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Tag: प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’

अंधा बाँट रहा गर  सिन्नी
दोहा

अंधा बाँट रहा गर सिन्नी

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ******************** अंधा बाँट रहा गर सिन्नी घरे घराना खाएँगे जूठ काट जो बच गया उसको चिमचे पाएँगे स्वार्थ में अंधा हो जाते हैं जब भी ऐसे लोग कदम कदम पर हैंकड़ी उल्लू सदा बनाएँगे घुटने पर चलने को अक्सर करता है मजबूर दुश्मन मित्र नज़र आते हैं मित्र शत्रु बन जाएँगे बाहर से तो संत दीखता अंदर अहंकार भारी तजिए ऐसा साथ अन्यथा पिछलग्गू कहलाएँगे मतलब की बातें करता है धर के रूप प्रच्छन्न बचना है मारीचि से तो सोच के कदम बढ़ाएँगे अपना घर तो करेगा रोशन दूजे के घर अंधेरा अपनी धपली अपनी राग़ गाथा निजी सुनाएँगें थोथा थोथा जेब में अपने पइया ग़ैरों के हक़ में स्वाँग भरेंगे हर पल लेकिन साहिल सा दर्शाएँगे परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’ निवासी :जौनपुर उत्तर प्रदेश सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश रुचि...
महिमा मंडन
ग़ज़ल

महिमा मंडन

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ******************** महिमा मंडन की चाहत में रोज़ हो रहा खून उजड़ रही रिश्तों की बगिया जीवन होता चून आशक्ति ने बदल दिया है रिश्तों का संसार प्रेम समर्पण बीती बातें स्वार्थ का बस अम्बार हम जो कह दें ब्रह्म वाक्य है यही आज का दौर नारद मोह से ग्रसित ज़माना नही सोचना और अहंकार प्रतिकार का ऐसा चढ़ा हुआ है भूत वाह वाह जो नहीं करेगा होगा वही अछूत रिश्ते भी अब चक्रव्यूह हैं संभल के करो प्रवेश जीना मुश्किल हो जाता है मिले अनंत कलेश स्वहित साधन हुई साधना यही आज का खेल तुच्छ स्वार्थ के लिए हो रहा दुश्मन से भी मेल मित्र बनाने से पहले खूब लीजिए ठोंक बजाय साहिल मान रहे हैं जिसको कहीं मुकर न जाय परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’ निवासी : जौनपुर उत्तर प्रदेश सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश रुचि : पु...
वारिस
दोहा

वारिस

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ******************** वारिस बुद्धू सिद्ध हो गया माता जी भी फेल सभी सूरमा हाथ मल रहे ख़त्म हो रहा खेल फूट डाल गद्दी हथियाना रही सर्वदा नीति सब के सब हैं भारतवासी नहीं चलाया रीति तख़्त ताज की अभिलाषा में भारत हुआ विभक्त लाखों लोग शहीद हो गए बहा असीमित रक्त हिंदी चीनी भाई भाई का लगवाया नारा लूट लिया इज़्ज़त ड्रैगन ने नेहरू हुए बेचारा चीन ने हड़पा तिब्बत कश्मीर को पाकिस्तान दंश झेलता आज भी इसका अपना हिंदुस्तान माया ममता और मुलायम ने जो तीर चलाया धीरे धीरे दुर्ग ढह गए हाथ काम न आया चेता नहीं अभी तक कुनबा गई भैंस मँझधार सारे साहिल ध्वस्त हो गए हो कैसे बेड़ा पार . परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’ निवासी :जौनपुर उत्तर प्रदेश सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश रुचि : पुस्तक लेखन, सम्पादन, कव...
आठ तरह के प्राणियों से
दोहा

