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Tag: डॉ. किरन अवस्थी

राधा भाव
आलेख

राधा भाव

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** यदा-यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत अभ्युत्थानम अधर्मस्य तदात्मानम सृजाम्याहम। परित्राणाय साधूनाम विनाशाय च दुष्कृताम धर्म संस्थापनार्थाय संभवामि युगे-युगे। अपने कान्हा तभी अवतरित होते हैं जब धरती पुकारती है, जैसे त्रेता युग में ´जय-जय सुर नायक, जन सुख दायक´ कहकर पुकारा था।द्वापर युग का अंत समीप था, पृथ्वी कंसों व दुर्योधनों के भार से बोझिल हो रही थी। कलि-काल के उदय का पूर्वाभास होने लगा था। तभी तो वो चुपचाप कारागार में आए। महल में पदार्पण करते तो नंदगाँव, गोकुल, वृन्दावन को कैसे तृप्त करते। उन्होंने युग परिवर्तन को देखते हुए प्रारम्भ की अपनी लीला उस धरती माँ से जिसने उसका पालन किया। कुछ तो कारण था कि उस धरती ने कन्हैया को पुकारा ओर वो चले आए अपनी सोलह कलाओं सहित। वो शैशव काल में ही पूतना वध सेअपनी कलाओं द्वारा अपन...
गणतंत्र दिवस
कविता

गणतंत्र दिवस

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** गणतंत्र दिवस हम मना रहे, लहर लहर लहराए तिरंगा देशप्रेम की अलख जगी है, भारत की हर साँस तिरंगा। भारत की सीमाएँ, रक्षित बनी रहें सदा, भारत की सेना के बल, लहराए तिरंगा सदा सदा। चाहे बम हो या मिसाइल, या चाहे हनुमान-गदा भारत की दसों दिशाएं रक्षित रहें सदा सदा। भारत की सीमाओं का, होता जाए विस्तार सदा वैदिक युग का, हिंद महासागर, जो आर्यावर्त की मूल धरा। अमर रहे, सम्मानित, भारत का संविधान सदा बन जाए हमारी गीता, भारतवासी का ज्ञान सदा। देववाणी, सनातन संस्कृति कर्तव्य भाव का ध्यान सदा उपनिषदों की व्याख्या हो, वेदों का हो मान सदा।। परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (मध्य प्रदेश) वर्तमान निवासी : मिनियापोलिस, (अमेरिका) शिक्षा : एम.ए. अंग्रेजी,...
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कविता

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डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** नो दाग, नो धब्बे के, चाहे कितने ऐड बना लो कन्या-जीवन पर लगे दाग को, हरगिज़ नहीं मिटा सकते। चाहे कितने ए.सी., कूलर और बना लो जब तक नन्हीं कलियों की दुर्गति होगी बाला की अंतर्ज्वाला को, हरगिज़ शांत नहीं कर सकते। चाहे कितनी सीमेंट बना लो, मन के टूटे तारों में भग्न संवेदना की धारों में, न तुम जोड़ लगा सकते। चाहे भौतिकता की कितनी डोर बढ़ा लो नैतिकता का पुष्प सुखाकर, आध्यात्म का बीज मिटाकर मन का उद्वेलन, हरगिज़ खामोश नहीं कर सकते। भारत की पावन संस्कृति, नन्हीं आहों से तपती है कितने ही फुव्वारे लगवा लो, बच्ची के तप्त ह्रदय को मन के तपते अंगारों को, हरगिज़ शांत नहीं कर सकते। परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (मध्य प्रदेश) वर्तमान निवासी : मिनियापो...
दूध जलता क्यों है
कविता

दूध जलता क्यों है

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** कभी-कभी दूध जल जाता है दूध जलता क्यों है दूध तो अमृत समान है, सभी खाद्यों में प्रधान है दूध विश्व का पालनहार है, दूध पर संदेह निराधार है दूध गर्भ में भी सभी को पालता है दूध सभी रोगों का उपचार है, फिर भी दूध कभी-कभी जल जाता है क्योंकि उसे मनुष्य का संपर्क मिल जाता है परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (मध्य प्रदेश) वर्तमान निवासी : मिनियापोलिस, (अमेरिका) शिक्षा : एम.ए. अंग्रेजी, एम.ए. भाषाविज्ञान, पी.एच.डी. भाषाविज्ञान सर्टिफिकेट कोर्स : फ़्रेंच व गुजराती। पुनः मैं अपने देश को बहुत प्यार करती हूं तथा प्रायः देश भक्ति की कविताएं लिखती हूं जो कि समय की‌ मांग भी‌ है। आजकल देशभक्ति लुप्तप्राय हो गई है। इसके पुनर्जागरण के लिए प्रयत्नशील हूं। घोषणा पत्र : ...
भारत की आब पंजाब
कविता

