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Tag: कार्तिक शर्मा

क्या वाकई दूर बैठी हैं बहनें?
कहानी

क्या वाकई दूर बैठी हैं बहनें?

कार्तिक शर्मा मुरडावा, पाली (राजस्थान) ******************** आजकल आवागमन के इतने सुगम साधन होने के बावजूद भी बहने अपने मायके नहीं आ पाती वो इसलिए कि अब उनका खुद का घर परिवार बच्चे संभालने होते हैं आज के परिवेश में स्थितियां भी बदल गई प्यार और अपनत्व ने भी उस डोर से किनारा कर लिया ननद ने भाभी को फोन करके पूछा कि भाभी मैंने जो राखी भेजी थी मिल गई क्या आप लोगों को भाभी ने कहा नहीं दीदी अभी तक तो नहीं मिली ननद बोली ठीक है भाभी कल तक देख लो अगर नहीं मिली तो मैं खुद आ जाऊंगी राखी लेकर अगले दिन भाभी ने खुद फोन किया और कहा कि हां दीदी आपकी राखी मिल गई है बहुत अच्छी है धन्यवाद दीदी ... ननद ने फोन रखा और आंखों में आसूं लेकर सोचने लगी कि भाभी मैंने तो अभी राखी भेजी ही नहीं और आपको मिल भी गई रिश्तों को सिमटने और फिर टूटने से बचाएं क्योंकि यह रिश्ते हमारे जीवन के फूल हैं जिन्हे ईश्वर ने हमारे लिए ख...
जा रहा हूँ मैं हूँ साल दो हज़ार बीस
कविता

जा रहा हूँ मैं हूँ साल दो हज़ार बीस

कार्तिक शर्मा मुरडावा, पाली (राजस्थान) ******************** जा रहा हूँ, मैं हूँ साल दो हज़ार बीस, क्षमा करना, नफ़रत स्वाभाविक है, छीना जो है बहुत कुछ, बच्चों से पिता को, बहन से भाई को, पत्नी से पति को, ना जाने कितने रिश्तों से रिश्तों को, कारोबार, ऐशो आराम, सुख चैन, फ़ेहरिस्त लंबी है, द्वेष है, क्रोध है, नाराज़गी है, इच्छा यह सभी की है, कब जाओगे, कब आएगी चैन की नींद, जा रहा हूँ, मैं हूँ साल दो हज़ार बीस।। लौटाया भी है बहुत कुछ मैंने, नदियों को साफ़ पानी, पेड़ों को हरियाली, पहाड़ों को झरने, बेघर पशु-पक्षियों को घर, धड़कनों को सांसें, जीवन को अर्थ, रिश्तों को प्यार, बागों में फूलों की बहार, सर्दी की बर्फ़, गर्मी को ठंडी हवाएं, सूखे को बरसात, ज़िंदगी को मौसमी सौगात, रखना याद हर हार के बाद है जीत, जा रहा हूँ,मैं हूँ साल दो हज़ार बीस।। दुखों को नहीं खुशियों को याद रखना, मिली है जो सीख, उसे सं...
एक सलाम फौजी के नाम
कविता

एक सलाम फौजी के नाम

कार्तिक शर्मा मुरडावा, पाली (राजस्थान) ******************** एक दिन मेरी फौजी से मुलाकात हुई, और फिर हमारे बीच ऐसी बात हुई। बीवी का वचन भी जिसे याद नहीं, परिवार से मिलने की फरियाद नहीं। माँ की ममता का अक्सर गम होता है, और बेटी से मिलना बड़ा कम होता है। चाहे फौलादी शरीर बनाले फिर भी, कैसे बयान करें खून के आँसू रोते हैं। एक तुम्हें माँ का आँचल नसीब हो, इसलिए हम मौत की गोद में सोते हैं। भारत माँ को अपनी माँ बनाकर, हम हर जवान को भाई कहते हैं। जाती और धर्म का भेदभाव नहीं, हम हिन्दुस्तान में रहते हैं। परवाह नहीं है हमें अब कुछ भी, हम इस भारत माँ के बेटे हैं। शहीद भी बन गए तो क्या हुआ, आज शान से तिरंगे में लेटे हैं l दिवाली में भी जो गोली खाकर, हर पल खून की होली खेलते हैं। गर्व हमे हैं ऐसे शहीदों की मिट्टी पर, एक सलाम हर सैनिक के नाम करते हैं। परिचय : कार्तिक शर्मा पिता : शुक्राचार्य शर्मा श...
मैं भी पढ़ने जाऊंगा
कविता

मैं भी पढ़ने जाऊंगा

कार्तिक शर्मा मुरडावा, पाली (राजस्थान) ******************** माँ मुझको किताब मंगा दो, मैं भी पढ़ने जाऊंगा। सीख सीख कर सारी बातें, तुमको भी बतलाऊंगा। माँ मुझको किताब मंगा दो, मैं भी पढ़ने जाऊंगा। पांच जन्मदिन बीत गए हैं, अब स्कूल जाना है। पढ़ लिखकर बनूँगा अफसर, ऐसा मैंने ठाना है।। बैठके ऊंची कुर्सी पर, मैं भी हुकुम चलाऊंगा। माँ मुझको किताब मंगा दो, मैं भी पढ़ने जाऊंगा।। गणवेश का कपडा लाना, अच्छे दर्जी से सिलवाना। जूते मोज़े और स्वेटर, अपने हाथों से पहनाना।। पहनकर कोट सबसे ऊपर, मैं भी टाई लगाऊंगा। माँ मुझको किताब मंगा दो, मैं भी पढ़ने जाऊंगा।। बस्ता लाओ अच्छा सुंदर, छपा हो जिसपे भालू बंदर। रबर पेन्सिल और किताबें, मम्मी रखना उसके अंदर।। जेब में रखकर दस का नोट, मैं भी चिज्जी खाऊंगा। माँ मुझको किताब मंगा दो, मैं भी पढ़ने जाऊंगा।। पढ़ लिखकर हम बने महान, पूरा हो सर्व शिक्षा अभियान। माता पिता और गुर...
देश मेरा प्यारा
कविता

देश मेरा प्यारा

कार्तिक शर्मा मुरडावा, पाली (राजस्थान) ******************** देश मेरा प्यारा, दुनिया से न्यारा धरती पे जैसे स्वर्ग उतारा।। ऊँचे पहाड़ों में फूलों की घाटी। प्यारे पठारों में खनिजों की बाटी।। हरे-भरे खेतों में सरगम बजाएँ। नदियों के पानी में चाहूँ मैं तरना।। मन ये गगन में उड़े रे। ऐसे ये जी से जुड़े रे।। दूर मेरा देश ये गाँवों में बसता। मुझको पुकारे है हर एक रस्ता।। पैठा पवन मेरे पाँव में। आना जी तू भी मेरे गाँव में।। देश मेरा प्यारा, दुनिया से न्यारा।। परिचय : कार्तिक शर्मा पिता : शुक्राचार्य शर्मा शिक्षा : बी.एड, एम.ए. निवासी : मुरडावा पाली राजस्थान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक म...
अवगुण धोती शिक्षा
कविता

अवगुण धोती शिक्षा

कार्तिक शर्मा मुरडावा, पाली (राजस्थान) ******************** बहुत जरूरी होती शिक्षा, सारे अवगुण धोती शिक्षा। चाहे जितना पढ़ ले हम पर, कभी न पूरी होती शिक्षा। शिक्षा पाकर ही बनते है, नेता, अफसर, शिक्षक। वैज्ञानिक, मंत्री, व्यापारी, और साधारण रक्षक। कर्तव्यों का बोध कराती, अधिकारों का ज्ञान। शिक्षा से ही मिल सकता है, सर्वोपरि सम्मान। बुद्धिहीन को बुद्धि देती, अज्ञानी को ज्ञान। शिक्षा से ही बन सकता है, भारत देश महान।। परिचय : कार्तिक शर्मा पिता : शुक्राचार्य शर्मा शिक्षा : बी.एड, एम.ए. निवासी : मुरडावा पाली राजस्थान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आ...