आठ तरह के प्राणियों से

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ******************** आठ तरह के प्राणियों से रहिए सदा सतर्क किसी के दुःख या दर्द का पड़े न जिन पर फ़र्क़ राजा नियमों में बंधा ख़ुद में रहता मशगूल मदद करे क्या आप की बाधा बनें वसूल वैश्या से उम्मीद मत करिए कभी जनाब अर्थ चाहिए बस उसे क़ायम रहे शबाब जीवन में यमराज से मत चाहो उपकार जब चाहेगा ले जाएगा सुने न चीख पुकार अग्नि ख़ाक कर डालती मुश्किल बहुत बचाव लोगों के दुःख दर्द से रखती नहीं लगाव चोरों को होता नहीं किसी के कष्ट का एहसास चोरी करना फ़ितरत उनकी रखिए मत कुछ आस निज इच्छा पूरी रहे है बच्चों की रीति इच्छित ही बस चाहिए बेमतलब सब नीति भिक्षु को भिक्षा चाहिए कुछ भी रहे अभाव कभी किसी के कष्ट का पड़ता नही प्रभाव कंटक का उद्धेश्य है देना कष्ट अनंत बन सकता सुखकर नहीं वह साहिल सा संत . परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’ निवासी : जौ...
बदल रहे रिश्तों के माने
गीत

बदल रहे रिश्तों के माने

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ******************** बदल रहे रिश्तों के माने आज यहाँ प्रतिपल समझ नही पाता है कोई क्या हो जाए कल गुणा भाग की इस दुनिया में लाभ की बस बातें अपना सगा और सम्बंधी भी करता है छल कौआ भागा कान नोच कर बातें लगती सच्ची बुद्धि टांग देते खूँटी पर अक़्ल है कितनी कच्ची श्वेत वसन यद्यपि शरीर पे मन में भस्मासुर गिरगिट जैसे रंग बदलते बातों में निर्बल जाति पाँति मज़हब की रोटी रोज़ सेकते भैया ऐसे साहिल हैं तो साहिल पर डूबेगी नैया मज़हब की घुट्टी पीकर हम भँवर जाल में हैं मंदिर मस्जिद के झगड़े में गई उमरिया ढल धन वैभव सब पास हमारे मन है मगर अशांत हंसी ख़ुशी संतोष है ग़ायब दिल है सूखा प्रांत तिल तिल कर जल रहीं ज़िंदगी जीवन जैसे बोझ लव पर तो मुस्कान दिख रही मन में दावानल ईर्ष्या द्वेष जलन पर क़ाबू पा ले यदि इंसान बच जाएगी ये दुनिया फिर बनने से शमशान पर हित हो...
पहुँचा देना मधुशाला
कविता

पहुँचा देना मधुशाला

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ******************** घर घर गैस नही पहुँचाओ बस पहुँचा देना हाला जीतोगे झकझोर इलेक्शन देगा दुआ पीने वाला होश में आ जाता है पीकर एक पेग हर दीवाना मुझसे पूछो उसकी ताक़त क्या होती है मधुशाला बादल बरसें बिजली तड़के या आँधी तूफ़ाँ आए क्या मजाल की पीने वाला ख़ाली हाथ चला जाए पिया नहीं इसको जिसने वो क्या क़ीमत समझेगा तुम्हें पढ़ाएगा गुण इसका एक प्याला पीने वाला देखा होगा तुम लोगों ने मेरे जलवे का जलवा लम्बी लम्बी लगी क़तारें बटता ज्यों पूड़ी हलवा पी लो एक पेग फिर जन्नत का होगा दीदार तुम्हें दिखेगी प्यारे तुम्हें मसाना भी प्यारी सी मधुबाला चिंता औ अवसाद तुम्हारे सब के सब मिट जाएँगे जो भी ग़म होंगे जीवन में ख़ुशियों में ढल जाएँगे ग़म की ऐसी तैसी करती एक खुराक करो सेवन ऊँच नीच हिंदू मुस्लिम का भेद मिटाती मधुशाला जब तक सूरज चाँद रहेगा मधुबाला का ना...
मज़दूरों का दर्द
कविता