भारत की आब पंजाब

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** पंच और आब से बना पंजाब यह पांच नदी का उद्गम है इसी धरा ने जनधन पाला, महां स्तंभ भारत का है। प्यारे देशवासियों ऋग्युग के, ना ऐसी बात करें जिससे टुकड़े हों भारत के अखंडता को खतरा‌ हो। भारत की सीमाएं उत्तर में, यूरोप की निकटवर्ती थीं दक्षिण में हिंदमहासागर‌की, अंतिम सीमा भी अपनी थी उन द्वीपों में बसी आज भी भारत की संस्कृति है आर्यों की प्राचीन कथाएं, वहां आज भी‌ प्रचलित हैं गुरु तेग बहादुर, गुरु नानक की वाणी को याद करें अखंडता और रहे एकता गुरवाणी को याद करें भारत के वीरों की भूमि, यह वीरों की आंखों का पानी ‌है इन वीरों की गाथाएं धरती पर लासानी हैं तोड़फोड़ की बात करें ना, ना भाई से भाई बिछुडें कोई विदेशी तोड़ न पाए, हम सब भारत के बेटे हम अपने ऊपर हावी नहीं किसी को होने देंगे हम भारतवासी ...
सूर्य का संदेश
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सूर्य का संदेश

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** संक्रान्ति पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। सूर्य का बल ही इस दिन को पर्व बना देता है। भौतिकवैज्ञानिकों ने सूर्य के भौतिक स्वरूप को प्रतिपादित किया है, धर्मप्रवर्तकों ने उसको सूर्यदेव कहकर पुकारा। इनके अतिरिक्त सूर्य के दर्शन होने पर एक प्रकार की नैतिक एवं आध्यात्मिक अनुभूति भी होती है। प्रतीत होता है मानो सूर्य हम मानवों को कुछ संदेश देना चाहता है। संक्रान्ति के पावन पर्व पर सूर्य का यह संदेश सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचे, इस लेख का आशय यही है। सूर्य प्रबलतम् एवं बलवान है किंतु अहंकारहीन एवं विनम्र। अहंकार संस्कारहीनता है, विनम्रता मानवधर्म, जीवनधर्म है। जितना बलवान उतना ही विनम्र, जितना समर्थ उतना ही सम्यक् दृष्टि युक्त। हमें सूर्य से शिक्षा लेनी चाहिए- सर्वशक्तिमान किंतु विनम्र, बलवान किंतु संस्कारयुक्त, निष्ठा...
गोद
कविता

गोद

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** गोद सा सुंदर नहीं बिछौना, नहीं गोद सी आसंदी गोदी मात-पिता या प्रभु की, गोद सी न्यारी नहीं स्थिति नहीं गोद सी रक्षित डाली, गोद की नरमी सदा निराली निश्चिन्त भाव से लेटा बालक, करे किलोलें, माँ मतवाली गोद की महिमा उसकी अपनी, गोद की गरिमा उसकी अपनी गोद का हक़ भी उसका अपना, गोद का ऋण भी उसका अपना गोदी का सुख सबने पाया, कोटि जन्म लेकर वो आया पर गोदी का ऋण, उतार नहीं कोई पाया गोदी ने ध्रुव को दी छाया, उसे प्रभु की गोद बिठाया रक्षक बनी गोद होलिका की, जिसने प्रह्लाद बचाया नरसिंहप्रभु की गोदी में, मोक्ष हिरणकश्यपु ने पाया सम्मान गोद ने जग में, स्थान राजपद का भी पाया गोदी का मर्म शिशु ही जाने, उसकी ममता वो पहचाने उसकी गरमाहट बल उसका, खेल करे जाने अनजाने गोद का आसन बड़ा हि प्यारा, इसके नेह में डूबा ज...
स्वावलंबन
कविता

