जय मां बगलामुखी
प्रीति शर्मा "असीम"
सोलन हिमाचल प्रदेश
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पीतांबरा है नाम तुम्हारा।
दसमहाविद्या में आठवां स्थान तुम्हारा।।
सिद्धिदात्री तुम कहलाती।
वाक् सिद्धि को सिद्ध कर जाती।।
वाद-विवाद में विजय दिलाती।
शत्रु का स्तम्भन कर जाती।।
पीतरूप मां को है प्यारा।
जन-जन को लगे हैं न्यारा।।
पाप पाखंड को दूर है करती।
शत्रु की जीवा को हरती।।
"वीर रात्रि" की जो साधना करता।
छत्तीस अक्षर मन में धरता।।
कमी कोई रहने ना पाएं।
तंत्रिका-मंत्रिका सिद्ध कर जाएं।
बगला सिद्ध विद्या वह पाएं।
एकाक्षरी मंत्र जो सिद्ध करे जाएं।
हर संकट से मां बचाएं।
बुद्धि-सिद्धि जय मां से पाएं।
वीरवार को ध्यान जो करता।
मां से उसको ज्ञान है मिलता।।
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परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम"
निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश
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