मज़दूरों का दर्द

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ******************** मज़दूरों का दर्द निवारण कौन करेगा उनके ग़म पर भला प्रवारण कौन करेगा यक्ष प्रश्न है सत्ता शासन साहूकार से इन तकलीफ़ों का निस्तारण कौन करेगा दाना पानी से वंचित बदहाल हो गए श्रमिकों में आशा विस्तारण कौन करेगा सौतेला व्यवहार श्रमिक संग होता आया श्रम वीरों संग उचित आचरण कौन करेगा महल मकान टावर निर्माता सब बेबस है उम्मीदों का स्वर संचारण कौन करेगा भूखे प्यासे फटे हाल सड़कों पर रेला उनकी मुश्किल का उच्चारण कौन करेगा हुए सृजक फ़ुटबाल थपेड़े झेल रहे हैं साहिल मन में धीरज धारण कौन करेगा . परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’ निवासी : जौनपुर उत्तर प्रदेश सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश रुचि : पुस्तक लेखन, सम्पादन, कविता, ग़ज़ल, १०० शोध पत्र प्रकाशित, मनोविज्ञान पर १२ पुस्त...
आएगा कभी मधुमास नहीं
गीत

आएगा कभी मधुमास नहीं

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ******************** मन में यदि कोई आस नहीं आएगा कभी मधुमास नहीं बढ़ सकते पाँव नहीं आगे मन में ही अगर विश्वास नहीं मन में क़ायम उम्मीद रहे संसार तुम्हारा मुरीद रहे जीवन पथ पथरीला हो पर नर होना कभी निराश नहीं कभी धैर्य का दामन मत छोड़ो अपनों से नाता मत तोड़ो अनुचित व उचित का भान रहे मन होगा कभी उदास नही दिल में गर कोई चाह नाहीं दुखियों की कोई परवाह नहीं क्यों दम्भ मनुजता का भरते पर पीड़ा का एहसास नहीं ग़म से क्यों रिश्ता जोड़ लिए मुस्कान से क्यों मुँह मोड़ लिए दस्तक ख़ुशियाँ फिर क्यों देंगी जीवन में हास- विलास नहीं रिश्तों का सदा सम्मान करो दुश्मन का भी मत अपमान करो साहिल तो वही होता सच में करता जो कभी उपहास न . परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’ निवासी : जौनपुर उत्तर प्रदेश सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्याल...
आख़िर ऐसा क्यों करते हो
कविता

आख़िर ऐसा क्यों करते हो

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ******************** परहित से दूरी रखते हो ईर्ष्या नफ़रत में जलते हों भूल गए जीवन का आशय आख़िर ऐसा क्यों करते हों? मेहनत पर जिसके पलते हो छल उनके ही संग करते हो ईश्वर का भी भय न तुमको पर पीड़ा पर तुम हंसते हो? मज़हब को मत नशा बनाओ ख़ुद को ख़ुद इंसान बनाओ मर्म बिना समझे जीवन का आपस में लड़ते मरते हो? अहंकार का रोग बढ़ा है लोगों के सिर भूत चढ़ा है अहं खा गया लंका नगरी क्या उससे शिक्षा लेते हो? किश्ती को मँझधार डुबोना दिल मे तीखे शूल चुभोना ग़म देना फ़ितरत में तेरे पर ख़ुद को 'साहिल' कहते हो . परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’ निवासी : जौनपुर उत्तर प्रदेश सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश रुचि : पुस्तक लेखन, सम्पादन, कविता, ग़ज़ल, १०० शोध पत्र प्रकाशित, मनोविज्ञान पर १२ पुस्तकें प्रकाशि...
वर्ण से व्यतिक्रम तक
कविता

