँचाया। छोड़ मिसाइल शक्ति बने हम, सबका मन लहराया।। सबने मिल जयनाद गुँजाया, जन-गण-मन सब गाये। शान बढ़ी, सम्मान बढ़ गया, हम सारे हर्षाये।। मैं महान हूँ, कह सकते हम, हमने यश को पाया। एक महागौरव हाथों में, आज हमारे आया।। जिनको नहीं सुहाते थे हम, उनको हम हैं भाये। शान बढ़ी, सम्मान बढ़ गया, हम सारे हर्षाये।। जो कहते थे वे महान हैं, उनको धता बताया। भारत गुरु है दुनिया भर का, यह हमने जतलाया।। शान तिरंगा-आन तिरंगा, गीत लबों पर आये। शान बढ़ी, सम्मान बढ़ गया, हम सारे हर्षाये।। अंधकार में किया उजाला, ताक़त को बतलाया। जो समझे थे हमको दुर्बल, उन पर भय है आया।। जोश लिये हर जन उल्लासित, हम हर दिल...
राम अवध हैं लौटते
गीत

राम अवध हैं लौटते

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** वायु सुगंधित हो गई, झूमे आज बहार। राम अवध हैं लौटते, फैल रहा उजियार।। सरयू तो हर्षा रही, हिमगिरि है खुश आज। मंगलमय मौसम हुआ, धरा कर रही नाज़।। सबके मन नर्तन करें, बहुत सुहाना पर्व। भक्त कर रहे आज सब, इस युग पर तो गर्व।। सकल विश्व को मिल गया, एक नवल उपहार। राम अवध हैं लौटते, फैल रहा उजियार।। जीवन में आनंद अब, दूर हुई सब पीर। नहीं व्यग्र अंत:करण, नहीं नैन में नीर।। सुमन खिले हर ओर अब, नया हुआ परिवेश। दूर हुआ अभिशाप अब, परे हटा सब क्लेश।। आज धर्म की जीत है, पापी की तो हार। राम अवध हैं लौटते, फैल रहा उजियार।। आज हुआ अनुकूल सब, अधरों पर है गान। आज अवध में पल रही, राघव की फिर आन।। आतिशबाज़ी सब करो, वारो मंगलदीप। आएगी संपन्नता, चलकर आज समीप।। बाल-वृद्ध उल्लास में, उत्साहित नर-नार।। राम अवध हैं लौटते, फै...
भारत की नारी
कविता

भारत की नारी

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** नारी सदा स्वयंसिद्धा है, कर्म निभाता नारी जीवन। देकर घर भर को उजियारा, क्यों मुरझाता नारी जीवन।। कर्म निभाती है वो तत्पर, हर मुश्किल से लड़ जाती। गहन निराशा का मौसम हो, तो भी आगे बढ़ जाती।। पत्नी, माँ के रूप में सेवा, तो क्यों खलता नारी जीवन। देकर घर भर को उजियारा, क्यों मुरझाता नारी जीवन।। संस्कार सब उससे चलते, धर्म नित्य ही उससे खिलते। तीज-पर्व नारी से पोषित, नीति-मूल्य सब उसमें मिलते।। आशा और निराशा लेकर, नित ही पलता नारी जीवन। देकर घर भर को उजियारा, क्यों मुरझाता नारी जीवन।। वैसे तो हैं दो घर उसके, पर सब लगता यह बेमानी। फर्ज़ और कर्मों से पूरित, नारी होती सदा सुहानी।। त्याग और नित धैर्य, नम्रता, संघर्षों में नारी जीवन। देकर घर भर को उजियारा, क्यों मुरझाता नारी जीवन।। कभी न हि...
हे! भोलेभंडारी
गीत

हे! भोलेभंडारी

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** हे त्रिपुरारी, औघड़दानी, सदा आपकी जय हो। करो कृपा, करता हूँ वंदन, यश मेरा अक्षय हो।। देव आप, भोले भंडारी, हो सचमुच वरदानी भक्त आपके असुर और सुर, हैं सँग मातु भवानी देव करूँ मैं यही कामना ,मम् जीवन में लय हो। करो कृपा, करता हूँ वंदन, यश मेरा अक्षय हो।। लिपटे गले भुजंग अनेकों, माथ मातु गंगा है जिसने भी पूजा हे! स्वामी, उसका मन चंगा है हर्ष,खुशी से शोभित मेरी, अब तो सारी वय हो। करो कृपा, करता हूँ वंदन, यश मेरा अक्षय हो।। सारे जग के आप नियंता, नंदी नियमित ध्याता, जो भी पूजन करे आपका, वह नव जीवन पाता पार्वती के नाथ, परम शिव, मेरे आप हृदय हो। करो कृपा, करता हूँ वंदन, यश मेरा अक्षय हो।। कार्तिकेय,गणपति की रचना, दिया जगत को जीवन तीननेत्र, कैलाश निवासी, करते सबको पावन जीवन हो उपवन-सा मेरा, अंतस तो ...
हिंदुस्तान हमारा
गीत

हिंदुस्तान हमारा

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** गंगा-यमुना-सी नदियों की, बहे जहाँ शुचि धारा। वन, उपवन, हिमगिरि से शोभित, हिन्दुस्तान हमारा।। होली-दीवाली मनती है, जहाँ खुशी के मेले। जहाँ तीज-त्यौहार सभी ही, सचमुच हैं अलबेले। ईदों में हिन्दू शामिल हैं, मुस्लिम नवरातों में। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई मिलकर उल्लासों में।। रातें उजली होतीं जहँ पर, दूर भगे अँधियारा। वन, उपवन, हिमगिरि से शोभित, हिन्दुस्तान हमारा।। ताजमहल में भाव भरे हैं, मीनारों में गुरुता। धर्म सिखाता है हम सबको, विनत भाव अरु लघुता। गीता की वाणी में देखो, भरी अनोखी क्षमता। संत-महत्मा सिखलाते हैं, पाना कैसे प्रभुता।। सूरज वंदन करे हमारा, देता नित उजियारा। वन, उपवन, हिमगिरि से शोभित, हिन्दुस्तान हमारा।। गीत सुहाने गायक गाते, खुशबू रोज़ बिखरती। सुनकर भजनों,आज़ानों को, बस्ती रोज़ निखरती। ख...
सोरठा छंद- माघ-स्नान वृत
छंद

सोरठा छंद- माघ-स्नान वृत

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** पावन बहुत प्रयाग, चलो करें वंदन अभी। गुंजित सुखमय राग, रहें हर्षमय हम सभी।। कितना चोखा मास, कहते जिसको माघ हम। जीवित रखता आस, हर लेता हर ओर तम।। तीर्थ सुपावन नित्य, माघ माह की जय करो। खिल जाये आदित्य, सदा नेहमय लय वरो।। गंगा में हो स्नान, जीव करे यश का वरण। मिलता नित उत्थान, तीर्थराज में जब चरण।। देता माघ सुताप, गंगा माँ की जय करो। करो तेज का माप, पापों का सब क्षय करो।। करना चोखे काम, कहे माघ का माह नित। पूजन सुबहोशाम, करता सबका नित्य हित।। देती है आलोक, माघ माह की चेतना। परे करे सब शोक, हर लेती सब वेदना।। गाओ मंगलगीत, माघ माह कहता हमें। प्रभु बन जाएँ मीत, सुमिरन करना नाथ को।। जीवन हो आसान, छँट जाता सारा तिमिर। बढ़े भक्त का मान, बस जाता पावन शिविर।। गंगाजल की शान, कहता शब्द प्रयाग नित।...
मेरा गाँव
दोहा

