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Tag: डॉ. इक़बाल मोदी

16 वर्ण तथा 16 मात्राओं का छंद
छंद

16 वर्ण तथा 16 मात्राओं का छंद

========================== रचयिता : डॉ. इक़बाल मोदी अकबर झटपट चल पनघट पर, तपन बढ़त अब जल भर कर धर। चल हट बस अब मत खटपट कर, मत मर करवट बदल बदल कर। चलत पवन गरम ,अब सरर सर, कल कल जल ,हलक कर तरबतर। अब शबनम शरबत रख भरकर। मत छलकत छल छल डगमग कर। छल व कपट मत कर मरघट पर, रब जप करत तन बदन मल कर।। कदम दर कदम घर घर तप कर, भटक भटक कर जनम सफल कर।। परिचय :- नाम - डॉ. इक़बाल मोदी निवासी :- देवास (इंदौर) शिक्षा :- स्नातक, (आर.एम्.पी.) वि.वि. उज्जैन विधा :- ललित लेखन, ग़ज़ल, नज्म, मुक्तक विदेश यात्रा :- मिश्र, ईराक, सीरिया, जार्डन, कुवैत, इजराइल आदि देशों का भ्रमण दायित्व :- संरक्षक - पत्र लेखन संघ सदस्य :- फिल्म राइटर एसोसिएशन मुंबई, टेलीविजन स्क्रीन राइटर एसोसिएशन मुंबई प्रतिनिधित्व :- विश्व हिंदी सम्मेलन भोपाल आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा ...
छोटे बहर की ताजा ग़ज़ल.
ग़ज़ल

छोटे बहर की ताजा ग़ज़ल.

========================== रचयिता : डॉ. इक़बाल मोदी तीरगी घर मे भले चिराग क़ब्रो पे जले भूखमरी हो जीते जी मरे बाद दावत चले रिश्वत देकर करे काम धन्धे  ऐसे  खूब फले, खाना बदोश जिंदगी, कोई मंज़िल न मरहले, सब  है इंसा के पास, ईमान की कमी खले, भीड़ में   दुनिया की, अब  हम  तन्हा  चले, घूमे फिरे सब जगह, घर  लौटे  शाम   ढले , करते रहो रोशन जहाँ को अंधेरा तो खुद  के तले, आस्तीन हो गई गायब, सांप अब  कहाँ  पले, चिड़िया क्या खेत चुगे, बाढ़ में ही बीज  गले, दूध की क्या बात करे, अब तो छांछ के है जले, ऐसा धरम हम क्यो करे, हवन करते हाथ जले। मन के  मैले  है जो वो, मुझसे   कैसे लगे गले। मौत  हक़  है  "इक़बाल " आये  तो  फिर ना  टले  ।। परिचय :- नाम - डॉ. इक़बाल मोदी निवासी :- देवास (इंदौर) शिक्षा :- स्नातक, (आर.एम्.पी.) वि.वि. उज्जैन विधा :- ललित लेखन, ग़ज़ल, नज्म, मुक्तक विदेश यात्रा :- मिश्र, ...
यार से दूर
ग़ज़ल

यार से दूर

=============================== रचयिता : डॉ. इक़बाल मोदी संभल कर चलता हूँ गिरती हुई दीवार से दूर। हाँ मगर शहर में रहता हूँ मै दो चार से दूर। हर वक़्त कदम दर कदम धोके है इस जहान में, हमेशा जीत की कोशिश करे, रहे हार से दूर। सियासत हर किसी को यूं ही नही आती है रास, हम अपनी बस्ती में रहते है सरकार से दूर। गुलशन में फूलों के बीच गुजर है मेरी अक्सर राह में हर तरफ बचकर चलता हूं खार से दूर। गैर तो गैर है अपनो पे भरोसा नही इक़बाल भहकाये कोई तो मत जाना अपने यार से दूर। परिचय :- नाम - डॉ. इक़बाल मोदी निवासी :- देवास (इंदौर) शिक्षा :- स्नातक, (आर.एम्.पी.) वि.वि. उज्जैन विधा :- ललित लेखन, ग़ज़ल, नज्म, मुक्तक विदेश यात्रा :- मिश्र, ईराक, सीरिया, जार्डन, कुवैत, इजराइल आदि देशों का भ्रमण दायित्व :- संरक्षक - पत्र लेखन संघ सदस्य :- फिल्म राइटर एसोसिएशन मुंबई, टेलीविजन स्क्रीन राइटर एसोसिएशन मुंबई प्रत...