वर्ण से व्यतिक्रम तक

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ******************** एक समय में वर्ण व्यवस्था थी भारत की शान दिग दिगांतर में भारत की थी विशिष्ट पहचान सामाजिक संरचना का था कर्म ही बस आधार जाति पाति का भेद नही था सुखी बहुत संसार कर्म ही कर्ता कर्म ही धर्ता कर्म ही जीवन सार कर्म ही जीवन कर्म सृजन है यही था मूलाधार कालांतर में जाने कैसा किसी ने फेंका पाशा वर्ण के बदले जाति आ गई बदल गई परिभाषा जाति प्रधान देश हो गया बदल गई फिर सूरत अपनी धपली अपना राग़ें सबकी अपनी मूरत घुसे देश में आक्रांता तो शुरू हुआ नव खेला संस्कृति पर आघात हुआ दंश मज़हबी झेला करना था बदलाव तंत्र में लेकिन ऐसा नही हुआ देश हो गया ग़ौण सोच में खेल मज़हबी शुरू हुआ मज़हब के कुछ हैवानों ने माँ का सीना चीर दिया कत्लेआम हुआ लाखों का हर साहिल को पीर दिया . परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’ निवासी : जौनपुर उत्तर प्...
ज़ख़्म से पीड़ित मनुजता
कविता

ज़ख़्म से पीड़ित मनुजता

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ********************   भेड़िया भी आदमी को देखकर फ़रमा रहा मांद से देखो निकल ये कौन बंदा आ रहा देख इनकीं हरकतो को बाघ चीते दंग है इनकी करतूतों से भस्मासुर भी है शरमा रहा दिन दहाड़े मॉब लिंचिंग हो गया जैसे चलन ख़ौफ़ नफ़रत ग़म का बादल है वतन में छा रहा शांति भाईचारा मृग मरीचिका सा लगने लगा आदमी को देखकर अब आदमी घबरा रहा पीड़ितों को देखकर मुँह मोड़ लेता आदमी विडियो लेकिन बनाकर ख़ुद का मन बहला रहा ज़ख़्म से पीड़ित मनुजता घाव कैसे भर सके वक़्त का मारा ये साहिल ज़ख़्म ख़ुद सहला रहा . परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’ निवासी : जौनपुर उत्तर प्रदेश सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश रुचि : पुस्तक लेखन, सम्पादन, कविता, ग़ज़ल, १०० शोध पत्र प्रकाशित, मनोविज्ञान पर १२ पुस्तकें प्रकाशित, ११ क...
कालिनेम के वेष में
कविता

कालिनेम के वेष में

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ******************** राजनीति इस कदर हो गई क्षुद्र हमारे देश में हर पल ही विष घोल रहे हैं मानवीय परिवेश में जाति पाँति मज़हब भाषा हथियार बनाया जाते हैं विषधर के भी विष से घातक विष रहता संदेश में बुद्धिहीन भेंडों जैसे कुछ लोग यहाँ पर दिखते हैं हाँक रहे चालाक गड़ेरिया शुभ चिंतक के भेष में गुजरे कितने साल साथ में फिर भी मन में दूरी है देश हो गया ग़ौण आज भी रुचि है वर्ग विशेष में मुट्ठी भर ताक़त वालों का संसाधन पर क़ब्ज़ा है आम आदमी शोषित वंचित काट रहा दिन क्लेश में बापू का दिल रोता होगा देख सियासी चालों को हत्या लूट डकैती निसदिन राम कृष्ण के देश में दुर्योधन हिरणाकश्यप रावण भी पीछे छूट गये टहल रहे साहिल है अगणित कालिनेम के वेष में . परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’ निवासी : जौनपुर उत्तर प्रदेश सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी ...
भारत भावना
कविता

