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Tag: दिनेश कुमार किनकर

श्रमिक देव
कविता

श्रमिक देव

दिनेश कुमार किनकर पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ******************** जिनके लघु स्वेद कणों से, मिट्टी भी सोना हो जाती है, जिनकी भुजाओं के बल से, नई ज्योत्सना खिल जाती है!... ऐसे श्रम वीरों ने सदा से, धरती का रूप सँवारा हैं, हल, हथौड़ा, हँसिया से, मोड़ी इतिहास की धारा हैं!... इन्होंने दुनिया को सदा दिया, वैभव ऐश्वर्य सुख सुविधाएं, और बदले में सदा पाया हैं, आंसू क्रंदन अभाव पीड़ाएँ!.... धनपतियो का सारा वैभव, इनके श्रम पर टिका हुआ है, धरा का सम्पूर्ण निर्माण भी, इनके ही हाथो तो हुआ है!... भौगोलिक सीमाओ से परे, ये अनवरत सृजन करते जाते हैं, परं देवतुल्य श्रमिक कहीं भी, इसका भोग नही कर पाते हैं!... परिचय -  दिनेश कुमार किनकर निवासी : पांढुर्ना, जिला-छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र :  मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौ...
जब वो हमसे रुठ गए!
कविता

जब वो हमसे रुठ गए!

दिनेश कुमार किनकर पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ******************** मेरे सपने सब टूट गए! जब वो हमसे रुठ गए! दुनिया मे अब अपना, रहा न कोई सहारा! फंस गई भंवर में नैया, मिला न हमे किनारा! हम लहरों में डूब गए! जब वो हमसे रुठ गए! ... उदासियाँ भरे हैं दिन, तनहा-तनहा राते हैं! धुंधली शामों से सजे, गम अब हमे बुलाते हैं! हम खुद से ही टूट गए! जब वो हमसे रूठ गए!... आज भी हंसी नज़ारे, मुझको सपनो में आते, रंगीनियों में खोने को, फिर फिर पास बुलाते, हम बैरागी से हो गए! जब वो हमसे रुठ गए! ... परिचय -  दिनेश कुमार किनकर निवासी : पांढुर्ना, जिला-छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र :  मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्...
आई याद जो तेरी
कविता

आई याद जो तेरी

दिनेश कुमार किनकर पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ******************** आई याद जो तेरी! लगाई हृदय ने फिर, सुधि डगर की फेरी! अहे प्रीत गात की गंध, नवपुष्प की ज्यों सुगंध, मानो आ गया वसंत, सुमुखि तुम रति की चेरी!... जबसे तुम मुझको भाई, मन ने प्रीत की टेर लगाई, तुमने सारी प्यास बुझाई, प्रिये, तुम रूप की चितेरी!... मन मेरा था कोरा दर्पण, किया तुमने प्रेम समर्पण, प्रेम क्या है तर्पण अर्पण, तुम मिलन की शाम घनेरी... लगाई हृदय ने फिर, सुधि डगर की फेरी! आयी याद जो तेरी! परिचय -  दिनेश कुमार किनकर निवासी : पांढुर्ना, जिला-छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र :  मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते है...
आना-जाना
कविता

आना-जाना

दिनेश कुमार किनकर पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ******************** लगा हुआ है आना जाना! बंदे इस पर क्या पछताना! सृष्टि ने यह नियम बनाया, जो भी जीव यहां हैं आया, वक़्त सीमित सबने पाया, रह कर बंदे इस दुनिया में इक दिन सबको चले जाना!... सारे आने वाले यहां पर, देखे दुनियादारी यहां पर, मेरा मेरा ही करे यहां पर, इतना सा भूल है जाता, कुछ भी साथ नही जाना!... ये दुनिया जानी पहचानी, वो दुनिया तो है अनजानी, दोनों की हैं अजब कहानी, चले गए जो इस दुनिया से, वापस फिर ना कभी आना!... सुख-मंदिर जग में सारे, लगते जो हैं सब को प्यारे पर ये नही है तारणहारे करना होगा सत्कर्म फ़कत यही तो बस साथ हैं जाना!... परिचय -  दिनेश कुमार किनकर निवासी : पांढुर्ना, जिला-छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र :  मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलि...
हे सुंदर निशि
कविता

हे सुंदर निशि

दिनेश कुमार किनकर पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ******************** ना धोवो मुख अपना, शीतल ज्योत्सना से। तमस की काया लिये, लगती तुम सुंदर निशि।...... थके हुए तन मन लिये, खोते जो सपनो में। गोद तुम्हारी पाकर, पाते स्फूर्ति तनो में। करते विदा रवि तुम्हे जब आते प्राची दिशि। तमस की काया लिये, लगती तुम सुंदर निशि।..... ले मलिनता पुष्पो से, देती तुम उन्हें शांति। तारो ने भी तुमसे, पाइ हैं टिम टिम कांति। सकुचा क्यों जाती हो, छाते जब नभ में शशि। तमस की काया लिए, लगती तुम सुंदर निशि।...... परिचय -  दिनेश कुमार किनकर निवासी : पांढुर्ना, जिला-छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र :  मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ ...
निशा की माया
कविता

निशा की माया

दिनेश कुमार किनकर पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ******************** फैलाई निशा ने माया, चाँद सितारों की! लौट गए रवि लेकर, अपना स्वर्णिम रथ! नर्तन कर संध्या भी, चल दी अपने पथ! निशा ने सुलाया सबको जो थे थके हुए लथपथ! विरहदग्ध रहे देखते, रातभर यात्रा तारो की!....... फैल गई चांदनी गगन, में जैसे हृदय की आस! लगे दौड़ने तारे नभ में, दग्ध मन के से संत्रास! शशि अपनी शीतलता से, उर में भर रहा विश्वास! पंहुची साधना चरम पर प्रभु पथ के प्यारो की!....... गहन तिमिर में निकल, निशाचर पा रहे आहार! मिलन की इस यामिनी में, युगल कर रहे हैं विहार! अधर्मियों के लिए निशा, सुलभ करने पीत व्यापार! निशा साक्षी हर हृदय में बनती गिरती दीवारों की! फैलाई निशि ने माया, चाँद सितारों की! परिचय -  दिनेश कुमार किनकर निवासी : पांढुर्ना, जिला-छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र :  मैं यह...
नेहानुबन्ध
लघुकथा

नेहानुबन्ध

दिनेश कुमार किनकर पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ******************** प्रेम की लंबी उम्र बहुधा उसकी निस्वार्थता पर निर्भर करती हैं। मधु जब अपने बाबुल का अंगना छोड़ पी की देहरी आई तो मन मे एक दृढ़ संकल्प तो था पर एक अनजान सा भय मिश्रित आनंद भी था। बचपन से सौतली माँ के कठोर सानिध्य में पली मधु ने कष्टो व दुखो को बहुत नजदीक से देखा था। बात बात पर पिटना, भूखे ही सो जाना आदि की तो मधु को खूब आदत थी। पर कितनी भी कठोर क्यों न हो, मधु अपनी मां को हृदय से चाहती थी। ससुराल में तो धन दौलत वैभव सब कुछ मधु को मिल गया था। पर मधु माँ को नही भूल पाई थी। ससुराल में सिर्फ उसके ससुर और पति बस दो ही लोग थे। विवाह के लगभग एक साल बाद मधु के पिताजी यकायक चल बसे। घर का सारा काम मधु से करवाने वाली मां पर मानो वज्रपात पड गया। दुकान बंद हो गई और कुछ ही दिनों में खाने के लाले पड़ने लगे। मां को रह-रह कर अपनी सौत...
आना जाना
कविता

