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Tag: कुंदन पांडेय

ऐ नारी
कविता

ऐ नारी

कुंदन पांडेय रीवा (मध्य प्रदेश) ******************** मेरा विचार है ऐ नारी, अपना परचम लहराना तुम। पथ के इन कंकड़ पत्थर से, क्षण भर भी ना कतराना तुम। हर कदम बढ़ाने से पहले, अपने सुविचार बढ़ाना तुम। मेरा विचार है ऐ नारी, अपना परचम लहराना तुम। कथनी करनी सब अपनी हो, सत मार्ग वही अपना ना तुम। कोई मिटा सके ना हल्के से, ऐसे निशान दे जाना तुम। मेरा विचार है ऐ नारी, अपना परचम लहराना तुम। अपनी ही करुण क्यारियों में, खुद पुष्प सुमन बन जाना तुम। हिंसक पशुओं से बचने को, खुद कांटे भी दिखलाना तुम। मेरा विचार है ऐ नारी, अपना परचम लहराना तुम। परिचय :-  कुंदन पांडेय निवासी : रीवा (मध्य प्रदेश) उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां,...
संकल्प
कविता

संकल्प

कुंदन पांडेय रीवा (मध्य प्रदेश) ******************** मैं तपस्विनी की सुता भला, तप में विश्राम क्या पाऊंगी। प्रतिदिन नव कोपल सम ही मैं, आगे बढ़ती ही जाऊंगी। हरक्षण जो कष्ट लिए उर में, मैं उस वसुधा की जाई हूं। हो आदि पुरुष भी नतमस्तक, ऐसी शक्ति बन आई हूं। क्यों लक्ष्य नहीं मैं पाऊंगी, ना पीछे कदम हटाऊंगी। बाधाओं से लड़ जाऊंगी, निज स्वत: ढाल हो जाऊंगी। गर मार्ग बिना कंटक के हों, मंजिल में प्रीत न पाऊंगी। बिन बाधाओं के प्राप्त हुआ, वह लक्ष्य नहीं अभिशाप हुआ। जितनी ही असफलता आए, उतना ही कदम बढ़ाऊंगी। हरगिज भी ना अकुलाऊंगी, एक दिन मंजिल पा जाऊंगी। परिचय :-  कुंदन पांडेय निवासी : रीवा (मध्य प्रदेश) उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कह...
नारी शक्ति
कविता

नारी शक्ति

कुंदन पांडेय रीवा (मध्य प्रदेश) ******************** युग कोई भी आ जाए, क्यों नारी छली ही जाती है। कभी सिया कभी मीरा राधा, बन वह कष्ट उठाती है। अग्नि परीक्षा देकर भी, क्यों वन को भेजी जाती है। कभी सिया कभी मीरा राधा बन वो कष्ट उठाती है। अब तो रघुवर आ जाओ, सीता का कष्ट मिटा जाओ। उस युग में ना सही मगर, इस युग में न्याय दिला जाओ। विरह कलह सतवार सहन कर, हरगिज़ ना अकुल आती है। प्रचंड ज्वार हर बार प्रहार को, छलनी करती जाती है। कभी सिया कभी मीरा राधा, बन वह कष्ट उठाते हैं। परिचय :-  कुंदन पांडेय निवासी : रीवा (मध्य प्रदेश) उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र ...
माँ की याद
कविता

माँ की याद

कुंदन पांडेय रीवा (मध्य प्रदेश) ******************** छोटा घर था पर हम खुश थे और संग सभी का साथ रहा। घर बढ़ा हुआ तुम चली गई कोई भी ना अब खास रहा। सब छूट गया अब कुछ न बचा सर पर तेरा ना हाथ रहा। तब दिन थे हर क्षण मस्ती के हम कितना मौज उड़ाते थे। तुम भूल गई क्या हे जननी तुझ संग ही हम मुस्काते थे। तेरे जाने से ओ माता सारी दुनिया बीरानी है। हंसने की कोई वजह नहीं अब बस आंखों में पानी है। मां तुम्हें पता है! अब पापा होली पर रंग ना लाते हैं। ना ही अब रावण जलता है न दीपावली मनाते हैं। ना ही बटते पेडे़ घर-घर ना खील बताशे आते हैं। अब साथ नहीं सब बसते हैं सूने में ही सब हंसते हैं। बस काया है मन और कहीं सांसो का ना अब बास रहा। जीवन की सारी अभिलाषा अंदर ही अंदर ठिठक गई। तेरी बेटी तुझ बिन ऐ माँ चुपचाप खड़ी बस सिसक रई। परिचय :-  कुंदन पांडेय ...
सरस्वती वंदना
भजन, स्तुति

