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Tag: डॉ. प्रताप मोहन “भारतीय”

सच्चाई की राह में
कविता

सच्चाई की राह में

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** बहुत कांटे मिलेंगे सच्चाई की राह में। बहुत लोग रोड़ा लगायेंगे सच्चाई की राह में। आसान नहीं है चलना सच्चाई की राह में। दोस्त दुश्मन बन जायेंगे सच्चाई की राह में। ये दुनियां सच्चाई पसंद नहीं करती है। झूठ बोल कर अपना गुजारा करती है। जो भी सच्चाई की राह में चला है। उसको अपनो ने ही छला है। झूठ का कोई भविष्य नहीं सच हमेशा जीतेगा। चलते रहिये सच्चाई की राह पर भविष्य उज्जवल रहेगा। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच ...
रोशनी का त्योंहार
कविता

रोशनी का त्योंहार

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** दीपावली है रोशनी का त्योहार इसे मनाये दिल के अंदर का अंधेरा हटाये। दियो से जगमग रोशनी आती है मन को प्रफुल्लित कर जाती है। किसी गरीब के घर को भी करें रोशन करने का प्रयास तभी सच्ची खुशी का होगा आपको आभास। अंधेरो को निगलती है रोशनी काश सबके दुखों को निगल जाय रोशनी। एक दीपक भी अंधेरे को खा जाता है। रोशनी देकर आपके जीवन में बहार लता है। इस दीपावली पर नफरतों के दिये जलाओ और। खुशियों का प्रकाश पाओ। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं,...
मुसाफिर
कविता

मुसाफिर

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** जो व्यक्ति कर रहा होता है सफर। उसे ही हम कहते है मुसाफिर। ****** इस दुनिया में हम मुसाफिर है मगर हमने यहां के स्थायी निवासी की गलत फहमी पाल ली है। ****** यदि अच्छा मिल जाता हैं हमसफर तो बहुत अच्छे से कटता है मुसाफिर का सफर। ****** अपने सफर को खुशनुमा बनाये, जब भी बने मुसाफिर समान कम ले जाये। ****** मंजिल मिल जाने पर पूरा हो जाता हैं सफर फिर चलने वाला नहीं होता मुसाफिर। ****** थक सा गया हूं जिंदगी के सफर में, अब मुझसे मुसाफिरी नहीं होती । ****** इस जिंदगी में कभी खुशी कभी गम आते है, परंतु मुसाफिर हर दौर में मुस्कुराते हैं। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। ...
तुम्हारे दिये दर्द
कविता

तुम्हारे दिये दर्द

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** तुम्हारे दिये दर्द तुम्हारी याद दिलाते हैं मेरे दिल के घावों को और ताजा कर जाते हैं जब दर्द ही देना था तो तुमने प्यार क्यों किया अपने साथ ही मेरा जीवन भी बर्बाद क्यों किया सच्चे प्रेमी प्यार मैं दर्द नहीं देते हैं वो तो हर दर्द को अपना समझ कर सहते हैं उफ़ भी नहीं करते दर्द पाकर रोते रहते हैं चेहरा छुपाकर ऐसी क्या मजबूरी थी कि मुझे धोका दिया प्यार की जगह दर्द ही दर्द दिया अब तुम्हारे दर्द ही अमानत है मेरे पास जिंदगी भर रहेगें वो मेरे खास तुम्हें कोई दर्द न दे मेरी यही दुआ है मत करना किसी से छल‌ जो मेरे साथ हुआ है परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। ...
मन की पीड़ा
कविता

मन की पीड़ा

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** जब मन की पीड़ा आंसू बन कर गालों पर आती है यही सिसकी कहलाती है सिसकते है हम बिछड़े प्रियतम की यादों में खो जाते हैं हम याद कर उनकी बातों में आंसू सिसकी की शान बढ़ाते हैं बिना रुके गिरते जाते हैं कुदरत के आगे नही चलती किसकी दुखी आत्मा की आवाज होती है सिसकी कौन याद करता है ये हिचकियां बयां करती है और हमारे दिल का दर्द ये सिसकियां बयां करती है जीभर के रोओ मत सिसका करो किसी बेवफा की याद में यूं न तड़पा करो सिसकियों में हम अपने ग़म पीते हैं मन मारकर जीते हैं परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन...
ज्ञान का सागर
कविता

ज्ञान का सागर

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** देखने में छोटी होती है पर इसमें होता ज्ञान का भंडार है इसके बिना शिक्षा की कल्पना करना बेकार है पुस्तकें ज्ञान प्राप्ति का जरिया है इसमे बहता ज्ञान का दरिया है पुस्तकें हमारे अकेलेपन में साथी होती है बोरियत को दूर भगाती है पुस्तकें ज्ञान के साथ-साथ हमारा मनोरंजन भी कराती है कभी हंसाती है और कभी रूलाती है पुस्तक को अपना जीवनसाथी बनाएँ खुद को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाएँ पुस्तकें होती है हमारी मित्र और गुरु जब भी समय मिले पढ़ना करें शुरू पुस्तकें हमें अंधकार से रोशनी की तरफ ले जाती है हमारे जीवन को उज्जवल बनाती है परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। ...
आंखें बोलती है
कविता

आंखें बोलती है

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** मुंह से ज्यादा आंखें बोलती है दिल के सारे राज खोलती है किसी के प्रति उमड़ती है घृणा किसी के प्रति होता है प्यार आंख हर चीज बयां करती है मेरे यार उनकी आंखों की गहराई हम आज तक नाप न पाये जितना अंदर जाने की कोशिश की इसका कोई अंत न पाये आंखें काली या भूरी इन आंखों के बिना दुनियाँ है अघूरी किसी को दुखी देखकर भर आती है आंखें आंसुओं को समेटकर लाती है आंखें तुम्हारी आंखों से ज्यादा नशा नहीं मिलता मयखाने में बस तू मेरी हो जाय फिर क्या रखा है जमाने में आंखें हमारी होती है सपने किसी और के होते है किसी के प्यार में अक्सर हम यूं ही खोये होते है परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलि...