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Tag: गोविन्द सरावत मीणा “गोविमी”

मत  हो  दुःखी…मेरे  देश
कविता

मत हो दुःखी…मेरे देश

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** आयेगा लौट तेरा यश पावन मत हो दुःखी मेरे देश ....!! छट जाएगा छल-छद्म धरा से, जायेगी थम नफ़रत की आंधी। आयेगी बसंत-बहार चमन में, प्रगटेगा फिर एक अटल गांधी। शोलों पे होगी बर्षा शबनम की, कांटें कलियां बन जाएंगे महक। सरिता भर नेह अगाध बहेगी, शाँखें पंखुड़ी बन जाएंगी चहक। उन्मुक्त गगन में उड़ते पंक्षी, देते जायेंगे अनुपम सन्देश ! आयेगा लौट तेरा यश-बैभव मत हो दुःखी मेरे देश !!१!! उगलेगी धरा मोती-माणिक्य, खलिहान धान से विपुल भरेंगे। कल-कल बहेंगे निर्झर हरदम, पतझड़ में पुनीत मुकुल खिलेंगे। हर अधर गीत गायेगा मिलन के हर अल्फ़ाज़ राग बन जायेगा। सदभावों की शुभ घड़ी लगेगी, स्वार्थ का कलंक धूल जाएगा। हर ख़्वाब समर्पित होगा तुझ पर हर ख़ुशी होगी तेरा उद्देश्य। आयेगा लौट तेरा यश पावन मत हो दुःखी मेरे देश ...
जल जीवन का आधार
कविता

जल जीवन का आधार

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** करें सुरक्षित बूंद-बूंद जल, है जीवन का एक आधार।। धधक उठेगी पावक चहुंदिश, धरणी जाएगी हो वीरान। नही करेंगे खग-मृग विचरण नही होंगे सौम्य-सुरभित मैदान। नही होंगे जन-जंगल-जीवन, क्षिति-क्षितिज व घर-द्वार। करें सुरक्षित बूंद-बून्द जल, है जीवन का एक आधार।। थम जाएंगी लहरें सिंधु की, जायेंगे तट नदियों के सूख। डावर-खाई ज्वाला उगलेंगे निर्झरी कंठ जाएंगे हो मूक। छम-छम पावसी-पायल की, मिट जाएगी सरस् झंकार। करें सुरक्षित बून्द-बून्द जल, है जीवन का एक आधार।। नही खिलेंगे गुल गुलशन में मधुवन नीरस हो जायेगा। कहो! कृष्ण किस कदम, बैठ मुरली सुमधुर फिर बजायेगा। मिट जाएगी सभ्यता-संस्कृति, बच न पायेंगे सु-संस्कार। करें सुरक्षित बून्द-बून्द जल, है जीवन का एक आधार।। स्वर्ण-रजत से हिंम बिन्दु नई प्रातः...
अबके वर्ष होली में
गीत

अबके वर्ष होली में

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** गायें गीत मधुर मिलन के अबके वर्ष हम होली में। मलदें विश्वासी प्रेम रंग देश-धर्म की चोली में।। बांटलें खुशियां मिलके सारी हस -हस बांटलें सारे गम। बिसराऐं मन से सारे विकार मिटाएं मन से मन के भृम। क्रोध-क्रूरता त्याग,पुनीत भाव भरें निज बोली में।। गायें गीत..... रहें न नफ़रत के निशां शेष हर डगर खिले सोहार्द-चमन। हर ह्रदय बहे रसधार प्रेम की रुके भेदभाव का कुटिल सृजन। एकता-और-अमन मुस्काये अखंडता की अनुपम रोली में।। गायें गीत... जात-पात आतंक-अधर्म से काम नही अब चलने बाला। हत्या-औ -हिंसा से मनुजों मैल नही अब धुलने बाला। आओ सींचे बंधुता की बगिया भरकर अश्रुजल झोली में।। गायें गीत मधुर मिलन के अबके वर्ष हम होली में।। मलदें विश्वासी प्रेम रंग देश-धर्म की चोली में।। परिचय :- गोविन्द...
नशा नाश की जड़
कविता

