Friday, November 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: गोरधन भटनागर

श्रम-साधक को विश्राम कहा
कविता

श्रम-साधक को विश्राम कहा

गोरधन भटनागर खारडा जिला-पाली (राजस्थान) ******************** श्रम-साधक को विश्राम नहीं। कैसे ये विश्राम करें, क्षण-भर भी आराम न करें। लक्ष्य नहीं खुद अपना, बस कङी धुप में तपना। अनवरत,ही ये चल रहे, औरन के खातिर ये धुप में तपना रहे। सब कुछ अपना समझ कर, ये द्रुतगति से चल रहें। नयी किरण और नया जोश, रंग खुशी के भर रहें। साधक को विश्राम कहा, जो श्रम के पथ पर चल पङे। दिन समझे न रात, हर बार ये काम करें। श्रम साधकों को विश्राम कहा, जो श्रम के पथ पर चल पङे। श्रम इनका अविराम हैं, बस कर्म ही सुनिश्चित हैं। . परिचय :- नाम : गोरधन भटनागर निवासी : खारडा जिला-पाली (राजस्थान) जन्म तारीख : १५/०९/१९९७ पिता : खेतारामजी माता : सीता देवी स्नातक : जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी जोधपुर आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करव...
वर्तमान
कविता

वर्तमान

गोरधन भटनागर खारडा जिला-पाली (राजस्थान) ******************** दोस्तों युग बदल रहा हैं, झोपड़ियां टूट रही हैं। भवन विशाल बनाये जा रहे, गाँवों में सन्नाटा हैं । शहर भरे यू जा रहे हैं। युग बदल रहा हैं....।। गाये भी परेशान हैं, चारा इन्सान खा रहे। गीद्ङ मना रहे हैं, दीवाली। कुत्ते चले गए कोमा में।। युग बदल रहा हैं.....।। पता लगा जब कुत्तों को, तलुए इन्सान चाट रह्। बिल्ली ङर रही चूहों से, क्योंकि युग.....।। हजार की बन्द हैं, दो हजार की चल रही। सब कुछ धुन्धला सा हो गया। जमाने में पहलवान भी 'रो' गया। युग बदल.....।। सत्य कोने में रो रहा हैं। झूठों की ही चल रहीं।। जो बोले झूठ, दाल उन्हीं की गल रही। युग बदल.....।। . परिचय :- नाम : गोरधन भटनागर निवासी : खारडा जिला-पाली (राजस्थान) जन्म तारीख : १५/०९/१९९७ पिता : खेतारामजी माता : सीता देवी स्नातक : जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी जोधपुर ...
खटकती हैं
कविता

खटकती हैं

गोरधन भटनागर खारडा जिला-पाली (राजस्थान) ******************** हर बात हर बार खटकती हैं। मेरे लबो पर हर बात अटकती है।। कभी साँसे अटकती हैं, कभी यादे भटकती हैं । हर बात हर रोज अटकती हैं। झूठों पर सटकती हैं।। जब भी सटकी, हर बात ही खटकी। जो नहीं सोता नींद वहीं भटकती हैं। जिसको हैं सोना नींद वहाँ सटकती हैं।। जहाँ मंजर हो विकट, छते वही टपकती हैं। ये ही बात खटकती हैं।। जहाँ फसले हो हरी-भरी, बून्दे वही टपकती हैं। ये बात ही खटकती हैं.....।। . परिचय :- नाम : गोरधन भटनागर निवासी : खारडा जिला-पाली (राजस्थान) जन्म तारीख : १५/०९/१९९७ पिता : खेतारामजी माता : सीता देवी स्नातक : जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी जोधपुर आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रका...
खानाबदोश
कविता

