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Tag: प्रियंका पाराशर

ताकत कलम की
कविता

ताकत कलम की

प्रियंका पाराशर भीलवाडा (राजस्थान) ******************** न्यून-सी नोंक, छोटा-सा कद सभ्य, अनुशासित होकर संभालती उच्च पद जो संभव न हो तलवार से वो कलम कर दिखाती हैं क्रूर, विनाशकारी हिंसा से अंत में, ताकत कलम की श्रेष्ठ कहलाती हैं कलम के भाव कभी मनोरंजन तो कभी तूफान जुबां से निकले शब्द नहीं डालते जब कोई प्रभाव तब हस्ताक्षरित अटल फैसला सुनाती हैं अंधकारमय वातावरण में भी कलम आशा की किरण बन जाती हैं वृहत हथियारो से, शब्दों की बौछारों से ताकत कलम की श्रेष्ठ कहलाती हैं परिचय :- प्रियंका पाराशर शिक्षा : एम.एस.सी (सूचना प्रौद्योगिकी) पिता : राजेन्द्र पाराशर पति : पंकज पाराशर निवासी : भीलवाडा (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं...
मातृशक्ति
कविता

मातृशक्ति

प्रियंका पाराशर भीलवाडा (राजस्थान) ******************** आपसी सामंजस्यपूर्ण वाद-विवाद कुछ यूँ प्रारंभ हुआ पति-पत्नी का संवाद कैसे कर लेती हो ये कमाल पति ने किया पत्नी से सवाल नाहक क्रोध करता, बेवजह सुनाता डाँटता हूँ अकारथ मैं पत्नी भक्ति से विरक्त फिर भी तुम बनती पति भक्त स्वयं भारतीय संस्कृति के वेद का विद्यार्थी परंतु आध्यात्मिक शक्ति में तुम महारथी करता हूँ वेद का केवल अध्ययन पर जीवन में तुम करती उसका अक्षरतः पालन सुनो मेरे हमजोली पत्नी मुस्कुराकर बोली माँ की थोडी़ सेवा कर पुत्र कहलाए मातृभक्त पर दिन-रात पुत्र की देखभाल कर माँ नहीं कहलाती पुत्र भक्त पति का कौतूहलपूर्ण प्रश्न प्रारंभ हुआ जब जीवन तब स्त्री पुरूष थे एक समान फिर स्त्री से पुरुष कैसे महान पत्नी ने किया प्रतिवाद दो वस्तु से दुनिया निर्मित वह है ऊर्जा और पदार्थ पुरूष जैसे ऊर्जा तो स्त्री जैसे पदार्थ विकसित होता पदार्थ करके...
मातृ-पितृ भक्त होती बेटी
कविता

मातृ-पितृ भक्त होती बेटी

प्रियंका पाराशर भीलवाडा (राजस्थान) ******************** तन से समर्पण मन से समर्पण सब कुछ अपना कर दे अर्पण नयनो में आत्मिक भाव झलकता हृदय में उपस्थित अति कोमलता उल्लास का अर्णव होती बेटी मातृ-पितृ भक्त होती बेटी दो कुलों की लक्ष्मी और लाज इस आधुनिकता में भी परायी आज कहने को सिर्फ शब्द है आज के युग में, बेटा बेटी एक समान पर जब अधिकारो का बँटवारा होता फिर कर्तव्यों के लिए क्यों असमान दूसरे कुल जाकर, कुल का मान बढ़ाती संवेदनशील होकर हर रिश्ता निभाती फिर भी हर गलती की जिम्मेदार वही ठहरायी जाती क्यों समझी जाती हैं वह परायी बेटी जबकि मातृ-पितृ भक्त होती बेटी हो चाहे धर्म माता-पिता या जन्मदाता हृदय दोनों से स्नेह, अपनत्व है चाहता ससुराल में भी जब बेटी मुस्कुराये, सम्मान पाए तो हर माता-पिता बेटी के जन्म से न घबराए सभी खुशी की अनुभूति से बेटी दिवस मनाएं सर्व गुणों की खान, प्रत्येक क्षेत्र में अ...
मातृ-पितृ भक्त होती बेटी
कविता

मातृ-पितृ भक्त होती बेटी

प्रियंका पाराशर भीलवाडा (राजस्थान) ******************** तन से समर्पण मन से समर्पण सब कुछ अपना कर दे अर्पण नयनो में आत्मिक भाव झलकता हृदय में उपस्थित अति कोमलता उल्लास का अर्णव होती बेटी मातृ- पितृ भक्त होती बेटी दो कुलों की लक्ष्मी और लाज इस आधुनिकता में भी परायी आज कहने को सिर्फ शब्द है आज के युग में, बेटा बेटी एक समान पर जब अधिकारो का बँटवारा होता फिर कर्तव्यों के लिए क्यों असमान दूसरे कुल जाकर, कुल का मान बढ़ाती संवेदनशील होकर हर रिश्ता निभाती फिर भी हर गलती की जिम्मेदार वही ठहरायी जाती क्यों समझी जाती हैं वह परायी बेटी जबकि मातृ-पितृ भक्त होती बेटी हो चाहे धर्म माता-पिता या जन्मदाता हृदय दोनों से स्नेह, अपनत्व है चाहता ससुराल में भी जब बेटी मुस्कुराये, सम्मान पाएं तो हर माता-पिता बेटी के जन्म से न घबराए सभी खुशी की अनुभूति से बेटी दिवस मनाएं सर्व गुणों की खान, प्रत्येक क्षेत्र में...