नशा नाश की जड़

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** नशा नाश की जड़ है, लगाना नही क़भी नेह, मन हरता, धन क्षरता, करता है खोकली देह। निगल गई लत नशे की, लाखों घर-परिवार, गए उजड़ पल भर में, थे चमन जो गुलज़ार। कुछ समझ ना आता, नशे के आदी नर को, देता ना कोई सम्मान, ना रहता मोल जर को। गांजा, भांग, चरस, स्मैक, सिगरेट, तंबाकू बीड़ी, ऱखना मुनासिब दूरी, चाहो स्वस्थ सबल पीड़ी। नही मंशा भी उचित, जनता के पहरेदारों की रही खोटी नीति सदा, पक्ष-विपक्ष सरकारों की। गली-गली फ़लफूल रहा, नशे का काला धंधा आओ हम सब मिलक़े, रोकें अब खेल ये गंदा। बढ़ते ही जा रहे नित, खतरे नरता पर भारी, मिटाने धरा से नशा समूल, करो आज तैयारी। परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित ए...
लिखो पढ़ो, आगे बढ़ो
कविता

लिखो पढ़ो, आगे बढ़ो

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** लिखो पढ़ो, आगे बढ़ो, करो प्रगति पथ प्रस्थान !! खिलते अदभुत ज्ञान पुष्प होती सुरभित गली-गली। रहते स्नेहाक्त भाषा-बचन, खिले क्षमा की कली-कली आदर-अनुनय औ आदर्श, पाते कदम-कदम मान ! लिखो पढ़ो, आगे बढ़ो, करो प्रगति पथ प्रस्थान !! सत्य-अहिंसा, न्याय-प्रेम की मिलती है शिक्षा से ही सीख। जहां मिले, जिससे से मिले लेना, मांग ज्ञान की तू भीख। शिक्षित हो, करना सब शिक्षित, रहे न शेष अज्ञान ! लिखो पढ़ो, आगे बढ़ो, करो प्रगति पथ प्रस्थान !! शिक्षा है दुध शेरनी का, जिसने भी पिया दहाड़ा है। शिक्षित मानव ने ही धरा से अनीति-अधर्म पछाड़ा है। अधिकारों औऱ कर्तव्यों के साथ जगाना स्वाभिमान ! लिखो पढ़ो, आगे बढ़ो, करो प्रगति पथ प्रस्थान !! जाओ मेरे आंखों के तारे, पढ़ लिखके रोशन नाम करो। कर ह्रदयंगम मानव धर्म तुम, मान...
आया महीना फ़ागुन का
कविता

आया महीना फ़ागुन का

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** अंतर्मन में जगाए आकुलता, शीत सयानी फागुनी। अमराई में छुपकर कोयलिया, छेड़ रही मृदु रागिनी।। पवन वाबरी मदहोश हुई है, छू किसलय कपोल। उर आलिंद हर्षित अतिशय, सुनक़े मिश्री-से बोल।। मन मोहक महुआ की महक, करे मतवाला अंग-अंग। नव यौवना-सा निखरा पलाश, समेट बासंती रंग-रंग।। निपर्ण तरुवर का तन लगता, मानो हो निष्प्राण देह। कर रहे चाकरी हवाओं की, शायद सोनपरी के गेह।। ढल गया फ़िर ये दिन दीवाना, तेरा ही इंतज़ार लिए। सारी रानी बरसी ये अखियां, तेरा ही इनकार लिए।। आया महीना फ़ागुन का प्रिय! ले करक़े रंग हज़ार। आभी जा ओ हरजाई अब तो, रहता जिया बेकरार।। परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं म...
शगुनी-सा लगे विश्वास
कविता