मेरा गाँव

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** गाँव बहुत नेहिल लगे, लगता नित अभिराम। सब कुछ प्यारा है वहाँ, सृष्टि-चक्र अविराम।। सुंदरता है गाँव में, फलता है मधुमास। जी भर देखो जो इसे, तो हर ग़म का नाश।। सुंदर हैं नदियाँ सभी, भाता पर्वतराज। वन-उपवन मोहित करें, दिल खुश होता आज।। हरियाली है गाँव में, गूँजें मंगलगान। प्रकृति सदा ही कर रही, गाँवों का यशगान।। खेतों में धन-धान्य है, लगते मस्त किसान। हैं लहरातीं बालियाँ, करें सुरक्षित शान।। कभी शीत, आतप कभी, पावस का है दौर। नयन खोल देखो ज़रा, करो प्रकृति पर गौर।। खग चहकें, दौड़ें हिरण, कूके कोयल, मोर। प्रकृति-शिल्प मन-मोहता, किंचित भी ना शोर।। जीवन हर्षाने लगा, पा मीठा अहसास। प्रकृति-प्रांगण में सदा, स्वर्गिक सुख-आभास।। जीवन को नित दे रही, प्रकृति सतत उल्लास। हर पल ऐसा लग रहा, गाँव सदा ही ख़...
जीवन का सत्य
गीत

जीवन का सत्य

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** जीवन का तो अंत सुनिश्चित, मुक्तिधाम यह कहता है। जीवन तो बस चार दिनों का, नाम ही बाक़ी रहता है।। रीति, नीति से जीने में ही, देखो नित्य भलाई है। दूर कर सको तो तुम कर दो, जो भी साथ बुराई है।। नेहभाव ही सद्गुण बनकर, पावनता को गहता है। जीवन तो बस चार दिनों का, नाम ही बाक़ी रहता है।। मुक्तिधाम में सत्य समाया, बात को समझो आज। साँसें तो बस गिनी-चुनी हैं, मौत का तय है राज।। बड़ा सफ़र है मुक्तिधाम का, मोक्ष को तो जो दुहता है। जीवन तो बस चार दिनों का, नाम ही बाक़ी रहता है।। रहे मुक्ति की चाहत सबको, सच्चाई को जानो। मोक्ष मिले यह जीवन जीकर, बात समझ लो, मानो।। कितना भी हो बड़ा राज्य पर, कालचक्र में ढहता है। जीवन तो बस चार दिनों का, नाम ही बाक़ी रहता है।। मुक्तिधाम तो बड़ा तीर्थ है, सबको जाना होगा। ...
मानवता का गान
गीत

मानवता का गान

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** मानवता को जब मानोगे, तब जीने का मान है। जात-पात का भेद नहीं हो, मिलता तब यशगान है।। भेदभाव में क्या रक्खा है, ये बेमानी बातें हैं। मानव-मानव एक बराबर, ऊँचनीच सब घातें हैं।। नित बराबरी को अपनाना, यह प्रभु का जयगान है। जात-पात का भेद नहीं हो, मिलता तब यशगान है।। दीन-दुखी के अश्रु पौंछकर, जो देता है सम्बल। पेट है भूखा,तो दे रोटी, दे सर्दी में कम्बल।। अंतर्मन में है करुणा तो, मानव गुण की खान है। जात-पात का भेद नहीं हो, मिलता तब यशगान है।। धन-दौलत मत करो इकट्ठा, नहीं खुशी पाओगे। जब आएगा तुम्हें बुलावा, तुम पछताओगे।। हमको निज कर्त्तव्य निभाकर, पा लेनी पहचान है। जात-पात का भेद नहीं हो, मिलता तब यशगान है।। शानोशौकत नहीं काम की, चमक-दमक में क्या रक्खा। वही जानता सेवा का फल, जिसने है इसको चक्खा।। देव नहीं,म...
संघर्ष का गीत
गीत

