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Tag: जयश्री सिंह बैसवारा

अच्छा होता
कविता

अच्छा होता

जयश्री सिंह बैसवारा सोनभद्र, (उत्तर प्रदेश) ******************** कितना अच्छा होता जब सब अच्छा होता जो हम अपनी नजरों से देखते हैं वो सब सच्चा होता ख्वाबों को सच मान लेते हैं हम मगर ख्वाब हकीकत होते तो कितना अच्छा होता किसी मिट्टी की खुशबू की तरह काश इंसान का चरित्र भी होता जो हर वक़्त महकता होता तो कितना अच्छा होता पर्दे के पीछे की दुनिया भी काश उतनी ही खुबसूरत होती जो सामने पर्दे के है नजारा न छिपता किसी से कोई तो कितना अच्छा होता जो मन में है वो जुबां भी बोले जो जुबां से निकले वो मन का हो बेमुरव्वत न हो कुछ भी किसी के लिए तो हृदय से हृदय तक का तार कितना अच्छा होता नजरें कुछ और जेहन कुछ और कहे इरादा कुछ नजारा कुछ और कहे कैसी है ये कहानी जहां कि बातों में संशय न होता तो कितना अच्छा होता परिचय :- जयश्री सिंह बैसवारा निवासी : सोनभद्र, (उत्तर प्रदेश) घोषण...
बूंद
कविता

बूंद

जयश्री सिंह बैसवारा सोनभद्र, (उत्तर प्रदेश) ******************** सहसा ही तूं जब गिरती है, धरती की सुखी छाती पर मस्त मलंग होकर तूं लहराती पेड़ों की डाली पर चारों तरफ है मौसम छाया, है तेरी मनमानी से खिल उठे चितवन में फूल बस तेरी मेहरबानी से चारों तरफ है फैली खूशबू, बस तेरे ही आने से है छायी हरियाली तेरे यूँ इठलाने से अनायास ही मन उठ कहता लिख जाऊँ कुछ तेरे कहने से छायी है जो ये हरियाली, तेरे जख्मों के भरने से परिचय :- जयश्री सिंह बैसवारा निवासी : सोनभद्र, (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवा...
बाकी है
कविता

बाकी है

जयश्री सिंह बैसवारा सोनभद्र, (उत्तर प्रदेश) ******************** अभी तो कदमों को राहों पर लाया है उड़ान अभी बाकी है, इम्तिहान कहाँ खत्म हुआ है मेरा मंज़िल-ए-मुकाम अभी नहीं हासिल है, वक्त बेवक्त चल पड़ती हूँ उस ओर अभी तो सारा नजारा बाकी है, जिंदगी जो रूकी हुई थी मेरी कल तक उसे आगे बढ़ना बाकी है, पल भर की रौनक नहीं अब यहाँ माथे पर मेरे निशान बाकी है, रूकना अभी कहाँ मयस्सर है मेरे लिए अभी काफिलों का मेरे पिछे चलना बाकी है, रौनक तो है अभी भी महफ़िलो में मगर महफ़िल का मेरे नाम होना बाकी है, तुम्हारा इतराता भी ठीक है मगर मेरे गूरूर की आंधी का आना अभी बाकी है, शहर भले ही तुम्हारा क्यूँ न हो मगर भीड़ मेरे नाम की हो, ये नजारा भी बाकी है, चल देखते हैं कब तक खत्म नहीं होती ये जंग अभी वक्त का मेरी तरफ होना भी बाकी है। परिचय :- जयश्री सिंह बैसवारा निवासी : सोनभद्र, (उत्त...
बाकी है
कविता

बाकी है

जयश्री सिंह बैसवारा सोनभद्र, (उत्तर प्रदेश) ******************** अभी तो कदमों को राहों पर लाया है उड़ान अभी बाकी है, इम्तिहान कहाँ खत्म हुआ है मेरा मंज़िल-ए-मुकाम अभी नहीं हासिल है, वक्त बेवक्त चल पड़ती हूँ उस ओर अभी तो सारा नजारा बाकी है, जिंदगी जो रूकी हुई थी मेरी कल तक उसे आगे बढ़ना बाकी है, पल भर की रौनक नहीं अब यहाँ माथे पर मेरे निशान बाकी है, रूकना अभी कहाँ मयस्सर है मेरे लिए अभी काफिलों का मेरे पिछे चलना बाकी है, रौनक तो है अभी भी महफ़िलो में मगर महफ़िल का मेरे नाम होना बाकी है, तुम्हारा इतराता भी ठीक है मगर मेरे गूरूर की आंधी का आना अभी बाकी है, शहर भले ही तुम्हारा क्यूँ न हो मगर भीड़ मेरे नाम की हो, ये नजारा भी बाकी है, चल देखते हैं कब तक खत्म नहीं होती ये जंग अभी वक्त का मेरी तरफ होना भी बाकी है....।। परिचय :- जयश्री सिंह बैसवारा निवासी : सोनभद्र, (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : ...