दमन
प्रदीप कुमार अरोरा
झाबुआ (मध्य प्रदेश)
********************
"सुन बे छुट्टन,"
"थोड़े प्याज के टुकड़े और ले के आ।"
झोपड़ीनुमा ढाबे में ठेठ पीछे की ओर परंपरागत पाट वाली खाट पर बैठे ट्रक ड्रायवर की आवाज सुनकर आठ वर्षीय दीनू चौक उठा। किसी और दुनिया में मगन, तख्ते पर फैले पलेथन (सूखे आटे) पर अभ्यास हेतु कुछ अक्षर उकेर रही उसकी अंगुली अचानक थम गई।
पिता ने रोटी बेलते-बेलते आँखें तरेरी। दीनू सहम गया।
गरीब की जिंदगी के जटिलतम ग्रंथ का सार दीनू ने तत्काल पढ़ लिया।
शराब की गंध दीनू के स्वर्णिम स्वप्नों पर हावी होती चली गई।
परिचय :- प्रदीप कुमार अरोरा
निवासी : झाबुआ (मध्य प्रदेश)
सम्प्रति : बैंक अधिकारी
प्रकाशन : देश के समाचार पत्रों में सैकड़ों पत्र, परिचर्चा, व्यंग्य लेख, कविता, लघुकथाओं का प्रकाशन , दो काव्य संग्रह(पग-पग शिखर तक और रीता प्याला) प्रकाशित।
सम्मान : अटल काव्य सम...