संघर्ष का गीत

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** हर मुश्किल से जूझ तू, रहकर के गतिशील। विपदाओं में ठोक दे, तू इक पैनी कील।। गहन तिमिर डसने लगा, भाग रहा आलोक। पर तू रख यदि हौसला, तो हारेगा शोक।। संघर्षों को जीतकर, रचना है इतिहास। धूमिल हो पाये नहीं, तेरी पलती आस।। जीवन कांटों से भरा, रखना होगा ध्यान। अनगिनत तो जंजाल हैं, लाते जो अवसान।। बच तूू नित्य अनर्थ से, रीति,नीति ले मान। जग तुझको देगा तभी, जीवन में सम्मान।। जो करता है पाप को, उसका घटता ताप। इस संसारी खेल मे, हर क्षण है अभिशाप।। हिंसा यहाँ अनर्थ है, और छोड़ना धर्म। मानवता के नाम पर, कर तू अच्छे कर्म।। बच अनर्थ से नित्य ही, खुश होंगे भगवान। तू पाएगा शान तब, कदम-कदम सम्मान।। है अनर्थ संताप सम, हर लेता जो जोश। मानव जाता नित्य तब, रोगों के आगोश।। रह अनर्थ से दूर तू, तो पाएगा हर्ष। ह...
नववर्ष के दोहे
दोहा

नववर्ष के दोहे

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** नया हौसला धारकर, कर लें नया धमाल। अभिनंदित करना हमें, सचमुच में नव काल।। नवल चेतना संग ले, करें अग्र प्रस्थान। होगा आने वाला वर्ष तब, सचमुच में आसान।। वंदन करने आ रहा, एक नया दिनमान। कर्म नया,संकल्प नव, गढ़ लें नया विधान।। बीती बातें भूलकर, आगे बढ़ लें मीत। तभी हमारी ज़िन्दगी, पाएगी नव जीत।। कटुताएँ सब भूलकर, गायें मधुरिम गीत। तब सब कुछ मंगलमयी, होगा सुखद प्रतीत।। देती हमको अब हवा, एक नया पैग़ाम। पाना हमको आज तो, कुछ चोखे आयाम।। कितना उजला हो गया, देखो तो दिन आज। है मौसम भी तो नया, बजता है नव साज़।। पायें मंज़िल आज तो, कर हर दूर विषाद। नहीं करें हम वक़्त से, बिरथा में फरियाद।। साहस से हम लें खिला, काँटों में भी फूल। दुख पहले सुख बाद में, यही सत्य का मूल।। अभिनंदित हो वर्ष नव, बिखरायें ...
नये साल का गीत
गीत

नये साल का गीत

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** नया काल है, नया साल है, गीत नया हम गाएँगे। करना है कुछ नवल-प्रबल अब, मंज़िल को हम पाएँगे।। बीत गया जो, उसे भुलाकर, हम गतिमान बनेंगे जो भी बाधाएँ, मायूसी, उनको आज हनेंगे गहन तिमिर को पराभूत कर, नया दिनमान उगाएँगे। करना है कुछ नवल-प्रबल अब, मंज़िल को हम पाएँगे।। काँटों से कैसा अब डरना, फूलों की चाहत छोड़ें लिए हौसला अंतर्मन में, हम दरिया का रुख मोड़ें गिरियों को हम धूल चटाकर, आगत में हरषाएँगे। करना है कुछ नवल-प्रबल अब, मंज़िल को हम पाएँगे।। जीवन बहुत सुहाना होगा, यही सुनिश्चित कर लें बिखरी यहाँ ढेर सी खुशियाँ, उनसे दामन भर लें सूरज से हम नेह लगाकर, आलोकित हो जाएँगे। करना है कुछ नवल-प्रबल अब, मंज़िल को हम पाएँगे।। परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे जन्म : २५-०९-१९६१ निवासी : मंडला, (मध्य प...
अटल बिहारी जी पर दोहे
दोहा

अटल बिहारी जी पर दोहे

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** अटल दिव्यता के धनी, किया दिलों पर राज। सदियों तक होगा हमें, महारत्न पर नाज।। विनय भाव गहना रहा, प्रतिभा का संसार। भारत मां के आंगना, फैलाया उजियार।। राजनीति के दिव्यजन, देशभक्ति-आयाम। दमका लेकर दिव्यता, अटल बिहारी नाम।। कवि बनकर साहित्य की, रक्खी हरदम लाज। कविता के सुर-ताल थे, वाणी के अधिराज।। संसद के बेटे खरे, गरिमा के उत्कर्ष। युग को वे देते रहे, अंतिम क्षण तक हर्ष।। संघर्षी जीवन रहा, थे गुदड़ी के लाल। अटल बिहारी सूर्य-से, काटा तम का जाल।। महा राष्ट्रनायक बने, शासन के सिरमौर। राष्ट्र-प्रगति के केंद्र बन, दिया शांति को ठौर।। अटल बिहारी के लिए, है सबको सम्मान। उनके तो गुण गा रहा, देखो सकल जहान।। हिंदी के सम्मान का, नारा किया बुलंद। राष्ट्र संघ तक थी पहुंच, हुए पड़ोसी मंद।। जन्मदिन पर ह...
ऐ वीर जवान
कविता

