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Tag: प्रभा लोढ़ा

भाव भीनी श्रद्धांजलि
कविता

भाव भीनी श्रद्धांजलि

प्रभा लोढ़ा मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** देश संताप में था डूबा, भारत वासी की आँखें नम वीर जाँबाज़, भारत सपूत विपिन रावत अपने अनेक वीर फ़ौजी व सहचरी मधुलिका के साथ छोड़ चला सबको। करते हम नमन सत् सत् प्रणाम। छा गई वीरानी पंछी भूल गया गुनगुना, सागर ने समेट लिया लहरों को पुरवाई भूल गई राह को, काँप उठी धरती बन्देमातरम उदघोष गूंज उठा नभ में। सात फेरे के बंधन में बंध मधुलिका ने साथ निभाया, जीवन मरण में रही साथ । अनेक फ़ौजी ने वीरगति पाईं वीर शौर्य महान थे देश के पहरेदार थे निष्काम भाव से सेवारत थे, जीवन के हर पल सक्रिय थे मानव की आशा के नव निर्माण थे। करते हम नमन सत् सत् प्रणाम।। परिचय :- प्रभा लोढ़ा निवासी : मुंबई (महाराष्ट्र) आपके बारे में : आपको गद्य काव्य लेखन और पठन में रुचि बचपन से थी। आपने दिल्ली से बी.ए. मुम्बई से जैन फ़िलोसफ...
घर में पधारो गजानन
स्तुति

घर में पधारो गजानन

प्रभा लोढ़ा मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** खड़ी हूँ द्वार पर राह तकती तुम्हारी, घर में पधारो गजानन महाराज, घर को बुहारा चंदन की ख़ुशबू बिखेरी हर दिशा में, पीले-पीले फूलों का बनाया तोरण, तुम्हें अर्पण करने थाल सजाये नवैघ और मोदक से धुप दीप प्रज्वलित कर राह निहारती तुम्हारी, एक दंत महाकाय रुप है निराला, तुम हो संकट हरण करते सबकी विपदाएँ दूर, तुम्हारा मानव है घबराया महामारी करोना ने सबको है डराया, आकर सँभालो इस विपदा को दूर करो संकटमोचन गणपति, धरती पर हाहाकार मचा हुआ इस संकट का करो निवारण सब राह तकते अब तो आजाओ रुप तुम्हारा है निराला सबको बहुत सुहाता घर में पधारो गजानन महाराज । परिचय :- प्रभा लोढ़ा निवासी : मुंबई (महाराष्ट्र) आपके बारे में : आपको गद्य काव्य लेखन और पठन में रुचि बचपन से थी। आपने दिल्ली से बी.ए. मुम्बई से जैन फ़िलोसफी की...
नदी
कविता

नदी

प्रभा लोढ़ा मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** कल-कल ध्वनि की गूंज झर रही है मेरु पर्वत से श्वेत जलधारा । अरुणोदय की लालिमा ने रंग भर दिये उसमें। बलखाती लहराती ना जाने कहाँ जा रही है तेज वेग से चल कर आ मिली है धरा से।। हुई कई नामों से सुशोभित गंगा जमुना सरस्वती अपनी ही मौज में चली जा रही है कंकरीले पत्थरों को भी साथ ले उन्हें तराशती हुई तेज वेग से बह रही है एक ध्येय एक लक्ष्य राह की हर कठिनाई को पार करते हुए जा मिलने समुद्र से।। जीवन भी तो एक नदी है निरन्तर चलता रहता है अपने ही वेग से आँधी हो तुफान हो अच्छाई बुराई को साथ ले प्रभु मिलन की आस में चलता रहता है।। परिचय :- प्रभा लोढ़ा निवासी : मुंबई (महाराष्ट्र) आपके बारे में : आपको गद्य काव्य लेखन और पठन में रुचि बचपन से थी। आपने दिल्ली से बी.ए. मुम्बई से जैन फ़िलोसफी की परीक्षा पास की। आ...
बुद्ध पूर्णिमा
कविता

बुद्ध पूर्णिमा

प्रभा लोढ़ा मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** धधकी अंतस में ज्वाला, छोड़ राजपाठ सब निकल पड़ा सिद्धार्थ, सत्य की खोज में। दिव्य ज्ञान की मिली ज्योति, पाया महायान उसने बोघी गया में वृक्ष के नीचे मिला उसे बोघी ज्ञान, बोध वृक्ष के नाम से जग में हुआ प्रसिद्ध। तृष्णा को माना सब दुखों का मूल, अष्टांग योग का मार्ग दिखाया दुनिया को, सत्य अहिंसा और शांति का किया प्रसार। प्रथम उद्देश्ना दिया बुद्ध ने सारनाथ की पवित्र भूमि पर, मुक्ति मार्ग का दिया संदेश जग में बौद्ध धर्म का किया प्रसार, अध्यात्मिक सुख शांति का पाठ पढ़ाया मनुज ने किया जन जन का उद्धार भगवान तुम्हें शत शत प्रणाम। परिचय :- प्रभा लोढ़ा निवासी : मुंबई (महाराष्ट्र) आपके बारे में : आपको गद्य काव्य लेखन और पठन में रुचि बचपन से थी। आपने दिल्ली से बी.ए. मुम्बई से जैन फ़िलोसफी की परीक्षा ...
नन्हा दीया
कविता