शगुनी-सा लगे विश्वास

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** मतलबी हुए लोग यहां, खुदगर्ज हुआ ज़माना , रह गया दुनिया मे शेष, फ़क्त नाम का याराना।। छल-कपट में सना हुआ, लगता है पावन प्यार, कहां कृष्ण-सी करुणा, कहां कर्ण-सा व्यवहार।। वादे तो करते कई, हर मुश्किल में साथ देने के, पर लेते खींच हाथ, आते लम्हे जब हाथ देने के।। टुकड़ों-टुकड़ों में वट चुका सु-भाव-ओ-सहयोग, झरते नही अश्रु नयनों से होता देख अव वियोग।। मन की सौम्य बगिया से, गायब हुई स्नेह सुवास, दुर्योधन-सी हुई दीनता, शगुनी-सा लगे विश्वास।। सिमट रहा रिश्तों-से, त्याग,समर्पण, शिष्टाचार, अधरों पर अर्धनग्न हंसी, करें उर से प्रश्न हजार।। आ गए हम कहां 'गोविमी', स्वार्थ में होकर अंधे, आओ करें अवगुणों से तौबा, छोड़ें कुटिल धंधे।। परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" निवासी : बमोर...
जन्मे शिवनेरी दुर्ग रणरुद्र शिवा
कविता

जन्मे शिवनेरी दुर्ग रणरुद्र शिवा

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** फ़रवरी उन्नीस सोलह सो तीस, जन्मे शिवनेरी दुर्ग रणरुद्र शिवा। शाह जी भवन गूंजीं किलकारी, जीजाबाई दामन देदीप्य विभा।। माँ से मिली सीख धर्मपरायण की, पिता से युद्ध कौशल, प्रशासन जाना। महज़ बर्ष सोलह में किला तोरण छत्रपति शिवा ने अपना है माना।। वर्ष शुभ सन सोलह सौ चौहत्तर, पहना मराठा छत्रपति का ताज। विकसित की युद्धकला "शिवसूत्र", हिलने लगा विधर्मियों का कु-राज।। रोक सके नही ध्येय स्वराज का, पड़ी मुगलों को भी मुंह की खानी। भारत भू पर बढ़ते जुल्मों-सितम की, होने लगी ख़त्म हर कुटिल कहानी।। आयी नही शायद रास प्रकृति को, सदभाव, शांति, भरी स्वर्णिम विहान। अप्रैल तीन सोलह सौ अस्सी में थमा "हिंदवी" सु-शासन का होता निर्माण।। परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्...
भारत पथ के हम पथिक
कविता

भारत पथ के हम पथिक

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** ख़ौफ़ नही आंधी-तूफां का बढ़ते आगे हम हैं, अथक। अंगारों पर जाते चलते नित भारत पथ के हम हैं पथिक।। देश की खातिर मरना सीखा वीर शहीदों की कुर्बानी से। दुश्मन से लोहा लेना सीखा लक्ष्मी बाई महारानी से।। यह देश है आंखों का तारा कण-कण लगता स्वर्ग समान। यह धरती है जननी हमारी शहादतों से गर्वित श्मशान।। विंध्य-हिमालय यमुना-गंगा है जहां हमारे अरमानों के। खिलते यहां नित सुखद सुमन देश-धर्म के आख्यानों के।। देकर लहू जिगर का अपना रखना यह अमर कहानी है। त्याग भेद उर से अब सारे भारत की लाज बचानी है।। परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहान...
आया पतझड़ में बसंत
कविता

