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Tag: आशीष तिवारी “निर्मल”

खुद को तबाह मत करना
कविता

खुद को तबाह मत करना

आशीष तिवारी "निर्मल" रीवा मध्यप्रदेश ******************** मोहब्बत यदि गुनाह है तो गुनाह मत करना किसी के वास्ते खुद को तबाह मत करना। तुम उसको चाहो भले, वो तुम को भी चाहे भूलकर कभी भी तुम ऐसी चाह मत करना। जानकर यदि अंजान है वो तुम्हारे एहसासों से दर्द सह लेना मगर, मुंह से आह मत करना। आदत है उस पर हक जताना तो जताते रहना पर नजरों में खुद की नीची निगाह मत करना। तुम मुठ्ठियों में छिपा सकते हो चांद सूरज को टूटकर कभी अपने हौसले का दाह मत करना। मोहब्बत करने से बेहतर है दीन दुखियों की सेवा मतलबी, झूठे, लालची लोगों से निबाह मत करना।   लेखक परिचय :- कवि आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हिंदी और लोकभाषा बघेली पर लेखन करने की प्रबल इच्छाशक्ति ने आपको अल्प समय में ही कवि सम्मेलन मंच, आक...
शुकुलाईन का फेसबुकिया साहित्य प्रेम
व्यंग्य

शुकुलाईन का फेसबुकिया साहित्य प्रेम

आशीष तिवारी "निर्मल" रीवा मध्यप्रदेश ******************** यूँ तो शुकुलाईन अपने शहर की जानी पहचानी फेसबुक यूजर हैं, शुकुलाईन के शहर के बिगड़े नवाब, लफंगे लुच्चे, टुच्चे, पनवाड़ीे से लेकर धोबी तक सभी शुकुलाईन की फेसबुक मित्र सूची में हैं, शुकुलाईन की हर फेसबुक पोस्ट पर यह सभी लोग लव रियेक्ट कर खुद का जीवन सफल मानते हैं। वहीं शुकुलाईन भी इतनी संख्या में फेसबुक पोस्ट पर लव रिएक्ट पाकर खुद को गौरान्वित महसूस करती हैं, ना जाने कितने ही फेसबुक समूहों में अपनी द्विअर्थी संवाद से परिपूर्ण टिप्पणी एवं पोस्ट को लेकर निकम्मे, निठल्ले और "फुरसतिए टाइप" के लड़कों के मध्य शुकुलाईन कौतूहल का विषय बनी हुई हैं। फेसबुक का इतिहास इस बात की गवाही देने से साफ मुकर गया है कि आज दिनांक तक शुकुलाईन ने कोई तरीके की या यूँ कहें कि सार्थक (पढ़ने योग्य) एकाध पंक्ति भी फेसबुक पर लिखी हो!! बवाल और भसड़ मचाने वाली फेस...
चिंतक नियरे राखिए
व्यंग्य

चिंतक नियरे राखिए

आशीष तिवारी "निर्मल" रीवा मध्यप्रदेश ******************** चिंता सदा से चिता के समान रही है। ऐसा हमारे बुजुर्गों ने कहा, भगवान ही जाने बुजुर्गों ने कहा भी है या लोगों ने खुद ही सब कुछ कह सुन कर बुजुर्गों का नाम लगाकर पल्ला झाड़ लिया। समाज और देश को आगे बढ़ाने के लिए या मुख्य धारा में लाने के लिए चिंता नहीं चिंतन करने की जरूरत है। वैसे आज के इस दौर में चिंतक ढूढ़े नहीं मिल रहे हैं । जिसे देखो वही चिंताग्रस्त है। जब हम छोटे थे तब सुबह-सुबह सड़क के किनारे, और रेल्वे ट्रैक के आसपास लोटा सामने रखकर गूढ़ चिंतन में खोए लोग दिख जाते थे। उनकी भावभंगिमा देखकर लगता था कि राष्ट्र हित में कोई बड़ा चिंतन कर रहे हैं।लेकिन समय-समय पर सरकार ने चिंतकों के प्रति चिंतन करने के पश्चात घर-घर में आत्म चिंतन केंद्र खुलवा दिए। सरकार के इस कठोर निर्णय से ऐसे चिंतक डायनासोर की भांति विलुप्त होने की कगार पर जा चुके...
हम कह ना पाए
कविता

हम कह ना पाए

आशीष तिवारी "निर्मल" रीवा मध्यप्रदेश ******************** लग रहा है जैसे तू मुझसे दूर जा रही है, तेरी यादें मुझमें एक डर सा जगा रही है। बीते लम्हों की बेचैनी मुझे रुला सी रही है, दिल की हर धड़कन तुझे बुला सी रही है। तेरे प्यार से यह दिल मेरा यूँ वंचित सा है, फिर क्यों तेरे लिए ही दिल चिंतित सा है। मैं समझा समझ लोगे मगर समझ ना पाए, दोष तुम्हारा क्या दूं जब हम कह ना पाए। मुझे छोड़ कर तुम ना हो पाए जमाने के, पहले ढूंढ़ तो लेते बहाने कुछ ठिकाने के।   लेखक परिचय :- कवि आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हिंदी और लोकभाषा बघेली पर लेखन करने की प्रबल इच्छाशक्ति ने आपको अल्प समय में ही कवि सम्मेलन मंच, आकाशवाणी, पत्र-पत्रिका व दूरदर्शन तक पहुँचा दीया। कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानि...
युवा प्रतिभा खोज कार्यक्रम का आयोजन।
साहित्यिक

युवा प्रतिभा खोज कार्यक्रम का आयोजन।

रीवा : द खबरदार टीम के आयोजकत्व में और विंध्य कवि दरबार के संयोजन में २ अक्टूबर  को गांधी जी की १५०वीं जयन्ती के उपलक्ष्य में शिक्षा इंटरनेशनल स्कूल बोदाबाग रीवा में एक अद्वितीय और ऐतिहासिक कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। जिसमें रीवा से ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तरप्रदेश के सैकड़ों नवोदित कवियों ने भाग लिया और काव्यपाठ किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ऐसे नवोदित रचनाकारों को सामने लाना है जो कि कविता, कहानी आदि लिखते तो हैं किंतु कभी उन्हें ऐसा मंच नहीं मिलता जहाँ वो अपनी कला का प्रदर्शन कर सकें। विंध्य कवि दरबार ने ऐसे ही कलाकारों को खोजकर उनकी प्रतिभा को निखारने और उचित स्थान दिलाने का बीड़ा उठाया है। . . इस कार्यक्रम के प्रारंभ में रीवा जिले के दो वीर से.नि. सैनिकों ए. के. पांडेय एवं पुष्पेन्द्र कुमार शर्मा, दो शिक्षकों डा. के.के. मिश्रा एवं बी.डी. मिश्रा सहित विभिन्न क्षेत्रों मे...
तेरी सोहबत का असर
कविता

तेरी सोहबत का असर

********** आशीष तिवारी "निर्मल" रीवा मध्यप्रदेश बड़ी मुश्किल है ये प्यार की डगर आई नहीं तुम आने का वादा कर खुश रहने की ख्वाहिश भी बची नही ख़ुदा जाने क्यों उदासी है इस क़दर। प्यास जगाई तूने,उसमें झुलसता रहा मैं तुझे पता ही नही कहाँ खोई है तू मगर सबकी नजरों में खुश ही दिखता हूँ मैं ये सब तेरी ही सोहबत का है असर। अब ना भटको चुपचाप चली आओ तुम दिल में प्यार की अब भी है वही लहर।   लेखक परिचय :- कवि आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हिंदी और लोकभाषा बघेली पर लेखन करने की प्रबल इच्छाशक्ति ने आपको अल्प समय में ही कवि सम्मेलन मंच, आकाशवाणी, पत्र-पत्रिका व दूरदर्शन तक पहुँचा दीया। कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित युवा कवि आशीष तिवारी निर्मल वर्तमान समय में कवि सम्मेलन मंचों व लेखन मे...
ढाई आखर
कविता

ढाई आखर

********** आशीष तिवारी "निर्मल" रीवा मध्यप्रदेश समझ ना पाया खुद को दर्द सभी मैं सहता हूँ, तुमने चकनाचूर किया अब भी तुम पे मरता हूँ। आराध्य समझ बैठा तुमको उम्र तुम्हारे नाम किया तुमको चाहा तुमको सोचा ना कोई दूजा काम किया। ढाई आखर के पंडित ने कितना नाच नचाया है सूखे मन के मानसरोवर में बरखा ने प्यास बढ़ाया है। जुल्म सितम मुझपे करते फिर भी लगते प्यारे थे दुश्मन से भी बढ़के निकले तुम तो मीत हमारे थे। भूले भटके रह-रह कर के मैं इतना याद आऊंगा भर ना सकेगा कोई जिसे उस जगह छोड़ के जाऊंगा। लेखक परिचय :- कवि आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हिंदी और लोकभाषा बघेली पर लेखन करने की प्रबल इच्छाशक्ति ने आपको अल्प समय में ही कवि सम्मेलन मंच, आकाशवाणी, पत्र-पत्रिका व दूरदर्शन तक पहुँचा दीया। कई साहित्य...
मोहब्बत बड़ी ‘फालतू’ चीज है
व्यंग्य

