Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: काजल कुमारी

हारते हुए मन को समझना
कविता

हारते हुए मन को समझना

काजल कुमारी आसनसोल (पश्चिम बंगाल) ******************** ये जिंदगी है मेरे दोस्त, बहुत आजमाएगी। जो चाहा नहीं कभी, वो भी करवाएगी ।। पर मतलब नहीं इसका, हम हारकर बैठ जाएं। कोशिशें छोड़ दें, खुद को समझाकर बैठ जाएं ।। अभी तो सफर लंबा है, बहुत दूर जाना है। जो रूठे हैं रास्ते उनको भी मनाना है ।। मत सुना करो उनकी जो रास नहीं आते । इंतजार उनका कैसा ..... जो इंतजार का अर्थ नही जानते ।। हर कोई हमें प्यार करे ये हमारे बस में नहीं । पर हम सबको प्यार दें, बेशक हमारे बस में है ।। हां, टूटी चीजें चुभती हैं, बहुत सताती हैं। मन की उदासी का बवंडर ले आती है ।। घुट-घुट के हम खुद में सिमट से जाते हैं । चाहकर भी इससे निकल नही पाते हैं ।। इसलिए खुद को ऐसा बनने मत देना । बेवजह आसुओं को बाहर निकलने मत देना ।। कह दे कोई खुदगर्ज तो चुपचाप सुनना । पर हमदर्द हमेश...
मन की सोच बदलो
कविता

मन की सोच बदलो

काजल कुमारी आसनसोल (पश्चिम बंगाल) ******************** ये अच्छा है ये खराब है, ये ऐसा क्यों है? ये वैसा क्यों है? ये क्या हो रहा है? ऐसा होना चाहिए ऐसा नहीं होना चाहिए, इसे ऐसा करना चाहिए इसे ऐसा नहीं करना चाहिए, मुझे कोई समझता नहीं, कैसा समय आ गया ? जो बातें रह गई दबी मन में, मन को व्याकुल कर सदा वो तनाव पैदा करती है। लोग शायद बदल गए हैं, परस्थिति सही नहीं है, स्थिति बिगड़ रही है, सारी जिंदगी इंसान इन्हीं सवालों के, जवाब ढूंढने की कोशिश में उलझा रहता है। खुशी की चाह में हमेशा दुःखी रहता है, अगर सच में खुशी चाहते हो तो, परस्थिति बदलने की बजाय अपनी मन की स्थिति बदलो ।। बस दुःख सुख में बदल जाएगा। सुख दुख आख़िर दोनों हमारे अपने मन की ही तो समीकरण है। बस आपका दृष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिए।। परिचय :- काजल कुमारी निवासी : आसनसोल (पश्चिम बंगाल) ...
स्त्री संवेदना संदर्भ छुटकारा कहानी
आलेख

स्त्री संवेदना संदर्भ छुटकारा कहानी

काजल कुमारी आसनसोल (पश्चिम बंगाल) ******************** ममता कालिया की कहानियों में स्त्री पात्र अस्तित्वहीन होकर अपने अस्तित्व की तलाश में संघर्ष कर रहे हैं। वर्तमान युग की स्त्रियां पुरुषों के समक्ष ही नहीं बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान और अपने वजूद को कायम करने के लिए संघर्षरत हैं। सदियों से प्रताडित नारी एक अघोषित युद्ध के के खिलाफ संघर्ष कर रही है। समाज से लेकर परिवार कर तक वे संघर्ष कर रही हैं। और इसी संघर्ष ने उन्हें अपने अंदर एक अभूतपूर्व आत्मविश्वास को जगाया है। नारी जहां इस प्रतिसत्तात्मक व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष कर रही है, वहीं वे मेहनत तथा अदम जिजीविसा के बल पर समाज एवं परिवार में अपने धूमिल पड़े अस्तित्व को एक निखारने के साथ दी साथ एक अलग पहचान दी है। •स्त्रियों के संदर्भ में स्त्री लेखिकाओं का नजरिया बहुत ही महत्वपूर्ण है। * सिमोन दा बोउबार - "स्त्रियां ...