Saturday, September 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: डॉ. भोला दत्त जोशी

बाल दिवस
कविता

बाल दिवस

डॉ. भोला दत्त जोशी पुणे (महाराष्ट्र) ******************** हर घर में होते हैं बच्चे, माता-पिता की जान। अपने हुनर से वे बढ़ाते, अपने देश का मान।। इतनी प्यारी दुनिया इनकी, इतनी मधुर मुस्कान। श्रेष्ठ विचार रोप सके यदि, संभव होगा उत्थान।। बाल रूप में जनम लिया, यशोदा घर भगवान। बच्चों के मन में बसते हैं, सदा स्वयं भगवान।। इक बार माता यशोदा ने, कान्हा को दुलराया। किलकारी भर हंसा यों वो, मानो हृद भरमाया।। माता यशोदा उसी विधि से, बच्चे-सा बन करके। रहे खिलाते बड़ी देर तक, जैसे खुद खो करके।। बच्चों में दिखता भारत का, उज्ज्वल स्वर्ण विहान। बच्चों के उर में बसते हैं, सदा स्वयं भगवान।। बच्चे यदि संस्कार पा गए, देश सबल यह होगा। बच्चों की प्रश्नावलियों से, अब सवाल हल होगा।। फतेह सिंह और जोरावर, बलिदान नमनीय है। जिनका बलिदान देश के लिए, जीवन ...
मां तुझे नमन
कविता

मां तुझे नमन

डॉ. भोला दत्त जोशी पुणे (महाराष्ट्र) ******************** यों तो हर दिन तेरा ही मां तुझ बिन कुछ न भाया था। तुझसे है अखिल सृष्टि सब पर तेरी ममता का साया था।। मैं जब संसार में आया तब था मां ने ही गोदी उठाया था। लोट-पोट कर सरकने लगा तो मां ने उठना सिखाया था।। लड़खड़ाकर गिरता तो मां ने ही चलना सिखाया था। मिट्टी में रेखाएं खींचता तब मां ने लिखना सिखाया था।। मैं पहाड़े रटने लगा तब मां ने ही गिनना सिखाया था। मैं बस! मां जानता था मां तूने ही गुरु से मिलवाया था।। गर्भ से जन्म दिया तूने फिर ज्ञान से द्विज बनवाया था। मैं राह भटक रहा था तूने धर्म का मर्म बतलाया था।। मां, तेरा उपकार न भूलूंगा मुझे पशु से इंसान बनाया था। मातृदिवस पर तुझे नमन मां सृष्टि का नमन स्वीकार रहे। जब तक सृष्टि बनी रहेगी मां तू ही जगत आधार रहे।। परिचय :-  डॉ. भोला दत्त जोशी निवासी...
बापू के प्रति
कविता

बापू के प्रति

डॉ. भोला दत्त जोशी पुणे (महाराष्ट्र) ******************** जनक थे भारत के मोहन दास भारती माता के, सतत कर्म से करमचंद तुम राष्ट्र गीत गा गांधी थे। दिला आजादी भारत भू को स्वयं की आंखें मूंद ली, जिन्ना ने बंटवारा कर थी मझधार में कश्ती डाली। तुम तो चले गए हो बापू अपने कर्म से जग के पार, फट रहे हैं आज बारूद तेरे पूत हैं विकट द्वार। गांधी ! भारत त्रस्त था तुमने पथ प्रशस्त किया, अहिंसा की अद्भुत लाठी से फिरंगी को आगाह किया। सत्य ,अहिंसा, लोकसेवा तीन ध्येय थे रत्न तेरे, मांस मदिरा बिना स्पर्श के मातृ आज्ञा पालन की रे। वकालत को वृत्ति बनाकर दक्षिण अफ्रीका गमन किया, बीस वर्ष तक लड़ते-लड़ते जातिवाद बहु विरोध किया। भारत वापस आकर तुमने अहिंसा बल का प्रयोग किया, हिंदी संपर्क सूत्र बनाकर आजादी का बिगुल बजा दिया। तुमने हमें सूत्र दिया नमक बनवा च...
मातृदिवस पर तुझे नमन
कविता

मातृदिवस पर तुझे नमन

डॉ. भोला दत्त जोशी पुणे (महाराष्ट्र) ******************** यों तो हर दिन तेरा ही मां तुझ बिन कुछ न भाया था तुझसे है अखिल सृष्टि सब पर तेरी ममता का साया था मैं जब संसार में आया तब था मां ने ही गोदी उठाया था लोट पोट कर सरकने लगा तो मां ने उठना सिखाया था लड़खड़ाकर गिरता तो मां ने ही चलना सिखाया था मिट्टी में रेखाएं खींचता तब मां ने लिखना सिखाया था मैं पहाड़े रटने लगा तब मां ने ही गिनना सिखाया था मैं बस *मां* जानता था मां तूने ही गुरु से मिलवाया था गर्भ से जन्म दिया तूने फिर ज्ञान से द्विज बनवाया था मैं राह भटक रहा था तूने धर्म का मर्म बतलाया था मां तेरा उपकार न भूलूंगा मुझे पशु से इंसान बनाया था मातृदिवस पर तुझे नमन मां सृष्टि का नमन स्वीकार रहे जब तक सृष्टि बनी रहेगी मां तू ही जगत आधार रहे। परिचय :-  डॉ. भोला दत्त जोशी निवासी : पुणे (महाराष्ट्...
अच्छे मित्र
कविता

अच्छे मित्र

डॉ. भोला दत्त जोशी पुणे (महाराष्ट्र) ******************** पाप कर्म से बचाने वाले व सत्कर्म में लगाने वाले अच्छे मित्र कहलाते हैं । विपरीत कर्म करने वाले गुप्त भेद बताने वाले मित्र नहीं कहलाते हैं। मित्र गुण जताने वाले आपत में न छोड़ने वाले मित्र सहायक होते हैं। कभी न ईर्ष्या करने वाले मित्रहित में खुश होते जो वे ही मित्र कहलाते हैं। परहित सरिस धर्म नहि भाई उपकार भावना जहां समाई ऐसे योग्य मित्र कहलाते हैं। परिचय :-  डॉ. भोला दत्त जोशी निवासी : पुणे (महाराष्ट्र) शिक्षा : डी. लिट. (केंद्रीय मध्य अमेरिकी विश्वविद्यालय, बोलिविया) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी...
सार्थक उपासना
लघुकथा

सार्थक उपासना

डॉ. भोला दत्त जोशी पुणे (महाराष्ट्र) ******************** सार्थक उपासना वही है जिसके साथ अच्छे कर्म भी जुड़े हों। पूजा-उपचार बाह्य क्रियाएँ हैं | श्रेष्ठ कर्म को उपासना मान लिया जाय तो वह उपासना सार्थक हो जाती है | एक समय की बात है जब दो लोग साथ-साथ रहते थे | एक दिन गाँव की पाठशाला में अध्यापन करने वाले शिक्षक ने उनके सामने दो समान पत्थर रखे गए | उनके द्वारा की जाने वाली प्रतिक्रिया का इंतजार था | पहले आदमी ने अपने सामने रखे पत्थर को देखा और हाथ जोड़कर खड़ा रहा | कुछ क्षण मन को रोककर आँखें बंद कीं और ध्यान करने लगा | पत्थर अपनी प्रकृति के अनुसार अचेत पड़ा रहा | दूसरे आदमी ने ध्यान से पत्थर को निहारा और चंद क्षण सोचकर फिर अपनी आँखें खोलीं, मन को उत्साहित किया और फिर छेनी, हथौड़ी लेकर पत्थर को तराशने लगा | वह अपने काम में मगन हो गया, उसे इतनी लगन लग गयी कि समय कैसे गुजर रहा था ...
एक नजर
कविता

