संपूर्ण दर्शन हो तुम
डॉ. किरन अवस्थी
मिनियापोलिसम (अमेरिका)
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तुम पूर्ण दर्शन हो कन्हैया
दर्शन के दर्शन करवाते हो
तुममें डूब सकें हम तो
जीवन नौका पार कराते हो।
जो न समझा तुमको हमने
काया नगरी न सुधरेगी
ऊबड़-खाबड़ पगडंडी सी
प्राणों की लकीर उभरेगी।
शिशु काल में रिपु पहचाना
बाल्यकाल में प्रेम दिखाया
संपूर्ण स्नेह के संपूर्ण विरह को
तुमने हमको सब समझाया।
किशोरकाल के पहले पग पर
समरनाद कर युद्ध किया
अगणित कंसों को मारा
मथुरा को नव जन्म दिया।
समयानुसार आन पड़ी तो
रण छोड़ गए, द्वारिका बसाई
कर्म-क्षेत्र में जो बाधा बन आया
यह तन छोड़ा, परमगति पाई।
कब क्या करना है, मानव को
तुमने हर पल सिखलाया
सीमा पार करें यदि कोई
तुरत सुदर्शन चक्र चलाया।
सखा बने तो तुमसा कोई
मित्र सुदामा के जीवनदाई
सारथि बनकर पार्थ संभाला
यज्ञ राजसूय में पात उठाई।
गुरु बन तुमने गीता गाई
जीवन पक्...