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Tag: प्रेम नारायण मेहरोत्रा

राम जी की कृपा
भजन

राम जी की कृपा

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** राम जी की कृपा है... राम जी की कृपा है बरसती सदा, जिसका है पात्र सीधा वो भर जाता है। नाम मे आस्था जिसकी दृढ़ है नहीं, पात्र उसका स्वयं ही लुढ़क जाता है। राम जी की कृपा... तेरा विश्वास फलता है ये जान ले, नाम सास्वत है बस ये ही तू मान ले। नाम जप आस्था से करेगा जो भी, नाम पतवार उसकी ही बन जाता है। राम जी की कृपा... नाम मे आस्था शबरी भीलन ने की, राम आएंगे इस आश में ही वो जी। गुरु की वाणी पे हो आस्था दृढ़ जिसे, ईश साक्षात दर्शन को आ जाता है। राम जी की कृपा... राम का पग लगा तो अहिल्या तरी, पग पखारन की केवट ने विनती करी। राम का हाथ सिर पर रखा युक्ति से, भाग्य अपना तो केवट बना जाता है। राम जी की कृपा ... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आ...
राम रस
भजन

राम रस

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** "राम" रस में डूबकर देखो, तुम्हें भक्ति मिलेगी। होंगे खुश हनुमान जी, उनसे तुझे शक्ति मिलेगी। राम रस में डूबकर......... "राम" प्रिय लगने लगा तो, काम खुद घटने लगेगा। डूब पाया "राम" में तो, जग से मन हटने लगेगा। माया जब घेरेगी तो, हनुमान से युक्ति मिलेगी। "राम" रस में डूबकर.......... प्रभु ने मानव तन दिया, उपकार उसका मान प्राणी। श्रेष्ठ योनि में है जन्मा, मधुर करले अपनी वाणी। शारदे माँ रीझ जाएंगी तो, अभिव्यक्ति मिलेगी। "राम" रस में डूबकर........ सूर, मीरा और कबीरा डूबे, प्रभु महिमा को गाया। भक्ति गंगा में नहाने, के लिए भक्तों ने गाया। "राम" सेवा में लगा तनमन को, तो मुक्ति मिलेगी। "राम" रस में डूबकर............. परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं ...
“सुन्दरकाण्ड के सार” के सृजन की पृष्ठ भूमि
मुक्तक

“सुन्दरकाण्ड के सार” के सृजन की पृष्ठ भूमि

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मिला दो राम से हनुमत
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मिला दो राम से हनुमत

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** मिला दो राम से हनुमत मिला दो राम से हनुमत, तेरा गुणगान गाएंगे। बताओगे जो भी युक्ति, उसे करके दिखाएंगे। मिला दो राम........ प्रभु आराध्य है तेरे, मेरे आराध्य तो तुम हो। कृपा जो राम की पाए, उसे क्या कार्य दुष्कर हो। तेरी भक्ति फलित होगी, तो प्रभु भक्ति को पाएंगे। मिला दो राम......... तुम्हीं ने की कृपा सुग्रीव पर, तो राम को पाया। दिया सेवा का अवसर और, उसे भय मुक्त करवाया। तेरी करुणा कृपा से ही, तो दिल मे राम आएंगे। मिला दो राम......... तेरे स्वामी की सेवा का , जो अवसर,मैंने पाया है। तुम्ही से शक्ति लेकर के, उसे मैंने निभाया है। हैं जबतक प्राण तन में, हम तो ये सेवा निभाएंगे। मिला दो राम...... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी...
राम पैयां चलो मैं निहारूँ तुम्हे
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राम पैयां चलो मैं निहारूँ तुम्हे

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** राम पैयां चलो मैं निहारूँ तुम्हे, छुपके लीला करो मैं पुकारूँ तुम्हे। राम पैयां चलो... तेरा सौदर्य नयनों को पावन करे, तेरी किलकारी कानों में मधुरस भरे। खेलते खेलते तुम गिरो तन सने, पोंछ आँचल से तन को सवारूँ तुम्हें। राम पैयां चलो... तीन भाई तेरे, तीन माएँ तेरी, सब न्यौछावर हो तुमपे ये विनती मेरी। तुम सलोने हो जग को लुभाते रहो पर कुटिल दृष्टि से मैं बचा लूं तुम्हें। राम पैयां चलो... तीनों माँओं की आंखों के तारे हो तुम, राजा दसरथ को प्राणों से पयारे हो तुम। तेरे दर्शन में इतना मगन मैं रहूं, जग से जाने के पहले ही पा लूँ तुम्हे। राम पैयां चलो ... https://youtu.be/5Suck6lrEnU राम पैयां चलो मैं निहारूँ तुम्हे भजन को स्वर दिया है सुप्रसिद्ध गायिका रोली प्रकाश ने परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र ...
हनुमत कृपा
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हनुमत कृपा

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** "राम" की पग धूल को, मस्तक लगा चंदन बनेगा। पायेगा हनुमत्कृपा और, शीघ्र ही कंचन बनेगा। राम की पग धूल............ राम ने सृष्टि रची, और वो ही इसको पालता है। जिसमे हो आशक्ति जिसकी, उसमे उसको ढालता है। कर्म में है स्वतंत्र तू , प्रभु में रमा तो रतन बनेगा। राम की पग धूल......... भक्त हनुमत सबको ही हैं, "राम नाम" का मंत्र देते। आस्था दृढ़ होती उनकी, जो है इसको मान लेते। डूब जा सुमिरन में तो तू, भक्ति पथ पर बढ़ चलेगा। राम की पग धूल............... भूत को तू भूलकरके, नाम गंगा में नहा ले। वो तो है करुणा का सागर, तू भी उसकी कृपा पा ले। नाम सांसो में रमा पाया, तो मुक्ति रथ चढ़ेगा। "राम" की पग धूल.......... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भ...
बनके “काली”
कविता

बनके “काली”

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** माता रानी का है आगमन हो रहा, उनके दरबार जाकर कृपा पाइए। अपने श्रद्धा सुमन उनको अर्पित करो, सब रहें स्वस्थ, अर्ज़ी लगा आइए। मातारानी का है........... लखनऊ पर है माँ के हेतु कृपा, सारे ही पीठ लेकर है माँ आ गई। विश्व का पहला मंदिर बनाया यहां, पहले दर्शन पे सबपर कृपा होगई। अपने दुःख दर्द की पोटली बांधकर, मातारानी के चरणों मे रख जाइये। मातारानी का है............ तेरे दरबार मे भक्त जो आरहे, उनपे अपना सुरक्षा कवच डालिये। किसकी क्या है जरूरत तुझे ज्ञात है, हर उचित मांग को पूर्ण कर डालिये। आप ही सृजन करती और है पालती, ज्ञान की ज्योति को भी जला जाइये। मातारानी का है........ माँ तेरे भक्त तो सदा आश्रित तेरे, उनको हो कष्ट तू कैसे सह पाएगी। माँ कॅरोना से भयभीत बच्चे तेरे, जग को छोड़ेंगे तो तू भी दुःख पायेगी। तेरे सेवक की माँ तुझसे विनती यही, ब...
होली राम रंग संग खेलो
कविता

होली राम रंग संग खेलो

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** होली राम रंग संग खेलो, हनुमत झूम के नाचेंगे। लगेगा भक्तों का दरबार, नाम महिमा वे बाचेंगे। होली राम रंग.......... बहाओ रा से रंग फुहार, म में है माँ सीता का प्यार। चढ़ेगा जिनपर हनुमत रंग, वे माँ के चरण पखारेंगे। होली राम रंग.......... नहीं हुड़दंग का ये त्यौहार, लुटादो सबपर अपना प्यार। बढ़ी कटुता जिससे इस साल, मिटाकर गले लगा लेंगे। होली राम रंग........ न डूबो दारू में या भांग, यही है सात्विकता की मांग। आओ बैठो हनुमत दरबार, नाम का नशा चढ़ा देंगे। होली राम रंग.............. परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय...
माँ कौशल्या ने राम जी से पूछा
कविता

माँ कौशल्या ने राम जी से पूछा

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** जब प्रभु राम १४ वर्ष के बनवास के बाद वापस आये और माँ कौशल्या से मिलने गए तो अत्यन्त दुखी होने के कारण उन्होंने अपनी कोख को ही अभागिन कह देखे प्रभु राम कितनी शालीनता से उनकी पीड़ा को हर लिया और माँ कैकेयी, हनुमान जी, भरत जी और लक्ष्मण जी का मान बढ़ाया। माँ कौशल्या ने राम जी से पूछा राम क्यों दुःख भोगने को इस अभागिन कोख आया, राज्य छुटा, वन गया, चौदह वर्ष तक कष्ट पाया। राम जी ने मुस्करा कर उत्तर दिया हूँ परम सौभग्यशाली मातु तेरी कोख पाया, शीश धर आज्ञा पिता की, मैंने जग में मान पाया। जग को कुछ आदर्श देने आया है माँ राम तेरा, तप के कंचन सा निखरना, मातु था उद्देश्य मेरा। कैकेयी माता ने अपजस सह मुझे कंचन बनाया। हूँ परम सौभग्यशाली... यदि न जाता वन तो हनुमत और लेखन सेवा न पाते, त्याग की प्रतिमूर्ति मेरे भरत भैया बन न पाते। में बंधा था ...