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Tag: दीपक मेवाती ‘वाल्मीकि’

मैं भी तो शहीद था
कविता

मैं भी तो शहीद था

दीपक मेवाती 'वाल्मीकि' सुन्ध - हरियाणा ******************** बारिशों के बाद जो बीमारियों की घात हो जंग का ऐलान तब मेरी ख़ातिर हो चुका मानकर आदेश को मन में सोच देश को ना ख़याल आज का ना फ़िकर बाद का सिर्फ़ एक लक्ष्य है जो मुझे है भेदना सीवर हो जहाँ रुका वो मुझे है खोलना बाल्टी, खपच्ची, रस्सी ली उठा हाथ में दो मेरे संगी भी चल-चले थे साथ में सुबह-सुबह की बात है थोड़ी पर ये रात है खोला ढक्कन जैसे ही बदबू आई वैसे ही । कुछ नहीं था सूझता कुछ नहीं था बूझता बदन से कपड़े दूर कर कमर में रस्सी बांधकर सुरक्षा की ना बात है ईश्वर का ही साथ है आसपास मेरे सब नाक-भौंह सिकोड़कर साथ मे खड़े हैं सब पास में ना कोई अब मैं अकेला ही भला हूँ जो भी हो देखेगा रब काली-काली गंदगी कितनों का ये मल है और कितनो की ये लेट्रिन दुश्मन से लड़ना है अब सोच छोड़ उतरना है अब एक को पकड़ा के रस्सी देह नरक की ओर बढ़ दी गर्दन तक मल में हू...