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प्यार मैं सबसे करती हूं
कविता

प्यार मैं सबसे करती हूं

डा. उषा गौर इंदौर म.प्र. ******************** प्यार मैं सबसे करती हूं ख्वाइश थी इतनी मेरी इतना कुछ कर पाऊं मैं जो खुशियां मैंने पाई सबसे साझा कर जाऊं मैं बचपन में इतनी ख्वाहिश थी जल्दी बड़ी हो जाऊं मैं बड़ी होकर अपने स्वभाव से सबका दिल बहलाऊं मैं एक अजब सी उलझन बड़े होने पे समझ आई जीना नहीं था अब आसान हंसने में थी सबको कठिनाई कैसा अजीब नजारा था हर कोई दौड़े जा रहा था किसी को किसी की जरूरत नहीं हर कोई भागे जा रहा था सब रेस में जीतना चाहते थे , ना पीछे छूटना चाहते थे यह दौड़ क्या पाने की थी यह अपना हुनर आजमाने की थी कोई नेता कोई अभिनेता कोई गायक कोई लेखक अपने भाग्य को आजमाने भटकते देखे कई शिक्षक पर सब पर शासन करते देखे हमने बड़े-बड़े भक्षक देखती हूं मैं अब ये भी जीवन में किसने क्या खोया जीवन में किसने क्या पाया और खुद को कितना आजमाया जवानी तक तो सब मस्त थे उसके बाद के रास्ते सब...