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Tag: डाॅ. मिनाक्षी अनुराग डालके

ये मंजर क्यूँ है
कविता

ये मंजर क्यूँ है

डाॅ. मिनाक्षी अनुराग डालके मनावर जिला धार (मध्य प्रदेश) ******************** तेरे इस संसार में ये मंजर क्यूँ है कहीं अपनापन तो कहीं पीठ पीछे खंजर क्यूँ है सुना है तू इस संसार के हर कण में रहता है फिर कहीं पर मंदिर कहीं मस्जिद क्यूँ है तेरे इस संसार में ये मंजर क्यूँ है जब रहने वाले दुनिया के हर बंदे तेरे है फिर कोई दोस्त कोई दुश्मन क्यूँ है तू ही लिखता है हर किसी का मुकद्दर फिर कोई बदनसीब और कोई मुकद्दर का सिकंदर क्यूँ है तेरे इस संसार में ये मंजर क्यूँ है कभी आंखों में खुशी कभी आंखे नम क्यूँ है एक रात अमावस की तो एक पूनम क्यूँ है जब हर एक दिन समान तो, एक पल में खुशी अगले ही पल गम क्यूँ है तेरे इस संसार में ये मंजर क्यूँ है परिचय : डाॅ. मिनाक्षी अनुराग डालके निवासी : मनावर जिला धार मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक ह...
समय का पहरा
कविता

समय का पहरा

डाॅ. मिनाक्षी अनुराग डालके मनावर जिला धार (मध्य प्रदेश) ******************** माटी के पुतले पर समय का पहरा है ना तेरा है ना मेरा है यह मन के भावो से भी गहरा है मानो यह घावों पर लगे मरहम की तरह है ये समय का पहरा है सूरज की किरणों पर ग्रहण सा ठहरा है चांद की शीतलता पर भी कभी कहरा है यह समुद्र की लहरों की तरह झकोरा है यह हर पल बढ़ता वृक्षों का सहरा है ये समय का पहरा है मन की आकांक्षाओं में, पीड़ाओं मे, प्रतिक्षण जिसका बसेरा है यह ना कल था तेरा ना आज मेरा है फिर भी हर भोर नया सवेरा है ये समय का पहरा है परिचय : डाॅ. मिनाक्षी अनुराग डालके निवासी : मनावर जिला धार मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते है...
कर्म क्रोध
कविता

कर्म क्रोध

डाॅ. मिनाक्षी अनुराग डालके मनावर जिला धार (मध्य प्रदेश) ******************** कर्म करो पर ध्यान रहे कि यह पथ छूटे ना इतनी भरो हवा के गुब्बारा फूटे ना और तोलो ना कभी तुम कर्मों को बस यही कमाई है जीवन की और यही सच्चाई है मानव जन्म की क्रोध करो पर ध्यान रहे कि होना बोध नष्ट इस क्रोध की आंधी से ना हो किसी को अनजाने में कष्ट यदि क्रोध के समंदर में तू डुबता चला जाएगा तो किनारा होकर भी तुझे किनारा नहीं मिल पाएगा इसीलिए प्रेम ही परछाई है जीवन की और यही सच्चाई है मानव जन्म की स्वार्थ करो पर ध्यान रहे भ्रम टूटे ना विपत्तियों में साथ हमारा छूटे ना यदि शब्दों की माला को तु प्रेम के मोती के साथ सजाएगा तो ध्रुव तारे के समकक्ष तू अपना प्रतिबिंब जगमगाएगा बस यही ऊंचाई है जीवन की यही सच्चाई है मानव जन्म की परिचय : डाॅ. मिनाक्षी अनुराग डालके निवासी : मनावर जिला धार मध्य प्रद...