स्वावलंबन

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** इतना भी इन्सान स्वावलम्बी न हो जाए कि दीन दुनिया को जीवन के मूल्यों को भूल जाए कि परवरिश परिवार की, घरबार को भूल जाए मित्रों का आना, पड़ोसी का मुस्कुराना स्नेह का बंधन ही टूट जाए कामना की पूर्ति में इतना न मग्न हो जाए कि घर की सुरक्षा,nआँगन की देहरी संवेदना की झोली, मित्रों की टोली रिश्तों की डोरी को भूल जाए केवल स्वयम् में इतना न डूब जाए कि नैतिकता का दामन, अनुशासन की सीमा बुज़ुर्गों की चाहत, अपनों की आहट, नन्हों की झप्पी, बच्चों का बचपन वो भूल जाए नदियों की कलकल, वर्षा की रिमझिम मुस्कान कलियों की, भौंरों का गुंजन भोली सी सूरत, मेहनत की सीरत कुनबे के माली की हैसियत न भूल जाए चिडियों की चहक, फूलों की महक झरनों की कलकल, लताओं की झिलमिल मेघों का गर्जन, दामिनी की तड़पन जाड़ों की गुनगुनी न धूप भूल ...
कश्मीर
कविता

कश्मीर

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** कश्मीर ऋषि कश्यप की भूमि, अदिति माँ से सिंचित नगरी भारत के मस्तक की बिंदी, कश्मीर है भारत का प्रहरी ऋषि च्यवन की तपोभूमि, तनमन-रोग किया उपचार सुश्रुत संहिता की जड़ी बूटी है, मानवता को अनुपम उपहार। कश्मीर है कवि कल्हण की भूमि, जिस पर अभिमान रहा हमको 'राजतरंगिणी' की रचना कर, कश्मीरी इतिहास दिया सबको। 'पंचतंत्र 'की जन्मभूमि यह, विष्णुशर्मा के ज्ञान की नगरी धरती पर्वत और पठारों की, भारत के सम्मान की नगरी। सोमदेव की 'कथासरित्' की, देववाणी के अतुल ज्ञान की रामायण काल की 'खीर भवानी', भृगु ऋषि की' अमरेश्वर 'नगरी यह भारत की प्राचीन है नगरी, कश्मीर है भारत की देहरी इतिहास रचा इसने भारत का, कश्मीर है भारत का प्रहरी।। परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (म...
प्यारा भारत देश हमारा
कविता

प्यारा भारत देश हमारा

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** प्यारा भारत देश हमारा, शांति कपोत उड़ाने वाला करते हैं हम मान सभी का, मैत्रीभाव बढ़ाने वाला। नही किसी पर वार किया, नहीं किसी का सहते हम यदि किसी ने ललकारा तो, सुलह का हाथ बढ़ाते हम। फिर भी दुश्मन सेंध करे, उसकी औक़ात बता देंगे और किसी ने सीमा लांघी, एयर स्ट्राइक करवा देंगे। नहीं बीसवीं सदी का भारत, नहीं विगत सदी का राग नवयुग है,नई चेतना, नव जागृति का गाते फाग। संविधान हमारा गीता है, अब भारत कमज़ोर नहीं नहीं किसी से झुकने वाला, टकराना इससे आसान नहीं। कोई दुश्मन नज़र न डाले, उसे धरा दिखला देंगे हम देशभक्त भारतवासी, देश पे आँच न आने देंगे। यह विक्रम औ चाणक्य की धरती, नीति की नीति सिखा देंगे शिवा और प्रताप की भूमि, आतंकी को धूल चटा देंगे। शांतिपाठ पढ़ाने वाला, प्यारा भारत देश हमारा करते हैं हम मा...
भारत की विरासत
कविता

भारत की विरासत

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** धरती पर प्रथम आगमन, हिमालय पर शिवधाम है यहीं पुण्य सलिला गंगा, गंगोत्री इसका नाम है। ब्रह्मा और मनु का भारत, ध्रुव प्रह्लाद की संतान हैं आदिकाल से इस धरती का, मानव इतिहास सनातन है। कश्मीर से कन्याकुमारी, है भारत की प्राचीन धरोहर यह भारत की पुरा संपदा, रचे प्रकृति ने दृश्य मनोहर। हेमकुंड और मानसरोवर, सब भारत के प्राण हैं पर्वत श्रंखला की घनी घाटियाँ, पंजाब हमारी शान है। पाँच नदी का संगम है, लहराता उत्ताल तिरंगा अपने भारत का गौरव, है भारत का भाल तिरंगा। अमृतसर में अमृत छलके, वाणी से गुरु नानक की पूरब में जगनाथ विराजे, गुजरात धरा सोमनाथ की। वास्तुकला, प्रस्तर प्रतिमा, महलों का राजघराना है वीरों की शक्ति का दर्पण, अपना राजपूताना है। कृष्णातट श्री शैल के दर्शन, शिवपुराण महाभारत में वर्णित प्रकट मल्ल...