खानाबदोश

गोरधन भटनागर खारडा जिला-पाली (राजस्थान) ******************** बस! खाने की आस में भटकते दिन-रात। सब कुछ बन्द हैं, काम की पाबन्दी हैं।। शहरों की तालाबन्दी हैं। घर इनके भी मन्दी हैं।। कुदरत की लीला हैं, या करामात इन्सान की। मगर कैसे मैं समझाऊँ मन को, क्या गलती हैं इन सब की। कुछ भूखे ही सो गये। कुछ दुर क्षितिज में खो गए।। कुछ अपनो से मिले बिना ही। धरा में विलीन हो गए। कमाना मकसद नहीं इनका। बस खाना और पेट भरना।। ये भी रास न आया कुदरत को। ये शामिल नहीं थे तेरे ह्वास में।। फिर क्यूँ इनको भी गिन लिया। सबकुछ इनका छीन लिया।। . परिचय :- नाम : गोरधन भटनागर निवासी : खारडा जिला-पाली (राजस्थान) जन्म तारीख : १५/०९/१९९७ पिता : खेतारामजी माता : सीता देवी स्नातक : जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी जोधपुर आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के ...
महँगाई की मार
कविता

महँगाई की मार

गोरधन भटनागर खारडा जिला-पाली (राजस्थान) ******************** महँगाई की मार है, पैसा है तो कार हैं। करते सब इनकार हैं, महँगाई की मार है।। आलू हूआ बीमार गोभी को आया बूखार। पालक ने सीना ताना, तोरी ने रूख अपनाया सख्त। बोलो महँगाई की------------।। शक्कर बोली दाल से बहिन क्या हैं, हाल! दाल बोली आज-कल तो दाल ही दाल, ऐसा मेरा हाल।। बोलो महँगाई की ----------।। क्योंकि तेल चढा पहाड़ है, चावल का बंटाधार। गेहूँ थोड़ा उदास हैं, देखो ऐसा वार है।। बोलो महँगाई की --------।। गाँव-गल्ली और नुक्कड़ में, शहरों के चोराहो में। भरे हुए बाजारो में, आज के ये हाल हैं।। बोलो महँगाई की --------।। न चाल हैं, न ढाल हैं, लोग बिचारे बेहाल हैं। अंगूरों की देखभाल है, चीकू- संतर 'आम 'हैं।। बोलो महँगाई की -------।। क्योंकि 'घी' आपे के बाहर हैं, कोने में बैठा अनार हैं। देखो ऐसा वार है। बोलो महँगाई की ---------।।...
घर
कविता

घर

गोरधन भटनागर खारडा जिला-पाली (राजस्थान) ******************** बचपन की मस्ती की यादों का घर। दादा के पैरो की जन्नत हैं ये घर।। कुछ वक्त मिला हैं अनजाने में। बीता दो ये वक्त, इतिहासो में ।। वर्षो की कशमकश में क्या पाया क्या खोया। इसमें अपनो की पहचान भर दो।। सीख लो हर पहलू जीवन का। जहाँ भूल वही से सुधार करो।। घर में उल्लास, उमंग, उत्साह भर दो। कुछ दिन साथ घर में ही रह लो।। कुछ दिन घर में उत्सव समझ लो। कुटिया हो, या हो महल ---------।। जमकर इसमें रंग भर दो। अपनी अलग पहचान कर दो।। अधरों पर मुस्कान भर दो। घर को अपने रोशन कर दो।। . परिचय :- नाम : गोरधन भटनागर निवासी : खारडा जिला-पाली (राजस्थान) जन्म तारीख : १५/०९/१९९७ पिता : खेतारामजी माता : सीता देवी स्नातक : जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी जोधपुर आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं...
दादा
कविता

दादा

गोरधन भटनागर खारडा जिला-पाली (राजस्थान) ******************** जो हर बात पर टोके, कामयाबी पर झूमे। जो पास बैठा-कर पढाए अनेकानेक कहानियां सुनायें।। ये सब सिखलाते जो बोले....। बेटा बाहर मत जा, तु बैठ जा। खाना खाया या नहीं? हर बात को जो पूछे। जो आँखो की नमी को पढ ले।। जो जीवन की सीख दे, अपने अनुभव खूब बताते। हर छोटी सी बात बताते। जो हमको गीत सुनायें।। आ बैठ मेंरे पास,अपना हाल जो हर जो हर पल पुछे। अपना हर दर्द जो जाने धीरे-धीरे हर बात को बतलाएँ। नफा नुकसान सब सिखलाते। स्कुल गया या नहीं, आ बैठ। वो अनपढ़ ही सही हर बात, समझते हैं।। सच कहूँ मैं, ये ईश्वर का रूप होते हैं। देखा नहीं मैंने ईश्वर कैसा होता हैं, मगर वो झलक दादा में देखी हैं। सही गलत का अहसास कराये। पिता के पीटने पर छुड़ाए। दादा खुदा की खूब बनावट हैं। सच कहूँ ये ईश्वर का छोटा सा रूप, हैं धरती पर।। . परिचय :- नाम : गो...
मुझको आता नहीं बिखरना,
कविता

मुझको आता नहीं बिखरना,

गोरधन भटनागर खारडा जिला-पाली (राजस्थान) ******************** मुझको आता नहीं बिखरना, यू गिरना मैंने सीखा नहीं । चलता हूँ, मैं बीना रूके, रूकना मेंरी आदत नहीं ।। मुझको आता नहीं बिखरना......। देखा नहीं अभी तो जीवन, जीना है, बहुत अभी । उम्र नहीं हैं, अभी मेरी , मुझको आता नहीं बिखरना.....। अभी कैसे रूक जाऊ , कैसे मैं थक जाऊ। कुछ देखा नहीं अभी तो, जीने की भी नहीं चाहत। मुझको आहट सी लगती हैं ।। मुझको आता नहीं बिखरना.....। कुछ कर गुजरने की ताकत हैं, मुझमें । बस! वो दिखाने आया हूँ । मुझको आता नहीं बिखरना.....। . परिचय :- नाम : गोरधन भटनागर निवासी : खारडा जिला-पाली (राजस्थान) जन्म तारीख : १५/०९/१९९७ पिता : खेतारामजी माता : सीता देवी स्नातक : जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी जोधपुर आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित कर...
रात
कविता

रात

गोरधन भटनागर खारडा जिला-पाली (राजस्थान) ******************** रात तुम हर रोज काली हो जाती है! पूरी बस्ती मानो खाली हो जाती है। तू भी सोया कर दिन में, हर रोज अंधेरा कर देती हो। तुम रोज काली हो जाती हो।। कुछ हद तक अच्छी भी हो तुम। चैन से सब को सुलाती हो।। मगर कुछ को रुलाती हो, कुछ के सपनो में डाल देती हो जान। किसी की बन जाती हो शान।। तुम रोज काली..... तूम काली ही सही, भोली हो मगर, सब का तनाव मिटाती हो। दिन को हरा कर रात हो जाती हो।। लकिन तुमे नही पता-सो जायंगे वे लोग जिनके होते है आशियने। मगर कहा भटकेंगे तेरे अंधेरे, वह लोग जिनके नसीब घर ही नही।। तुम रोज काली..... खेर! तुजे क्या दोष दू में, मेरा साथ निभाती हो सब को शांत कराती हो। और मुझे रात भर जगाती हो साथ बैठ पढ़ाती हो। तू काली ही सही मगर मुझे लायक बना दिया ।। फिर भी तुम रोज काली..... . लेखक परिचय :- नाम : गोरधन भटनागर न...
लक्ष्य
कविता

लक्ष्य

गोरधन भटनागर खारडा जिला-पाली (राजस्थान) ******************** लक्ष्य तुझे पाना है। आज नहीं तो कल जरा विलंब लग जाएगा मगर थकूंगा नहीं, मैं आज।। लक्ष्य तुझे पाना है आज नहीं तो कल कल अगर हो जाए, अंधेरा तो हाथ में दिया जला लूंगा मैं लक्ष्य तुझे पाना है आज नहीं तो कल क्या तू ओझल हो जाएगा। मैं ढूंढ लूंगा तुझे हर बार।। तू रह अपनी ठौर, मैं अपनी ठौर। लक्ष्य तुझे पाना है..........। तू भी तो साथ दे मेरा। तेरे लिए ही जगता हूं, दिन- रात।। सुन तू मेरी बात पाना है जरूर तुझे आज नहीं तो कल लक्ष्य तुझे पाना है,..........। तू रुके या दौड़े। मुझे नहीं झुका सकता।। थाम लिया है कलम को। साथ भी हैं स्याही का।। लक्ष्य तुझे पाना है,.........। ऐ नींद! तु भी क्या आडे आएगी? जा तू भी सो जा। ऐ अंधेरा तू क्या रोकेगा, अब मुझे।। बस ठान लिया है, पाने का तुझे लक्ष्य तुझे पाना है,..........। सुनो ए बाधाओ, क्या र...