मोहब्बत बड़ी ‘फालतू’ चीज है

======================= रचयिता : आशीष तिवारी "निर्मल" सन् १९७८ में फिल्म आई थी 'त्रिशूल' जिस पर साहिर लुधियानवी साब द्वारा लिखा हुआ एवं लता जी किशोर कुमार जी के युगल स्वर में गाया हुआ एक गीत 'मोहब्बत बड़े काम की चीज है' काफी लोकप्रिय हुआ था। शायद...!ऐसा संभव रहा होगा कि उन दशकों में मोहब्बत बड़े काम की चीज रही होगी तभी तो यह गीत लिखा गया था। मोहब्बत करके लैला-मजनूं,शीरी-फरहाद बिना सोशल मीडिया में वायरल हुए ही लोकप्रिय हो गए और उनकी मोहब्बत 'ट्रेंड' पर रही। उनके किस्से कहानियों को सुनते-सुनते मोहब्बत करने की सनातनी परम्परा तभी से चली आ रही है। एक दौर ऐसा भी आया जब मोहब्बत करना मतलब पीएचडी करने जैसा होता था भोली भाली सूरत जिस पर मन ही मन मर मिटे होते थे उसका नाम और पता,पता करते-करते उसकी शादी का कार्ड घर आ जाता था, और आशिक को तभी पता चलता था कि उसकी लैला का नाम 'लक्ष्मीरनिया' था जो अब किसी...
बहक जाता था
कविता

बहक जाता था

============================= रचयिता : आशीष तिवारी "निर्मल" खिलता गुलाब थी, तू खिलता गुलाब है सूरत तेरी लाजवाब थी, लाजवाब है। तुझे देख के अक्सर बहक जाता था मैं मेरी आदत खराब थी, आदत खराब है। तू मीठे शहद सी थी, मीठे शहद सी है तेरी कीमत बेहिसाब थी बेहिसाब है। नशा छा जाता है जो तू पास से गुजरे मनमोहक अदाएँ शराब थी शराब है। कोई नही है मिसाल तेरी, बेमिसाल है तू सच में माहताब थी, और माहताब है। यूँ तुझको पाना है द्विवास्वप्न के जैसा तुम एक ख्वाब थी और एक ख्वाब है। रिश्ता सदा पाकीजा था हम दोनों का सब खुली किताब थी खुली किताब है। लेखक परिचय :- कवि आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हिंदी और लोकभाषा बघेली पर लेखन करने की प्रबल इच्छाशक्ति ने आपको अल्प समय में ही कवि सम्मेलन मंच, आकाशवाण...
हट गई धारा तीन सौ सत्तर
कविता

हट गई धारा तीन सौ सत्तर

============================= रचयिता : आशीष तिवारी "निर्मल" कश्मीरी वादी को नही किसी की बुरी नजर लगेगी ना ही अब खून से लथपथ वर्दी कोई सनी मिलेगी। किताब ही होगी हाथों पर अब ना कोई पत्थर होगा, केसर वाली क्यारी में अब ना कोई नस्तर होगा। अजानों संग भजनों की अब सुखद आशनाई होगी कौमी एकता की बजती सुरीली शहनाई होगी। हिन्दू मुस्लिम में अब ना कोई नफरत का मंजर होगा फूल ही बरसेंगे वादी से ना किसी हाथ में खंजर होगा। आतंकी मंसूबे, देश विरोधी नारे अब नहीं सुनाई देंगे कश्मीरी पंडित बेचारे ना अब लाचार दिखाई देंगे। हट गई धारा तीन सौ सत्तर सिंहों ने ताकत दिखलाई है कश्मीर हमारा था, है, और रहेगा भी गाथा दोहराई है। लेखक परिचय :- नाम :- आशीष तिवारी निर्मल रीवा (मध्यप्रदेश) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानि...