गुरु महिमा
डॉ. भगवान सहाय मीना
बाड़ा पदम पुरा, जयपुर, (राजस्थान)
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गुरु ओजस्वी दीप है, नव चेतन हर ओर।
अपने गौरव ज्ञान का, मनन करें हर छोर।
गुरु वितान नव ज्ञान के, गुरु पावन परिवेश।
हर युग के महानायक, आप मूर्ति अनिमेश।
गुरुवर जागरूक हैं, गुरु करें नवाचार।
आप गोविंद से बढ़े, बोलें सच विचार।
गुरु भाषा का मर्म है, गुरु वाणी भंडार।
आप अनुभूत सत्य है, गुरुवर सरल विचार।
गुरु विशेष की खान है, गुरु कोमल अहसास।
गुरु अज्ञान विनाशक है, गुरु नायक विश्वास।
अभिनंदन गुरुदेव का, है सादर सत्कार।
नव ज्ञान मिलें शिष्य को,करते नित उपकार।
विद्यास्थली मंदिर है, गुरु मेरे भगवान।
करता नित मैं वंदना, गुरुवर का सम्मान।
गुरु संस्कृति की रोशनी, गुरु विशेषण विशाल।
आप समान सगा नहीं, गुरु अनमोल मिशाल।
नित गुरु शिष्य भला करें, जीवन रचनाकार।
संस्कार की विशेषता, गुरु सफल सरक...