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परिवार
कविता

परिवार

पवन मोहनलाल रायकवार खंडवा (म .प्र.) ******************** अनमोल है डगर, अनमोल है परिवेश, थाम ले अपनो का हाथ जिसे कहते है परिवार का द्वार। यही है स्वर्ग, यही है अमृत जीवन का मर्म, जो बांधे रखता है एक डोर में जीवन की भौर। देता यह छाया, हर लेता सबके दुःख, रहती इसमें आशा, दूर हो जाती निराशा। जैसे पेड़ की छाया, जैसे शीतल हवा, रखता सबका ध्यान, जैसे नीर और गगन। है जीवन का अंग, जीवन का सार, मन की आशा, उद्देश्य की अभिलाषा। रक्षक है करते दुखों का अंत, जिसे कहते है परिवार, है एक ऐसा वंश। अम्बर जैसी विशालता, धरती जैसी विनम्रता, जैसे बंधी हो एक डोर, जिसे कहते है परिवार व। . परिचय :- पवन मोहनलाल रायकवार निवासी : खंडवा (म.प्र.) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित...