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Tag: धैर्यशील येवले

आरक्षी
कविता

आरक्षी

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** आरक्षी प्रखण्ड में कार्य करती है सिर्फ देह। प्राणवायु का संचालन जिसमे पूर्णतः बन्द हो चुका है ऐसी देह। भावना, विचारों, इच्छाओं से शून्य देह। जो जैसा चाहे वैसा व्यवहार कर सकता है उसके साथ कोई प्रतिक्रिया नही देती ये देह। सबलता के भ्रामक आवरण से ढकी निर्बल देह। ग्रीष्म में सूखती बारिश में भीगती शरद में ठिठुरती चौराहे चौराहे दिन रात खड़ी देह। देश भक्ति जन सेवा खल दलन योग क्षेम जैसे नियमित कर्मो को निष्काम भाव से सम्पन्न करती देह। पर सुखों में प्रसन्न होती अपने दुःखो को छुपाती देह। लाख त्रुटियां जन जन की परिलक्षित परिभाषित नही, कर्तव्य की बलिवेदी पर शीश अपना चढ़ाती देह। . परिचय :- नाम : धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म....
दस्तक
ग़ज़ल

दस्तक

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** अदब से रहने का ये सिला मिला पाक दामन पे किचड़ उछाल रहे हैं। क्या मैं इतना मशहूर हो गया हूं मुझे बदनाम कर अपना नाम कर रहे हैं। मुद्दई वो गवाह वो मुंसिफ भी वो मुल्ज़िम करार दे मुझे इंसाफ कर रहे है। किसे करेगा फरियाद नाइंसाफी की सभी हुक्मरान गहरी नींद सो रहे है। किसी से उम्मीद न कर इमदाद की सभी अपना अपना रंजोगम ढो रहे है। सितमगर हो सके तो बचाले अपना घर बद्दुआ ओ के साये तेरे दर पे दस्तक दे रहे है। . परिचय :- नाम : धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिंदी रक्षक २०२० सम्मान आप...
कुछ आपको भी सुनाऊँ
कविता

कुछ आपको भी सुनाऊँ

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** लालसा है मन मे आपके दिल मे जगह बनाऊँ बातें है अपने मन की कुछ आपको भी सुनाऊँ। मुझे स्वीकार है अपनी त्रुटियां बुरा न मानना अगर आपकी भी गिनाऊँ। मैं आपसे अलग नही प्रतिबिंब हूँ आपका विश्वास नही होता क्या आईना दिखाऊँ हमारे बीच ये दूरियां क्यो नज़दीक आने में डर सा क्यो दर्जे तो हमारे बनाये हुए है क्या समय का पहिया घुमाऊँ कुछ आपको भी सुनाऊँ कुछ आपको भी सुनाऊँ . परिचय :- नाम : धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आद...
साथी
कविता

साथी

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** उबड़ खाबड़ कंटको से भरे पथरीले तप्त रास्तो पर से मैं तुझे सुरक्षित यात्रा करा लाया। राह के नुकीले कंकड़ कांटो का दमन करते, तेरे कष्टों का शमन करते मैं तुझे पड़ाव पर ले आया। पाते ही पड़ाव तूने मुझे तिरस्कृत कर उतार फेंका। मैं सम्पूर्ण रास्ते के कष्टों से उतना आहत नही हुआ जितना तेरे पड़ाव के दरवाजे पर हुआ मैं धूल से लथपथ फिर तेरी प्रतीक्षा में हूँ अनंत राह पर तेरे साथ चलने के लिए रुक मत चलता रह अनंत पथ पर उस पथ पर तुझे मेरी जरूरत न होगी मैं तेरा ''जूता'' जिसके हिस्से में हमेशा बिछोह आता है। . परिचय :- नाम : धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। आप भी अपनी कविताएं, कहानि...
जागो तो
कविता