आना जाना

दिनेश कुमार किनकर पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ******************** लगा हुआ है आना जाना! बंदे इस पर क्या पछताना! सृष्टि ने यह नियम बनाया, जो भी जीव यहां हैं आया, वक़्त सीमित सबने पाया, रह कर बंदे इस दुनिया में इक दिन सबको चले जाना!... सारे आने वाले यहां पर, देखे दुनियादारी यहां पर, मेरा मेरा ही करे यहां पर, इतना सा भूल है जाता, कुछ भी साथ नही जाना!.... ये दुनिया जानी पहचानी, वो दुनिया तो है अनजानी, दोनों की हैं अजब कहानी, चले गए जो इस दुनिया से, नही उन्हें अब वापस आना!... सुख- मंदिर जग में सारे, लगते जो हैं सब को प्यारे पर ये नही है तारणहारे करना होगा सत्कर्म फ़कत यही तो बस साथ हैं जाना!... परिचय -  दिनेश कुमार किनकर निवासी : पांढुर्ना, जिला-छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र :  मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं...
जीवन के महासागर में
कविता

जीवन के महासागर में

दिनेश कुमार किनकर पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ******************** जीवन के महासागर में, संघर्षों की नित लहरे, जो डरे महज थपेड़ो से, वे न कभी उतरे गहरे.... जिन्हे अपने भुजबल पर सदा अटूट रहा विस्वास, सुख मोतियों की आस में, करते गए जो नित प्रयास, जीवन के परमानंद को, सदा उन्होंने ही चखा, कंटको के भय से जो न कभी पथ पर ठहरे.... जो डरे महज थपेड़ो से, वे न कभी उतरे गहरे.... दुखो में ही होती निहित, सुखों की सच्ची आशा, मोती भी मिले उन्हें ही, रही जिन्हें सच्ची प्रत्याशा, जिन्होंने सदा ही भार सहा, वे ही हीरक बनकर दमके, मिली मंज़िल उन्हें ही सदा, तोड़े जिन्होंने हर पहरे, जो डरे महज थपेड़ो से, वे न कभी उतरे गहरे.... परिचय -  दिनेश कुमार किनकर निवासी : पांढुर्ना, जिला-छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र :  मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्...
सिर्फ
कविता

सिर्फ

दिनेश कुमार किनकर पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ******************** प्रीत गठबंधन का हमारे, अभी न होगा अंत! बसी है हृदय में प्रिये, तुम्हारी छवियां अनंत! अधर मधु रस पान की आशा! उर को प्रीत की चिर प्रत्याशा! मन की कैसी कैसी अभिलाषा! मानो हृदय बस गया हो वसंत! तुम चिरानंद का दिव्यप्रपात! सुरभि कस्तूरी तुम्हारा गात! अहे,प्रेम की मधुर ये सौगात! उर ताप करती शीतल तुरंत! रोमकूप उत्फुल्ल उर्मिताप से! सुर्ख लब कपोल रक्तदाब से! सज्ज देहयष्टि कठिन नाप से! समाया हैं मानो तुझमे दिगंत! प्रीत गठबंधन का हमारे, अभी न होगा अंत! बसी हैं हृदय में प्रिये, तुम्हारी छवियां अनंत! परिचय -  दिनेश कुमार किनकर निवासी : पांढुर्ना, जिला-छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र :  मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानि...
मेरा गांव
कविता

मेरा गांव

दिनेश कुमार किनकर पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************  दृश्य एक कितना सुंदर मेरा गाँव....... हर आँगन में तुलसी खिलती, और चूल्हों पर गाकड़ सिकती! कुछ ही बड़ो के घर हैं पक्के, शेष सभी के कच्चे ठावँ!.... कितना सुंदर मेरा गांव........ भोर सवेरे सब उठ जाते, कृषक मजदूर खेतो में जाते! दिनभर सब करते है मेहनत, नही देखते धूप और छावं!... कितना सुंदर मेरा गांव........ चौपालों पर सत्संग हैं होता, तबला ताल मृदंग भी होता! सुबह सुबह दिंडी में जाने, भक्त निकलते नंगे पावँ,! कितना सुंदर मेरा गांव......... सर पर दिखती टोपी गांधी, यहां नही फैशन की आंधी! सदियो से चल आ रहा, धोती बंडी कृषक पहनाव! कितना सुंदर मेरा गांव..... घर घर शिक्षा अलख जल रही, नारी हर क्षेत्र आगे बढ़ रही! जीवन के हर पहलू में अब वे, कमा रही हैं अपना ना! कितना सुंदर मेरा गांव..... यह दौर एक सघन विस्...
आई याद जो तेरी
कविता

आई याद जो तेरी

दिनेश कुमार किनकर पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ******************** आई याद जो तेरी! लगाई हृदय ने फिर, सुधि डगर की फेरी! अहे प्रीत गात की गंध, नवपुष्प की ज्यों सुगंध, मानो आ गया वसंत, सुमुखि तुम रति की चेरी!.. जबसे तुम मुझको भाई, मन ने प्रीत की टेर लगाई, तुमने सारी प्यास बुझाई, प्रिये, तुम रूप की चितेरी!.. मन मेरा था कोरा दर्पण, किया तुमने प्रेम समर्पण, प्रेम क्या है तर्पण अर्पण, तुम मिलन की शाम घनेरी... लगाई हृदय ने फिर, सुधि डगर की फेरी! आयी याद जो तेरी! परिचय -  दिनेश कुमार किनकर निवासी : पांढुर्ना, जिला-छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र :  मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, र...
प्रकृति
कविता

प्रकृति

दिनेश कुमार किनकर पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ******************** मनुज हे, प्रकृति अपरंपार! प्रकृति की शक्ति निहित हैं, वायु ऊर्जा जल थल अकास! और अनंत हैं सूक्ष्म शक्तियां, सबमे समाहित इनकी उजास! जगत में जीवन का आधार! मनुज हे, प्रकृति अपरंपार! जगति ने हैं दिया मनुज को, आनंद का अक्षय वरदान! पर भौतिक तृष्णा ने इसको हैं बना दिया दुखो की खान! न कर खुशियो को तार-तार! मनुज हे, प्रकृति अपरंपार! कुदरत से मिली जो शक्ति, उससे अक्षयपात्र को भरले! स्वयं विकास के हेतु मनवा, प्रकृति से बस प्रीत तू कर ले! न कर इस शक्ति का व्यापार! मनुज हे, प्रकृति अपरंपार! परिचय -  दिनेश कुमार किनकर निवासी : पांढुर्ना, जिला-छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र :  मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, ल...
हे पंछी नन्हे…
कविता

हे पंछी नन्हे…

दिनेश कुमार किनकर पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ******************** हे पंछी नन्हे.... संभलकर भर तू उड़ान! हैं ज़िंदगी अनमोल जान!..... गगन हो रहा रक्तिम लाल, गिद्ध उड़ रहे ओढ़े खाल, हर ओर नुकीले पंजो वाले, रखना रे खुद का ध्यान! संभलकर भर तू उड़ान!.... हैं ज़िंदगी अनमोल जान! हो गई हैं निष्ठा बागी, रोक उड़ानों पर हैं लागी बातो में न आ जाना बंदे, नही पिंजरे में तेरी शान, संभलकर भर तू उड़ान!!...... हैं ज़िंदगी अनमोल जान! जगह जगह लगे हैं फंदे, बहेलियों के यही हैं धंदे, चुग्गा दिखा पर कतरेंगे, ना रहना इससे अनजान! संभलकर भर तू उड़ान! हैं ज़िंदगी अनमोल जान! परिचय -  दिनेश कुमार किनकर निवासी : पांढुर्ना, जिला-छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र :  मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अ...
आओ रंजोगम दूर भगाये
कविता

आओ रंजोगम दूर भगाये

दिनेश कुमार किनकर पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ******************** आओ रंजोगम दूर भगाये!....... खुशियों के संग होली मनाये!..... हैं नई फ़िज़ा और नया जमाना, गाये सब खुशियो का तराना करे काष्ठ छोड़ कर्कट दहन, भीतर बाहर सब शुद्ध बनाये, सपनो के संग होली मनाये!...... अमन चैन की हवा सुस्त हैं, बाकी तो सब कुछ दुरुस्त हैं दिल से सब को लगा गले, आओ गीत सौहार्द के गाये, अपनो के संग होली मनाये!..... चहुँ ओर हो हँसी व ठिठोली, खेले मिल-जुल कर सब होली, लेकर ढोल मंजीरे व ताशे, नाच-नाच कर फ़ाग सुनाये, रंग रंगीली सब होली मनाये!.... है खिल उठे जंगल मे पलाश, जागी मन मे मीत की आस, देख सजनी के सराबोर वसन, तन मन मादकता भर जाए, प्रिय संग खूब होली मनाये!..... जलाये जो हैं अशुभ असुंदर, और सृजन करे नूतन निरंतर, यह पर्व हैं नव पल्लवो का, युवा नव पथ पर पग बढ़ाये, संकल्पो के संग होली मनाये!.... रंगों से भर कर के प...
विजय मार्ग
कविता

विजय मार्ग

दिनेश कुमार किनकर पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ******************** धर विजय मार्ग पर पग, कर्मवीरों का यह जग! रख धीर औ मन मे आस, बस कर पुनः पुनः प्रयास देख सदा स्वप्न चरम के, औ रच अम्बर में नव मग, धर विजय मार्ग पर पग!.... छू चलते हुए सितारों को, ले आगोश में सब तारो को, हो जोश तुझमे इतना कि मचले बिजली तेरे हर रग! धर विजय मार्ग पर पग! .... प्रारब्ध ने तो इतना जाना, बुन कर्मो का ताना बाना, अर्जुन सा तू कर संधान रखकर मीन के दृग पर दृग, धर विजय मार्ग पर पग!..... परिचय -  दिनेश कुमार किनकर निवासी : पांढुर्ना, जिला-छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र :  मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी ...
आंसू
कविता

आंसू

दिनेश कुमार किनकर पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ******************** प्रिय, आंसुओ को बहने न देना! जब कभी मन भर आये, रख सिर अपनो के कांधे, मन को हल्का कर लेना,.... आंसुओ को बहनें न देना!.... सुख के दिन सदा न रहते, दुख सबके जीवन में आते, दिल को "आह" न कहने देना,.... प्रिय, आंसुओ को बहने न देना!.. जब रिश्तों की दीवार दरकती, साथ सदा कड़वाहट लाती, कटु वचनों को जब्त कर लेना,.... प्रिय, आंसुओ को बहने न देना!..... हृदय जब पीड़ा से भर जाये, और जब सहन न होने पाए, बन पर्वत खडी हो जाना,...... प्रिय, आंसुओ को बहने न देना!.... परिचय -  दिनेश कुमार किनकर निवासी : पांढुर्ना, जिला-छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र :  मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रका...
नारी तुम हो अनंत
कविता

नारी तुम हो अनंत

दिनेश कुमार किनकर पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ******************** नारी तुम हो अनंत!....... तुम सृष्टि की जीवन आधार, तुम सृष्टि की अनंत उदार, तुम सृष्टि की शक्ति अपार, तुम सृष्टि की मूरत साकार, तुम समान भगवंत..... नारी तुम हो अनंत!..... तुम बहिना तुम हो वनिता, तुम धात्री तुम हो दुहिता, तुम श्यामा तुम हो प्रियता, तुम सखी तुम हो ममता, तुम ओजवान अत्यंत, नारी तुम हो अनंत...... तुम हो दुर्गा तुम्ही भवानी, तुम हो भावजगत कल्यानी, तुम राधा, मीरा प्रेम दीवानी, तुम हो प्राणतत्व की दानी, तुम्हे प्रणाम जगवंत, नारी तुम हो अनंत........ परिचय -  दिनेश कुमार किनकर निवासी : पांढुर्ना, जिला-छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र :  मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो क...