एक नजर

डॉ. भोला दत्त जोशी पुणे (महाराष्ट्र) ******************** स्वार्थ में वे बन गए दानव, इंसान के किरदार में व्यर्थ ही वे लोगों को घसीटते, अपने अत्याचार में। खूनी खेल को वे खेल रहे हैं, देखो भरे बाज़ार में गीदड़ भभकी पहले फिर भेजें पुलिस की मार में। झूठ बोल ढिंढोरा पीटकर, थोड़ी सफलता पाई है खुद खड़े हैं हाशिए पर, झूठा प्रचार अखबार में। बड़ी उम्मीदें बांट रहे थे कि मंजिल तक पहुंचाएंगे यों जनता को छोड़ चले वे कष्ट भरे मझदार में। झूठ लंबी उड़ान नहीं भरता अतः नि:शब्द हो बैठा असत्य पकड़ा गया तो नौटंकी कर रस्सी सा ऐंठा। कितने वर्षों तक बहकाया अब बहकाना बंद करो काम करने दो, कुछ सीखो अब पगलाना बंद करो। सदियों बाद कोई नायक मिला उसे देशार्थ जीने दो विकास-सीढियां देश चढ़ रहा उसे सीढ़ी चढ़ने दो। आधारशिला रखी है अब देश पटरी पर आ रहा है पटरी संग साजिश न करवाओ...
वृक्ष की व्यथा
कविता

वृक्ष की व्यथा

डॉ. भोला दत्त जोशी पुणे (महाराष्ट्र) ******************** तू पैदा हुआ मैं तेरा पालना बना बरस भर में काठी का घोड़ा बना गिल्ली डंडा बनाया, मैं सह गया डंडे नरों पर न चलाओ मुझे दर्द है। पांच साल का होते ही शाला गया पाठशाला जाते ही मैं पाटी बना मुझ पर अक्षर उकेर नेत्र खुले तेरे व्यर्थ कुल्हाड़ी न मार मुझे दर्द है । पढ़ लिखकर बहुत बड़ा हुआ तू कुर्सी बनकर तेरा प्रभुत्व बढ़ाया विश्रामार्थ तेरी खटिया बन गया संजीदा बन जरा सोचो मन से व्यर्थ न काटो खूब दर्द है मुझे। गृहस्थ जीवन में प्रगति कर तू जब अध्यात्म की तरफ आया ऋषिऋण से तुम्हें उन्मुक्त करने समिधा बन तेरे यज्ञ में आया अब व्यर्थ मत जला दर्द है मुझे । तुम काटना नहीं मुझे दर्द है नर सोचो जरा कहां फर्क है मैं भले तेरे साथ आता नहीं आकार में ही थोड़ा फर्क है मैं देता तुमको स्वादिष्ट फल बदले में कुछ भी ...
कर भला तो हो भला
जीवनी

कर भला तो हो भला

डॉ. भोला दत्त जोशी पुणे (महाराष्ट्र) ********************                 मनुष्य में परोपकार, दया, उदारता, क्षमा, समानता, धैर्य, सृजनशीलता, खोजी दिमाग आदि अनेक सद्गुण हैं जिनकी बदौलत वह ईश्वर की उत्कृष्ट रचना कहलाता है| बीसवीं सदी के उत्तरार्ध की बात है | उत्तराखंड के सुदूर में स्थित चीन की सीमा से लगे तत्कालीन जनपद पिथौरागढ़ जिससे अलग हुआ इलाका अब चंपावत के नाम से जाना जाता है, में एक साधारण किसान परिवार में २० दिसंबर १९५३ को अद्भुत प्रतिभावान बालक का जन्म हुआ था | बालक का नाम भवानी दत्त रखा गया | कहते हैं कि जन्म के ग्यारहवे दिन नामकरण के उपरांत शिशु के हाथों में कलम आदि पकड़वाने की परंपरा के निर्वहन के समय बालक ने कलम और काठी का घोड़ा दोनों को स्पर्श किया | संकेत के रूप में यह माना गया कि बड़ा होकर बालक तकनीकी क्षेत्र में अच्छी पढ़ाई करेगा | बालक के पिता श्री दयाराम जोशी औ...