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Tag: कृष्ण शर्मा

साहब यूँ ही हम किसान ना कहलाते
कविता

साहब यूँ ही हम किसान ना कहलाते

कृष्ण शर्मा सीहोर म.प्र. ******************** भूखे को भोजन कराते, प्यासे को पानी हे पिलाते दिल से हम अंजान रिश्तो को अपना बनाते। साहब यूँही हम किसान ना कहलाते। बेरोजगार खुद हूँ, पर गरीबो को रोजगार देंने में जरा भी नही घवराते। सो जाऊंगा भूखा खुद, पर सबको पेट भर खाना हे ख़िलाते। साहब यूँही हम किसान ना कहलाते। हमारा नाम लेकर ये जो जमीन पर दुग्ध, सब्जी जो हे गिराते, ना जाने क्यों हमारे मान को नीचा हे दिखाते, हम तो एक बूंद दुग्ध को भी अपने हाथों से हे उठाते हे साहब साहब यूँही हम किसान ना कहलाते। कोई नही है किसान का यहाँ सब अपनी राजनीति हे चमकाते, नाम लेकर हमारा कही अपराध है ये किये जाते। करते रहो बदनाम हमे यूँही पर हम अपना कर्म यूँ ही ईमानदारी से हे हम किये जाते। साहब यूँही हम किसान ना कहलाते। . परिचय :- कृष्ण शर्मा निवासी : सीहोर म.प्र. आप भी अपनी कविताएं, कहानियां...
चौखट पर बैठी मेरी माँ
कविता

चौखट पर बैठी मेरी माँ

कृष्ण शर्मा सीहोर म.प्र. ******************** चौखट पर बैठी मेरी माँ कर रही है इंतजार मेरा, बॉर्डर से आये उसका बेटा, यही सोच के रास्ते निहार रही माँ। कॉटन की साड़ी लाऊंगा तेरे लिए माँ यही कहकर निकला था घर से, सब लोगो से यही बोल बोल कर, खुश हो रही है मेरी माँ। चौखट पर बैठी मेरी माँ। लायेगा इमारती, जलेबी मीठे में, खिलायेगा वो अपनों हाथो से, उसी मीठे की आश में, चौखट पर बैठी ही मेरी माँ। रातो में बार-बार उठ बैठ जाती है, किबाड़ की आहट सुनते ही, खोलकर देखती हे किबाड़ फिर से, दुःख में जाकर फिर लेट जाती है माँ। चौखट पर बैठी मेरी माँ। एक बहु भी लायेगा केहता था वो, बहु की नज़र उतरने के लिए, आश में आज भी बैठी है मेरी माँ। बापू से कहता था जीत लाऊंगा मैडल सारे सजा लेना छाती पर तुम, गर्व से करना मेरी बातें, हर सपना पूरा कर जाऊंगा। इन सपनो के सपने लिए आज भी चौखट पर बैठी है मेरी माँ। . ...