सरस्वती वंदना

कुंदन पांडेय रीवा (मध्य प्रदेश) ******************** वंदन करूं..... मात सरास्वती तेरी महिमा का गुणगान करूं। वंदन करूं...... गुण पूरित वेद पुराण पति, तेरी महिमा का मैं बखान करूं। वंदन करूं..... हे बागेश्वरी माता कमलासिनी रज तेरी सर माथ धरूं। शोभा निज वृहद विसद हो माता, जब भी तेरा ध्यान करूं। करुणा की देवी ज्ञान मई, तेरा हरक्षण सम्मान करूं। वंदन करूं....... तेरी ही कृति हूं हे मां भारती तुझसे ही नित पूरित हूं। तेरी ही वाणी है ये माता, मैं बस तुझको ध्याती हूं। मन व्याकुल जब भी हो माता, ब्यूहल सी तेरी राह तकूं। वंदन करूं..... मात सरास्वती तेरी महिमा का गुणगान करूं। वंदन करूं..... परिचय :-  कुंदन पांडेय निवासी : रीवा (मध्य प्रदेश) उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
इतिहास गाथा
कविता

इतिहास गाथा

कुंदन पांडेय रीवा (मध्य प्रदेश) ******************** है रही सुसज्जित ये धानी प्राचीन काल में वैभव से है पत्थर पर अभिलेख यहां पाषाण काल के उद्भव से सुनकर इस गौरव गाथा को अपने अतीत का मान करो जो इतिहासो के पन्नों में तुम कथा वही अविराम कहो। सोलंकी राज धवल के सुत गुजरात राज्य से थे आए जिनके कारण यह राज्य बना जो व्याघ्र देव थे कहलाए हो चंद्रवंश या सूर्यवंश या शीतल तपिश हि नाम कहो जो इतिहासो के पन्नों में तुम कथा वहीं अविराम कहो हो सारनाथ का वह वैभव सांची की अमर निशानी हो गौतम का हो उपदेश यहां चाहे संतों की वाणी हो जो क्रूर हृदय कोमल कर दे ऐसे जातक सरेआम कहो जो इतिहासो के पन्नों में तुम कथा वही अविराम कहो है धन्य धरा इस भारत की और धन्य हमारी माटी है हर पग में है संस्कार यहां यहां संस्कृत की परिपाटी है हर कला सुसज्जित पत्थर में चाहे खजु...
देश गान
कविता

देश गान

कुंदन पांडेय रीवा (मध्य प्रदेश) ******************** ओजस्व नहीं मेरे अंदर, तू स्वयं ओज गुण दाता है। संपूर्ण कलाधर हे जननी, तू हीं इस जग की त्राता है। हर क्षण-क्षण, हर पल पूजा हो, बस यही आश मन धरती हूं। तेरे कारण मेरा वजूद, मैं तुम्हें नमन नित करती हूं। है लिया जन्म जिस धरती पर, न उसको नित निश प्राण करो। तुम जग के कुल उद्धारक हो, इस वसुधा का सम्मान करो। जो त्याग अरति इतिहास रचे, नव युग उसके गुण गाता है । संपूर्ण कलाधर हे जननी,तू हीं इस जग की त्राता है। उठ जाओ शुखमय आश्रय से, तुम नित त्रासों का वरण करो जग-मग कर डालो वशुधा को, कुल दीपों का तुम तरण करो। हो कर अब निश्चल अविरल तुम, भारत माता का ध्यान करो। गर राष्ट्र प्रेम तुम करते हो, हर प्राणी का सम्मान करो। जो कण-कण तज दे धरणीं पर, हर शब्द उसे हीं ध्याता है। संपूर्ण कलाधर हे जननी, तू हीं इस जग ...
ऐतिहासिक वीर गाथा
कविता

ऐतिहासिक वीर गाथा

कुंदन पांडेय रीवा (मध्य प्रदेश) ******************** हो कर्म प्रखर और मन उज्जवल इतिहास तभी दोहराता है। ओजस्व पूर्ण बलिदानों का त्रेता युग तब गुण गाता है। हो धर्म निष्ठ तब रामायण सत मार्ग हमें दिखलाता है। करुणा मय कर्म प्रकांडो से जातक जीवन सिखलाता है। गौरी हारा उसे ना मारा परिणाम बुरा तब आता है। दुष्टों को माफ नहीं करना इतिहास हमें सिखाता है। कट गया शीश पर झुका नहीं वो पृथ्वीराज महान बड़ा। कर दिया उसे निज नेत्रहीन फिर भी गौरी के प्राण हरा। जहां वीरांगनाएँ जन्मी हो भय से खल ह्रदय भी छलनी हो। स्वाभिमान भरे निज अंतः में जिनके कर्मों से धरणी हो। वीरों की विजय गायकी में तलवारों की टंकार सुनो। जो धरा हमें दिखलाती है उस गाथा का गुण गान सुनो। जहां सरस्वती का वो तट हो जो इतिहासों का साक्षी है। अस्कनी, पुरूष्णी सी नदियां जहां स्वयं धारा की थाती हैं...