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Tag: गाज़ी आचार्य ‘गाज़ी’

मिट्टी मेरी शान
दोहा

मिट्टी मेरी शान

गाज़ी आचार्य 'गाज़ी' मेरठ (उत्तर प्रदेश) ******************** भारत मेरा देश है, मिट्टी मेरी शान । कहो गर्व से देश की, हिन्दी है पहचान ।। एक देश है विश्व में, भारत जिसका नाम । बसते धर्म अनेक है, सबको करूँ प्रणाम ।। हिन्दी आत्मा है यहाँ, संस्कृत सबका साज़ । पावन धरती देश की, हिन्दी है आवाज़ ।। पग-पग बदले बोलियां, कदम-कदम पर रूप । एक समय में सब मिले, कहीं छाँव तो धूप ।। परिचय :- गाज़ी आचार्य 'गाज़ी' निवासी : मेरठ (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hin...
शिक्षक क्या है?
कविता

शिक्षक क्या है?

गाज़ी आचार्य 'गाज़ी' मेरठ (उत्तर प्रदेश) ******************** शिक्षक निराकार है शिक्षक का नाम संस्कार है शिक्षक फ़ज़ल है शिक्षक कोरे कागज़ को ज्ञान रूपी शब्दो से सवारनें वाली एक कलम है शिक्षक जीवन की उम्मीद अच्छे भविष्य की आस है शिक्षक चिराग है शिक्षक संगतराश है शिक्षक जलते दिये की लॉ जीवन को उज्ज्वल करती मशाल है शिक्षक अदब की पहचान है शिक्षक कोई इन्सान नहीं इन्सान रूपी भगवान है परिचय :- गाज़ी आचार्य 'गाज़ी' निवासी : मेरठ (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी...
मन में खटके बात
कविता, छंद

मन में खटके बात

गाज़ी आचार्य 'गाज़ी' मेरठ (उत्तर प्रदेश) ******************** रीत यहाँ की देख के, मन में खटके बात | मनुज विवेकी कौन थे, जिसने बाँटी जात || [१] पीड़ा जग की देख के, मन में खटके बात | कौन कर्म है आपके, व्यथा भोग दिन-रात || [२] गुड से मीठे बोल है , थाम चले है हाथ | पग - पग मेरे साथ है, देत गैर का साथ || [३] बेमतलब है ये हँसी, मन में खटके बात | पर्तें मुख पर लाख है, दिखते है जज़्बात || [४] ऊँचे उसके बोल है, वार्ता करे अकाथ | आन शीश विपदा खड़ी, जोड़ फिरे जग हाथ || [५] माथे पर है सिलवटें, मन में खटके बात | डोल रहे करते भ्रमण, साँझ न देख प्रभात || [६] परिचय :- गाज़ी आचार्य 'गाज़ी' निवासी : मेरठ (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय ए...