भारत भावना

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ******************** हम दधीचि के वंशज है अरि के अरमान मिटा देंग़े बेजोड़ है जज़्बा भारत का दुश्मन को धूल चटा देंग़े राणा सांगा का जज़्बा है घावों की फ़िक्र नहीं करते भारत का अक्षुण मान रहे हम अपना शीश कटा देंगे भारत की जनता बेमिसाल हर मोर्चे पर डट जाती है दुश्मन को शौर्य एकता से दिन में तारे दिखला देंगे मर्यादा राम से सीखी है कृष्णा से है रणनीति लिया भयभीत नहीं असुरों से हम हम उनके नाम मिटा देंग़े अश्फ़ाक भगत आज़ाद विस्मिल का साहस पाया है जीतेंगे हम हारेगा अरि हम तोप का मुँह ही घुमा देंगे लड़ने को करोना से हमको संसाधन जो भी चाहेगा बन भामा शाह आज के हम पूरा धन धान्य लुटा देंगे गांधी भूखे रह करके भी अंग्रेजो से लोहा लेते थे बन साहिल एक दूसरे का कोविड उन्नीस हरा देंग़े . परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’ निवासी : जौनपुर उत्तर ...
मनाएँ कैसे हम त्योहार
कविता

मनाएँ कैसे हम त्योहार

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ******************** देश के ऊपर मज़हब हाबी मचा है हाहाकर भारत माँ मायूस मनाएँ कैसे हम त्योहार पशुओं से भी बदतर अक्सर हो जाता इंसान मिथ्या मज़हब की घुट्टी पी बन जाता शैतान यक्ष प्रश्न है यही देश में पर देगा कौन जवाब खून खराबा मचा सड़क पर गुलशन हुआ उज़ार मनायें कैसे........ संस्कृतियों में क्यों ऐसा संघर्ष यहाँ पर होता है मठाधीश मस्ती करते हैं आम आदमी रोता है दिल्ली के दंगो ने ले ली जाने कितनी जान पुलिस नपुंसक बनी रही था शासन भी लाचार मनायें कैसे...... क़ौमी एकता गंगा जमुनी का नारा बेमानी है दिल में लोंग़ो के बसती है चाल अगर शैतानी है जाति पाँति का भेद मिटे लाओ ऐसा क़ानून मज़हब की दीवार गिरा दो जोड़ो दिल के तार मनायें कैसे हम त्यौहार..... . परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’ निवासी : जौनपुर उत्तर प्रदेश सम्प्रति : मनोविज्ञान विभा...
कॅरोना जनित पलायन
कविता

कॅरोना जनित पलायन

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ******************** पूरी दुनिया आतंकित है फैला रोग कॅरोना किया चीन ने देखिये कितना काम घिनौना काल के गाल में हुए समाहित हज़्ज़ारो इंसान भाग रहे घर द्वार छोड़ कर बचेगी कैसे जान शुरू कॅरोना जनित पलायन भाग रहे नर नारी खुद को झोंक रहे आफत में फेल व्यवस्था सारी सामाजिक दूरी का फतवा हो गया हवा हवाई हारेगा फिर कैसे कॅरोना हम हार रहे हैं लड़ाई दहल गया है देश समूचा पर कुछ हैं बेफिक्र नादानी में लोग कर रहे हरकत बहुत विचित्र हार गया गर देश कॅरोना से फिर बोलो क्या होगा शहर गांव में मचेगा क्रंदन मरघट का मंजर होगा दुख के बादल छंट जाएंगे थोड़ा धैर्य धरो ना साहिल सारा देश तुम्हारा हारेगा ये कॅरोना . परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’ निवासी : जौनपुर उत्तर प्रदेश सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश रुचि :...
गागर में सागर
कविता

गागर में सागर

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ******************** गागर में सागर भरने की चाहत हमने पाली है घर में भूँजी भांग नहीं हाथ भी अपना ख़ाली है है इतना विश्वास हमें कि मंज़िल पाँव तले होगी दृष्टि हमारी अर्जुन सदृश ख़ुद से क़समें खा ली है ख़ौफ़ का मंजर चौतरफ़ा है मानवता भी ख़तरे में हर गल्ली हर चौराहे पर दिखता यहाँ मवाली है रहे सिलसिला कर्म का जारी मुट्ठी में मंज़िल होगी भाग्य भरोसे बैठे रहना यह सोच मुंगेरी वाली है सिंहासन मिल जाए तो भी कभी ग़ुरूर नहीं करना भस्म हो गई रावण नगरी बात लाख टके वाली है ‘साहिल’ . परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’ निवासी : जौनपुर उत्तर प्रदेश सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश रुचि : पुस्तक लेखन, सम्पादन, कविता, ग़ज़ल, १०० शोध पत्र प्रकाशित, मनोविज्ञान पर १२ पुस्तकें प्रकाशित, ११ काव्य संग्रह सम्...
धर्म बनाम पंथ
कविता

