पर्व शिव कीर्तन का
ओमप्रकाश श्रीवास्तव 'ओम'
तिलसहरी (कानपुर नगर)
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मेरे मन में भाव उठा अब,
बाबा शिव के कीर्तन का।
महापर्व शिवरात्रि सुहावन
शिवशंकर के अर्चन का।
इस दिन भोले बनते दूल्हा,
करके वह पुष्प श्रृंगार।
झूमें नाचे तब भक्त सभी,
खुशी मनाते हैं अपार।
प्रेम मगन होकर उर आता,
मधुर भाव शिव नर्तन का।
महापर्व शिवरात्रि सुहावन
शिवशंकर के अर्चन का।
गौरा माता बनती दुल्हन,
करती शुभ प्रेम श्रृंगार।
आँखों में शिव की छवि होती,
सत उर में उमड़ता प्यार।
भाव उठे शिव बारात सदा,
प्रभु नील पुष्प वर्षण का।
महापर्व शिवरात्रि सुहावन
शिवशंकर के अर्चन का।
भाँग धतूरा सेवन करते,
नित भूत प्रेत गण सारे।
भाँग मधुर पीसें गौरा जब,
पीते तब भोले प्यारे।
भोले की करती नित सेवा,
रखें मान माँ कंकन का।
महापर्व शिवरात्रि सुहावन
शिवशंकर के अर्चन का।
परिचय :- ओमप्रकाश श्रीवास्...