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आलोक
कविता

आलोक

जया आर्य भोपाल म.प्र. ******************** बुझा हुआ है दिल का कोना आलोकित उसको कर दें, वक्त फागुनी आ गया है दिल का दिया जला ले। खोलें खिड़की और दरवाज़े खुली हवा में जी लें, वक्त फागुनी आ गया है मन आलोकित कर लें। सूरज ने भी किरण बिखेरी कीट पतंगे झूमे ईश्वर ने दुनिया रच डाला हम सब संग संग जी लें। नहीं भरोसा है राहों का अगले पल क्या होगा, जीवन के इस पगडंडी को हम आलोकित कर दें। परिचय - जया आर्य जन्म : १७ मई १९४७ निवासी : भोपाल म.प्र. शिक्षा : तमिल भाषी अंग्रेज़ी में एमए. उपलब्धि : ग्रेड १, हिंदी उदघोषक आकाशवाणी मुम्बई, जगदलपुर और भोपाल में कार्यरत। अध्यक्ष शांतिनिकेतन महिला कल्याण समिति। प्रख्यात उद्घोषिका होते हुए उभरते हुए उदघोषकों को प्रशिक्षित किया। जेलों में कैदियों पढ़ने लिखने हेतु प्रेरित किया, जेल मंत्री से सम्मानित। झुग्गी इलाकों में ९५० महिलाओं और बच्चो को साक्षर व्यावसायिक प्र...
मेरी दासताँ
कविता

मेरी दासताँ

जया आर्य भोपाल म.प्र. ******************** हस्ती मेरी मिटेगी नहीं अभी बहुत सी बातें करनी बाकी है अब भी बची हैं कुछ इश्क की बातें जो दिल में आग लगाती हैं। मेरे अफसानों को तुम करोगे याद कुछ तो फसाने हैं इनअल्फज़ों में यहीं जमीं पर पड़े पाये हैं मैने कुछ तो आस्मानों से चुरालाये हैं। आज भी इस भीड़ में जब अकेले होते हैं तो हर तरफ से आती है आवाजें कौन हो तुम कहां से आये हो क्यों सोये हुए जज़्बात जगाते हो। न जाने कितने दिलों पे राज किया है मैने हर दिल मेरे इर्द गिर्द घूमती है किस दिल से कहूं तुम मेरे हो हर दिल के जख्म सिए हैं मैने। ऐ खुदा तुझे पुकारते हैं हर दम तभी तो प्यार जिन्दा है मुझमें मैं रहूं न रहूं तेरी इस दुनियां में सांसे मेरी दासताँ सुनाएंगी हर दम। परिचय - जया आर्य जन्म : १७ मई १९४७ निवासी : भोपाल म.प्र. शिक्षा : तमिल भाषी अंग्रेज़ी में एमए. उपलब्धि : ग्रेड १, हिंदी उदघोषक आकाशवाण...