आया पतझड़ में बसंत

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** धरती पर यौवनता उमड़ी, मदहोश हुआ दिग्दिगंत, कली-कली कौमार्य दहके, आया पतझड़ में बसंत! नैन मिलाके खोया चैन, उड़ गई निदियां रातों की, तन-वदन में लगी आग, पुलकित बगिया बातों की! मन-मधुकर मदहोश हुआ, पा पावन स्नेह मकरंद, हो उठा प्रण पूर्ण प्रियतम, जुड़ा ह्रदय का अनुबंध! बदल ना जाना मौसम-सा, रहना बन परछाई तुम, बहल ना जाना कलियों संग, बनकर हरजाई तुम! परिमल-से पल प्यार के, कर रहे प्रमुदित पोर-पोर तेरी यादों में कटती शामें, तेरे ख्वाबों में होती भोर! भाया ना सिवा तेरे कोई, ये सांसें तेरे ही नाम की स्वीकार ख़ुशी-ओ-गम, नही फ़िक्र है इल्जाम की! गुजरे ज़िंदगी सारी, प्रिय! अब तेरी ही पनाहों में होना ना दूर आँखों से, मांगा मैंने तुम्हें दुआओं में! परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" ...
मैं तेरे दिल का टुकड़ा
कविता

मैं तेरे दिल का टुकड़ा

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** बाबा मैं तेरे दिल का टुकड़ा, तेरा ही अंश तेरा ही मुखड़ा। करना नही दूर मुझे ह्रदय से, बाटूंगी सब मुश्किल दुखड़ा।। सदैव रखूंगी लाज दामन की, रहूंगी तुलसी तेरे आंगन की। समझना नही बोझ कभी तुम, मैं बाती तेरे उरदीप पावन की।। होती नही बिटिया धन पराया, बिन बेटी कौन वंश मुस्काया। बेटी से ही ब्रह्मण्ड में हलचल, रच बिटिया विधना मदमाया।। बिन बिटिया जीवन सूना है, लगता भाग्य भी जैसे ऊना है। गूंजे जिस घर प्रहास बेटी की, सौभाग्य बड़ा, सम्मान दूना है।। विदाई का जब आये वक़्त, लेना छाती कुछ कर सख़्त। तेरे सपनों के सुमन खिलेंगे गर्वित होगा तेरा पुनीत रक्त।। परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं ...
विधाता मेरे
कविता

विधाता मेरे

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** तू ही बता विधाता मेरे, क्या ऐंसा ही जीवन होगा।। कुंठित कोख़ आई की होगी व्यथित बाप का मन होगा। सोचा नही होगा ख्यालों में, कि-बेइज्जत यूं ये तन होगा।। नीर भरे निर्मल नयनों से, कैसे वो उऋण होगा। तुही बता विधाता मेरे, क्या ऐंसा ही जीवन होगा।। हस-हस सही असह पीड़ा, संतति सुख की चाह लिए। सुरभित हों सपनों के सुमन, लाखों जुवा की वाह लिए।। दुखा ह्रदय 'मापा' का, नही पूरा कोई प्रण होगा। तुही बता विधाता मेरे, क्या ऐंसा ही जीवन होगा।। ग़जभर माटी के बंटबारे को, मापा मुश्किल में डाल दिए। छीन कमाई खून-पसीने की, निज, घर से तूने निकाल दिए।। तेरा भी होगा हस्र बुरा, तेरे हिस्से भी कफ़न होगा। तुही बता विधाता मेरे, क्या ऐंसा ही जीवन होगा।। मात-पिता से बढ़के भू पर, नही मूरत भी भगवान की। जिसने ...
लो जी आ गया साल नया
कविता

लो जी आ गया साल नया

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** लो जी आ गया साल नया दे न कर खड़ा बबाल नया। देखे जो स्वप्न हों सब पूरे आये न फिर भूचाल नया। तारों-सा हिलमिल रहें सदा बिछाए न कोई जाल नया। भुला के सारे शिक़वे-गिले सजाए सुंदर ख्याल नया। गूंजे गीत सद्भाव-शांति के मिलजुल करें कमाल नया। जियें औऱ जीने दें सबको समरसता हो सवाल नया। नववर्ष में नवल लक्ष्यों में आओ हम भरदें उबाल नया। हर प्राणी-पूर्णिमा-सा निखरे "गोविमी" शुभ सकाल नया। परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्र...