Monday, December 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: डॉ. स्वाति सिंह

कचरा गाड़ी
लघुकथा

कचरा गाड़ी

डॉ. स्वाति सिंह इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** तुम क्या सोचती हो? क्या होगा? सब कुछ ठीक होगा भी या नहीं? कब तक ऐसे ही चलता रहेगा, पता नहीं। ऊपर से वह कचरा गाड़ी में करोना का संदेश। बाप रे पूरा दिन खराब हो जाता है सुनकर। श्रुति को उसकी बातों में कोरोना का खौंफ साफ-साफ नजर आ रहा था। वह फिर भी बोली अरे सब कुछ सामान्य हो जाएगा। देखो चाइना पूरा खुल चुका है। तो हमारा देश क्यों नहीं। हालांकि श्रुति जानती थी कि इतनी बड़ी जनसंख्या वाला देश, जहां न सुविधाएं हैं, न साधन। वहां क्या ठीक होगा। वह अंदर से बहुत डरी हुई थी। रोज के डरावने समाचार। ऊपर से ऑफिस वालों को इतने खौंफ में देखकर उसका मन डूबा जा रहा था। वह सोचने को मजबूर हो गई कि परिस्थितियां बहुत ही गंभीर हैं। उस दिन बात करने के बाद तो वह बहुत ही डरी हुई थी। रात को भी ठीक से सो नहीं सकी। अगले दिन घबराहट में वह जल्दी उठ गई और घर का काम...
मन
कविता

मन

डॉ. स्वाति सिंह इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** न हारना है, न थकना है हमें तो बस संघर्ष करना है पल पल में चुनौती है जिसे स्वीकार करना है ये वक़्त है बड़ा सख्त है सब पस्त हैं, सब त्रस्त हैं प्रश्न खड़े मुंह बाएं हैं क्या हो गया, क्या हो रहा क्या होएगा, क्या खोएगा ये कैसी विपदा आई है जिसका न कोई समाधान है विचलित है मन, विव्हल बहुत पर! न थकना है, न उद्वेलित होना है न संयम खोना है हमें तो बस मन को संजोना है भारत कर्म की भूमि है जहां गीता ही समाधान है चुनौतियां हमने देखी हैं स्वीकारी कभी न हार है हम संघर्षों में खेले हैं अंधेरे हमने चीरे हैं जो जीता है वही सिकंदर है विजय वहीं जिसे न डर है हम उस मिट्टी की शान है कभी बढ़ती है तो कहीं घटती है जिंदगी तो है एक समीकरण सुलझाना, समझना पड़ता है धीरज से सब सम्हलता है चरेवेती चरेवेती, जिंदगी का नाम है न हारना है, न थकना है हमें तो बस सं...
सत्य
कविता

सत्य

डॉ. स्वाति सिंह इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** एक धोबी के प्रश्न से, सीता मैली हो नहीं सकती। किसी के मन के मैल को सीता, धो नहीं सकती। सीता सत्य है, सीता सत है, विश्वास यह, खो नहीं सकती। सीता राम है, राममय है, वर्चस्व अपना यह खो नही सकती। सलाखों के अंदर गैलेलीयो को रखने से पृथ्वी का आकार बदल नहीं सकता, पृथ्वी गोल है, पृथ्वी गोल है, इसमें कुछ बदल हो नहीं सकता। सूली पर चढ़ाने से यीशु का, ईश कम नहीं हो सकता। मानव का मसीहा अमर है, गौरव, उसका कम हो नहीं सकता। यहां तो तोहमत से महरूम नहीं न युसुफ, न मरियमl वक़्त का तकाज़ा है बाकी कुछ नहीं। सत्य, सत्य है अंधेरा होने से, उजाला उसका, कम हो नहीं सकता। धुंध में कुंद हो नहीं सकताl सत्य परेशान हो सकता है, पराजित हो नहीं सकता। . परिचय :- डॉ. स्वाति सिंह निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश सम्प्रति : असिस्टेंट प्रोफेसर (अंग्रेजी विभाग) सें...