हारते हुए मन को समझना
काजल कुमारी
आसनसोल (पश्चिम बंगाल)
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ये जिंदगी है मेरे दोस्त,
बहुत आजमाएगी।
जो चाहा नहीं कभी,
वो भी करवाएगी ।।
पर मतलब नहीं इसका,
हम हारकर बैठ जाएं।
कोशिशें छोड़ दें,
खुद को समझाकर बैठ जाएं ।।
अभी तो सफर लंबा है,
बहुत दूर जाना है।
जो रूठे हैं रास्ते
उनको भी मनाना है ।।
मत सुना करो उनकी
जो रास नहीं आते ।
इंतजार उनका कैसा .....
जो इंतजार का अर्थ नही जानते ।।
हर कोई हमें प्यार करे
ये हमारे बस में नहीं ।
पर हम सबको प्यार दें,
बेशक हमारे बस में है ।।
हां, टूटी चीजें चुभती हैं,
बहुत सताती हैं।
मन की उदासी का
बवंडर ले आती है ।।
घुट-घुट के हम खुद में
सिमट से जाते हैं ।
चाहकर भी इससे
निकल नही पाते हैं ।।
इसलिए खुद को
ऐसा बनने मत देना ।
बेवजह आसुओं को बाहर
निकलने मत देना ।।
कह दे कोई खुदगर्ज
तो चुपचाप सुनना ।
पर हमदर्द हमेश...