नन्हा दीया

प्रभा लोढ़ा मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** सहमी सहमी प्रकृति थी, पक्षी लौट रहे थे क़तार में, सूरज झांक रहा था, बादलों की ओट से, नभ में रंग उड़ेल दिया चित्रकार ने, पवन की गति थी घीमी, स्थिर थे वृक्ष के पत्ते, साँस की गति हो गई घीमी, छा गई उदासी मन में जीवन में न थी कोई ख़ुशी भरी थी नमी आँखों में, आँसू बैचेन थे लुढ़कने को, अमावस्या ने चुरा लिया था चाँद को, तभी नन्हे दीये ने सिर उठाया, आशा की लौ जलाई प्रकाशित हुआ कोना यह देख अनगिनत दीयों ने हाथ मिला सब हुये साथ एक एक दीया प्रज्वलित हुआ, जगमगा उठी सृष्टि सारी मानवता जाग उठी दिया सबने सहयोग अपना प्रकृति ने सँभाली अपनी कमान आज की विषम परिस्थिति का मुक़ाबला किया सबने मिलकर नन्हे दीये का प्रयास हुआ सार्थक, ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ छाई चारों और। परिचय :- प्रभा लोढ़ा निवासी : मुंबई (महाराष्ट्र) आपके बारे में : आपको गद्य काव्य लेखन और प...
मेरी माँ … प्यारी माँ …
कविता

मेरी माँ … प्यारी माँ …

प्रभा लोढ़ा मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** मेरी प्यारी माँ ... दिल में हमेशा तुम रहती हो, बता न पाती, तुम्हें कितना चाहती मैं यादें बचपन की अक्सर आ आ कर गुदगुदी कर जाती जीवन में।। वो हँसना-हँसाना खेलना और व्यंजनों का स्वाद तुम्हीं हो जो हर पल रखती सबका ध्यान मुझे साथ रखती, हर काम में निपुण बनाती मेरी हर इच्छा पुरी करती छत पर धनिया पोदीना सुखाती गोभी व मौसमी सब्ज़ी बनाती मैं काम न करती तो रुठ जाती घर का कोई काम न आता मेरी बहन भतीजी हर काम में निपुण पापा से जा कर मेरी शिकायत करती मैं भी तुम्हें मनाना जानती हंस कर इधर-उधर भाग जाती तुम भी हँस कर चुप्पी साध लेती आज भी उम्र के इस पड़ाव पर पहुँच कर कितना ध्यान रखती हो हम सबका अस्वस्थ किसी का सुन कर परेशान हो जाती घरेलू इलाज का पिटारा खोल देती कितने नुस्ख़े सुना जाती कहती अपना ध्यान रखो खाने की शौक़ीन पाक प्रणाली की किताब रोज़ पढ़तीं जै...
कौन है
कविता

कौन है

प्रभा लोढ़ा मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** मन बेचैन है, न जाने किसके ढुंढ रहा है जी चाह रहा है, किसी को गले लगा लूँ। किसे लगाऊ? जो मुझे अच्छा लगे, या मैं जिसको अच्छी लगूँ पृथ्वी ने आकाश को चूना सागर ने नदी को, चाँद ने चाँदनी को, सूरज ने रश्मि को, मेरे मन ने उसे माँगा, जो पहुँच से बाहर है, जिसके स्पर्श से मैं अनजान हूँ, वो मेरे प्राणों को व्याकुल करता है।। मैं ढूँढ रही हूँ उस ज्योति को, जो जीवन राह को अंधेरे से निकाले, मेरी मौन व्यथा को सुने संगीत रागिनी का रस-पान कराये।। भटक रही हूँ मैं कौन है जिसे दूँ प्यार, जो मुझे अच्छा लगा, या मैं उसे अच्छी लगूँ ।। परिचय :- प्रभा लोढ़ा निवासी : मुंबई (महाराष्ट्र) आपके बारे में : आपको गद्य काव्य लेखन और पठन में रुचि बचपन से थी। आपने दिल्ली से बी.ए. मुम्बई से जैन फ़िलोसफी की परीक्षा पास की। आप गृहणी की भुमिका निभाते हुए कई संस्थाओं में ...
रिश्ते…
कविता

रिश्ते…

प्रभा लोढ़ा मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** आज हुई ज़िन्दगी से मुलाक़ात, हंस कर पूछा मैंने क्यों है इतनी नाराज़ कभी गुदगुदा कर हंसा देती है तो कभी रुला देती है, क्या तेरी यही चाहत है? सोच समझ कर दिया जबाब उसने हँसती गाती आती हूँ तुम्हें सिखा जाती हूँ रिश्तों को हमेशा रखना ज़िन्दा, ये ही है तुम्हारी ख़ुशी का अनमोल ख़ज़ाना ।। माँ पत्नी बहना, ये है जीवन के मोती दादा पिता चाचा ये है रंगीन धागे दादी नानी बुआ है जीवन की ख़ुशबू बेटी बेटा बहू व जवाई है सब अपने ।। रिश्तों की महत्ता को मत भूलो प्रेम से रखो सबको अपना बनाकर, गलती होने पर मुस्कुरादो रिश्तों की यही खूबी माफ़ी माँगने से रिश्ते और होते मज़बूत ।। मित्र सखा, ये तो है प्रेम के प्याले, मीठे रस से तृप्त होती है मन की बगिया, आँधी तुफान भी नहीं उजाड़ सकते झुक जाते हैं जो पेड़ रिश्तों की भी यही है अपूर्व महिमा सँभाल कर रखना हर रिश्त...