जागो तो

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** जागो, जागो अब तो जागो मंदिर के घंटा घड़ियालों से नही जागे, न जागे गुरुजन की वाणी से अब तो जागो अधर्म के बढ़ते भीषण कोलाहल से जागो जागो अब तो जागो। सोते को जगाना सरल है पर तु तो पलके मूंदे लेटा है कब खोलेगा आँखे अपनी रिपु घर की चौखट से आ सटा है अपने लिए न सही संतानों के लिए तो जागो जागो ,जागो अब तो जागो। सोते रहने में घर गया था चला गया देश था डिगते ही स्वधर्म से सर्वस्व जाता रहा स्वामी से हो गया चाकर चाकरी करता रहा जगा रही वेदों की ऋचाएँ स्वर्णिम इतिहास की गाथाएं कह रही माटी भारत की अब तो जागो जागो, जागो अब तो जागो। हिमालय के मान के लिए गंगा के सम्मान के लिए ब्रह्मपुत्र की आन के लिए कश्मीर के वरदान के लिए कन्याकुमारी की शान के लिए मेवाड़ के अभिमान के लिए देवालयों के उत्थान के लिए अधर्म पर धर्म के रण के लिए गुरुगोविंद के बलिदान के लिए प्र...
मंगलमय
कविता

मंगलमय

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** तू क्षणभंगुर होते हुए भी अनंत का हिस्सा है, आकाश, वायु, जल पृथ्वी, अग्नि ने सुनाया वो किस्सा है। मोल तेरा कुछ भी नही परन्तु तू है अनमोल बिखरा दे हवा में अपनी सुगंध तेरी आत्मा परमात्मा का ही हिस्सा है। आदित्य रश्मियों कर स्वागत अंतस के तमस को बाहर कर तू अखंड ज्योति का ही हिस्सा है। ज्ञान के भवसागर से हो कर जाते है मार्ग उन्नति के, नव वर्ष की शुभघडी लिख रही तेरा ही मंगलमय किस्सा है। . परिचय :- नाम : धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अ...
मैं और उसका मैं
कविता

मैं और उसका मैं

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** मैं पंखुरियों सा बिछता रहा वो शूल सा चुभता रहा खिले थे एक ही शाख पर न वो पास था, न दूर मैं। मैं, मैं को कुचलता रहा वो, मैं को पालता रहा छोटे से जीवनपथ पर न वो झुका, न तना मैं। मैं समय धारा में बहता रहा वो, मैं की अग्नि में जलता रहा हो कैसे अग्नि पानी-पानी न वो चिंता तुर, न चिंतामुक्त मैं मैं दूध पिलाता रहा वो जहर उगलता रहा लिए अपना अपना स्वभाव न वो थका, न मैं। . परिचय :- नाम : धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां...
हम दोनों
कविता

हम दोनों

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** हम दोनों में कोई विशेष फर्क नही है । तू स्वार्थी मैं भी तू लालची मैं भी तू धूर्त मैं भी तू कमीना मैं भी तू दगा बाज़ मैं भी तू कपटी मैं भी तू अवसरवादी मैं भी तू झगड़ालू मैं भी तू ईर्ष्यालू मैं भी बस एक ही बात में हम अलग है तेरी प्राथमिकता धर्म है मेरी देश। . परिचय :- नाम : धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com प...
मैं कवि नही
कविता

मैं कवि नही

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** मैं कवि नही कविता मेरे बस की नही मन के भावों को मुझे पिरोना आता नही मुझे कविता लिखना आता नही मैं पाखंडी लिंगहीन शिखंडी प्रेम करना आता नही हो कैसे सृजन पता नही मुझे कविता लिखना आता नही मैं घृणा फैलाने वाला मन का काजल से काला किसी को सुहाता नही मैं किसी को भाता नही मुझे कविता लिखना आता नही दम्भी हु अभिमानी हु मूढ़ हु अज्ञानी हु पीठ किसी की खुजलाता नही मुझे कविता लिखना आता नही मुझे कविता लिखना आता नही . परिचय :- नाम : धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिं...
कब तक
कविता

कब तक

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** कब तक करता रहूंगा मैं घृणा, ईर्ष्या, क्रोध कब तक उलझा रहुगा मोह, माया, काम मे कब तक रहूंगा अमानवीय, पशुवत, अहंकारी कोई तो सिमा तय होगी मेरे अपराधों की। क्यो नही उबारता मुझे कुकर्मो से मैं अज्ञान के अंधकूप में समझ रहा हु स्वयं को सर्वश्रेष्ठ, जान कर भी ये सब कुछ मिथ्या है मानता नही हूँ। सत्य से परे कब तक रखेगा मुझे अपनी ही अग्नि में जलने लगा हूँ। जीना चाहता हूँ मैं जीने दो मुझे जगा कर मेरे भीतर प्रेम व करुणा सहज सामान्य कर सृष्टि का अंग बना दो मुझे। . परिचय :- नाम : धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अप...
मेरी आवारगी
ग़ज़ल

मेरी आवारगी

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** मेरी आवारगी को पनाह दे अपने दिल मे जगह तो दे थक चुका अब ये बंजारा रिश्ते को कोई नाम तो दे प्यार के सिवा कुछ नही आता जीने के कुछ उसूल सीखा तो दे इस शहर में हूँ मैं नया नया शीशे का दिल कहा रखु पता तो दे जख्म हरे है सुखाना चाहता हूँ थोड़ी सी तेरे होंठो की नमी तो दे . परिचय :- नाम : धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17...
शिखंडी
कविता

शिखंडी

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** उन बेटियों को समर्पित, जो दरिदों की दरिंदगी का शिकार हो असमय कालकवलित हुई। धिक्कार है मुझ पर धिक्कार है मेरे होने पर शर्मसार हूँ मैं, पुरुष होने पर। वहशी, दरिंदा, नरपिशाच दो क्षण में हो जाता हूँ, भाई, बेटा, पिता नही हो पाता तुझे विपत्ति में होने पर। तेरे आंखों में भय पढ़ नही पाता तेरा क्रंदन मैं सुन नही पाता, ज्ञानी, बलवान होने का मात्र दंभ भरता हूँ, और चलता हूँ मुझे क्या पड़ी है कि तर्ज़ पर। तुझे आत्मा कांप जाए ऐसा दर्द दिया जाता है, विभत्स तरीके से मार कर जला दिया जाता है, मैं, हाथ मे मोमबत्ती थामे नज़रे टिका देता हूँ, धृतराष्ट्र सा, टिमटिमाती रोशनी पर। मुझे तेरी चिता की आग न दिखाई देती है, न उसकी आंच महसूस होती है, मैं निर्रथक पुंसत्व ओढ़े हुए हूँ पुरुष के वेश में शिखंडी हूँ, और जीवित हूँ तो सिर्फ तेरी क्षमा पर। तेरी चिता की राख क्य...
दूरियां
कविता

दूरियां

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** बात कुछ ही साल पुरानी मकान छोटे दिल बड़े थे, अब, मकान बड़ा दिल छोटा हो गया अतिथि देवो भव कुत्तो से सावधान द्वारा स्थापन्न हो गया एक से साथ अनेक होते थे अब अनेक के बीच एक नितांत अकेला रह गया। अहम की भीड़ में हम खो गया। मैं, तू एक दूजे को जाने भी तो कैसे, मैं, मैं बना रहा तू भी तू ही रह गया। बीच तेरे मेरे कोई रंजिश भी नही, बस आगे निकलने की चाह में दरमियां फासला बढ़ता गया । निगाहें भी नही मिलती है अब तो लगता है, आंखों का पानी ही सुख गया। चाह कर भी अब मिलना मुश्किल हो गया जीवन की नदी का एक किनारा मैं, दूजा तू हो गया। . परिचय :- नाम : धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। ...
नूतन पुरवाई
कविता

नूतन पुरवाई

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** पत्थर ने चोंट दी या खाई है उत्तर के लिए बुद्धि भरमाई है पत्थर किसी के पास जाता नही आँखे होते क्यो ठोकर खाई है चल रही देश मे नूतन पुरवाई है। नोंच रहे अपने अपने तरीके से दलों के दलदल ले डूबे देश को चिंतातुर दिखने की होड़ लगी है कौन उबारे अब डूबे देश को सभी ने झूठी कसमें जो खाई है चल रही देश मे नूतन पुरवाई है है अरज तुझे माँ भारती घर अच्छे से क्यो नही बुहारती स्थान नही जाफर जयचंदो का घर अच्छे से क्यो नही संवारती अब बलिदानों पे आँच आई है चल रही देश मे नूतन पुरवाई है लगा देंगे हम प्राणों की बाजी है लिपटा ने हमें तिरंगा राजी माँ तेरा आँचल न होगा तार तार मरेगा गद्दार कितना ही हो गाजी अस्मिता पर अब बन आई है चल रही देश मे नूतन पुरवाई है . परिचय :- नाम : धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. ...
माँ ….
कविता

माँ ….

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** इंदौर रेलवेस्टेशन पर एक बुजुर्ग महिला लावारिस मिली थी, उसने बताया कि उसका बेटा उसे मुम्बई में ट्रेन में बिठा कर अभी आया बोल कर चला गया। इस मार्मिक घटना को शब्द देने का प्रयास मैंने किया है। माँ कहते है हर जगह ईश्वर नही जा सकता, इसलिए उसने बनाया तुझे। माँ नौ माह तक कितने जतन से पाला अपने भीतर तूने मुझे। माँ मेरा जन्म मर्मान्तक प्रसव पीड़ा दे गया तुझे। माँ मुझे पालते घर का पेट भी पालना था तुझे। माँ दिन रात मजदूरी करती थी तू छाती से लगा कर मुझे। माँ तू खाली पेट हो कर भी भरपेट दूध पिलाती मुझे। माँ तेरा आँचल तेरी देहगंध बेफिक्र सुला देती थी मुझे। माँ तेरे हाथ की चमड़ी खुरदरी होती रही, पॉव में छाले पड़ते रहे, माँ मैं बड़ा होता रहा अहसास न होने दिया मुझे। माँ मैं जवान हो गया कितने गर्व से तू, अपने आँसु छुपाते हुए देखती थी मुझे। माँ मेरे...
उन्मुक्त
कविता

उन्मुक्त

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** तुम छूना चाहती हो सूरज को, जरूर छुओ पर अपने पंख बचाये रखना। मेरी हर नसीहत को राह का रोड़ा समझती हो नही दूंगा आज से पर अपना विवेक हर पल जगाए रखना। जो दिखता है खूबसूरत बाहर से जरूरी नही भीतर से भी हो फिसलन पर अपने पैर मजबूती से रखना जिसे समझ रहे हो बोझ संस्कारो का चाहते हो इनसे मुक्ति हो जाओ मुक्त फिर इसकी किसीसे आस न रखना। जाओ जिओ जीवन उन्मुक्त जैसे जीते है खग, विहग अरण्य मे, जंगल मे कोई संस्कार नियम, कानून नही होते होता है वहा जाल बहेलिए का बस इतनी सी बात याद रखना। बस इतनी सी बात याद रखना। . परिचय :- नाम : धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। आप भी अपनी कविताएं, ...
कविता ….
कविता

कविता ….

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** स्वच्छंद, अल्हड़ मनमौजी, शरारती कविता। कभी उड़ान भर चिर देती है आसमान तो कभी गोता लगाकर सागर की छाती को भेद देती है, कभी सूरज को बुझा देती है तो चांद को जला देती है, अदम्य साहस से भरी अजेय कविता, मन करता इसे बंदी बना लू इसके पंख नोच लू कुछ शब्दों पर कब्जा भी कर लिया कुछ भाव भी जगा दीये अथक प्रयास किये पर कैद न कर सका कविता। घुटने टेक दिए जान गया, अजर है अमर है अनंत है आत्मा है कविता।। . परिचय :- नाम : धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अप...
क्या तुम सचमुच खुश थी?
कविता

क्या तुम सचमुच खुश थी?

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** पग पग पर दिया साथ तूने पल पल कष्ट सहे दे कर भी अग्नि परीक्षा परित्याग मिला सच सच बताओ सिया क्या तुम सचमुच खुश थी। स्वप्न आंखों में लिए रात रात भर जागी हो कर सुहागन काटा जीवन जोगन सा सच सच बताओ उर्मिला क्या तुम सचमुच खुश थी कोई भाया मन को कह दिया उस को सच बोलने की इतनी बड़ी सजा सच सच बताओ मीनाक्षी (शूर्पणखा) क्या तुम सचमुच खुश थी त्रिलोक विजेता जिसका पति था सुख स्वर्ण का अम्बार फिर भी झुलस गया घर संसार सच सच बताओ मंदोदरी क्या तुम सचमुच खुश थी देवो ने ठगा तुझे ऋषि ने ठुकराया वर्षों रही पाषाण बन तेरा दोष क्या था सच सच बताओ अहल्या क्या तुम सचमुच खुश थी मन रम गया सरिता किनारे क्या मन का रमना पाप है किंचित क्या देर हुई सिर हो गया धड़ से पृथक सच सच बताओ रेणुका क्या तुम सचमुच खुश थी सेवा से बिन मांगे मिला वरदान वरदान बन गया अभिशाप बन कर रह ...
भारत भूमि
कविता

भारत भूमि

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** ये धरा है सनातनी अजर अविनाशी, इसी धारा से उपजे थे वेद और पुराण, इसी पर कहा जाता है, वसुधै कुटुम्बकम, जन्मे थे यहाँ राम, कृष्ण ये सत्य है महान। जो भी आया देश विदेश से रम गया यहाँ पर परदेशी को भी स्वदेशी मान लिया यहाँ पर सभी ने निज आस्था से पूजन किया यहाँ पर हिंसा का उत्तर अहिंसा दे दिया गया यहाँ पर सत्य छुप नही सकता जान गयी दुनिया जहान आओ करे उसका वंदन गाये स्वागत गान जन्मे थे यहाँ राम, कृष्ण ये सत्य है महान।। अयोध्या व सरयू की आज दूर हुई पीर सदियों से बह रहा था उनके नयनो से नीर आओ सब मिल कर धर्म निभाएं मानवता का हम पुजारी अहिंसा के दो परिचय सदाशयता का तहजीब के लिए कर रही गंगा, जमुना आव्हान करो साथ साथ अब चल कर पूरे भारत के अरमान। जन्मे थे यहाँ राम, कृष्ण ये सत्य है महान।। . परिचय :- नाम : धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा :...
मॉब लीचिंग
कविता

मॉब लीचिंग

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** घर की जरूरतों की जुगाड़ के लिए घर से निकला था वो रोटी, कपड़ा, बच्चों की किताबें और कुछ मामूली सपनो की ताबीर चाहता था वो। दरवाज़े की दहलीज पर देख बीवी की आँखों मे डर के साये उसके हाथ पे अपना हाथ रख हल्के से मुस्कुराया था वो। अपने शहर की मिट्टी तंग गलियों, आबोहवा और बदलते मौसम से भली भांति वाकिफ़ था वो कई गलियों का चक्कर लगाते काम की तलाश में शहर के उस छोर पर पहुंच गया था वो। किसी ने पांच सौ रुपये का नोट थमाते कहा मेरी मवेशी चरनोई तक छोड़ आ हथेली में पांच सौ का नोट भींचे घर का चूल्हा जलता देख बच्चों को किताबें पढ़ता देख मवेशी हाँकने लगा था वो। अचानक न जाने क्यों कैसे सैकड़ो की भीड़ में वो घिर गया जिस्म का पोर पोर तार तार हो बेजान जमी पर गिर गया था वो हथेली में अब भी नोट भिंचे दहलीज़ पर मुन्तज़िर दो आंखों घर की जरूरतों, किताबो की फिक्र से दू...
अकेला
कविता

अकेला

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** मेरी ये रचना भारत के सभी पुलिस कर्मी यो को समर्पित है निर्धनता में जन्मा वो सपने लिए बड़ा हुआ रोटी, कपड़ा, मकान की तलाश में आ पोहचा ऐसी जगह जो मायावी थी वहा भ्रम हो जाता है शक्तिशाली होने का। शक्ति से साथ मिलेगा रोटी, कपड़ा, मकान इसी लालसा में घुस गया चक्रव्यूव में। धसता चला गया धसता चला गया सारे भेद खुलते गये जिसे शक्ति समझा था, वो तो बेबसी लाचारी निकली निकलना चाहा चक्रव्यूव से परंतु अनुभव अभिमन्यु सा। जिसने चाहा उसने मारा जिसने चाही उसने उतारी इज्ज़त जीने की चाह में रोज मरता रहा। पर दुसरो की रखवाली करता रहा। बड़ी आस से अपने श्रेष्ठी जन को मदद के लिए याचक की नज़रों से देखता रहा। श्रेष्ठी भी क्या करता वो खुद ही है निराधार। कैसे उठाये तेरा भार। कौन करे तेरा उद्धार इस प्रश्न का कोई उत्तर नही तू शापित है शापित रहेगा दुसरो की रखवाली में ते...
स्त्री
कविता

स्त्री

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** आना मेरा दुनिया मे नागवार गुजरा अपनो को सहती रही पलती रही शिकवा न किया जिंदगी घर मे ही मिला दुजभाव पैरो में थी अदृश्य बेड़िया हर पल मन ममोस्ति रही शिकवा न किया जिंदगी अपने घर की थी पराई जब आई अपने पराये घर बातों में उलाहने सहती रही शिकवा न किया जिंदगी मुझे बोझ समझते थे मुझ पर बोझ बन गए सब का बोझ उठाती रही शिकवा न किया जिंदगी जब दुनिया मे आ ही गई क्यो कर तुझसे हार मानु तुझसे हरपल लढती रही शिकवा न किया जिंदगी आज भी हार नही मानूँगी तुझे पाल अपने भीतर वसुधा सा भार उठाती रही शिकवा न किया जिंदगी। . परिचय :- नाम : धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। आप भी अपनी कविता...
आवारापन
कविता

आवारापन

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** स्याह रात में हज़ारो ख्वाइशें लिए मैं अज़नबी शहर में भटक रहा था। बादलो से हारे सितारें न जाने कहा जा छुपे थे। जुगनुओं की बस्ती में भी कोई हादसा हो गया था कोई नज़र नही आ रहा था। इस स्याह रात में मैं बे साया मंज़िल की ज़ुस्तज़ु में बद हवास भटक रहा था। अजीब हैं ,ये शहर रौशनी से डरा हुआ, सन्नाटा हाथ मे नश्तर लिए हर आवाज़ को चाक कर रहा था दिल और जेहन के बीच घमासान छिड़ा था दोनों के दरमियाँ मैं बेबस खड़ा था। किसकी सुनु, न सुनु कश्मकश में था। ये ज़ुस्तजू ये जद्दोजहद किसके लिए मैं समझ नही पा रहा था मेरा आवारापन ले आया मुझे शहर के उस छोर पर जहा जिंदगी ही हद खत्म होती है। और शुरू होता है एक नया सफर जो मंज़िल का मोहताज़ नही। . परिचय :- नाम : धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बै...
समय
कविता

समय

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** दूर सुदूर आकाश के उस छोर को ताकता, या कहे शून्य निहारता मैं, हा मैं साथ होगा भी कौन, मैं तो है ही, शाश्वत अकेला, नितांत अकेला। एक भ्रम होता है, हम, होने का वही बुनता है, भ्रमजाल मायाजाल मै, उलझता है उलझता जाता है, महसूस करता है अपने, चहु और, अपने जागती आंखे दिखती है सपने। खो जाता है, मै, भूल कर मै। दौड़ता है, कस्तूरी मृग सा मरुस्थल में। दौड़ खत्म नही होती, भ्रम सिर्फ भ्रम समय, शिकारी सा बाट जोहता, दिखाई नही देता। और जब तक मैं ये जान जाता मृगतृष्णा, शून्य से ताकता समय त्रुटि नही करता। वो जनता है, वो शिकारी है और हैं सामने शिकार। . परिचय :- नाम : धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर...
नटखट बच्चा
कविता

नटखट बच्चा

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** एक नटखट बच्चा रोज मन के द्वारे आकर बैठ जाता है, यादों की किताबो को उलट पलट देता है, कुछ पन्ने फाड़ देता है, मेरी डांट से उन्हें जैसे तैसे चिपका देता है। आज तो उसने हद कर दी बाहर खेलने का बोला तो आवारा घूमता रहा शाम को लौटा तो कही से सुरमई धूप के टुकड़े, कुछ हवा के रंग धूसर, लाल, पिले, निले महकती रात की कुछ उजली किरणे, कुछ फूलो से झरे मोती, नदी के गजरे के बासी फूल चांद का गर्म दुशाला, एक बड़ी बिंदी चांदनी की चंपा चमेली की चूड़ी के टुकड़े सपनो का टूटा फूटा इत्रदान, सुबह की कान का एक बाला शाम की पायजेब का टूटा घुँघरू और न जाने क्या क्या बिन कर मन की कोठरी में ले आया है, इन चीजों से उसके लिए एक सपनो की झालर बुन दु, इसके लिए मुझ से जिद कर रहा है। . परिचय :- नाम : धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर ...