मत हो दुःखी…मेरे देश
गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी"
बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश)
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आयेगा लौट तेरा यश पावन
मत हो दुःखी मेरे देश ....!!
छट जाएगा छल-छद्म धरा से,
जायेगी थम नफ़रत की आंधी।
आयेगी बसंत-बहार चमन में,
प्रगटेगा फिर एक अटल गांधी।
शोलों पे होगी बर्षा शबनम की,
कांटें कलियां बन जाएंगे महक।
सरिता भर नेह अगाध बहेगी,
शाँखें पंखुड़ी बन जाएंगी चहक।
उन्मुक्त गगन में उड़ते पंक्षी,
देते जायेंगे अनुपम सन्देश !
आयेगा लौट तेरा यश-बैभव
मत हो दुःखी मेरे देश !!१!!
उगलेगी धरा मोती-माणिक्य,
खलिहान धान से विपुल भरेंगे।
कल-कल बहेंगे निर्झर हरदम,
पतझड़ में पुनीत मुकुल खिलेंगे।
हर अधर गीत गायेगा मिलन के
हर अल्फ़ाज़ राग बन जायेगा।
सदभावों की शुभ घड़ी लगेगी,
स्वार्थ का कलंक धूल जाएगा।
हर ख़्वाब समर्पित होगा तुझ पर
हर ख़ुशी होगी तेरा उद्देश्य।
आयेगा लौट तेरा यश पावन
मत हो दुःखी मेरे देश ...