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Tag: आशीष द्विवेदी समदरिया

छांव मेरी मां
कविता

छांव मेरी मां

आशीष द्विवेदी समदरिया शहडोल (मध्यप्रदेश) ******************** छांव है मेरी तू मां जान मेरी है तू मां बिन तेरे ना देख पाते सुबह हम मां मेरे ख्वाबों का परिणाम तू है मां मुझे इस दुनिया में तूने ही तो लाया है सबसे लड़ कर तू मुझे बचाती सबसे तू मेरे लिए लड़ जाती हो मां तू धूप मैं तेरा तो छांव बनना चाहूं मां इस जग में सबसे ज्यादा तो तूम प्यार करती हो मां मैं ना तेरे मन की बात जानू, लेकिन तूम तो सब जानती हो मां मां सबसे प्यारा निर्मल तेरा तो प्यार है मां हम ना जाने तेरी भावों को, छुपाते तूम रहती हो मां तूम दुःख हो सहती मगर, अपने लाल को नहीं जातती हो मां तेरे बिना ना हम है, ना ही जानेंगे इस दुनिया को मां तू ही तू पहचान है मेरी मां तेरे नाम से है मेरी ये दुनिया मां छांव है तू मेरी मां मैं कैसे भूलूंगा मां हम सभी को मां का ख्याल, प्यार देना चाहिए अपनी ...
मैं खुद्दार हूं
कविता

मैं खुद्दार हूं

आशीष द्विवेदी समदरिया शहडोल (मध्यप्रदेश) ******************** जीवन है संघर्ष है ये लड़ रहा, जूझ रहा क्योंकि खुद्दार हूं मैं मैं खुद्दार हूं, मैं लड़ रहा, नहीं मैं भयभीत हूं, मैं धूप में, मैं छांव में ढल रहा पहर भी हो खोई नहीं पहचान अपनी क्योंकि खुद्दार हूं मैं मैं लड़ रहा, अपने आप से मैं जितता, अब खुद से हूं मैं खुद्दार हूं, मैं अपनों से दूर भी हूं मगर हारा नहीं हूं मैं, मैं छोड़ा नहीं हूं अपनी खुद्दारी मैं हार भी नहीं माना हूं, अंत तक लड़ूंगा मैं, छोड़ा नहीं अभी जिंदगी को, मैं खोया नहीं हूं, पहचान अपनी दिन हो, रात हो, मैं जिंदगी छोड़ नहीं, मैं खुद्दार हूं, मैं अपनी खुद्दारी छोड़ नहीं हूं, जिंदगी की कदर करना छोड़ नहीं हूं।। परिचय :-  आशीष द्विवेदी समदरिया निवासी : शहडोल (मध्यप्रदेश) व्यवसाय : बैंकर सम्प्रति : लगभग १० किताबें प्रकाशित) घ...