Monday, December 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: नेहा राजीव गरवाल

देखा है
कविता

देखा है

********** रचयिता : नेहा राजीव गरवाल हर रोज़ सवारते हो, जिस्म को....... उतर कर इसकी गहराई मे, कभी अपनी रूह को देखा है??? जानते तो,हो खुद को.... मगर कभी अपनी जिम्मेदारियों को, अपनो के बीच,चटृानो की तरह मजबूत बना कर देखा है। पता तो सब है, सब को ..... मगर जब रुठ जाते हे, इरादे खुद से, हाँ,वक्त के उन बदलते हालातो मे क्या कभी, मुसकुराकर देखा है??? चलो पढ़ तो लिया है, इस पागल की लिखी इन बातो को.... मगर जो गहराई हे इन बातो की, कभी उसमे उतर कर देखा है??? . लेखीका परिचय :- नेहा राजीव गरवाल दूधी (उमरकोट) जिला झाबुआ (म.प्र.) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक ...
है बहुत कुछ मगर…
कविता

है बहुत कुछ मगर…

============================== रचयिता : नेहा राजीव गरवाल है बहुत कुछ... मगर देखा नही जा सकता, महसुस किया जा सकता है मगर, महसुस किया नही जाता। राते अंधेरी होती है !! मगर..... मंजिल के मुसाफिरो के लिए, ये किसी रोशनी से कम नही, ये जो लमहा गुज़र रहा है ना यार, ये भी किसी मंजिल को पाने के लिए कम नही। मुश्किलें है......हज़ारो होती है मगर, मंजिल से हार जाने से बडा....और कोइ गम नही। हालाते बस सताती है यारो!! इनसे बहक जाना.....हमारा मकसद नही। आलसय आबाद है मगर, आलसय और मंजिल का, को......इ मेल नही। चाहे तो आज कर दिखा सकते है यारो!! मगर, कल करने वाले भी कम नही। सोच तो बेमिसाल है मगर, बस!!! सोचते ही रहना...... मंजिल तक का रास्ता नही, सोचते तो कई है यारो!! मगर अपनी सोच के मुकाम न दे पाने  वाले भी....... इस दुनिया मे कम नही। लेखीका परिचय :-  नाम - नेहा राजीव गरवाल दूधी (उमरकोट) जिला झाबुआ (म.प्र.) ...