ऐ वीर जवान

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** ऐे सैनिक ! फौज़ी, जवान, है तेरा नितअभिनंदन। अमन-चैन का तू पैगम्बर, तेरा है अभिवंदन।। गर्मी, जाड़े, बारिश में भी, तू सच्चा सेनानी अपनी माटी की रक्षा को, तेरी अमर जवानी तेरी देशभक्ति लखकर के, माथे तेरे चंदन। अमन-चैन का तू पैगम्बर, तेरा है अभिवंदन।। आँधी-तूफाँ खाते हैं भय, हरदम माथ झुकाते रिपु तो तुझको देख सिहरता, घुसपैठी थर्राते सीमाओं के प्रहरी तू तो, वीर शिवा का नंदन। अमन-चैन का तू पैगम्बर, तेरा है अभिवंदन।। तू सीमा पर डँटा हुआ पर, हम त्यौहार मनाते तू जगता, मौसम से लड़ता, हम नींदों में जाते तेरे कारण खुशहाली है, किंचित भी ना क्रंदन। अमन-चैन का तू पैगम्बर, तेरा है अभिवंदन।। मात-पिता, बहना-भाई सब, तेरे भी हैं नाते तू पति है, तो पुत्र भी चोखा, तुझको सभी सुहाते पर अपने इस मुल्क़ की ख़ातिर, छोड़े तू सब...
पावस के सवैया
कविता

पावस के सवैया

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** मन को तन को, नव जीवन दे, बरसात बहार सुहावन है। जब नीर हमें सबको सुख दे, तब गीत जगे मनभावन है। बरसे बदरा हम भीग गए, पर नीर सदा अति पावन है। सुख की बगिया मन फूल खिलें, बरसे सँग नेह सुसावन है। मन भीग गया,तन भीग गया, अब गीत जगा,यशगान नया। बरसा बहकी,बरसा चहकी, हर एक कहे वरदान नया। बिजली चमकी, बिजली दमकी, बरसे अब तो अहसान नया। हमको तुमको, इनको उनको, भर देे, नव दे, अब प्रान नया। हम जीत गए, हम प्रीत भए, अब तो हर ओर लुभावन है। कितना सुखदा, हर ली विपदा, नव आस सजा यह सावन है। अब रात गई, वह बात गई, नव रीति यहां अब आवन है। बरसे बदरा, हर ओर बही, जल की रसधार सुहावन है । अब गीत लबों पर गूँज रहा, यह है महिमा अति मौसम की। परदेश गए बलमा जिनके, उनको अब आग पले ग़म की। नव माप लिए,नव ताप लिए, बदरा हर बात सदा ...
दीपक-महिमा
दोहा

दीपक-महिमा

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** दीपक का संदेश है, अहंकार की हार। नीति, सत्य अरु धर्म से, पलता है उजियार।। उजियारे की वंदना, दीपक का संदेश। कितना भी सामर्थ्य पर, रहे मनुज का वेश।। मद में भरना मत कभी, करना मत अभिमान। दीपक करने आ गया, आज तिमिर-अवसान।। दीपों के सँग है सजा, विजयभाव -आवेश। विनत भाव से जो रहे, परे करे क्लेश।। निज गरिमा को त्यागकर, बनना नहीं असंत। वरना असमय ही सदा, हो जाता है अंत।। पूजा में दीपक जले, जलकर रचता धर्म। समझ-बूझ लें आप सब, यही पर्व का मर्म।। कहे दीप की श्रंखला, सम्मानित हर नार। नारी के सम्मान से, हो जग में उजियार।। उजियारा सबने किया, हुई राम की जीत। आओ हम गरिमा रखें, बनें सत्य के मीत।। कोशिश करके मारना, अंतर का अँधियार। भीतर जो अँधियार है, देना उसको मार।। अहंकार मत पोसना, वरना तय अवसान । उजियारे...
हे! कृष्ण-कन्हैया
स्तुति

हे! कृष्ण-कन्हैया

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** द्वापर के है! कृष्ण-कन्हैया, कलियुग में आ जाओ। पाप बढ़ रहा, धर्म मिट रहा, अपना चक्र चलाओ।। अर्जुन आज हुआ एकाकी, नहीं सखा है कोई। राधा तो अब भटक रही है, प्रीति आज है खोई।। गायों की रक्षा करने को, नेह-सुधा बरसाओ। पाप बढ़ रहा, धर्म मिट रहा, अपना चक्र चलाओ।। इतराते अनगिन दुर्योधन, पांडव पीड़ाओं में। आओ अब संतों की ख़ातिर, फिर से लीलाओं में।। भटके मनुजों को अब तो तुम, गीतापाठ सुनाओ। पाप बढ़ रहा, धर्म मिट रहा, अपना चक्र चलाओ।। माखन, दूध-दही का टोटा, कंसों की मस्ती है। सच्चों को केवल दुख हासिल, झूठों की बस्ती है।। गोवर्धन को आज उठाकर, वन-रक्षण कर जाओ। पाप बढ़ रहा, धर्म मिट रहा, अपना चक्र चलाओ।। अभिमन्यु जाने कितने हैं, घिरे चक्रव्यूहों में। भटक रहा है अब तो मानव, जीवन की राहों में।। कपट म...
आराध्य राम
गीत

आराध्य राम

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** आराध्य राम की पूजा में, मैं सारी उम्र बिताऊँगा। जयराम कहूंगा अधरों से, मैं भवसागर तर जाऊँगा।। धर्म-नीति के जो रक्षक, हैं नित्य सदा ही हितकारी। उनकी गरिमा-महिमा पर मैं, हूँ बार-बार बलिहारी।। आराध्य राम की गाथा को, मैं संग समर्पण गाऊँगा। जयराम कहूंगा अधरों से, मैं भवसागर तर जाऊँगा।। अंतर मेरा पावन होगा, जब राम नित्य मैं बोलूँगा। तब साँच सदा मुखरित होगा, जब भी मैं मुँह को खोलूँगा।। आराध्य राम मंगलमय हैं, मैं बार-बार दोहराऊँगा। जयराम कहूंगा अधरों से, मैं भवसागर तर जाऊँगा।। पाप,शोक,संताप मिटे, मैं हर सुख से भर जाऊँगा। सब होंगे मेरे नित प्यारे, मैं भी तब सबको भाऊँगा।। आराध्य राम नित हितकारी, मैं जीवन-सुमन खिलाऊँगा। जयराम कहूंगा अधरों से, मैं भवसागर तर जाऊँगा।। परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारा...
मुस्कानों का गीत
गीत

मुस्कानों का गीत

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** मुस्कानों को जब बाँटोगे, तब जीने का मान है। मानवता जीवन की शोभा, मिलता नित यशगान है।। दीन-दुखी के अश्रु पौंछकर, जो देता है सम्बल पेट है भूखा, तो दे रोटी, दे सर्दी में कम्बल अंतर्मन में है करुणा तो, मानव गुण की खान है। मानवता जीवन की शोभा, मिलता नित यशगान है।। धन-दौलत मत करो इकट्ठा, कुछ नहिं पाओगे जब आएगा तुम्हें बुलावा, तुम पछताओगे हमको निज कर्त्तव्य निभाकर, पा लेनी पहचान है। मानवता जीवन की शोभा, मिलता नित यशगान है।। शानोशौकत नहीं काम की, चमक-दमक में क्या रक्खा वहीं जानता सेवा का फल, जिसने है इसको चक्खा देव नहीं, मानव कहलाऊँ, यही आज अरमान है। मानवता जीवन की शोभा, मिलता नित यशगान है।। ख़ुद तक रहता है जो सीमित, वह बिरथा इंसान है अवसादों को अपनाता जो, वह पाता अवसान है अंतर्मन में नेह ...
गीत साहस का
गीत

गीत साहस का

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** साहस को यदि पंख लगाओ, तो मिट जाये उलझन। असफलता मिट जाये सारी, भरे हर्ष से जीवन।। बने हौसला गति का वाहक, प्रीति-नीति सिखलाता। कर्मठता का ज्ञान कराता, जीवन-सुमन खिलाता।। अंतर्मन जो दीप जलाते, उनका महके आँगन। व्यथा, वेदनाएँ सब मृत हों, भरे हर्ष से जीवन।। साहस की महिमा है न्यारी, चमत्कार करता है। पोषित होता जहाँ उजाला, वहाँ सुयश बहता है।। शुभ-मंगल के मेले लगते, जीवन बनता मधुवन। व्यथा, वेदनाएँ सब मृत हों, भरे हर्ष से जीवन।। नित्य हौसला रखे दिव्यता, जो तेजस मन करता। अंतर को जो आनंदित कर, खुशियों से है भरता।। कर्मों को देवत्व दिलाता, कर दे समां सुहावन। व्यथा, वेदनाएँ सब मृत हों, भरे हर्ष से तन-मन।। साहस लाता सदा दिवाली, नगर- बस्तियाँ शोभित। उजला आँगन बने देव दर, सब कुछ होता सुरभित।। अंतर्...
साजन और चांद
कविता

साजन और चांद

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** मेरा चंदा मम् सजन, जीवन का उजियार। देखूँ उसको रोज़ पर, नित्य बढ़ रहा प्यार।। मेरा चंदा संग है, केवल मेरा चाँद। मिलना हुआ नसीब है, बाधाओं को फाँद।।। मेरा चंदा रूपमय, मेरे सिर पर ताज। मुझको उस पर है सदा, बेहद ही तो नाज़।। मेरा चंदा बस मिरा, मुझ तक उसका नूर। हर पल मेरे पास है, रहे कभी नहिं दूर।। मेरा साजन पूर्णिमा, लगे सुधा की धार। चंदा-सा है शीतला, है हर सुख का सार।। बदली ढँक सकती नहीं, दमक रहा मम् चाँद। मधुर मिलन का कर रहा, जो नेहिल अनुवाद।। चाँद जगत के वास्ते, साजन मेरा प्यार। यही प्यार चंदा लगे, करे हृदय झंकार।। सखी पूज निज साजना, अपना चंदा जान। जो देता उजियार है, हो बस उसका मान।। साजन में ही चांद है, साजन तो हैं ईश। नहीं झुके उनका कभी, हे! प्रभु किंचित शीश।। व्रत में शामिल नेह है, यु...
पावन विजय-दशहरा
कविता

पावन विजय-दशहरा

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** है असत्य पर सत्य की, विजय दशहरा पर्व। पराभूत दुर्गुण हुआ, धर्म कर रहा गर्व।। है असत्य पर सत्य की,विजय और जयगान। विजयादशमी पर्व का,होता नित सम्मान।। जीवन मुस्काने लगा, मिटा सकल अभिशाप। है असत्य पर सत्य की, विजय दशहरा ताप।। है असत्य पर सत्य की, विजय लिए संदेश। सदा दशहरा नम्रता, का रखता आवेश।। है असत्य पर सत्य की, विजय लिए है वेग। विजयादशमी पर्व है, अहंकार पर तेग।। नित असत्य पर सत्य की, विजय खिलाती हर्ष। सदा दशहरा चेतना, लाता है हर वर्ष।। तय असत्य पर सत्य की, विजय बनी मनमीत। इसीलिए तो राम जी, लगते पावन गीत।। नारी का सम्मान हो, मिलता हमको ज्ञान। है असत्य पर सत्य की, विजय दशहरा आन।। है असत्य पर सत्य की, विजय सुहावन ख़ूब। राम-विजय से उग रही, धर्म-कर्म की दूब।। यही सार-संदेश है, यही मान्यता न...