धर्म बनाम पंथ

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ******************** महज़ सनातन मूल्य अनूठा बाक़ी सारा जग ही झूठा मज़हब नहीं पंथ कह भाईं मझहब से छिड़ जात लड़ाई मठाधीश मज़हब चलवाते पन्थी दिल से दिल मिलवाते लक्ष्य एक पर पंथ अनेका पंथ से ही सम्भव है एका मज़हब तर्क नहीं स्वीकारे पंथ प्रेम बस प्रेम पुकारे मज़हब मन संकीर्ण बनाता पंथ सदा भ्रातृत्व सिखाता। . परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’ निवासी : जौनपुर उत्तर प्रदेश सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश रुचि : पुस्तक लेखन, सम्पादन, कविता, ग़ज़ल, १०० शोध पत्र प्रकाशित, मनोविज्ञान पर १२ पुस्तकें प्रकाशित, ११ काव्य संग्रह सम्पादित, अध्यक्ष साहित्यिक संस्था जौनपुर उत्तर प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिच...
सानंद
दोहा

सानंद

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ******************** लगे पूछने आजकल हमसे सारे लोग रहते क्यों ख़ामोश हो छुआ कौन सा रोग हर चौराहे पर दिखे दिल में घुसता तीर प्रेम हुआ मृग जल हरण होत नित चीर भोगवाद में देश का ऐसा पसरा पाँव हँसते लोग शरीफ़ पे कहीं न मिलता ठांव गुमराहों के हाथ में हो गया तीर कमान मुश्किल में दोनो पड़े मज़हब और ईमान अवगुण भी गुण होत है मिले राह में संत दुर्जन से दूरी रखो देगा कष्ट अनंत परजीवी बन देखिए है कितना आनंद पोषण लेहु समाज से स्वस्थ रहो सानंद . परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’ निवासी : जौनपुर उत्तर प्रदेश सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश रुचि : पुस्तक लेखन, सम्पादन, कविता, ग़ज़ल, १०० शोध पत्र प्रकाशित, मनोविज्ञान पर १२ पुस्तकें प्रकाशित, ११ काव्य संग्रह सम्पादित, अध्यक्ष साहित्यिक संस्था जौनपुर ...
दोहे
दोहा

दोहे

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ******************** कबहुँ भरम मत पालिए भ्रम देता भरमाय। होत सामना सत्य का अक़ल जात चकराय ईश्वर कर ऐसी कृपा शत्रु न कोमा जाय। हरण करे हर क्लेश का हर पल रहे सहाय अहंकार एक रोग है बच के रह इंसान। चक्रव्यूह में गर फँसा बचे न शायद जान मन में ईर्ष्या द्वेष अगर है, है दुनिया से बैर जलेगी तिल तिल ज़िंदगी ख़्वाब रहेगा ख़ैर अतिशय प्रेम या क्रोध में वचन न दीजे कोय अपयश आता भाग्य में कष्ट असीमित होय छल प्रपंच से दूर हमेशा इंसा रहना सीख होत हिक़ारत हर जगह माँगे मिले न भीख हर मज़हब का मानिए मक़सद केवल एक सबका ‘साहिल’ एक है माना मार्ग अनेक . लेखक परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’ निवासी : जौनपुर उत्तर प्रदेश सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश रुचि : पुस्तक लेखन, सम्पादन, कविता, ग़ज़ल, १०० शोध पत्...