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Tag: निर्मला परिहार

कहर
कविता

कहर

निर्मला परिहार पाली (राजस्थान) ********************** मेरा देश लहलहता था। फूलों की वादियों से। अचानक यह क्या हो गया? इस कदर मची है त्राहि-त्राहि चारों ओर। दरबार कभी जिनका बंद ना हुआ। वह मंदिर मस्जिद गिरजाघर शांति से बैठे आज। कहर ये कैसा छा गया? अचानक ये क्या हो गया? कि मातृभूमि का लाल। रात दिन हर पहर। गली-गली दे रहा है पहरा। दूजी तरफ वो मां का लाल, अस्पताल में बेफिक्र कर्तव्य निभाता। अचानक ये क्या हो गया? जो मानव कभी रुका नहीं शांति से बैठा आवास में। विडंबना की स्थिति में। सरकार का सहयोग सही। क्योंकि कोरोना का कहर है ऐसा सांसे छीन ली जीव की। तो क्यों ना हम सब। इस मुश्किल दौर में। मातृभूमि और मां के लाल की, तरह अपना कर्तव्य निभाएं। घर पर रहे! सुरक्षित रहे। रास्ता बस यही एक सही संकल्प लिया यह। पुनः देश लहराएगा।। . परिचय :-  निर्मला परिहार आयु : २३ वर्ष शिक्षा : बी.एड. द्वितीय वर्ष छात्रा...
बारिश की बूंदे
कविता

बारिश की बूंदे

********* रचयिता : निर्मला परिहार महकती है मिटटी गिरती है बूंदे, जब बारिश की खिलती है कलियां, झूमती हैं डालियां चहकती है चिड़िया, गाती हैं कोयल सुगंध प्रभात बांटते हैं फूल महकती है मिटटी, खेतो की खेतों में हल संग, चलते बैल  जब लहराती हैं फसल, झूमते हैं दाने खिलते हैं मुखड़े तब, परिश्रमी कृषक के बच्चा-बच्चा हस देता, आती है फसल जब पहली गली-गली में जलते दीप,  होती है तब दीवाली गिरती है बूंदे, जब बारिश की नदी कूप उफन से जाते ताल तलैया सब इतराते पदम है खिलता, सूखी धरा है हरियाली इंद्रचाप अंबर में दीखता तक गिरती है बूंदे, जब बारिश की ठंडी - ठंडी पवन मुस्काती बिजली भी करवट लेती गिरती है बूंदे, जब बारिश की !! . .लेखिका परिचय :-  निर्मला परिहार निवासी : पाली राजस्थान शिक्षा : बी.एड वर्ष २ विद्यार्थी आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ ...